Yeh Aag Kab Bhujegi - 3

Views: 29 Category: Family Sex By madhuri3987 Published: August 01, 2025

अब आगे हॉट साली जीजू से चुदी:

चुदाई के बाद हम दोनों, शरीफों की तरह चले रिसोर्ट की तरफ!
जीतू ने मुझे रिसोर्ट के गेट पर छोड़ा, भविष्य में पुष्कर या अन्यत्र कहीं भी, फिर मिलने का आग्रह किया।

पर … इसके पहले कि जीतू वहां से जाता, वहीं गेट पर सामना हो गया मेरे जीजा से!

जीतू ने एकदम अपनी मोटरसाइकिल मोड़ी और ऐसे सरपट दौड़ाई कि कहीं उसे मार ना खानी पड़ जाए।
मैं यह सोचती हुई आगे बढ़ी कि अब जीजा से क्या बहाना बनाऊंगी? क्या जवाब दूंगी?

यह तो पोल खुलने वाला मामला बन रहा था।

मैं नर्वस हो रही थी पर मैंने हिम्मत बटोरी, मैंने यह निश्चय किया कि अब बात जीजा तक ही सीमित रखती है, आगे अधिक बवाल ना हो इसका ध्यान रखना है।

जीजा ने मेरे से पूछा- क्यों नीलू, कहां गई थी? यह तो वही रात वाला लड़का है न, जो हमारे आने तक तेरे साथ स्टैंड पर खड़ा था?
मैंने कहा- हां!
इसके अलावा और मैं कहती भी तो क्या?

जीजा ने कहा- तू पूरे ढाई घंटे बाद आ रही है, मैंने तुझे जाते भी देख लिया था, मैं तब से ही इस ताक में था कि जब तू लौटे तो मैं तुझे गेट पर ही पकड़ लूं।

मुझे अंदाजा हो गया था कि अब जीजा का मेरे इस जीतू से फायदा उठाने का इरादा है।
मैंने कहा- जीजा जी, आप प्लीज़ जीजी को या किसी और को कुछ मत बताना!
इस पर जीजा ने कहा- ठीक है, नहीं बताऊंगा. लेकिन एक शर्त पर!

मैं उनके इरादे को समझ रही थी, मैंने कहा- आप जो कहोगे मैं वह करूंगी. पर प्लीज यह बात अपने तक ही रखना।
इस पर जीजा ने मेरे मजे लेते हुए कहा- क्यों? तू ऐसा क्या करके आई है जो इतना घबरा रही है?

अब मैंने भी खुलकर बात करने की सोची और मैंने कहा- जीजा जी, अब आप से क्या छुपाना, कल जब उस लड़के ने मुझे कार स्टैंड तक छोड़ा तो उस पर मेरा दिल आ गया और मैं उसके साथ एंजॉय करने उसके घर चली गई थी।

इस पर जीजा ने पूछा- सुनील को ये सब मालूम है?
मैंने झूठ बोला- अरे नहीं, उनको बिल्कुल भी कुछ पता नहीं है। जीजाजी, जीवन में पहली बार मुझसे ऐसी गलती हुई है। मुझे माफ कर दो न!

तो उन ने इतराते हुए कहा- अरे हम तो उड़ती चिड़िया के पर गिन लेते हैं. कल तुम दोनों के हाव भाव देखकर ही मैं समझ गया था कि तुम्हारे बीच कुछ न कुछ खिचड़ी पक चुकी है। इसीलिए मैं तेरी हर हरकत पर सुबह से ही गौर कर रहा था. तेरा खाने में भी ध्यान नहीं था, तेरा ध्यान बार-बार गेट की तरफ जा रहा था और तू जल्दी जल्दी खाना खाकर फ्री हो गई थी। जब तू कमरे का बहाना बनाकर हमारे बीच से निकली मैं तभी समझ गया था कि आज कुछ ना कुछ होने वाला है।

मैंने जीजाजी से कहा- फिर आप ने मुझे रोका क्यों नहीं?
वे बोले- मैं एक अरसे से तुझे अपने नीचे लाने की सोच रहा था। ऐसे ही किसी मौके की तलाश में था जिससे तेरे पास मना करने का अवसर ही ना रहे। इसलिए जब मुझे मौका मिला तो मैं गेट पर ही मंडरा रहा था, मुझे महसूस हो रहा था कि आज बरसों की प्यास बुझाने का समय आ गया है। तू एक बार मेरे नीचे आ जा बस … उसके बाद में तेरे को डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है, मैं सब संभाल लूंगा।

जीजू की बातों से मेरी चूत में सरसराहट होने लगी लेकिन मैंने बड़े ही मायूसी भरे स्वर में कहा- ठीक है जीजाजी, जैसा आप चाहो … मुझे आप की हर शर्त मंजूर है। अब तो मैं आपके प्रेम जाल में फंस चुकी हूं, आपको मना कैसे कर सकती हूं?

जबकि मन ही मन में मेरे लड्डू फूट रहे थे क्योंकि मैं तो अभी अभी एक अनजाने गैर मर्द से चुद के आई थी।
गैर मर्द के साथ मिलने वाली, अनोखी सनसनी का खून मेरे मुंह लग चुका था।

उस पर जीजा भी एक गैर मर्द था और अनजाना भी नहीं था।
यों भी मेरी भी जीजा से चुदने की इच्छा तो बहुत पहले से थी, किसी भी साली का पहला आकर्षण उसका जीजा ही होता है।

लेकिन मैं मेरी जीजी से घबराती थी कि कहीं उनको पता ना चले।
मैं सोचती थी कि ऐसा ना हो कि मेरी छवि भी खराब हो जाए और चुदने को भी ना मिले तो मैंने अपने आप को नियंत्रण में रखा हुआ था।

जीजा जी से मैंने पूछा- अब तुम बताओ कब, कहां और कैसे चढ़ोगे मुझ पर?
उन ने कहा- मुझे शादी वालों ने अलग से एक कमरा दे रखा है. लेकिन तेरे साथ रहने के लालच में, मैं तेरे ही कमरे में रुका हुआ था। पास वाले उस कमरे की चाबी मेरे पास अभी भी है. आज रात को मैं चुपके से उठकर उस कमरे में चला जाऊंगा, थोड़ी देर बाद तू भी आ जाना। वहां मैं अपनी इच्छा पूरी करके तुझे भय मुक्त कर दूंगा।

मैंने कहा- जीजा जी, आज तो मैं पूरी तरह तृप्त हो कर आई हूं, आज मेरी बिल्कुल भी हिम्मत नहीं है। अभी तो कल की रात भी हमें यही रुकना है, आज आप केवल संगीत का आनंद लो, कल निश्चित रूप से मैं आपकी हर इच्छा पूरी करूंगी।
वे मान गए।

अगले दिन जैसा कि हमारे बीच तय हुआ था, जीजाजी उठे और चुपके से दरवाजा खोलकर पास के कमरे में चले गए.

उनको जाते देख मेरी धड़कनें तेज हो गई।
मुझे सुनील को पता लगने का डर नहीं था लेकिन जीजी का डर का था।

पर शादी की रस्मों में मर्द इतना नहीं थकते जितना कि औरतें थकती हैं. इसलिए जीजी बिल्कुल बेसुध सो रही थी।

मैंने भगवान से प्रार्थना की कि मैं जीजा से चुदवा कर वापस लौटूं, तब तक जीजी की नींद ना खुले।

मैं पास वाले कमरे में पहुंची जहां मेरे जीजाजी मेरा इंतजार कर रहे थे.

मुझे देखते ही उन्होंने मुझे बाहों में कस लिया और मेरे होठों पर होंठ रख दिए।
उनका दाहिना हाथ मेरे गाउन के अंदर पहुंचकर मेरे बाएं स्तन को सहलाने और दबाने लगा।

एक लंबे चुंबन के बाद जीजा बोले- यार नीलू, कितने सालों से मैं तुझे चोदना चाह रहा था और कल अनायास ही मेरी लॉटरी लग गई। भगवान ने ईनाम में तेरे जिस्म का आनन्द लेने तुझे मेरी बाहों में भेज दिया।

और मैं यह सोच रही थी कि कल शायद भगवान की कृपा जैसे पूरी नहीं हुई थी इसलिए उन्होंने आज जीजा को मेरी चूत की सेवा में हाजिर कर दिया।
मुझे अपनी जवानी, अपनी कामुकता, अपनी वासना पर गर्व करने का एक और अवसर मिल रहा था।

मैंने जीजा को मस्का लगाते हुए कहा- जीजू भगवान की कृपा सिर्फ तुम पर ही नहीं हुई है मुझ पर भी हुई है। आज तो मैं तुम को बता सकती हूं कि कई बार तुम को याद करते हुए मैं उंगली करके झड़ी हूं। मैं तो खुद तुम्हारे जैसे हैंडसम और अच्छी पर्सनैलिटी वाले मर्द से चुदाई का मजा लेना चाहती थी। लेकिन जीजी के कारण मैंने अपनी वासना भरी भावनाओं को वश में कर रखा था। अभी भी डर यही है कि कहीं जीजी की नींद और हमारी पोल ना खुल जाए। क्योंकि सुनील को तो मैं अच्छी तरह जानती हूं। वे तो एक बार सोने के बाद सुबह तक हिलते भी नहीं हैं। सुनील की नींद बहुत गहरी है.

जीजा जी मेरी बातों से खुश हो गए.

फिर जीजा जी ने एक राज खोला।
उन ने कहा- तू जीजी की चिंता मत कर, मैंने उसे उसकी दूसरी दवाओं के साथ एक नींद की गोली भी दे दी है। वह किसी भी हालत में सुबह 7:00 बजे के पहले नहीं उठेगी।

मैं आश्चर्यचकित थी कि नई चूत चोदने की प्रबल इच्छा मर्द को कई उपाय सुझा देती है।
मुझे तो लग रहा था कि बस एक बार, फटाफट वाली चुदाई करवा कर ही वापस अतृप्त लौटना पड़ेगा। पर यहां तो जीजा ने चुदाई का भरपूर मजा लेने की योजना बना रखी थी।

जीजा ने देर न करते हुए अपने सारे कपड़े उतारे और साथ ही मेरा नाइट गाउन भी उतार दिया।
मुझे रात में ब्रा और पैंटी पहन के सोने से नफरत है इसलिए हम दोनों कमरे में एक दूसरे के सामने नंगे खड़े थे।

मैंने तो अपनी चूत कल ही चिकनी करी थी।

जीजा मेरा कामुक, गदराया हुआ, नंगा बदन देख कर एकदम खुश हो गये।
मैंने जीजा के नंगे बदन पर नजर डाली, लगता था कि उन ने भी उसी दिन झांटें साफ करी थीं.

जीजा बोले- यार नीलू, कहां मैं तेरे बोबों की एक झलक ठीक से देखने के लिए तरसता था, कहां आज तू पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी है।

फिर वे बोले- यार एक गड़बड़ हो गई।
मैंने पूछा- क्या?

तो वे कहने लगे- दिन में कंडोम लाने का तो ध्यान ही नहीं रहा।
इस पर मैंने कहा- चिंता की कोई बात नहीं है, मुझे कंडोम से चुदना वैसे भी बिल्कुल पसंद नहीं है और मैं अपनी सावधानी अपने साथ रखती हूं।

इस पर जीजा मस्ती में झूम उठे और बोले- बिना कंडोम के चोदने से तो चुदाई का मजा और बढ़ जाएगा।

इसके बाद जीजा जी ने मेरे बोबों को मथना और चूसना शुरू किया।

मैंने देखा कि जीजू का लंड एकदम कड़क नहीं हुआ था।
आखिर वे अपनी उम्र का अर्धशतक लगा चुके थे।

मैंने उनका आधा तना हुआ लंड मुंह में लिया और आंड सहलाते हुए चूसने लगी।

करीब पांच मिनिट लगे।
तब जीजा का लंड पूरी तरह से तन्ना गया तो उनने मुझे पलंग पर लिटाया।

उसके बाद जीजा ने अपने मुंह से थूक लिया और मेरी चूत में लगा दिया।
मैंने कहा- ऐसे क्यों लगा रहे हो? सीधे मुंह से लगाते।

इस पर जीजा ने कहा- मुझे चूत चाटने में घिन आती है।
मैंने कहा- यार जीजू, इस मामले में सुनील तो तुमसे बिल्कुल उलट है। वह तो जब तक चूत को मुंह से निचोड़ ना ले, उसका खेल ही पूरा नहीं होता।

जीजा ने कहा- फिर तो मैं भी कोशिश करूंगा. तेरी जीजी की चूत तो अब तक नहीं चाटी पर आज तेरी चूत जरूर चाटूंगा।
यह कहते कहते अपना लंड एक झटके में मेरी चूत के अंदर घुसा दिया।

जीजा जी इतना उतावली में थे कि वे सांस लेने के लिए भी नहीं रुके।
उनने लंड को अंदर घुसेड़ते ही फटाफट धक्के लगाने शुरू कर दिए।
यहां तक कि उनने मेरे बूब्स को भी नहीं छुआ।

अभी मुश्किल से 10 धक्के ही लगे होंगे कि उनकी टोंटी बहने लगी और जीजा का लंड मेरी चूत को गीला करने लगा।
लंड जल्दी सिकुड़ कर बाहर आ गया, उसके साथ वीर्य भी जांघों पर बह निकला।

मैं बहुत निराश थी- क्या यार जीजू, यह क्या किया? ऐसे होती है क्या चुदाई? इतनी जल्दी भी कोई मूतता है क्या?
जीजाजी निढाल होकर मेरी बगल में पड़े लंबी लंबी सांसें ले रहे थे।

उसके बाद जब वे सामान्य हुए तब उन ने कहा- यार नीलू, बहुत सालों से तुझे चोदने की तमन्ना थी इसलिए तेरी चूत में घुसते ही लंड से कंट्रोल नहीं हुआ। तू अपना मूड ऑफ मत कर … अब की बार तुझे अच्छे से चोदूंगा।

जीजू ने एक घंटे से से ज्यादा आराम किया, फिर बोले- अभी बहुत समय बाकी है तुझे सुबह तक रगड़ूंगा।
मैंने कहा- जीजू, पागल हो क्या? मैं थकी हुई हूं, आज अपनी चूत केवल एक बार और दूंगी, जो करना है जल्दी कर लो।

इस पर जीजा बोले- चल ठीक है, अब तो मुझे भी तेरे को चोदने का पक्का वाला लाइसेंस मिल गया है इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है।
फिर जीजा ने कहा- यार नीलू, तू पहले मेरा लंड खड़ा कर जिससे मैं तेरी चूत चाटने की हिम्मत कर सकूं।

मैंने जीजा का लंड चूस चूस के खड़ा किया.
जीजा कहने लगा- यार, आज समझ में आ रहा है कि जब मर्द को लंड चुसवाने में इतना मजा आता है तो फिर औरतों की इच्छा भी तो होती होगी कि मर्द उनकी चूत चाटे।

यह कह कर जीजा ने मेरी चूत पर अपने होंठ रखे.
उनके होंठ चूत रस में भीग गए।

थोड़ी देर में जीजा की जुबान चूत के भीतर अठखेलियां कर रही थी।

जीजा को शुरू में तो थोड़ा अजीब लगा लेकिन धीरे-धीरे उनको मजा आने लगा।
उसके बाद उन्होंने मेरी चूत के दोनों होठों को अपने हाथों की उंगलियों से खोला और उनकी जुबान मेरी चूत की गहराई नापने लगी।

मैं देख रही थी कि जिस व्यक्ति ने मेरी जीजी की चूत कभी नहीं चाटी, वह आज कुत्ते की तरह लप-लप करते हुए, अपनी साली की चूत को चाट रहा था।
वाकयी में ‘पराई औरत की चूत में और गैर मर्द के लंड में अद्भुत आनन्द छुपा होता है।’

मुझे काम का सुरूर चढ़ता जा रहा था.
एक समय ऐसा आया जब मैंने जीजा को बोला- कि मैं झड़ने वाली हूं, अब मेरे क्लिटोरिस को चूसो!

तो उन्होंने उसे, जो फूल के किशमिश जैसा हो गया था, अपने होठों के बीच जकड़ लिया।
उनके दोनों हाथ मेरे स्तनों को लगातार सहला रहे थे।

मेरे क्लिटोरिस को जीजू की जुबान नीचे से ऊपर ऊपर से नीचे सहला रही थी।
कुछ पलों में जीजू जुबान को क्लीटोरिस के चारों ओर गोल-गोल घुमा के उसकी मालिश करने लगे, चूसने लगे।

मेरा शरीर मस्ती का समंदर बन गया था और आनंद की ऊंची ऊंची लहरें, मेरी चूत के तट से आ आ कर टकरा रही थीं।
कुछ ही देर में मेरा बदन ऐंठने लगा।

मैंने जीजा को बोला- मैं झड़ी … थोड़ा सा … और थोड़ा सा … थोड़ा सा … मैं गई … गई … गई!

मैं बेसुध सी पलंग पर पड़ी थी, मेरे मुंह से निकला- शाबाश जीजू!

जीजा बहुत खुश थे क्योंकि उसने अपनी साली को ओरल द्वारा इस बार झड़ा दिया था जबकि इससे पहले उन्हें चूत चाटना बिल्कुल पसंद नहीं था।
उन ने चोदने में जो जल्दबाजी करी थी उसकी पूर्ति अपनी जुबान के जरिए कर दी थी।

अब जीजा को एक बार मेरी चुदाई करनी थी.
मैंने देखा कि उनका लंड अभी भी पूरी तरह से कड़क नहीं था।

तो मैंने झुक कर फिर से जीजा के लंड को हाथ में लेकर दो चार बार आगे पीछे करके अपने मुंह में ले लिया।

मैंने उनके लंड को चूसना शुरु किया, उसके सुपारे को अपनी मुखलार से चिकना करके जुबान से गोल गोल घुमा कर सहलाया.

कोई भी लंड हो … मुंह की नर्मी, गर्मी और तरावट पाकर फनफनाने लगता है।
कुछ ही मिनटों में जीजा का लंड एकदम कड़क हो गया।

इस बार जीजा का ध्यान मेरे वक्ष उभारों की ओर गया और उस ने दोनों स्तनों को मसलना शुरू किया।
मेरी अतृप्त चूत में पुनः जोरों की सरसराहट होने लगी।
पहली चुदाई में तो मुझे बिल्कुल मजा नहीं आया था।

भले ही हर साली को अपना जीजा हैंडसम लगता हो, पर चूत की गर्मी तो चेहरे से नहीं, लंड से ही शांत होती है।
यहां तो जब जीजा अपना लंड मेरी चूत में डालते ही ढेर हो गया तो मेरा तो दिमाग एकदम खराब हो गया था।

अपने उतावलेपन की गलती से सबक लेते हुए इस बार उन्होंने मुझे पूरी तरह तैयार किया, मेरे दोनों बोबे बारी-बारी से चूसे, मेरी निप्पलों को हल्के हल्के काटा और फिर ऐसे चूसा, जैसे कि कोई बच्चा दूध पीने के लिए अपनी मां के स्तन चूसता है।

कुदरत का यह कैसा चमत्कार है कि मर्द औरत के स्तनों को तब भी चूसता है, जब कि उनमें दूध बिल्कुल नहीं आता, लेकिन मर्द हो या औरत दोनों को स्तन चूसने – चुसाने की प्रक्रिया में आनंद रस की प्राप्ति होती है.

मैं अब चुदने के लिए पूरी तरह तैयार थी।

बहुत देर तक स्तनपान के बाद जीजा ने मेरी टांगें अपने कंधों पर रखी और मेरी चूत के मुंह पर लंड रखकर दम लगा कर झटका लगाया.
जीजा का लंड सरसराता, फिसलता हुआ साली की चूत में समा गया।

उसके बाद जीजा ने धक्के लगाना शुरू किया.
मुझे भरपूर आनंद मिल रहा था.

मैं परिवार के किसी मर्द से संबंध बनाने के मामले में अब तक दुविधा में थी।
लेकिन ऊपर वाले ने ऐसा खेल खेला कि पहले तो उस युवक को मेरे पास भेजा जिसके घर जाके मैं चुदवा के आई थी।
और आज उन्हीं की कृपा से मैं जीजा से चुदने के लिए विवश भी थी और आज चुदवा के खुश भी हूं।

थोड़ी देर इस पोजीशन में चोदने के बाद जीजा ने बोला- यार तू घोड़ी बन, मेरे को खड़े-खड़े चोदना है!
मैं घोड़ी बन गई।

मेरी चूत का रस बहते बहते मेरी गांड तक भी पहुंच गया था।

जीजा ने शरारत की और लंड को मेरी गांड के बीचों बीच टिका कर धक्का मारने लगा।
मैं एकदम से मुड़ी और पलंग पर बैठ गई।
मैंने जीजा को बोला- यार एक बार पहले ढंग से चोद तो दो. उसके बाद अब जब तुमको लाइसेंस मिल ही गया है तो गांड भी किसी दिन मार लेना।

जीजा हंसते हुए बोले- चल ठीक है यार!

उसके बाद वे मेरी चूत में लंड डालकर मुझे कुत्ते की तरह धकाधक चोदने लगे।

इस पोजीशन में मेरी चूत से हवा निकलती है और अजीब सी आवाज आती है।

एक मिनट में ही हम दोनों को लगा जैसे कोई इस आवाज को सुन लेगा तो ठीक नहीं होगा।

उसके बाद मैंने जीजा को रोका और मैं पलंग पर पलट गई।
मेरा धड़ पलंग पर था और मेरे दोनों पैर नीचे लटके हुए थे।

अब मेरे जीजा ने फिर से मेरी चूत में लंड डाला और जैसे दंड पेलते हैं, वैसे लंड पेलने लगे।

मेरी चुदाई शायद दस मिनट तक रुक रुक के चलती रही, मेरे चरमसुख के पल आने ही वाले थे।

मैंने जीजा को कहा- जीजू अब रुकना मत, लगातार रगड़ते रहो।

इतने में जीजू के धक्कों में अचानक तेजी आ गई।

इसके पहले कि मैं चरमसुख प्राप्त करती, उनका लंड स्खलित होने लगा।
उन्होंने धक्के लगाना बंद कर दिया और वे वीर्य स्खलन का आनन्द लेने लगे।

मैंने उन्हें थोड़ा सा ऊपर उठने को कहा।

उसके बाद उनका लंड पकड़ के चूत पर रगड़ना शुरू किया, 10 -15 सेकंड के अंदर मेरी चूत फड़कने लगी।
चुदाई के जिस सुख की हर औरत को कामना होती है, वह सुख मैंने अपने जीजा से भी आखिरकार प्राप्त कर ही लिया।

जीजा चुदाई के इस खेल में पसीना पसीना हो गए थे।
वे पस्त होकर मेरे साइड में आकर पड़ गए।
उनका लंड जो कुछ सेकंड पहले अधपके केले जैसा था, अब सिकुड़ के बिना दाने की मूंगफली बन चुका था।

इसतरह से हॉट साली जीजू से चुदी.

मैंने भी झड़ने के बाद, जब सामान्य हुई तो जीजा को मुस्कुरा कर देखा और कहा- जीजू, कितने सालों से तुम मुझे चोदना चाह रहे थे और मैं बची हुई थी. पर आज मेरी जरा सी चूक ने तुम्हें नई चूत का मजा दिला ही दिया।
जीजा के चेहरे पर भी संतुष्टि भरी मुस्कान थी।

प्रिय पाठको, आपको मेरी अब तक की कहानी में रस आ रहा होगा.
आप अपने सुसंस्कृत विचार मुझे तक मेल द्वारा अथवा कमेंट्स द्वारा भेज सकते हैं.
माधुरी सिंह ‘मदहोश’
madhuri3987@yahoo.com

You May Also Like

Ghar ki Gaand - 6

Main didi ke hath se moisturizer ki bottle li, aur didi ki bur ko moisturize karne laga. Ab didi bhi khul kar mera sath…

Ghar ki Gaand - 7

Behanchod tu hai hi, lekin mere muh me apna muth mat gira dena, Pinki bata rahi thi ki uske bhaiya ne jabardasti usko b…

Comments