Sasural Me Chudai Ki Kamuk Dastaan - 12

Views: 24 Category: Family Sex By Garimasexy Published: August 20, 2025

हॉट ऐस बाथरूम फक स्टोरी में मेरे ससुर और अपने छोटे भाई के साथ मैं बाथरूम में नंगी नहा रही थी कि मेरे भाई ने मेरी गांड में लंड पेल दिया. ससुर जी मुझे गांड मरवाती देखने लगे.

कहानी के पिछले भाग
मेरे ससुर ने मुझे मेरे भाई से चुदती देखा
में आपने पढ़ा कि ससुर जी के लंड को चूसने के बाद मेरे भाई का लंड मुझे छोड़ने को तैयार था. ससुर के कहने पर मैं भाई से चुदने लगी.
थोड़ी देर में मैं झड़ गयी.
उसके बाद हम तीनों नंगे बाथरूम में गए और मेरे भी और ससुर ने मेरी चूत के ऊपर पेशाब की धार मारी.

अब आगे हॉट ऐस बाथरूम फक स्टोरी:

इस पर ससुर जी बोले- क्यों ना तीनों फिर साथ ही नहा लें।
जैसे ही ससुर जी ने ये बोला सोनू खुशी से चहकते हुए बोला- वाह पापा, क्या बात कही है मैं भी यही सोच रहा था। क्यों दीदी, साथ ही नहाते हैं फ्रेशनेस भी आएगी और मज़ा भी आ जाएगा।

मैं हंसते हुए आंख मारकर बोली- फ्रेशनेस तो ठीक है, लेकिन मज़ा कैसे आएगा ज़रा बताओ?

सोनू बोला- वो तो नहाना शुरू करते हैं तभी पता चल जाएगा।
ससुर जी मुस्कुराते हुए बोले- हम एक दूसरे पर को साबुन लगाएंगे तो मज़ा आएगा ही!

मैं भी फिर से अब फुल मस्ती के मूड में आ चुकी थी तो मुस्कुराते हुए बोली- ठीक है चलो देखते हैं फिर! लेकिन फिर यहां नहीं मेरे बाथरूम में चलते हैं वो बड़ा है इससे!

दरअसल मेरे कमरे का वाशरूम बड़ा भी था और वहां हैंड शॉवर के साथ ही बड़ा हेड शॉवर भी लगा था जिसके नीचे दो लोग एक-साथ आराम से नहा सकते थे।

रोहित और हम कभी-कभी साथ ही नहाते थे तो इसलिए रोहित ने बड़ा शॉवर लगवाया था।

इस पर सोनू और ससुर जी दोनों तैयार हो गये।
फिर तीनों साथ ही मेरे कमरे के बाथरूम में आ गये।

बाथरूम में आने के बाद शॉवर खोलकर हम तीनों शॉवर के नीचे खड़े होकर नहाने लगे।

सोनू और ससुर जी दोनों ने शॉवर जेल अपने हाथों में लिया और मेरे शरीर पर लगाने लगे।

ससुर जी जहां मेरी दोनों चूचियों पर लगा रहे थे, वहीं सोनू घुटनों के बल नीचे बैठकर मेरी चूत, गांड और जांघों पर लगा रहा था।

मैं भी अपने हाथ में थोड़ा सा जेल लेकर ससुर जी के सीने और उनके लण्ड पर लगाने लगी।

ससुर जी के हाथों से मेरी चूचियों पर पूरा झाग बन चुका था।

उन्होंने फिर पानी से हल्का सा मेरी चूचियों को धुलकर साबुन हटाया और फिर झुककर मेरी चूचियों को बारी-बारी से चूसने लगे।

वहीं इस बीच सोनू घुटनों के बल नीचे बैठा हैंड शॉवर से मेरी चूत पर सीधा पानी की धार मार रहा था।
उसने बाथटब के किनारे की तरफ इशारा करते हुए बोला- दीदी पैर इस पर रखो।

जिसके बाद मैंने अपना एक पैर उठाकर बाथटब के किनारे पर रख दिया।

अब सोनू का मुंह ठीक मेरी चूत के सामने था और एक पैर ऊपर रखने की वजह से उसे चूत चाटने की पूरी जगह मिल गयी थी।
जिसके बाद सोनू अपने मुंह को मेरी दोनों जांघों के बीच रख दिया और दोनों हाथों को पीछे ले जाकर मेरी गांड सहलाते हुए चूत चाटने लगा।

उधर ससुर जी झुककर अभी भी मेरी चूचियों को बारी-बारी से चूसे जा रहे थे.
मैं भी उनके लण्ड को हाथ पकड़ कर हिला रही थी।

शॉवर के ठण्डे पानी की वजह से मुझे फिर से पेशाब लग गयी थी।

सोनू चूत चाट रहा था तो मैं किसी तरह रोकी हुई थी लेकिन जब तेज महसूस होने लगा तो मैं सोनू से बोली- सोनू प्लीज थोड़ा हट जाओ, मुझे सूसू आ रही है।

तब सोनू चूत से मुंह हटाते हुए बोला- तो करो।
मैं हंसते हुए बोली- अरे उठेगा तब ना … कि तेरे ऊपर ही कर दूं?
सोनू बोला- अरे वही तो कह रहा हूं … करो ना!

मैं हैरानी से बोली- सच में तेरे ऊपर ही कर दूं।
सोनू बोला- हां और क्या … मजाक थोड़ी कर रहा हूं।

मुझसे रोका नहीं जा रहा था तो मैं ‘ठीक है’ बोलकर सूसू करने लगी।

मेरी चूत से पेशाब की तेज धार शावर निकली जो शॉवर के पानी के साथ मिक्स होकर सीधा सोनू के सीने और उसके शरीर पर पड़ने लगी।

पेशाब करने के बीच में ही सोनू मेरी चूत को उंगलियों से छेड़ने लगा।
सोनू की इस हरकत से मुझे इतना अच्छा लगा कि मेरी आंखें बंद हो गयीं और मेरे मुंह से आ आआ आआह हहह … तेज सिसकारी निकल गयी।

पेशाब करने के बाद मुझे ऐसा लग रहा था जैसे चूत का पानी निकल गया हो।

जैसे ही पेशाब बंद हुई तो सोनू ने उंगलियों से चूत के दोनों फांकों को हल्का सा फैलाया और जीभ को सीधा अंदर डालकर घुमाने लगा।
ऊधर ससुर जी मेरी चूचियों को बारी-बारी से चूसे जा रहे थे।

एक हाथ से ससुर जी का लंड हिलाते हुए दूसरे हाथ से सोनू के सिर को चूत पर लगाए मैं आंखें बंद किये मैं कामुकता के सागर में गोते लगाते हुए कमर हिला-हिलाकर चूत चटवाने लगी।

मेरे मुंह से धीमी-धीमी ‘आआ आआह हहह … आ आआ आह हहह’ सिसकारियां निकल रही थीं।

कुछ देर इसी तरह चूत चाटने के बाद सोनू खड़ा हो गया।
मैंने आंखें खोल कर देखा तो सोनू मुझे देख रहा था फिर धीरे से बोला- दीदी, अब तुम चूसो हमारा।

मैं बिना कुछ बोले घुटनों के बल नीचे बैठ गयी।
अब ससुर जी और सोनू दोनों मेरे सामने थे और उनका खड़ा लंड मेरे मुंह के सामने था।

मैंने एक हाथ से ससुर जी और दूसरे हाथ से भाई के लण्ड को पकड़ा और उसकी चमड़ी को पीछे खींचकर सुपारे को मुंह में लेकर बारी-बारी से चूसने लगी।

तभी ससुर जी बोले- मुझे भी पेशाब आ रही है।
ससुर जी की बात सुनते ही सोनू बोला- हां सच में मुझे भी लगी है।

मैं समझ गयी कि शॉवर के ठण्डे पानी के नीचे लगातार खड़े होने की वजह से उन्हें भी पेशाब लग गयी थी।

मैं कुछ बोलती … तभी सोनू बोला- दीदी ऐसे ही कर दें?
मैं थोड़ा चौंक कर मुस्कुराते हुए बोली- क्या, मेरे ऊपर ही करोगे?
सोनू मुस्कुराते हुए बोला- हां क्या हुआ, मजा आएगा एक बार करवा कर तो देखो।

मैंने ससुर जी की ओर देखा तो वो भी मुस्कुराकर बोले- हां बेटा सच में अच्छा लगेगा। वैसे भी नहाना तो रही ही हो!

मैं भी कामुकता की आग में इस कदर मदहोश थी कि कुछ भी करने के लिए तैयार थी।
मैं मुस्कुराते हुए बोली- ठीक है, एक मिनट रुकिये फिर!

अभी भी मैं उनके लण्ड को हाथ में पकड़ी थी.
मैंने उनके लण्ड को नीचे अपनी चूचियों की तरफ करते हुए बोली- हां, अब करिए।

जिस पर ससुर जी और भाई दोनों पेशाब करने लगे।
उनके पेशाब की गर्म धार सीधा मेरी चूचियों पर पड़ रही थी।

सच कहूं तो मुझे वाकई अच्छा लग रहा था।
मैं लण्ड को पकड़कर हिलाते हुए अपने सीने और निप्पल पर धार गिराने लगी।

जब पेशाब बंद हुई तो मैं फिर दोनों के लण्ड को बारी-बारी से मुंह में लेकर चूसने लगी।

करीब दो मिनट तक चूसने के बाद मैं खड़ी होती हुई मुस्कुराकर बोली- तो फ्रेशनेस और नहाना हो गया ना! अब चलें कपड़े पहनें।

सोनू हंसते हुए मेरी गांड पर थपकी देता हुआ बोला- अरे दीदी, हम तो फ्रेश हो गये हैं।

फिर अपने लण्ड को हाथ से पकड़ कर हिलाते हुए मेरी गांड पर थपकी देकर बोला- लेकिन ये तो यहीं जाकर फ्रेश होगा।
वह ससुर जी की तरफ देखते हुए आंख मारकर बोला- क्यों पापा, ठीक कह रहा हूं कि नहीं? आपका भी तो अंदर जाने के बाद ही फ्रेश होगा ना!

ससुर जी भी अपने लण्ड को सहलाते हुए मुस्कुरा कर बोले- हाँ और क्या!
मैं हंसते हुए बोली- आप लोगों की डिमांड कुछ ज्यादा नहीं बढ़ती जा रही?

इस पर ससुर जी मेरी गांड पर हाथ फेरते हुए हंसकर बोले- जब गांड इतनी मस्त हो तो डिमांड तो बढ़ेगी ही।

सोनू हंसते हुए बोला- वाह पापा जी, क्या बात कही है आपने। लगता है आपकी पंसद और मेरी पसंद एक ही है।

इस पर हम तीनों एक साथ हंस दिये।

सोनू मुस्कुराते हुए मेरी पीछे आ गया और बोला- तो शुरू करें दीदी।
मैं हंसते हुए बोली- तो मैंने कब मना किया है।

जिस पर सोनू मेरे पीछे घुटनों के बल बैठते हुए मुझसे बोला- थोड़ा झुको दीदी!

मैं समझ गयी कि लंड डालने से पहले वो गांड चाटना चाहता है।

तब मैं सामने दीवार पर दोनों हाथ का सहारा लेकर पैरों को थोड़ा सा फैलाते हुए आगे की तरफ झुकी और गांड को पीछे की तरफ कर गांड चाटने की पूरी जगह दे दी।

सोनू नीचे घुटनों के बल बैठ गया और पहले मेरी गांड को जीभ से चाटने के बाद गांड के दरारों को पूरा फैलाकर अपनी जीभ को सीधा मेरी गांड के छेद पर रखकर चाटने लगा।

ससुर जी बगल में खड़े होकर लण्ड सहलाते हुए हमें देख रहे थे।
मैं एक हाथ दीवार से हटाकर ससुर जी के लण्ड को हाथ में लेकर सहलाते हुए गांड चटवाने लगी।

कुछ देर चाटने के बाद जब सोनू खड़ा हुआ और लण्ड पर थूक लगाने लगा तो मैंने बोला- तेल लगा लो।

ये कहकर सीधी हुई और खुद ही शेल्फ से ऑयल की एक शीशी उठाकर सोनू को दे दी और फिर उसी तरह एक हाथ से दीवार का टेक लेकर और दूसरे हाथ से ससुर जी का लण्ड सहलाते हुए गांड पीछे कर खड़ी हो गयी।

इसके बाद सोनू ने ऑयल लेकर पहले मेरी गांड और की छेद के आसपास अच्छे से लगाया फिर उंगली को हल्का सा गांड के अंदर डालते हुए अंदर तक तेल डाल दिया।

फिर अपने लण्ड पर तेल लगाने के बाद लण्ड को गांड की छेद पर रखकर धीरे-धीरे अंदर डालने लगा।

मेरी आंखें बंद हो गयीं.
मैंने सिसकारी लेते हुए अपनी गांड को थोड़ी पीछे की तरफ करते हुए भाई के लण्ड को पूरा गांड में ले लिया।

लंड पूरा गांड में अंदर जाने के बाद सोनू मेरी कमर को पकड़ कर हल्का-हल्का धक्के देते हुए गांड मारने लगा।

मैं उसी तरह आंखें बदं किये सिसकारी लेते हुए गांड मरवाने लगी और साथ में एक हाथ से ससुर जी का लंड भी हिलाती जा रही थी।

एक मिनट बाद ही ससुर जी अचानक से सोनू से बोले- एक मिनट रुकना बेटा!

मैं आंख खोलकर देखने लगी।
सोनू गांड मारना रोककर गांड में लंड डाले ही खड़ा रहा।

ससुर जी मुझसे बोले- बेटा, थोड़ा सीधी खड़ी हो जाओ तो!

मैं दीवार का सहारा छोड़कर लंड गांड में लिए ही धीरे से सीधी खड़ी हो गयी।
ससुर जी मेरे ठीक सामने आकर मुझसे चिपक कर खड़े हो गये।

तभी ससुर जी ने एक हाथ मेरे कंधे पर रखा और हल्का सा नीचे हुए।

फिर ससुर जी ने जो किया उससे मेरे शरीर में करंट दौड़ गया।
ससुर जी आगे से अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगे।

उनकी इस हरकत पर ठंडे पानी के नीचे खड़ी होने के बावजूद मेरा शरीर गरम हो गया था।

भाई का लंड गांड में था और ससुर जी का लंड चूत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था।
मदहोशी में मेरी आंखें बंद हो गयीं।

मेरी कामुकता का घोड़ा सातवें आसमान में दौड़ने लगा था।
सोनू पीछे से फिर से धीरे-धीरे धक्के देकर गांड मारने लगा था।
वहीं ससुर जी आगे से अपने लंड को मेरी चूत से रगड़ रहे थे।

तभी सोनू धक्के लगाना रोकते हुए से बोला- गोद में उठा लूं पापा।

अभी ससुर जी कुछ बोलते इससे पहले मैं ही बोली- गोद में नहीं, अगर फिसल गये तो दिक्कत होगी।
इस पर ससुर जी भी बोले- हां गोद में मत उठाओ बेटा, ऐसे ही करते हैं।

जिस पर सोनू फिर बिना कुछ बोले फिर से गांड में लंड आगे पीछे करने लगा और ससुर जी भी चूत से लंड रगड़ने लगे।
कुछ देर इसी तरह चूत से लंड रगड़ने के बाद ससुर जी ने मेरे दोनों हाथ पकड़ कर अपने कंधे पर रखे और एकदम से मुझसे चिपक गये जिससे मेरी चूचियां उनके सीने से दब गयीं।

फिर ससुर जी हल्का सा झुके और अपने लंड को मेरी चूत पर रखकर अपनी कमर को एक जोर से झटका दिया।
जिससे उनका लंड मेरी चूत में घुसता चला गया।

मेरी मुंह से ‘आआ आआआ आआह हह हहह हहह’ की तेज सिसकारी निकली।

ससुर जी कुछ देर चूत में लंड डाले खड़े रहे.

उधर सोनू भी धक्के रोककर गांड में लंड डाले खड़ा हो गया।
मैं गांड में भाई का लंड और चूत में ससुर का लंड लिए दोनों के बीच खड़ी थी।

कुछ देर रुकने के बाद ससुर जी कमर हिलाकर चूत चोदने लगे.
वहीं सोनू भी पीछे से धक्के लगाकर गांड मारने लगा।

चूत और गांड में इसी तरह लंड लेते हुए 4-5 मिनट बीते होंगे कि सोनू अचानक धक्कों की स्पीड बढ़ाते हुए तेजी से गांड मारने लगा उसके मुंह से हल्की-हल्की सिसकारियां निकलने लगी थीं।

मैं समझ गयी कि सोनू झड़ने वाला है.
और तभी कमर को 4-5 तेज झटके देते हुए सोनू मेरी गांड में ही झड़ गया।

झड़ जाने के बाद भी कुछ देर तक अपना लंड गांड में डाले सोनू मुझसे चिपक कर खड़े-खड़े तेजी से सांस ले रहा था।

सांस पर काबू पाने के बाद सोनू धीरे से अपने लंड को मेरी गांड से निकाला।

सोनू के गांड से लंड निकालने के बाद ससुर जी भी चूत से लंड निकालकर सीधा खड़े हो गये।
फिर मेरा हाथ पकड़कर बाथटब में आने को बोले।

खाली पड़े बाथटब में जाकर ससुर जी पैरों को पूरा फैलाकर बैठ गये और मुझे अपनी गोद में बैठने का इशारा करते हुए बोले- आओ ऊपर बैठो।
उनका तना हुआ लण्ड ऐसा लग रहा था जैसे कोई रॉकेट की तरह लॉन्च होने की तैयारी में खड़ा है।

मैं दोनों पैरों को ससुर जी के अगल-बगल कर घुटनों के बल खड़ी हो गयी फिर उनके लण्ड को हाथ से पकड़ कर चूत पर सेट किया और फिर धीरे से पूरा बैठ गयी।
ससुर जी का लंड जड़ तक मेरी चूत में समा गया।

मैं आगे झुकी और चूचियों को ससुर जी के मुंह में देकर गांड उछालते हुए लंड चूत में लेने लगी।

सोनू बगल में खड़ा होकर हमें मुस्कुराते हुए देख रहा था।

ससुर जी के लंड पर उछलते हुए अभी 3-4 मिनट ही बीते होंगे कि मेरे सब्र का बांध टूटने को आ गया।
मैं तेजी से ‘आआ आआह हह हहहह … आआ आ आआह हहह’ की सिसकारियां लेते हुए लंड पर उछलने लगी।

तभी ससुर जी ने भी अपनी आंखें बंद कर मेरी कमर को पकड़ कसकर पकड़े अचानक धक्कों को स्पीड बढ़ा दी।

हम दोनों के मुंह से ‘आआ आआ आआह हहह … आ आआआ आआ आहह हहह’ की सिसकारियां निकल रही थीं।

फिर तभी मेरी जांघें कांपने लगीं और चूत से फव्वारा निकलता हुआ महसूस होने लगा।
मैं निढाल होकर ससुर जी से लिपट गयी.

वहीं ससुर जी के मुंह से ‘आआआ आआहह हहहह’ की तेज सिसकारी निकली और उनका शरीर अकड़ गया।

कमर को 3-4 तेज झटके देते हुए ससुर जी ने अपने लंड का पानी चूत में निकाल दिया।

हम दोनों कुछ देर इसी तरह एक-दूसरे से चिपके पड़े रहे और हांफ रहे थे।

इससे आगे की कहानी अगले भाग में!
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