Pyasi Dulhan -2

Views: 77 Category: Bhabhi Sex Story By mastaniusha Published: May 11, 2025

दस दिन बाद मेरा बैंक का पेपर लखनऊ में था। मेरी कोई तैयारी नहीं थी। मैं घर मैं बोर हो रही थी, मैंने सासु मां से कहा- मैं पेपर दे आती हूँ।

सासु ने हाँ भर दी, सासु माँ बोली- तू अमित के घर कानपुर चली जाना, वहाँ से वो लखनऊ पेपर दिला लाएगा। उसकी मकान मालकिन बहुत अच्छी है, तेरी कम्पनी भी हो जाएगी, चाहे तो 6-7 दिन रुक भी आना।

अमित सासु की बहन का लड़का था और कानपूर मैं नौकरी करता था। देवर के यहाँ जाने की बात सुनकर मेरी चूत चुलबुली हो गई। मन ही मन ख़ुशी भी हो रही थी।

मैं गुरुवार को शताब्दी से कानपुर जा रही थी। मेरा पेपर रविवार को था। अमित बीच में देहली आया था, 3-4 दिन रुका था तो हम लोग आपस में थोड़ा खुल गए थे। उसने मुझे नॉन वेज जोक भी सुनाए थे और सेक्सी बातें भी की थीं।

अब मेरे मन के किसी कोने मैं उसके साथ मस्ती करने का मन कर रहा था, आज मंगलवार था। अभी जाने में एक दिन बीच में था। बुधवार को मैंने अपनी चूत के बाल साफ़ किये और ब्यूटी पार्लर मैं जाकर अपना बदन चिकना करवाया। रात को सामन रखते समय दो जोड़ी सेक्सी ब्रा-पैंटी और मेक्सी जिनसे पूरी चूचियाँ और चूत चमकती थीं जाने के लिए रख लीं। दो छोटी स्कर्ट और 2-3 लो-कट ब्लाउज भी रखे।

रात को अमित का फ़ोन 9 बजे आया, मुझसे बोला- और भाभी कैसी हो?
मैंने कहा- अच्छी हूँ ! भाभी के स्वागत की तैयारी कर लेना।

हँसते हुए बोला- मैंने तो कर ली है। तुम क्या तोहफ़ा ला रही हो मेरे लिए।
मुस्कराते हुए बोली- दो संतरे ला रही हूँ।

देवर हँसते हुए बोला- चूस चूस कर खाऊँगा, जल्दी लेकर आओ।
अमित बोला- कल मुर्गा खाओगी या आराम से दो दिन बाद खाओगी?

मैं हँसते हुए बोली- मुझे मुर्गे की आवाज़ आ रही है। कुँकङु कूं कुँकङु कूं बोल रहा है। अभी इसे सुला दो आकर बताउंगी की कब खाना है।

फ़ोन पर बातें करने के बाद मैं अपनी चूत सहलाती हुई सो गई।

अगले दिन मैं शताब्दी से कानपुर पहुँच गई, अमित मुझे लेने आया था, उतरते ही उसने मुझे गले लगाया और बोला- घर पर अच्छी तरह से गले मिलूँगा, मुझे आप से मिलकर बहुत ख़ुशी हो रही है।

मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और हम लोग बाहर आ गए। अमित की बाइक से हम उसके घर पहुँच गए। वहाँ उसकी 35 साल की मकान मालकिन रजनी ने मेरा स्वागत किया और हम लोगों के लिए चाय-नाश्ता ले आई।

हम सभी ने चाय पी, इसके बाद रजनी बोली- जाकर फ्रेश हो लो जब तक मैं बच्चों को देख लेती हूँ। आज रात को मेरे साथ सोना, इस नालायक का भरोसा नहीं, रात को सोने भी न दे।

मैं अमित के साथ उसके ऊपर वाले किराए के टू-रूम सेट में आ गई। कमरे की एंट्री बाहर और अंदर दोनों तरफ से थी। पहला कमरा बहुत छोटा था उसमें 4 कुर्सी, मेज और एक तखत था, अंदर का कमरा काफी साफ़ सुथरा और बड़ा था उसमें एक बड़ा पलंग पड़ा था, छोटी सी किचन और एक बाथरूम कमरे से जुड़ा था।

शाम के 4 बज रहे थे।

कमरे में घुसकर मैंने कमरा बंद कर लिया। अमित बोला- भाभी, मैं बाहर के कमरे मैं बैठता हूँ, आप अंदर फ्रेश हो लो।

मैंने कामुक अंगड़ाई ली और बोली- बाहर क्यों बैठते हो? अंदर आ जाओ। इतना शरमाओगे तो 5-6 दिन कैसे काटेंगे।

अमित और मैं अंदर वाले कमरे में आ गए। मैंने मुस्कराते हुआ कहा- सुबह से साड़ी लपेटी हुई है, अब कुछ हल्का हो लेती हूँ !

और मैंने अपनी साड़ी अमित के सामने उतार दी मेरी तनी हुई चूचियां अमित को ललचा रही थीं। पेटीकोट थोड़ा ठीक करते हुए मैंने नाभि के नीचे सरका दिया। मैंने अपनी बाहें फ़ैलाते हुए कहा- गले तो मिल लो !

अमित एक पुतले की तरह मेरी बाँहों में आ गया मैंने उसे कस कर चिपका लिया, अब मेरी चूचियाँ उसके सीने से दब रही थीं, अमित के लंड का उभार मैं अपनी नाभि पर महसूस कर रही थी। मैंने उसे 5 मिनट तक अपने से चिपके रखा और उसके गालों को कस कर चूम लिया। यह हमारा पहला सेक्स अनुभव था।

उसके बाद मैं बाथरूम में चली गई, मैंने अपनी चड्डी और ब्रा उतार दी और ब्लाउज दुबारा से पहन लिया। बाहर आकर अमित को दिखाती हुई बोली- इन्हें उतार कर बड़ा आराम लग रहा है।

अब मेरे बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट था। बिस्तर पर अमित को बैठाकर मैं उसकी गोद में लेट गई और अपने चिकने पेट पर उसका हाथ रख लिया। अमित मेरी नाभि और पेट को सहलाने लगा।उसका मन मेरे दूध दबाने का कर रहा था लेकिन वो इसकी हिम्मत नहीं कर पा रहा था, मैं अंदर ही अंदर मुस्करा रही थी। मैंने 2 मिनट बाद अमित के गले में हाथ डालकर उसके होंटों को 2-3 बार चूमा और बोली- यह प्यार अब तुम्हें पूरे हफ्ते मिलेगा।

दस मिनट हम बात करते रहे। इसके बाद मैं उसे उठाकर उठ गई। मैंने अपना एक सलवार-कुरता निकाल लिया। बाथरूम अंदर से बहुत छोटा था और उसमें टांगने के लिए कुछ नहीं था। मैं अंदर सिर्फ अमित की टॉवेल लेकर चली गई और अमित से बोली- जब मांगूं तो केवल मेरा कुरता दे देना वो भी आँखें बंद करके।

मैंने बाथरूम मैं अपना ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया अब मैं पूरी नंगी थी। अमित के साथ मस्ताने से मेरी चूत गीली हो रही थी। मैंने उँगलियों से ही अपनी चूत को शांत कर लिया। यह तो कुछ देर की ही शांति थी दोस्तो, असल में लंड खाई चूत लंड से ही शांत होती है।

उसके बाद मैं नहा ली। अमित का तौलिया बहुत छोटा था, चूत ढकती तो चूचियाँ खुली रहतीं और चूची ढकती तो चूत खुली रहती। मैंने तौलिया अपनी कमर पर बाँध लिया और स्तन खुले छोड़ दिए। दरवाज़ा खोल कर बहार झाँका तो अमित टीवी देख रहा था, मैंने जानबूझ कर बाहर निकल कर अमित को आवाज़ दी, अमित तुम सुन नहीं रहे हो, मेरी कुर्ती दो न।

अमित ने मुड़कर देखा तो मेरी नंगी चूचियाँ और भरी भरी चिकनी जांघें देखता ही रह गया। अमित ने मुझे कुरता दे दिया, मैंने चूचियाँ कुरते से ढक लीं और मुस्कराती हुई मुड़कर बाथरूम में आकर कुरता पहना, कुरता सिर्फ मेरी जांघें ढक रहा था। जैसे ही मैं दरवाज़े से बाहर निकली, मैं चौंक गई, अमित अपने लंड की मुठ मार रहा था। उसने मुझे नहीं देखा, मैं बाथरूम के दरवाज़े के पीछे छुपकर अमित का लंड देखने लगी।

वाह ! क्या मोटा लंड था, मेरे पति से थोडा लम्बा ही लग रहा था, मन किया दौड़ कर मुँह में ले लूं और एक महीने से तड़प रही चूत में डलवा लूँ। दो मिनट बाद मैंने दरवाज़ा आवाज़ करके खोला तो अमित ने लंड जींस में डाल लिया और अपनी जींस ऊपर चढ़ा ली। इसके बाद मैं बाहर आ गई।

मैं कुरता पहन कर बाहर आई तो मेरी गुदाज़ जांघें और चूचियाँ अमित घूर घूर कर देख रहा था। मैंने अमित को आँख मारी और बोली- ऐसे क्या देख रहे हो? मेरी पजामी दो न। अमित ने हड़बड़ाते हुए मेरी पजामी मुझे दे दी। अमित के सामने ही मैंने अपनी पज़मी चूत छुपाते हुए ऊपर चढ़ा ली लेकिन अपनी गुदाज़ जांघें पूरी खोलकर अमित को दिखलाईं। अमित ललचाई नज़रों से मेरा बदन देख रहा था।

अमित को देखकर मैं मुस्कराई और शीशे के सामने जाकर खड़ी हो गई। शीशे में अपने को देखकर मैं चकित रह गई, मेरे गोल-गोल गीले स्तन और चुचूक कुरते में से बिल्कुल साफ़ दिख रहे थे। मैं समझ गई कि अमित इतना घूर घूर कर चूचियाँ क्यों देख रहा है, अगर मेरे पति इतना देख लेते तो मुझे अब तक नंगा करके मेरी चूत में लंड डाल चुके होते।

अमित को मैंने आवाज़ लगाई और बोली- अमित, इधर आओ !

अमित मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया।

“अपनी भाभी को एक मीठी पप्पी दे दो न !” मैंने उसके हाथ पकड़ कर अपनी कमर मैं डलवा लिए।

अमित गर्म था, उसने पूरा अपना लोड़ा मेरी गांड की दरार से छुलाते हुए मेरे गालों पर एक पप्पी दे दी और हटने लगा।

मैंने उसे प्यार से डांटा- इतना क्यों शर्मा रहे हो? चिपके रहो न ! अच्छा लग रहा है। अच्छा इधर कान में यह बताओ कि जब मैं बाहर आई थी तो मुझे घूर घूर कर क्या देख रहे थे?

अमित झेंपते हुए बोला- कुछ नहीं।

मैंने धीरे से कहा- हूँ, झूठ बोलते हो? सच सच बताओ, अभी तो 5 दिन साथ रहना है।

अमित धीरे से बोला- आपके दूध देख रहा था !

मैंने शीशे में देखते हुए कहा- ऊह ! ये तो पूरे नंगे दिख रहे हैं। तुम तो बहुत शैतान हो।

मेरी बातों से अमित पूरा गर्म हो रहा था, उसने मेरी चूचियाँ पीछे से दबाने की कोशिश की लेकिन मैंने उसका हाथ कमर पर रख दिया और बोली- थोड़ा रुक जाओ ! सारे मज़े आज ही ले लोगे क्या? अच्छा अमित। यह बताओ मेरी चूचियाँ कैसी लगीं?

अमित बोला- भाभी, बहुत सुन्दर हैं, चूसने का मन कर रहा है।

हँसती हुई मैं बोली- चूस लेना लेकिन पहले एक रसीला चुम्बन होटों पर दे दो !

और मुड़कर मैंने उसे बाँहों में भरा और उसके होंठ अपने होटों में दबाकर दो मिनट तक उसके होंट चूसे। अमित के लंड का उभार मैं अपने पेट पर महसूस कर रही थी, मेरी चूचियाँ अमित के सीने से दबी हुई थी।

मैंने कहा- चूची चूसनी है?
अमित बोला- चुसवाओ न !

मैंने अपना कुरता ऊपर उठाया और बोली- सिर्फ एक-एक बार दोनों चुचूक चूस लो और काटना नहीं। मेरे दोनों चूतड़ों को दबाते हुए अमित ने दोनों चुचूक एक एक करके मुँह में लिए और लॉलीपोप की तरह एक एक बार चूसे।

इस बीच अमित झड़ गया। मेरी बुर भी पूरी गीली हो गई थी, मेरा देवर के साथ यह पहला सुंदर कामुक अनुभव था। अब हम दोनों अलग हो गए। मैंने हल्का सा शृंगार किया और कुरते पर चुन्नी डालकर नीचे आ गई।

कहानी जारी रहेगी।

आपकी उषा

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Bhabhi ko jab chut me ungali karte dekha to mai bhi wahin khade hokar muth marne laga aage kya hua padhiye is kahani me.

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