Meri Jawani Ki Galtiyan

Views: 25 Category: First Time Sex By simransadhi Published: August 20, 2025

प्रेषिका : सिमरन सोधी

हाय दोस्तो, मेरा नाम सिमरन है, मैं 32 साल की शादीशुदा महिला हूँ, मुझे एक 11 साल का बेटा कुंदन और 10 साल की बेटी सिया है। मैं मेरे पति और बच्चों के साथ पूना में रहती हूँ। मेरे पति संजय कोलेज में प्रोफ़ेसर हैं, मैं सायंस ग्रेजुयेट हूँ और मैं एक हॉस्पिटल में काम करती हूँ, बीमार मरीजों की सेवा करना मुझे अच्छा लगता है।

मेरा पहला सेक्स….

यह कहानी तब की है जब मैं पढ़ती थी, मैं अपने माँ बाप की अकेली लड़की थी और लाडली भी थी। हमारे पड़ोस में पवन नाम का लड़का अपने मम्मी पापा के साथ रहता था, मुझसे 5 साल बड़ा था, वो मुझे बहुत लाइन मारता था, कभी मुझे पकड़ कर चूम लेता, कभी मेरे चूचे दबाता तो कभी पीछे से मेरी गांड को रगड़ता था। मैं कभी उसे मना नहीं करती, बस शरमा कर मुस्कुरा देती थी।

कई बार मैं उनके घर में जाती थी तो एक दिन पवन घर में अकेला था, उसने मुझे अन्दर बुलाया और मुझसे लिपट गया और अपना काम करने लगा।

उसने मेरे होटों को चूसना चालू किया और मेरी गांड को मसलता रहा। मैंने छोटी स्कर्ट और टी-शर्ट पहनी थी। मैं अपने आप को नहीं छुड़ा पा रही थी। थोड़ी देर बाद मुझे थोड़ा अच्छा लगने लगा।

उसने खड़े-2 मेरी स्कर्ट में हाथ डाल कर मेरी पेंटी उतार दी और अपना मुँह डाल के मेरी चूत चाटने लगा। मैं सोफे पर गिर गई और ऊह आह आहा इई हाह की सिसकारियाँ ले रही थी। उसकी जीभ मेरी चूत में अन्दर तक जा रही थी। मैं पूरी तरह गर्म हो गई। उसके बाद उसने अपना 6 इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा लंड निकाला और मेरे मुँह में ठूंस दिया और मुझे चूसने को कहा।

मैं भी उसे चूसने लगी थी। फिर उसने मेरे और अपने पूरे कपड़े उतार दिए और मुझे पैर फ़ैलाने को कहा। उसने अपना लंड धीरे से मेरी चूत में डाला और धीरे-2 धक्के मारने लगा। उसने अपने होटों से मेरे होटों को चूसना चालू किया और नीचे धक्के मारता रहा।

मुझे पहले बहुत दर्द हुआ लेकिन वह बाद में नहीं हुआ। फिर उसने अपनी रफ़्तार बढ़ाई। 15-20 मिनट चोदने के बाद उसने अपने लंड का गर्म पानी मेरी चूत में उड़ेल दिया और मुझे चूमता रहा।

मुझे बहुत मजा आया। 5-10 मिनट चूमाचाटी करने के बाद उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मुझे फिर से चूसने को कहा। मैंने फिर चूसा। फिर उसने लंड को मेरी गांड में डाला और मेरी गांड मारना चालू किया। 10-15 मिनट उसने मेरी गांड मारी और फिर से लंड का पानी मेरी गांड में डाल दिया।

मैंने अपने आप को साफ़ किया और अपने घर आ गई। जब भी मौका मिलता हम दोनों चुदाई का मजा लेते। महीने में 3-4 बार तो में उससे चुदती रही। पवन ने मुझे एक गोलियों का पॉकेट दिया और कहा- चुदाई होने के बाद 36 घंटे के अन्दर यह गोली लेनी है। यह गोली लेने से मैं गर्भवती नहीं होऊँगी।

मैंने वो गोलियाँ हमेशा अपने पास रखी और चुदाई होने के बाद लेती रही। गोलियाँ ख़त्म होने के बाद मैं दूर के किसी मेडिकल से नियमित गोलियाँ लेती रही और हमेशा अपने पास रखती रही। 

Part 2

कुछ साल बाद मैंने बीएससी में अड्मिशन लिया और पवन के पापा की ट्रांसफर अहमदाबाद हुई और वो सब चले गए। मैं पवन से चुदती थी तो मेरी फिगर बहुत सुडौल हो गई थी। इसलिए कोलेज के पहले ही दिन से लड़के मेरे दीवाने हो गए थे। लड़के कभी सिटी बजाते तो कभी मेरे ऊपर कमेन्ट करते कभी धक्के मारते, छेड़ते थे। मगर मैं ध्यान नहीं देती थी।

एक बार कुछ लड़कों से इस बात पर झगड़ा हुआ। वो लड़के मुझसे सीनियर थे। तभी एक अकबर खान नाम का लड़का आया और उसने मुझे बचाया। अकबर ने उन लड़कों को वार्निंग दी कि कभी किसी लड़की को छेड़ना नहीं और लड़कियों का आदर करना। मैं अकबर पर फ़िदा हो गई। अकबर बीएससी फाईनल में पढता था। वो दिल्ली का रहने वाला था, काफी हेंडसम था। उसका बदन अच्छा था, वो बोक्स़र था।

जल्द ही हमारी दोस्ती हो गई। हम कोलेज के बाहर भी एक दूसरे को मिलते थे। हमारी दोस्ती को एक महीना भी नहीं हुआ था कि अकबर ने मुझे प्रपोज किया। मुझे वो अच्छा लगा इसलिए मैंने भी हाँ कर दी। हम रोज मिलते, एक दूसरे का हाथ पकड़ते, बाहों में लेते और अकेले में किस्सिंग भी करते।

वो मुझे अपने साथ बाइक पर बहुत घुमाता था। एक बार हम बाइक पर बहुत दूर चले गए और बारिश शुरू हो गई। हम भीग गए और मुझे बहुत ठण्ड लग रही थी। फिर वो मुझे अपने कमरे में ले गया जो थोड़ी ही दूर था। मैं ठण्ड से कांप रही थी।

उसने मुझे कहा- गीले कपड़ों की वजह से ठण्ड लग रही है, कपड़े निकाल दो।

और उसने मुझे उसका टी-शर्ट और बरमूडा पहनने को दी। मैं कपड़े बदलने बाथरूम चली गई और वो हमारे लिए कॉफ़ी बनाने लगा। हम दोनों ने कॉफ़ी पी और फिर से हमारी किस्सिंग चालू हो गई। उसका शरीर काफी हॉट था, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। वो मेरी आँखों में देख रहा था जैसे मुझे चोदने की परमिशन मांग रहा हो और मैं भी उसकी आँखों में मुस्कुरा कर देख रही थी। फिर हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतार दिए।

मैंने देखा उसका लंड हाय रे ….मेरे अंदाज से बहुत लम्बा था, 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा था। उसने मेरी चूत और चूचों को खूब चाटा और मैंने भी उसके लंड को बहुत चूसा। वो झड़ गया और मैं उसके लंड से निकले वीर्य को पी गई और उसके लंड को चूसती रही। फिर उसने मेरी चूत में अपना सुपारा डाला, आधे घंटे तक मुझे राजधानी एक्सप्रेस की तरह चोदा और उसका पानी मेरी चूत में बरसा दिया।

फिर वो मेरे ऊपर ही 15-20 मिनट पड़ा रहा और हम दोनों एक दूसरे के होटों को चूमते रहे। फिर उसने अपने लंड को मेरी गांड में डाल कर मेरी गांड मारी।

फ़िर मैं घर चली गई और मैंने गर्भ ना होने के लिए गोली ली।

उस दिन से हमें जब भी मौका मिला हम चुदाई का मजा लेते रहे। उसके फाईनल इयर की एक्जाम ख़त्म हुई और वो मुझे छोड़ कर हमेशा के लिए दिल्ली चला गया। मैं अकेली रह गई।

Part 3 

मैं सेकण्ड इयर में थी और काफी सेक्सी दिखती थी। लड़कों को तो छोड़ो, कोलेज के प्रोफेसर भी बुरी नियत से मुझे देखते थे। यह तो रोज का काम था।

मेरी सहेली नेहा की सगाई थी। उसकी अगले साल शादी होने वाली थी। नेहा की सगाई के कार्यक्रम में उसका भाई विशाल मेरे ऊपर काफी लट्टू हो गया था। हम दोनों एक दूसरे के अच्छे दोस्त भी हो गए थे और एक दूसरे के साथ काफी फ्लर्ट भी किया। वो मुंबई में बड़ी कंपनी में काम करता था।

कुछ दिन बाद मुझे बैंक की परिक्षा देने के लिए मुंबई जाना पड़ा। नेहा ने उसकी सगाई की फोटो-अल्बम मुझे दी और उसे विशाल को देने को कहा।

मैं मुंबई अकेली ही चली गई। मेरी परीक्षा रविवार को थी और दोपहर 1 बजे ही ख़त्म हो गई। विशाल मुझे लेने को आ गया। मैं उसकी कार में बैठ कर उसके आलिशान फ्लेट में गई। वो 3 बीएचके फ्लेट में रहता था। उसकी शान देख मैं दंग रह गई।

उनके फ्लेट में वो अपने तीन दोस्तों के साथ रहता था, कुल 4 लोग रहते थे। बाहर काफी बारिश हो रही थी तो मुझे विशाल ने रात को रुकने को कहा। क्योंकि सारी रेलगाड़ियाँ और बसें भी बंद थी पूरा ट्रेफिक जाम हुआ था।मैं रुक गई। हम दोनों ने बहुत बातें की। विशाल और उसके दोस्त मुझसे फ्लर्ट कर रहे थे। उनकी बातों से मुझे लगा कि वो मुझे चोदना चाहता है। लेकिन यह तो रोज का ही था हर कोई मुझे चोदना चाहता था। रात को विशाल ने मुझे मेरा बेडरूम दिखाया और विशाल अपने रूम में चला गया।

थोड़ी देर बाद मुझे कुछ आवाजें सुनाई दी। मैं बेडरूम के बाहर आई तो विशाल ने मुझे कहा- मेरे दो रूमपार्टनर अपनी अपनी गर्लफ्रेंड के साथ अपने अपने बेडरूम में हैं।

यह सुकर मैं हैरान रह गई और अचानक विशाल ने मुझे पकड़ लिया और चूमने लगा, मैं भी उसके होटों को चूसने लगी।

फिर क्या हमेशा की तरह मेरी चूत उसने चाटी, उसके लण्ड को मैंने चूसा। उसने मुझे 30-35 मिनट चोदा।

उसके बाद मैं विशाल के ऊपर लेटी हुई थी और उसका लंड अन्दर-बाहर करके खेल रही थी अचानक उसका चौथा रूम पार्टनर नंगा ही रूम में आया और मेरे पीछे से मेरी गाण्ड में अपना लंड डाल दिया और तेजी से मेरी गांड मारने लगा। और दोनों तेज-तेज मुझे चोदने लगे। विशाल मेरी चूत चोद रहा था और उसका चौथा रूम पार्टनर केतन मेरी गांड मार रहा था दोनों ने मुझे प्रतिकार करने का मौका ही नहीं दिया।

मेरे मुँह से उह्ह आह्ह्ह्ह की आवाज आ रही थी। मैं अपने आपको उनसे नहीं छुड़ा पा रही थी या छुड़ाना नहीं चाहती थी।

15 मिनट में ही दोनों झड़ गए और 5-10 मिनट मुझे चूमते रहे, मेरे चूचे दबाते रहे और चूसते रहे।

बाद में मैंने विशाल से कहा- तुम दोनों ने यह क्या किया?

विशाल ने मुझे यह बात किसी को न बताने का वादा किया। रात के 11 बज चुके थे। विशाल ने लाईट बंद की और हम वैसे ही सो गए।

2 बजे मुझे अहसास हुआ कि दोनों मुझे फिर से चोद रहे है। दोनों ने मिलकर मुझे एक घंटे बहुत चोदा। एक का लंड चूत फाड़ता तो दूसरे का लंड मेरी गांड मारता। उस रात दोनों ने मुझे 3-3 बार चोदा। 2-2 बार मेरी चूत में और 1-1 बार मेरी गांड में अपना वीर्य डाला।

सुबह जब मैं उठी तो मेरी चूत से चिकना पानी निकल रहा था तो मैं उठ के बाथरूम नहाने चली गई। दोनों अन्दर आ गए और फिर से मुझे 30-40 मिनट तक चोदा।

बारिश रुक ही चुकी थी, मैंने उन्हें यह बात किसी को न कहने को कहा और मैं वापस पूना लौट आई। महीने में 1-2 बार विशाल और केतन पूना आते तो मुझे मिलते थे। अगर कभी चांस मिला तो मैं उनसे चुदवाती थी और वो दोनों मेरी जम कर मेरी चुदाई करते। कभी विशाल तो कभी केतन अकेले आता।

केतन ने चोदते वक़्त मुझे कहा था कि विशाल की बहन जो नेहा जो मेरी सहेली थी उसे भी उसने खूब चोदा था।

Part 4 

मैं बीएससी के अन्तिम वर्ष में थी, मैंने पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई पर दिया। केतन भी महीने में 1-2 बार आता। मेरी वार्षिक परीक्षा नजदीक आ गई। मैंने केतन और विशाल को कहा कि परीक्षा के बाद दोनों में से कोई एक मुझसे शादी करे।

लेकिन दोनों ने मुझे रंडी कह कर अपमानित किया और शादी से इनकार कर दिया, मैंने अपमान का घूंट पी लिया और पढ़ाई में ध्यान दिया।

मेरी ब्रांच में 16 लड़के और हम 12 लड़कियाँ थी। हमने कॉलेज में गेट-टुगेदर रखा। पार्टी शाम 6 बजे थी जिसमें हम सब 28 विद्यार्थी और हमारे कॉलेज के 5-6 प्रोफेसर थे। हमने एक दूसरे को अच्छे भविष्य की शुभकामना दी।

पार्टी में सब लड़कियाँ और लड़के सज धज कर आये थे। मैंने सबसे सेक्सी ड्रेस पहनी थी। मैंने काले रंग की स्कर्ट और काली ही शर्ट पहनी थी। स्कर्ट मेरे घुटनों के ऊपर तक थी तो मेरी गोरी-2 जांघें सबको नजर आ रही थी। शर्ट भी ऐसा पहना था जिससे मेरे आधे चूचों के दर्शन हो रहे थे।

पार्टी में सब मुझे चोदने की नजर से देख रहे थे। मुझे उन्हें उकसाने में बड़ा मजा आता था। लेकिन यह उकसाना मुझे महंगा पड़ेगा यह मालूम नहीं था।

पार्टी साढ़े सात बजे ख़त्म हुई और सब जाने लगे। मैं अपनी गाड़ी लेने पार्किंग की तरफ जा रही थी। मैं अकेली थी, वहाँ रोशनी काफी कम थी। मैं जैसे ही गाड़ी लेने पार्किंग में पहुँची, पीछे से किसी ने मेरा मुँह जोर से दबाया, एक ने मेरे पैर दबाये और वे मुझे पार्किंग के पीछे लेकर गए। वहाँ अँधेरा था और लाईट काफी डिम थी। वो कितने लोग थे मुझे अंदाजा नहीं हुआ लेकिन वो मेरे साथ क्या करने वाले थे, मुझे पता था।

उन्होंने मेरा मुँह कस के दबा रखा था इसलिए मैं चिल्ला भी नहीं पा रही थी। देखते ही देखते उन्होंने मेरे बदन के सारे कपड़े उतार दिए और मुझे धमकाया कि अगर मैं चिल्लाई तो वो मेरे कपड़े जला देंगे और मुझे ऐसा ही नंगा छोड़ देंगे। वो कुल 8 लड़के थे। उनकी शक्ल मुझे साफ़ नहीं दिखाई दे रही थी। मैं उन्हें ठीक से नहीं पहचान पा रही थी। लेकिन वो मेरे क्लासमेट्स नहीं थे यह उनकी आवाज से पक्का था। जैसे कि उन्हें हमारी पार्टी का पता था और वो हमारे कॉलेज में अन्दर आ गए थे, कॉलेज के अन्दर लड़कों का हॉस्टल था तो मुझे लगा कि ये लड़के हमारे ही कॉलेज के हैं।

उन्होंने मुझे पूरा नंगा किया। मुझे मजा आ रहा था फ़िर भी दिखाने के लिए मैंने छोड़ने को कहा लेकिन वो नहीं माने। उन लड़कों ने मुझे गार्डन की घास पर लिटा दिया। एक लड़के ने मेरे दो हाथ कस कर पकड़ लिए। दो लड़कों ने मेरे दोनों पैर कस कर पकड़ लिए और फैला दिए। मैं हिल भी नहीं पा रही थी। अब उनके सामने मेरी फटी हुई चूत थी। एक ने अपना लंड निकाला और एक जोर के झटके के साथ मेरी चूत में घुसाया और मेरे निप्पल, होंट और गालों को चूसने लगा और जोर-2 से चोदने लगा।

5-6 मिनट मुझे चोदने के बाद उसने अपने लंड का सारा पानी मेरी चूत में उड़ेल दिया। वो हट गया और दूसरा चढ़ गया। वो एक एक करके मुझे चोदने लगे। वो ज्यादा टाईम भी नहीं ले रहे थे। 4 लड़कों से चुदने के बाद मेरी चूत में काफी जलन हो रही थी, मैंने बाकी चारों को मेरी चूत की बजाए गांड मारने का अनुरोध किया और वो चारों भी मान गए और मेरी गांड मारी।

1 घंटे में उन लड़कों ने मुझे फ्री कर दिया और मुझे पीने के लिए पानी और ज्यूस दिया। मैंने गार्डन के नल से अपने आप को साफ़ किया। रात के नौ बज चुके थे। मैं काफी थक चुकी थी। लड़कों ने मुझे जाने को कहाँ और जाते वक्त सलाह दी कि आगे से किसी लड़के को अपनी अदाओं से ना उकसाना।

मैंने गाड़ी ली और घर की तरफ बढ़ी। जाते समय पीछे मुड़ कर देखा तो वो लड़के हॉस्टल की ओर बढ़ रहे थे। मेरा अंदाजा सही था। मैं घर गई और सो गई। मुझे आफ्टर सेक्स की गोली लेने का ख़याल भी नहीं आया। मैं दो दिन बीमार थी। 1 हफ़्ते में मैं अच्छी हो गई और अपनी परीक्षा की तैयारी करने लगी। मैं आज भी नहीं जानती कि वो 8 लड़के थे कौन?

पति के साथ….

परीक्षा होने के बाद हमारे प्रोफ़ेसर जो मुझसे 10 साल बड़े थे उन्होंने मुझे शादी के लिए प्रपोज किया। उनका नाम संजय हैं और आज वो मेरे पति हैं। संजय हमें बीएससी के दूसरे और अन्तिम वर्ष में गणित पढ़ाते थे। उनके पीरियड में वो हमेश मुझे बीच-2 में घेरते रहते थे। मैं क्लास में आगे के बेंच पर बैठती थी। मैं कसी टी-शर्ट पहनती तो मेरे वक्ष का थोड़ा हिस्सा ऊपर से उन्हें दिखाई देता था। वैसे सारे प्रोफेसरों में वो ही थोड़े मुझे शरीफ दिखाई देते थे।

शादी के एक हफ़्ते पहले मुझे अहसास हुआ कि मैं गर्भवती हूँ। मेरी पेट में 2 महीने का बच्चा है। कॉलेज के गार्डन में 8 लड़कों से मेरी चुदाई हुई थी। उससे ही मैं गर्भवती हुई। मैं संजय को नहीं बता सकती थी कि मेरे साथ क्या हुआ था। मैंने डॉक्टर को कहा कि मेरी शादी एक हफ़्ते बाद है और मेरे पेट में किसी और का बच्चा है। मैंने यह बच्चा गिराने को कहा।

डॉक्टर ने इससे इनकार किया। उसने कहाँ के यह बच्चा गिराने के बाद मैं एक महीने सेक्स नहीं कर सकूंगी और कोई काम भी नहीं कर सकूंगी। उसने कहा कि वो मेरे पति को इसके बारे में नहीं बताएगा। और डिलिवरी सात महीने में होगी ऐसा बताएगा। उस डॉक्टर की बात से मेरा बोझ हल्का हो गया। इस राज को राज रखने के लिए मैं उसके साथ सोने के लिए भी तैयार थी। वो 45 साल का डॉक्टर दिखने में स्मार्ट भी था। चाहे तो मेरे साथ कुछ भी कर सकता था। लेकिन वो शरीफ था। मेरी शादी हो गई।

सुहाग रात के दिन मुझे आश्चर्य हुआ जब मैंने संजय का लंड देखा। उनका लंड साढ़े नौ इंच लम्बा और साढ़े तीन इंच मोटा था। सुहाग रात में ही उन्होंने मुझे 4-5 घंटे हर मुद्रा में सम्भोग किया जैसे वो बहुत अनुभवी हो। वो चुदाई के मामले में अब तक के सबसे अच्छे खिलाड़ी मुझे मिले।

पति की गैरमौजूदगी में पति के दोस्त के साथ….

संजय अकेले ही रहते थे। उनके माँ बाप कुछ साल पहले ही गुजर गए थे। उनकी छोटी बहन श्वेता की शादी हो चुकी थी। विजय हमारे पड़ोस में ही रहते थे और संजय के अछे दोस्त भी थे। विजय एक बड़ी कंपनी में काम करते थे। विजय अक्सर हमारे घर आया जाया करते थे। उनका और हमारा परिवार घुल मिल गए थे। विजय की जल्दी शादी हो चुकी थी और उन्हें 10 साल का गौरव नाम का लड़का था।

शादी के बाद सातवें महीने में ही हमें लड़का हुआ जिसका नाम कुंदन रखा। संजय सुबह 7 बजे ही कॉलेज जाया करते और 2-3 बजे वापस आते थे। कुंदन 4 महीने का था। सुबह के साढ़े सात बजे थे। कुंदन सोया हुआ था। और मैं नहाने चली गई। मैं मुख्य दरवाज़ा लॉक करना भूल गई थी।

तभी विजय वहाँ आ गए और मुझे आवाज देने लगे। मैं बाथरूम में नंगी नहा रही थी। तो मैंने उन्हें बैठने को कहा। विजय हाल में बैठ गए। तभी कुंदन की जोर जोर से रोने की आवाज आई। विजय ने कुंदन को गोदी में लेकर शांत करने की बहुत कोशिश की लेकिन कुंदन को भूख लगी थी और वो चुप रहने का नाम नहीं ले रहा था।

मुझसे कुंदन की रोने चीख बर्दाश्त नहीं हुई। मैं नंगी थी। मेरे बदन में साबुन लगा हुआ था। मैंने वैसे ही धो दिया और तौलिया लपेट कर बाहर आई और विजय के हाथ से कुंदन को लिया और बेड पर लेट गई। मैंने तौलिया थोड़ा नीचे किया जिससे मेरे दोनों स्तन बाहर आ गए और मैंने कुंदन को दूध पिलाना चालू किया।

1 मिनट बाद मुझे अहसास हुआ कि मेरे विजय तौलिये के नीचे अधूरी दिखती मेरी गांड को देख रहा है। मेरी पीठ उसकी तरफ थी, मैं कुंदन को दूध पिलाने मशरूफ थी। कुन्दन शांत हो गया और सो गया। मैंने उसे वैसे ही लेटा दिया और जैसे ही मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो विजय पूरा नंगा अपने नौ इन्च लम्बे लण्ड हाथ में लिए मेरी चुत को चोद कर भोसड़ा बनाने की ख्वाहिश लिए खड़ा था।

मैंने तौलिया फेंक कर टाँगें फैलाये उसके लंड से चुदने ख्वाहिश लिए अपनी बाहें फैला दी। विजय झपट कर मेरे ऊपर गिरा और जोर जोर से मुझे चूमने लगा। मैंने उसे टांगों में जकड़ लिया और उसके होंटों को चूसने लगी। फिर उसने एक एक करके मेरे स्तन चूसे।

बाद में उसने मेरी चूत को बहुत चाटा। मेरी चूत गीली हो गई। फिर मैंने उसके लंड को बहुत चूसा और उसके लंड से निकला पानी पूरा मुँह में लिया। मैं उसके लण्ड को चूसती रही। फिर उसने अपने लंड को एक झटके से पूरा मेरी चूत में घुसेड़ डाला।

मैं ‘आ आ ह ह ह ह ……’ करके सिसकारियाँ ले रही थी। उसने मेरी चूत को और गाण्ड को अलग अलग पोजीशन चोदा।

मैंने विजय से कहा- ओ ओ ह ह …वि विजय मेरी चूत में डाल दो सारा पानी !

और विजय ने जोर के झटके के साथ पूरा पानी मेरी चूत में डाल दिया। तब हम दोनों ने कस कर एक दूसरे को पकड़ लिया और हम 15-20 मिनट एक दूसरे के होटों को चूसते रहे। बाद में उसने अपना लंड मेरी मुँह में डाला। फिर वो चला गया और मैं फिर नहाने चली गई।

उसके बाद रोज सुबह विजय मुझे 1 घंटा चोदता था और संजय मुझे रात को चोदते थे। 2-3 महीने में ही मैं गर्भवती हो गई। मुझे नहीं पता था कि मैं किसके बच्चे की माँ बनने वाली थी। मुझे बेटी हुई और हमने उसका नाम सिया रख दिया। सिया विजय की तरह दिख रही थी। विजय की ट्रांसफर बेंगलूर में हो गई और अपने परिवार के साथ वो हमेशा के लिए चला गया।

मैं पछताई….

हाय रे मेरा नसीब ! मेरे दोनों बच्चे का बाप मेरा पति नहीं था। कुंदन की शक्ल पता नहीं किससे मिलती थी और सिया थोड़ी विजय जैसी दिखती थी। मुझे इतना प्यार करने वाला पति दिया और मैंने उसे धोखा दिया। मैं अकेले में बहुत रोई। मैं शादी से पहले पवन, अकबर, विशाल और केतन इन सबसे पता नहीं कितनी बार चुदवा चुकी थी। और कॉलेज के गार्डन में 8 लड़कों से जम कर चुद चुकी थी। शादी के बाद भी विजय से चूत और गाण्ड दोनों मरवा चुकी थी।

संजय मुझे बहुत प्यार करते थे और आज तक कभी गुस्सा नहीं किया और ना ही कभी डांटा। मेरी हर ख्वाहिश उन्होंने पूरी की। सिया एक साल की हुई। मेरी बैचेनी देख संजय मुझसे पूछते रहते कि क्या बात है लेकिन मैं उन्हें टालती रही।

मुझे मेरी बेवफाई बर्दाश्त नहीं हुई। एक दिन मैंने बहुत हिम्मत जुटाई और रोते रोते संजय को मेरी सारी चुदाई की कहानी बता दी और मुझे सजा देने को कहा।

संजय की आँख से थोड़ा पानी आया जब उन्हें पता चला कि कुंदन और सिया उनके बच्चे नहीं हैं। लेकिन उनका दिल बहुत ही बड़ा था। उन्होंने मुझे माफ़ किया और कहा- कुंदन और सिया मेरे ना ही सही तुम्हारे तो है ना।

ऐसा भगवान् जैसा पति पाकर मैं धन्य हो गई। मैं उन्हें भगवान् की तरह मानती हूँ। अभी हम सब साथ में ही रहते हैं और संजय मुझसे बहुत प्यार भी करते हैं। हफ़्ते में 2-3 बार जरुर सेक्स करते हैं। अब हम बहुत ही खुशहाल जिंदगी जीते हैं। लेकिन मुझे इस खुशहाल जिंदगी में कही दुःख नहीं नजर आता तो बहुत दर लगता हैं। मुझे बढ़ते हुए कुंदन और सिया का बहुत डर लगता है। इनकी पैदाईश मेरे हवस के शिकार होने से हुई थी। ये कैसे निकलेंगे पता नहीं। लेकिन हम दोनों उनके अच्छे संस्कार देते हैं। भगवान् ना करे कि इनकी जिंदगी मेरी तरह हो।

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