मैंने एक या दो कदम ही आगे बढ़ पाया था की मम्मी की फुसफुसाहट भरी आवाज़ सुनाई दी ‘कहाँ जा रहे हो तुम’??
‘ओह मम्मी तुम जाग रही हो… मैं टायलेट जा रहा हूँ।’
‘ठीक है, ज़रा इंतज़ार करो, मुझे भी वहीं जाना है।’ कहते हुए वो बेड से नीचे उतर गईं।
जब वो खड़ी हो गईं तो मैंने उनको देखा, उनके बाल बिखरे हुए थे, केवल ब्लाउज और पेटीकोट पहन रखा था और उनका गोरा चेहरा थोड़ा फूला हुआ लग रहा था। मगर फिर भी उसकी सुंदरता में कोई कमी नहीं आई थी।
जहाँ मैं खड़ा था, वहाँ तक आने के लिए जब वो चलने लगीं तो उनके कदम डगमगा गए और उनके मुँह से हल्की बू भी मुझे आती हुई लग रही थी।
मुझे लग रहा था शायद मम्मी ने घर में डैडी की शराब में से कुछ पी है। जो भी हो उनने मेरे नज़दीक आ कर अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और आगे बढ़ते हुए मुझे अपने से सटा लिया।
मैंने भी अपना एक हाथ उनकी कमर में डाल दिया। मेरे ऐसा करने से मेरे बदन में एक हल्की सिहरन सी हुई, इस बात से मैं इनकार नहीं कर सकता था।
मगर दोपहर की घटनाओं घटनाओं की रोशनी में इस समय इस तरह का कोई भी ख्याल मैं अपने दिमाग़ से कोसों दूर झटक देना चाहता था।
टायलेट की तरफ जाते हुए मम्मी का बदन मेरे बदन से रगड़ खा रहा था और उनकी एक चूची मेरे चेहरे पर दवाब डाल रही थी। इस सब से मेरे हाथ एकदम ठंडे हो गए थे और कमर से नीचे खिसक कर उसके पिछवाड़े पर चला गया।
टायलेट में पहुँच कर मम्मी ने लाइट ऑन कर दी। तेज चमकदार रोशनी में वो बहुत खूबसूरत रही थीं। गोरा चेहरा, तीखे नाक नक्श, बिखरे बाल, बड़ी बड़ी नशे के कारण गुलाबी हुई आँखें, और थोड़ा फूला हुआ चेहरा कुल मिला के उनको खूबसूरत ही बना रहे थे।
उनकी साँसे बहुत तेज चल रही थीं, जिसके कारण उनकी ब्लाउज में क़ैद चूचियाँ तेज़ी से उठ-बैठ रही थीं।
उनने मेरी ओर देखा और मुस्कुराते हुए मुझसे पेशाब करने के लिए कहा। मैं थोड़ा हिचकिचाया और मम्मी की ओर देखा तो वो मुस्कुराते हुए आगे बढ़ी और मेरे पीछे आ कर मुझे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और मेरे पजामा के नाड़े को खोल कर उसे नीचे कर मुझे पेशाब करने के लिए कहा।
मुझे बहुत शर्म आ रही थी मगर साथ ही साथ मैं धीरे-धीरे उत्तेजित भी हो रहा था क्योंकि मम्मी का मांसल बदन मेरी पीठ से चिपका हुआ था। मुझे महसूस हुआ कि उनकी चूचियाँ मेरी पीठ से चिपकी हुईं हैं और मेरे चूतड़ उनके मांसल जाँघों के बीच के गड्ढे में उसकी चूत के ऊपर चिपके हुए हैं।
मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया और मेरे लिए पेशाब करना बहुत मुश्किल हो चुका था।
मम्मी ने अपनी गर्दन को मेरे कंधे पर रखते हुए अपने गाल को मेरे चेहरे से सटा दिया और रगड़ते हुए बोलीं- क्या हुआ, क्या तुम्हें पेशाब नहीं आ रही है? करो, दिखाओ मुझे तुम कैसे पेशाब करते हो? मैंने तुम्हें चोदते हुए तो देखा ही है।
मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था और मेरा लंड अब अपनी पूरी औकात पर आ गया था। यानि कि 7 इंच लंबा हो गया था।
मेरे लंड को देखते हुए उनने कहा- कितना बड़ा डंडा है तुम्हारा! तुम्हारी उम्र के लिहाज से तो बहुत बड़ा है, लेकिन बहुत अच्छा है।
इतना कहते हुए उनने अपने मुँह से चटखारे की आवाज़ निकाली जैसे कि खाने की कोई बहुत स्वादिष्ट चीज़ उसे मिल गई हो।
उनने मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया। मैंने इस से बचने की कोशिश की मगर कोई फायदा नहीं हुआ।
जब मैंने उनकी ओर पलट कर देखा तो उनने सीधा मेरे होंठों पर अपने गरम मुलायम होंठ रख दिए और अपनी जीभ को मेरे मुँह में पेलने की कोशिश की।
मुझे उनके मुँह से शराब का टेस्ट महसूस हुआ। मम्मी मेरे लंड को थोड़ी देर तक सहलाती रही फिर बोलीं- ठीक है, अगर तुम पेशाब नहीं करना चाहते तो कोई बात नहीं। मुझे पेशाब आ रही है।
इतना कहते हुए वो मेरे आगे आईं और अपने पेटीकोट को ऊपर उठा कर घुटनों को मोड़ कर वहीं पर बैठ गईं।
ओह! कितना कामुक दृश्य मेरी आँखों के सामने था!
उनके खूबसूरत गोलाकार चूतड़ जो कि सफेद संगमरमर के जैसे थे और भूरे रंग की खाई के द्वारा को अलग-अलग बाटें हुए थे और जिनके बीच में सिकुड़ा हुआ छोटा सा भूरे रंग का छेद को देखते ही मेरी आँखें फैल गईं।
मेरा मुँह और गला दोनों ही सूख गए जब मैंने उनकी चूत को पीछे से देखा। उनकी पेशाब करने की शर्रस्शर्र…शर्रस्शर्र… की आवाज़ ने मुझे और भी अधिक उत्तेजित कर दिया था।
थोड़ी देर तक पेशाब करने और मुझे इस खूबसूरत और दिल को घायल कर देने वाला नज़ारा दिखाने के बाद वो उठीं और पेटीकोट को नीचे करके मेरी ओर देखते हुए प्यार से मुस्कुराते हुए बोलीं- बेटे, अगर तुम्हें पेशाब लगी है, तो तुम कर लो। मैं अपने कमरे में जा रही हूँ और वहीं तुम्हारा इंतज़ार करूँगी।
इतना कह कर वो बाथरूम से निकल गईं।
मैं थोड़ी देर तक वहीं खड़ा सोचता रहा, इस बीच मेरा लंड थोड़ा ढीला हो गया था। इसलिए मैंने पेशाब कर ली और अपने लंड को धोकर बाथरूम से निकल कर जब मैं मम्मी के कमरे में पहुँचा तो मैंने देखा कि डबल बेड पर मम्मी तकिये के सहारे पीठ टिका कर बैठी थीं।
उनके सामने एक छोटी टेबल पर गिलास में ड्रिंक्स रखा हुआ था। उनने इस समय अपने बालों को संवार लिया था। उन्होंने पेटीकोट नाभि से नीचे बाँधा हुआ था जिसके कारण उनका गोरा मांसल पेट और नाभि दिख रही थी।
उनके ब्लाउज का आगे का एक बटन खुला हुआ था जिसके कारण उनकी चूचियाँ एकदम बाहर की ओर निकली हुई दिख रही थीं।
मैं धीमे क़दमों से चलते हुए उनके पास पहुँचा।
उनने मुझे बेड पर बैठने का इशारा करते हुए पूछा- क्या तुम लोगे?
मैं कुछ नहीं बोला और चुपचाप उनकी तरफ देखता रहा तो उनने एक दूसरे गिलास में शराब डाल दी और थोड़ा मुस्कुराते हुए बोलीं- लो पी लो, इसको लेने के बाद तुम अच्छा महसूस करोगे और फिर हम दोनों आराम से बात कर सकेंगे।
मैंने देखा कि जब वे खुद ही मुझे ड्रिंक्स ऑफर कर रही हैं तो मैंने उसे उठा लिया ओर एक ही साँस में पी गया।
उन्होंने भी अपने गिलास को खाली कर दिया और फिर मेरी तरफ घूम कर बोलीं- तुम ऐसा कब से कर रहे हो?
मैं चुप रहा।
‘देखो, मैं तुम्हें डांट तो नहीं रही, मगर फिर भी मैं कुछ पूछना चाहती हूँ कि तुम ऐसा कैसे कर सकते हो? क्या तुम्हें डर नहीं लगा?’
मैंने थोड़ा बात को घुमाने के इरादे से हिम्मत करके जवाब दिया- तुम क्या बात कर रही हो? मम्मी मैं चाहता हूँ कि तुम थोड़ा खुल कर बताओ।’
‘मुझे आश्चर्य है कि तुम दोपहर की घटना को इतनी जल्दी भूल गए, फिर भी मैं तुम से खुल कर पूछती हूँ कि तुम ऐसा, यानि कि अपनी बहन को कब से चोद रहे हो?’
मुझे ड्रिंक्स और उनके खुले व्यवहार ने कुछ साहसी बना दिया था, लेकिन मैंने डरने और शर्माने का नाटक किया और हल्के से बुदबुदाते हुए ‘हाँ…हूँ’ बोल कर चुप हो गया।
वो मुझे से लगातार पूछ रही थीं- बताओ मुझे! क्या तुम्हें ज़रा भी शरम नहीं महसूस नहीं हुई या पाप का अहसास नहीं हुआ? अपनी बहन को चोदते हुए!!
मैंने अपना सिर नीचे झुका लिया और कोई जवाब नहीं दिया।
मैं मन ही मन सोच रहा था कि ना तो वो मेरी सगी बहन है और ना ही वो औरत जो इस समय मुझसे सवाल जवाब कर रही है, वो मेरी सगी माँ है।
मम्मी मुझे से लगातार पूछ रही थीं, “बताओ मुझे ! क्या तुम्हें ज़रा भी शर्म नहीं महसूस नहीं हुई या पाप का अहसास नहीं हुआ? अपनी बहन को चोदते हुए?”
मैंने अपना सिर नीचे झुका लिया और कोई जवाब नहीं दिया।
तब उनने मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे चेहरे को कोमलता से अपने हाथों में लेकर मेरी आँखों में झाँकते हुए कहा- बेटे, मुझे विस्तार से बताओ तुम दोनों के बीच ये सब कैसे हुआ?
मैंने बड़े ही मासूमियत के साथ उनसे माफी माँगी और उनकी आँखों में झाँकते हुए उनसे वादा लिया कि वो नाराज़ नहीं होंगीं।
उनके बाद मैंने पूरी कहानी सुनाई:
यह लगभग 3 महीने पहले की बात है। जब एक दिन अचानक मेरी नींद रात के करीब 12 या 12:30 के आस-पास खुली। मैं बाथरूम जाने के लिए उठा। बाथरूम से जब मैं वापस लौट रहा था, तब मैंने देखा कि आपके कमरे की लाइट जल रही थी और डोर थोड़ा सा खुला हुआ था। मैं कमरे में घुस कर पर्दे के पीछे छिप गया और देखने लगा।
“मैंने देखा कि तुम केवल पेटीकोट में ही कमरे के बाहर आ गई हो और तुम्हारी छातियाँ पूरी तरह से नंगी थीं। तुम अपने बालों का जूड़ा बनाते हुए सीधा बाथरूम के अंदर घुस गईं।”
“तुम्हारे खूबसूरत और नग्न बदन को देख कर मेरे पैर जैसे ज़मीन में गड़ गए थे, मेरा मुँह सूख गया और मेरी रीढ़ की हड्डी में एक कंम्पन दौड़ गई। तुम्हारी छातियाँ बड़े ही कामुक अंदाज़ में हिल रही थीं। मैं दम साधे तुम्हें देखता रहा। तुम बिना बाथरूम का दरवाजा बंद किए अपने पेटीकोट को ऊपर उठा कर पेशाब करने बैठ गईं। पेशाब करने के बाद तुम सीधा अपने कमरे में गईं और दरवाज़ा बंद कर दिया।”
“मैं हिम्मत करके तुम्हारे कमरे की खिड़की के पास चला गया। पिताजी बिस्तर पर तकिये के सहारे नंगे लेटे हुए थे और सिगरेट पी रहे थे। उनका डंडा लटका हुआ और भीगा हुआ लग रहा था। तुमने पिताजी के पास पहुँच कर कुछ कहा और उनके हाथ से सिगरेट ले ली।”
“अपने पेटीकोट को खोल कर फेंक दिया और अपने एक पैर को उनके चेहरे की दूसरी तरफ डाल दिया, आपका एक पैर अभी भी ज़मीन पर ही था ऐसा करके अपनी चूत को पिताजी के मुँह से लगा दिया। उन्होंने तुम्हारे खूबसूरत चूतड़ों को अपने हाथों में भर लिया और तुम्हारी चूत को चाटने लगे।”
“तुम बहुत खुश लग रही थीं और अपने एक हाथ से अपनी चूचियों को मसलते हुए सिगरेट भी पी रही थीं। कुछ देर बाद तुमने सिगरेट फेंक दिया और नीचे झुक कर पिताजी के डंडे को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं।”
“कुछ ही देर में उनका डंडा खड़ा हो गया। तुमने डंडे को चूसना बंद कर दिया और अपने दोनों पैर को फैला कर पिताजी के ऊपर बैठ गईं। उनके डंडे को अपने हाथों से पकड़ कर तुमने उसे अपनी भोसड़ी में घुसा लिया और उनके ऊपर उछलने लगी।”
“तुम्हारे दोनों गोरे मुलायम चूतड़ मुझे साफ़-साफ़ उचकते हुये दिख रहे थे और उनके बीच का भूरा छेद भी अच्छी तरह से नज़र आ रहा था। पिताजी का डंडा बहुत तेज़ी के साथ तुम्हारी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था और पीछे से तुम्हारी खूबसूरत चूत में घुसता हुआ पिताजी का डंडा मुझे भी दिख रहा था।”
“मैंने ब्लू फिल्मों के बाद पहली बार ऐसा दृश्य देखा था। मेरे जीवन का यह अद्भुत अनुभव था। यह इतना रोमांचित कर देने वाला और वासना भड़का देने वाला दृश्य था कि मैं बता नहीं सकता।”
“यह सब कुछ देख कर मेरे पैर काँपने लगे थे और मेरा डंडा एकदम से खड़ा हो गया था। मेरे लिए बर्दाश्त कर पाना संभव नहीं था। एक ओर पिताजी तुम्हारी खूबसूरत पपीतों को मसल रहे थे और दूसरी तरफ मैं भी अपने लंड को मसलने लगा।”
यह कहानी में मम्मी को सुनाते-सुनाते मैं पूरी तरह से गर्म हो चुका था इसलिए मैंने नंगे शब्दों का इस्तेमाल शुरू कर दिया था। मैंने अपने लिए एक पैग और बनाया।
मुझे पैग बनाते देख कर मम्मी बोलीं- एक मेरा भी बनाना और सुनो वो सिगरेट की डिब्बी उठाना जरा!
मैंने डिब्बी उठा कर मम्मी को दे दी। उनने एक सिगरेट अपने होंठों में फंसाई और लाइटर से उनको बड़ी अदा से सुलगा कर मुझसे व्हिस्की का गिलास ले लिया, सिप भरते हुए मुझे आँख से इशारा किया किया आगे सुनाओ।
मतलब उनकी भी सुरसुरी बढ़ने लगी थी। मैंने भी गिलास को उठा कर अपने मुँह से लगा कर लम्बा घूँट भरा और फिर मम्मी के हाथ से सिगरेट मांगी। उन्होंने बगैर किसी विरोध के सिगरेट मेरी ओर बढ़ा दी। मैंने भी एक कश खींचा और अपना मुँह ऊपर करके धुँआ उड़ा दिया और मम्मी को उनकी ही चुदाई की कथा कामुक अंदाज में सुनाने लगा।
मुझे अब अपने हाथ से अपने लंड को सहलाने में भी कोई हिचक नहीं हो रही थी। सो मम्मी के सामने ही अपने लौड़े को सहलाने लगा। वे मेरी इस हरकत को देख कर अपने ब्लाउज को ऊपर से ही सहलाने लगीं।
मैंने आगे सुनाना शुरू किया, “मैं आप दोनों की चुदाई देख कर बहुत ही गर्म होने लगा था और तुम पिताजी को गालियाँ बक रही थीं कि ‘मादरचोद भडुए ! चोद जोर-जोर से चोद साले अगर मुझे मजा नहीं आया तो मैं तेरी गांड डिल्डो से मारूंगी !’
और पिताजी भी चिल्ला रहे थे- ले कुतिया, मेरा पूरा लंड खा साली ! लौड़े की कितनी प्यासी है। बहन की लौड़ी को हाथी का लंड चाहिए। एक दिन तुमको मैं 4 काले विदेशियों के बड़े-बड़े लंडों से चुदवाऊँगा। हरामजादी ले मेरा पानी निकलने वाला है। तू बता तेरा हुआ या और खाएगी?”
‘मम्मी !’ तुमने भी सिसकारते हुए कहा- ‘हफ..हफ.. ओ मैं भी बस हो जाऊँगी… लगा दे आखिरी धक्के मादरचोद.. ठंडी कर दे मेरी चूत की आग…’
और फिर तभी तुम दोनों एक साथ झड़ गए।
ये सब देखते-देखते कुछ ही देर में मेरे लंड से भी पानी निकल गया। मैं अपने लंड को हाथ में पकड़े हुए वापस अपने बिस्तर में आ गया।”
इतना सुनाने के बाद में चुप हो गया और उनकी आँखों में झाँकने लगा।
“ये तो तुमने मेरी कहानी मुझे सुना दी, मैंने तुमसे पूछा था कि तुम्हारी बहन और तुम्हारे बीच नाज़ायज़ संबंध कैसे बना? बेटे मुझे उनके बारे में बताओ, मैं वो सब जानने को बहुत उत्सुक हूँ।”
“ओह मम्मी आगे की कहानी बताने में मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा, मैं थोड़ी शर्म भी महसूस कर रहा हूँ।”
“तुम बहुत शैतान हो, तुम्हें अपने मम्मी-पापा की चुदाई की कहानी बताने में कोई शर्म नहीं आई। मगर अपनी बहन के साथ की गई बेशर्मी की कहानी सुनाने में तुम्हें शर्म आ रही है। तुम एक दुष्ट पापी पुत्र हो। अब तुमको यदि मेरे साथ शराब और सिगरेट पीने में शर्म नहीं आ रही है? और क्या मुझको मेरी चुदाई की कहानी में भरपूर गालियाँ सुना कर शर्म नहीं आ रही है? तो क्या मैं अब तुमको गालियाँ दूँ माँ के लौड़े !!!”
मम्मी को अब नशा हो चला था। उनके मुख से गालियाँ सुन कर मैं भौंचक्का था।
“नहीं मम्मी ऐसा नहीं हैं, चलो मैं शॉर्ट में तुम्हें बता दूँ कि …”
“नहीं मुझे सारी कहानी विस्तार से बताओ और पूरी तरह से खुल कर बताओ कि कैसे तुमने अपनी बहन के साथ इतना बडा पाप किया। तुम्हें जब ऐसा करने में कोई शर्म नहीं आई तो फिर मुझे उस पाप की कहानी बताने में क्यों शर्म आ रही है?”
मेरे पास अब कोई रास्ता नहीं था।
कहानी जारी रहेगी।
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