Meri Darling Sister - 5

Views: 56 Category: Family Sex By dolly_agl Published: August 24, 2025

‘ओह… चोद मेरे हरजाई कुत्ते भाई और ज़ोर से चोद… ओह… कस कर मार… और ज़ोर लगा कर धक्का मार… ओह… मेरा निकल जाएगा, सीईईईई… कुत्ते, और ज़ोर से चोद मुझे… बहन की बुर को चोदने वाले बहन के लौड़े हरामी… और ज़ोर से मार… अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसा कर चोद कुतिया के पिल्ले… सीईईईई… मेरा निकल जाएगा।’

मैं अब और ज़ोर-ज़ोर से धक्का मारने लगा। मैं अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर फिर से उसकी गीली चूत में पेल देता।

सोनू के मम्मों को मसकते हुए उसके चूतड़ों पर अपनी छाती रगड़ते हुए मैं बहुत तेज़ी के साथ उसको चोद रहा था।

मेरी बहन अब किसी कुतिया की तरह से कुकिया रही थीं और अपने चूतड़ों को नचा-नचा कर आगे-पीछे की तरफ धकेलते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसिया रही थी- ओह चोद मेरे राजा… मेरे बहन के लंड… और ज़ोर से चोद… ओह… मेरे चुदक्कड़ बालम, सीईईई… हररामजादे भाई… और ज़ोर से पेल मेरी चूत को… ओह-ओह… सीईई… बहनचोद… मेरा अब निकल रहा… हाईई…ईईई ओह सीईई।’

मादक सीत्कारें भरते हुए अपनी दांतों को भींचते कर और चूतड़ों को उचकाते हुए वो झड़ने लगी।

मैं भी झड़ने वाला ही था। मेरे मुख से भी झड़ते समय की सिसकारियाँ निकल रही थी- ओह मेरी रांड… लण्डखोर… कुतिया… साली मेरे लिए रूक… मेरा भी अब निकलने ही वाला है… ओह… रानी मेरे लंड के पानी भी अपने बुर में ले… ओह ले… ओह सीईईई…

ठीक इसी समय मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी के ज़ोर से बोलने और चिल्लाने की आवाज़ सुन रहा हूँ और जब मैंने दरवाजे की तरफ मुड़ कर देखा तो ओह… यह मैं क्या देख रहा हूँ… मेरी अंदर की साँस अंदर ही रह गई।

सामने दरवाजे पर मेरी मम्मी खड़ी थीं। उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था, वो क्रोध में अपने होंठों को काट रही थीं और अपने कूल्हे पर अपने हाथ को रख कर चिल्ला रही थीं।

उसका चिल्लाना तो एक पल के लिए हम दोनों भाई-बहनों को कुछ समझ में नहीं आया, थोड़ी देर बाद हमको उसकी स्पष्ट आवाज़ सुनाई दे रही थीं।

‘ओह…! तुम दोनों एकदम अच्छे बच्चे नहीं हो, पापियों, खड़े हो जाओ, क्या मैंने तुम्हें यही शिक्षा दी थी, ओह… तुमने मेरा दिमाग़ खराब कर दिया, भाई-बहन हो कर… ये कुकर्म करते हो…!’

इसके आगे वो कुछ भी नहीं बोल पाईं। मैं एकदम भौंचक्का रह गया था और शीघ्रता से अपने लंड को अपनी बहन की चूत में से निकाल लिया।

मेरा लंड का पानी अभी नहीं निकला था, वो निकलने वाला ही था, पर बीच में मम्मी के आ जाने के कारण रुक गया था, इसलिए मेरा लंड दर्द कर रहा था।

मेरा दिमाग़ को अभी भी हमारी पूरी स्थिति की गंभीरता का अहसास शायद नहीं हुआ था। इसलिए मेरा लंड अभी भी खड़ा और उत्तेजित था।

अचानक से एक झटके के साथ उसमें से एक तेज धार के साथ पानी निकल गया। मेरे वीर्य की कुछ बूदें उछल कर सीधा मम्मी के ऊपर उसकी साड़ी और पेट पर जा गिरी।

ये सब कुछ एक क्षण के अंदर हो गया था। झड़ जाने के बाद शायद मेरे दिमाग़ में सामने खड़ी मेरी मम्मी कर डर हावी हुआ और मैं डर कर अपनी पैन्ट को खोजने लगा।

मैं अपनी कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा था। मेरा लंड अब पानी छोड़ कर लटक गया था। मेरी बहन तेज़ी के साथ बिस्तर पर से उतर गई और अपनी स्कर्ट को उसने चूतड़ों पर चढ़ा लिया था।

मेरी मम्मी कुछ नहीं बोल पाई और मेरे वीर्य को अपने साड़ी और पेट पर से साफ करने लगीं।

‘छी छी…’ कहते हुए वो कमरे से बाहर बिना कोई शब्द बोले हम दोनों को अकेला छोड़ कर निकल गईं।

हम दोनों एकदम अचंभित हो कर कुछ देर वहीं पर खड़े रहे, फिर हमने अपने कपड़े पहन लिए। हम दोनों के अंदर इतनी हिम्मत नहीं थीं कि हम कमरे से बाहर जा सके। मेरी बहन और मैं बहुत डरे हुए थे।

सोनिया ने कहा- चलो जो हुआ, सो हुआ, अब हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है। चलो, हम इस स्थिति का सामना करते हैं।

करीब एक घंटे के बाद हम दोनों नीचे गए और फ्रेश हो कर अपना लंच लिया। हम दोनों ठीक तरह से खा भी नहीं पा रहे थे। क्योंकि हमारे दिल में डर भरा हुआ था और हम नहीं जानते थे कि हमारे साथ क्या होने वाला है।

हम अपने कमरे में आ गए। मम्मी अपने कमरे में थीं।

हम दोनों ने थोड़ी देर तक पढ़ाई की, फिर नीचे उतर कर नौकरानी से मम्मी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि मम्मी अपने कमरे में हैं और उसने कहा है कि उनको डिस्टर्ब नहीं किया जाए।

तभी कॉल-बेल बजी, दरवाज़े पर डैडी के ऑफिस का चपरासी था जो पापा का सूटकेस लेने के लिए आया था। पापा शायद चार दिनों के लिए बाहर जा रहे थे।

मैंने हिम्मत करके मम्मी के कमरे का दरवाज़ा खटखटाया और उनको इस बारे में बताया। मम्मी ने सामने रखे एक सूटकेस की ओर इशारा किया, मैंने चुपचाप उस सूटकेस को उठा लिया और बाहर आकर उसे चपरासी को दे दिया।

हम दोनों भाई-बहन ने डिनर लिया और सोनिया वापस कमरे में चली गई। मैं हिम्मत कर के मम्मी के कमरे की ओर चला गया। दरवाज़ खुला था और मैं सीधा मम्मी के पास इस तरह से गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं है।

उनसे पूछा- क्या आपने डिनर कर लिया है क्योंकि नौकरानी अब घर जाना चाहती है।

उनने कोई जवाब नहीं दिया और मैंने बाहर आकर नौकरानी को घर जाने के लिए कह दिया।

हम दोनों भाई-बहन अब भी अपने अंदर काफ़ी ग्लानि महसूस कर रहे थे और हमने एक दूसरे से कोई बातचीत भी नहीं की। चूँकि हमारा कमरा एक था इसलिए हम दोनों चुपचाप आकर सो गए।

बेड के एक छोर पर मैं और वो दूसरे छोर पर लेट गए। हम दोनों ने एक दूसरे को छुआ भी नहीं। दरवाज़ा भी खुला हुआ ही था।

रात के 12 बजे के आस पास अचानक मेरी नींद खुली। मुझे प्यास लगी थी। मुझे महसूस हुआ कि मेरी कमर के ऊपर कोई भारी चीज़ रखी है।

मैंने सोचा हो सकता है कि यह मेरी बहन का पैर हो। मगर जब मैंने उसे अपनी कमर के ऊपर से हटाने की कोशिश की, तो मुझे भारी महसूस हुआ और ऐसा लगा जैसे ये मेरी बहन के पैर नहीं हैं।

मेरी आँखें खुल गईं और कमरे की मद्धिम रोशनी में मैंने जो देखा उसने मेरे दिल की धड़कने बढ़ा दीं और मेरा गला सूख गया।

…ओह ये मैं क्या देख रहा था। मेरे और मेरी बहन के बीच में हमारी मम्मी सोई हुई थीं। एक पल के लिए तो मेरी समझ में कुछ नहीं आया मगर फिर मैं टायलेट जाने के लिए बेड से नीचे उतर गया।

मैंने एक या दो कदम ही आगे बढ़ पाया था कि मम्मी की फुसफुसाहट भरी आवाज़ सुनाई दी- कहाँ जा रहे हो तुम?

कहानी जारी रहेगी।
इस कहानी पर अपने विचार लिखें!
dolly_agl@yahoo.com

You May Also Like

Ghar ki Gaand - 6

Main didi ke hath se moisturizer ki bottle li, aur didi ki bur ko moisturize karne laga. Ab didi bhi khul kar mera sath…

Ghar ki Gaand - 1

Fir bhi kahani ke hero “Paltu” ke lund me jarur koi baat thi. Jo wo baar baar jhadta tha aur fir chodne ke liye khada h…

Comments