सोनिया ने जैसे ही मम्मी को नंगी अपनी चूत फैलाए सोफे पर बैठा देखा तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। वो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी।
तभी सुमीना ने उसको बोला- ऐसे क्या देख रही है साली कुतिया! क्या कभी खुद को नंगी नहीं देखा बहन की लौड़ी?
अब जब उसने सुमीना को गाली बकते सुना तो सोनिया की गांड फट गई। वो सहम कर लेकिन बगैर डर के मम्मी की चूचियों को निहारने लगी, जिनको उसकी मम्मी अपने हाथों से मसल रही थीं और एक हाथ से सिगरेट का मजा ले रहीं थीं।
तभी सुमीना ने मुझ को इशारा किया, मैं जल्दी से उनके पास गया तो उन्होंने मेरे लौड़े को पकड़ कर अपने मुँह में गप से रख लिया और एक बार पूरा अंदर ले कर चूसा।
फिर लंड को निकाल कर सोनिया से बोली- चल इधर आ छिनाल मेरी चूत चाटने को बुलाया है तुझको, आ इधर आ हरामिन।
अब सोनिया सब कुछ समझ चुकी थी और तनिक मुस्कुरा कर उठी और मस्त सी अदा से मम्मी की चूत के पास आई।
मम्मी ने उसकी सख्त चूची को टटोला तो बोल पड़ीं- वाह क्या माल है तू! साली कितनों से चुद चुकी अभी तक?’
‘ऊहुहूं मम्मी कैसी बात करती हो? मुझे शर्म आती है, मत पूछो न!’
मम्मी ने हँस कर कहा- अच्छा तो तुझको शर्म भी आती है, ले तेरी आज पूरी शर्म ख़त्म कर देती हूँ मैं। आज तू मेरे सामने अपने इस चोदू भैया का लवड़ा चचोर मेरी कुतिया।
और उसने मेरा लंड सोनिया के मुँह में लगा दिया और कहा- चूस हरामजादी और जब तक मैं तेरे लिए एक पैग बनाती हूँ दारू तो पीती है न? ले पी ले और इससे तेरी शर्म मेरी चूत में घुस जाएगी।
उसने दारू का गिलास बना कर सोनिया के होंठों से लगा दिया, और कमाल की बात थी कि सोनिया ने भी बड़ी अदा से दारू का एक बड़ा सा घूँट लिया और फिर मेरे लवड़े को अपने मुँह में भर लिया।
मुझे खूब मजा आ रहा था। दोनों माँ-बेटी मिल कर मुझसे नंगी होकर चुदने की कथा रच रही थीं।
सोनिया ने एक हाथ से लंड को सहलाया और दूसरे हाथ से सुमीना की चूत में उंगली डाल दी। मम्मी को मजा आने लगा उसने भी अपनी चूत फैला दी ताकि सोनिया मजे से उसकी चूत में भी सुरसुरी करती रहे।
दारू का गिलास सोनिया के मुँह से टिका दिया जिसे मेरी छिनाल बहन ने अपने हाथ में लेकर एक बार में पूरा गटक लिया और मस्ती में आ गई।
अब उसे किसी बात का भय ही नहीं रहा था सो उसने मम्मी से कहा- यार सुमीना, एक सिगरेट जला दो मेरे लिए।
सुमीना बोली- गुड सोनिया, तूने मुझे अपना यार बना लिया और सुन बे मादरचोद, मेरे चिकने भड़वे तू भी अब मुझे सुमीना ही कहना। मेरी जवानी को मम्मी कह कर ख़राब मत करना।
उसने सिगरेट जला कर सोनिया को दी, सोनिया ने बड़े ही सेक्सी अंदाज से सिगरेट को अपने होंठों में फंसाया और एक बड़ा सा कश लिया।
मुझे तो ऐसा लग रहा था कि मैं जन्नत में आ गया हूँ। मेरा लौड़ा भी अब हाहाकार मचा रहा था।
मैंने रात की कसर निकालने की सोची और सोनिया को कहा- चल रानी अब घोड़ी बन जा तू दारू और सिगरेट मजा ले और मुझे तेरी चूत का बजा बजाने दे।
सुमीना बोली- हाँ ठीक है सोनिया तू एक काम कर मेरी चूत को चाट और दारू और सिगरेट के मजे ले। इसमें तीनों को गुड फील होगा।
वो दारू का गिलास फिर से भरने लगी तो मैंने कहा- अबे यार सुमीना तू अकेले इस को ही पिलाओगी? मेरा भी ध्यान रखो, एक नीट मेरे लिए भी बना दो।
सुमीना ने तीनों के गिलास बनाए। सोनिया ने सिगरेट मेरी तरफ बढ़ा दी, बोली- चल बे कुत्ते लगा सुट्टा और घुसेड़ अपने लौड़े को मेरी बुर में। इस माँ की लौड़ी सुमीना के चक्कर में रात को मेरी चूत को तेरे हथियार का पानी ही नहीं मिला था।
इस पर सुमीना गुर्राई- अच्छा साली छिनाल, मुझे गाली बकती है, तेरी चूत के चीथड़े न उड़वा दूँ तो कहना? मेरे पास बहुत बड़े-बड़े हल्लबी लंड हैं। मैं तो सोच रही थी कि तुझको घर में ही मजा लेने की छूट दूँ, पर मुझे लगता है तेरी चूत का बाजा बजवाना पड़ेगा। तुझ से तो मोटी कमाई भी हो जाएगी मेरी कट्टो। चल लगा, मेरे भोसड़े में अपना मुँह।
यह कहते हुए सुमीना ने सोनिया के बाल पकड़ कर उसके मुँह को अपनी चूत पर लगा दिया। सोनिया ने भी अपनी जीभ की नोक से सुमीना की क्लिट को चाटना शुरू कर दिया।
‘आ आह आ… बढ़िया.. चूस और जरा जो..रर से चूस मेरी कट्टो।’
इधर मैंने भी सोनिया की चूत में अपना लंड लगाया और एक जोरदार धक्का लगा कर एक बार में ही अपना लंड आधे से ज्यादा उसकी गुलाबी चूत में पेल दिया।
‘आ आ आईईईईया मा र दिया भाई तू तो मेरी चूत को माँ का भोसड़ा समझ कर ठूँस रहा है। अभी मेरी चूत को इतने जोर के धक्के खाने की आदत नहीं है। जरा धीरे से पेल राजा और बजा दे मेरी मुनिया का बाजा। आ हा आ।’
सुमीना अपनी चूत को चुसवाने में लीन और बहिनया अपनी मुनिया बजवाने में मस्त और मैं अपनी मस्ती में धकाधक अपने लंड-गाड़ी को दौड़ाए जा रहा था, पूरा झुक कर सोनिया की चूत चोदने में लगा था और सिगरेट को रख कर मैंने दोनों हाथों से सोनिया के लटकते आमों को पकड़ कर मसकना शुरू किया तो सोनिया सिसयाने लगी ‘उउउउ ओ मेरे चोदू भाई मसल मेरे निप्पललल मसललल आहा बड़ा मजजा आ रहा है।’
‘इधर इस कोठे वाली सुमीना की चूत का पानी और उधर दारू का मजा साथ में सिगरेट के छल्ले और पीछे से तेरे लंड से मेरी चूत की बल्ले बल्ले।’
‘आज की सुबह तो मेरे जिन्दगी की सबसे मजेदार सुबह हुई है लगा और जोर से धक्के और पिला दे मेरी मुनिया को अपना पानी। मर जाऊँगी आ ह लगा लगा।’
मैं भी उसकी मस्त बातों का रस लेकर उसकी एक चूची छोड़ कर सुमीना का एक पपीता पकड़ कर भींचने लगा। सुमीना भी मस्ती में थी और साली दारू के नशे ने तीनों को धुत्त कर दिया था।
अब सोनिया झड़ने लगी थी सो वो बोली- मैं तो गई भाई अब तू सुमीना की चूत बजा ले और सुन जब तेरा पानी निकले तो मुझको पीना है, मुझे ही पिलाना साले। इस माँ की लौड़ी के भोसड़े में न डाल देना। हा आअआ हफफ ईगई ईईई।’
सुमीना ने जल्दी से सोनिया को धक्का दिया और मेरा लंड अपनी चूत में फिट कर लिया। मुझे सुमीना की इस हरकत से बड़ा मजा आया।
सोनिया नीचे चित्त पड़ी हाँफ रही थी और सिगरेट के मजे लेने लगी, बोली- हा हा हा सुमीना डार्लिंग तेरी चूत में आग ज्यादा लग गई थी न? ले ले तू भी खा ले भाई का गधा छाप लौड़ा.. हा हा हा।
मैंने भी हँसते हुए सुमीना की चूत में अपना पिस्टन धकाधक करके पेलना शुरू कर दिया था पर एक बात थीं सोनिया की कसी चूत के सामने सुमीना की चूत तो वाकई भोसड़ा ही थी
मैंने सुमीना से कहा- ओए छिनाल जरा दारू छोड़ और अपनी चूत को टाइट कर।
सुमीना ने कहा- तू मुझे उठा कर पलंग पर ले चल वहाँ मजा आएगा।
मैंने भी उसको अपनी छाती से चिपका कर उठाया और सुमीना ने भी अपने दोनों पैर मेरी कमर से लपेट लिए और मुझे चूमने लगी। मुझे भी उसकी चूचियाँ अपनी छाती में बड़ी मस्त लग रही थीं।
मैंने भी उसकी जीभ को अपने मुँह में भर कर चचोरना शुरू किया तो उसकी कमर उछलना चालू हो गई। मैंने उसको उठाए-उठाए ही नीचे से धक्के लगाना चालू कर दिए।
वो इतनी भारी नहीं थी। फिर नशे में सब मजेदार लग रहा था।
अब उसको बिस्तर पर लिटाया और उसकी टाँगों को कैंची जैसा कर के उसकी चूत में अपना लंड आगे-पीछे किया तो साली सिसयाने लगी- हाय मेरे चिकने भड़वे आज तक ऐसी टाइट चूत तो किसी ने नहीं की मेरे लाल कर दे आज मुझे झन्ड, ठोक-ठोककर अपना लंड, मिल गई मुझे मेरी मस्ती आअआ हाय लगा जोर से हए ओए मेरी कट्टो एक सिगरेट तो पिला मुझे और जरा एक पैग भी बना दे अभी अअहा आहा चोद मेरे राजकुमार।’
मैंने भी सोनिया को इशारा किया कि एक नीट मेरे लिए भी बनाना और उसने तीन नीट गिलास बना दिए। मुझे मेरा गिलास मेरे होंठों से लगा दिया और सिगरेट से खुद उसने एक सुट्टा लगाया।
मैंने भी उसके एक संतरे को पकड़ कर उस को अपने पास खींचा। गिलास एक झटके में खाली किया और सिगरेट उससे ले कर एक बड़ा सा सुट्टा लिया और सिगरेट सुमीना को दे दी।
धकाधक चुदाई जारी थी। खूब जोर-जोर से हिल रही थीं सुमीना की चूचियाँ।
‘वाह क्या नजारा था! मेरी मम्मी मेरे लंड से बड़े मजे से चुद रही थीं, उसके बोबे खूब मचल रहे थे और उसके मुँह में सिगरेट फंसी थी, और छिनालों के जैसे आवाजें निकाल रही थीं।’
‘हाय भड़वे चोद-चोद के भोसड़े को लाल नहीं किया तो तू मेरा लंड नहीं मादरचोद।’
सुमीना की आवाजें बता रही थीं कि वो अब झड़ने वाली है। चिचया रही थी कुतिया- और जोर से हा हफ हफ आ आ मैं गई ईइइ’
अब मेरा मेरा लंड भी तैयार था सुमीना की फुहार से मेरा भी माल पिघल गया था। मैंने लंड खींच कर सोनिया के मुँह में लगा दिया- आ आ अओं मेरा माल ल ल पी ले।’
मेरा लौड़ा उसने पकड़ कर माल को गटकना चालू कर दिया। मेरा लंड पिचकारी मार रहा था। और उसकी जुबान भी मेरे माल को चाट-चाट कर पूरा खाने में डटी थी। मैंने उसके सर को अपने हाथों से पकड़ा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
पूरा माल चाटने के बाद सुमीना, जो अब उठ कर बैठ गई थी ने मेरा लौड़ा लगभग छीनते हुए अपने होठों में दबा लिया।
कुछ बूंदे अभी भी बाकी थीं। सब चाट-चाट कर सुमीना ने साफ़ की और मजे से सिगरेट का धुंआ उड़ा रही थी।
मैं उसके हाथ से सिगरेट ले कर खुद पीने लगा। अब मुझे बहुत तेज नशा हो रहा था। हम तीनों बहुत थक चुके थे और नशे में भी धुत्त हो चुके थे।
अभी सुबह भी ठीक से नहीं हुई थी। सो मैं तो निढाल होकर मम्मी के बगल में ही पसर गया। सुमीना और सोनिया भी मेरे आजू-बाजू नंगी ही लेट गई।
दोनों हसीनाएं मेरे हाथ के ऊपर अपना सर रख कर और अपनी एक-एक टाँगों को मेरी टाँगों के ऊपर रख कर लेट गईं और हम तीनों ही जल्दी ही गहरी नींद में सो गए।
किसी के भी आने का अंदेशा भी नहीं था। मम्मी को आज ऑफिस नहीं जाना था और हम दोनों को एक दिन स्कूल न जाने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था।
करीब 10 बजे तक हम सब गहरी नींद में सोये पड़े रहे, फिर मुझे कुछ खुमारी टूटने पर ऐसा लगा कि मेरे लंड को कोई सहला रहा है। मैंने अधखुली आँखों से देखा तो सुमीना मेरे हथियार को अपने हाथों से सहला रही थी।
मैंने भी उसकी चूची को अपनी मुट्ठी में भर लिया।
उसने मुझे चूमते हुए कहा- गुड मॉर्निंग मेरी जान।
मैंने भी उसको कहा- मॉर्निंग मम्मी। मुझे बड़ी भूख लगी है।
वो बोली- हाँ। तू सोनिया को उठा, जब तक मैं चाय-नाश्ता बनाती हूँ।
सुमीना ने बिस्तर छोड़ दिया और बाथरूम की तरफ अपनी कमर मटकाती चली गई।
अब मैंने सोनिया को अपने आगोश में भर लिया और उसको चूमा। वो भी कसमसा कर उठ गई। मेरी आँखों में प्यार से देख कर मुझ से और अधिक चिपक गई।
मैंने कहा- उठो, मम्मी चाय बनाने गई हैं।
“ऊ हूँ, अभी मुझे और सोना है।”
मैंने कहा- कुछ खा लो, फिर सो जाना ! चलो उठो, अपने कमरे में चलते हैं।
उसको जबरन मैंने अपनी गोद में उठा लिया और उसको अपने कमरे में लेकर चला गया।
सोनिया मेरी गोद से उतर कर वाशरूम की तरफ चली गई। मैंने भी एक जोर की अंगड़ाई ली और अपनी फेंची तलाशी और पहन कर रसोई की तरफ गया। पानी पिया और फिर बाद में सब लोग चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे।
सुमीना एक पैंटी और ओपन गाऊन पहने थी जिसमें से उसके बोबे दिख रहे थे और सोनिया ने भी फ्रॉक जैसा ओपन गाऊन ही पहना था। माँ की लौड़ी ने पैंटी भी नहीं पहनी थी।
तीनों रात की बात को याद करके मजे ले रहे थे।
तभी मेरी मम्मी के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आई और मम्मी ने किसी को फोन लगाया।
“हैलो, हाँ हनी, कैसे हो? तुम्हारे लिए एक माल मिल गया है, अरे मेरी जान, कम उम्र ही है। हाँ, अब आप मेरा प्रमोशन पक्का रखियो, अरे जब आप कहो। इधर मेरे घर पर आ जाओ ! हाँ कोई प्रोब्लम नहीं है, मेरे हबी आउट ऑफ़ टाउन हैं। हाँ, बच्चे भी नहीं हैं। मैं भी बोर हो रही हूँ। क्या उसको भी लाओगे ! उसका टूल तो आउट ऑफ़ आर्डर है, हा ह अ हा हा ! ओके ले आना लाइव टेलीकास्ट ही देख लेगा, हा हा हा ! तो फिर पक्का रहा आज 8 बजे ! ओके ! डिनर पैक करवा लाना और हाँ कुछ ब्लैक डॉग का स्टॉक भी, हा हा हा ओके बाय हनी, लव यू एंड सी यू।”
अब उसने मुझसे कहा- रोहित, आज तुमको किसी और जगह सोना पड़ेगा। यह मेरा बॉस है इसको आज सोनिया की चूत दिलानी है, बस फिर मैं ही टेंडर हेड बन जाऊँगी।
“और हाँ तू चिंता मत कर, तेरे लिए भी एक सरप्राइज है। तुमको मेरी एक सहेली की चूत दिलवा देती हूँ। तू बस उसको ये मत बताना कि तू कौन है, ठीक है?”
मैंने हाँ में सर हिलाया। मम्मी नहाने चली गईं और हम दोनों भाई-बहन अपने कमरे में आ गए। मैंने अपना लोअर पहन लिया। क्योंकि अब कोई आ भी सकता था। करीब आधा घंटे बाद सोनिया की सहेली तनीषा का फोन आया।
उसने सोनिया से चहक कर पूछा- क्या हुआ मेरी जान? आज आई क्यों नहीं? आज तू आती तो मैं तुझको एक बहुत सेक्सी आइटम से मिलवाती। साला क्या मस्त गबरू जवान है? तू कल तो आएगी न?
सोनिया ने अनमने ढंग से उसको बोला- यार, मेरी मम्मी की तबियत जरा गड़बड़ है। हो सकता है, कल भी मैंने न आ पाऊँ। चल बाद में बात करती हूँ, कह कर सोनिया ने फोन काट दिया।
इतने में हमारी काम वाली सुषमा आ गई, उसने मम्मी को आवाज लगाई- मैडम जी ! किधर हो आप? क्या बनाना है, बताईए?
मैंने कहा- अभी रुको, वे नहा रही हैं, आती हैं, जब तू मेरा जूस निकाल दे।
बहुत बड़ी छिनाल थी साली आँखें मटका कर बोली- जूस तो निकाल दूँगी पर मुझे भी पिलाना।
मैं समझ तो गया था पर अब कोई डर तो था नहीं और उसकी असलियत भी मालूम थी। सो मैंने उसको पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और जरा आशिकाना अंदाज में कहा- तू निकाल तो मेरा जूस, पूरा तू ही पी लेना। चल चालू हो जा।
सुषमा की आँखें नशीली हो गई बोली- अच्छा सब कुछ मालूम पड़ गया मेरे बारे में, जो इतना खुल कर जुबान चलने लगी मेरे राजा!!
मैं मुस्कुरा दिया तो बोली- अभी निकालूँ या बाद में?
मैंने कहा- चल बाद में निकाल देना !
और उसकी एक चूची मसक दी।
“हाय दैया, बड़े मासूम दिखते हो पर हो पूरे चोदू राम।”
और उसने भी मेरा हथियार पकड़ कर खींच दिया। मैं गनगना कर रह गया, और फिर एक बार उसको अपने आगोश में भर जोरदार चुम्बन लिया और उसको छोड़ दिया।
वो भी मुस्कुरा कर रसोई में चली गई और जब दोपहर में सुमीना और सोनिया मार्किट चली गई थीं, तब मैं अपने कमरे में बैठा सिगरेट पी रहा था।
उसी समय सुषमा मेरे कमरे में आई और मुझे सिगरेट पीते देख कर बोली- हाय दैया तुम तो सिगरेट भी पीते हो!
मैंने कहा- आ जा, तू भी पी ले।
बहुत बड़ी छिनाल थी साली, बोली- न बाबा मुझे सिगरेट-विगरेट पीने का कोई शौक नहीं है।
ये कहते हुए मेरे पास आ गई। मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी गोद में खींच लिया और उसके कान में फुसफुसा कर कहा- तो क्या लंड पीने का शौक हैं तुझको।
वो कसमसा कर बोली- छोड़ो मुझे।
जबकि उसकी कोशिश छूटने की बिल्कुल नहीं थी, मैंने उसकी चूची पर अपना गाल रगड़ा तो उसकी आवाज निकली, “ऊऊँ क्या करते हो? घर का दरवाजा खुला है, कोई आ जाएगा।”
मैंने कहा- तो जा बंद करके आ जा आज तुझको लंड पिलाऊँगा।
शरमा कर बोली- धत्त, कैसे बोलते हो भैया जी।
वो गई और चुदासी सी अंगड़ाई लेते हुए वापिस आ गई। मेरा लंड भी तन्ना गया था साली को चोदने का पूरा मूड बन गया था।
मैंने उससे पूछा- क्यों, तू मम्मी की जासूस है?
उसने झेंपते हुए कहा- अब अभी ये सब छोड़ो।
मैंने कहा- फिर क्या करूं अभी? लौड़ा पिलाऊँ तुझे, आ साली।
मैंने उसकी साड़ी के एक छोर को पकड़ा और झटके से खींच दिया। उसके मस्त बूब्बू तने और भरे देख कर मेरा नशा बढ़ गया।
वो भी सीना ताने चुदने को तैयार खड़ी थी। मुझे तभी याद आया कि इसकी तो एक छोटी सी एक साल की बेटी भी है। इसका तो दूद्दू भी आता होगा। मुझे दूद्दू पीने का बड़ा मन था और उसके दोनों कबूतर दूध से फूल कर तने थे।
मैंने उससे पूछा- तेरे इन मम्मों में दूद्दू आता है क्या?
नशीली सी आवाज में बोली- मुझे नहीं मालूम, तुम खुद ही देख लो।
मैंने खड़े होकर उसके ब्लाउज को उतार दिया अंदर ब्रा नहीं पहने थी। एक चूची को जरा सा मसका तो उसके निप्पल ने दूध की कुछ बूंदे उगल दीं। मेरा तो दिल मचल गया।
उससे पूछा- दूध पिलायेगी?
उसने लजाते हुए नजरें झुका ली और बोली- हूँ।
बस मैंने उसके निप्पल पर अपने होंठों को लगा दिया और उसके निप्पल को जरा सा चूसा। उसके मीठे दूध की धार ने मेरी जुबान को तर कर दिया और उसकी भी एक सिसकारी निकल गई। उसने अपने हाथों से मेरा सर पकड़ कर अपनी चूची से सटाने की कोशिश की, और मैंने भी मस्ती से उसके निप्पल को अपने होंठों से दबा रखा था।
दूध की धार लगातार मेरे कंठ को भिगो रही थी।
सुषमा बोली- दूसरी दुकान में भी दूध मिलता है।
उसकी बात को सुन कर मुझे कुछ हँसी सी आई और उसकी दूसरी चूची के निप्पल को अपने होंठों से निचोड़ना चालू कर दिया।
वो मेरे सर को लगातार अपनी चूची की ओर ठेल रही थी। मैंने अपने हाथ से उसकी चूत को टटोला तो उसका पेटीकोट बीच में दिक्कत कर रहा था। मैंने उसके नाड़े को खींच दिया। पेटीकोट खुल कर नीचे गिर गया।
अब मेरी उंगली उसकी चूत में घुस गई, साली पानी से लिसलिसी हो गई थी और उसकी आँखें मुंद गई थीं। वो सिसिया रही थी और फुल मस्ती में आ चुकी थी।
मैंने उससे पूछा- कब से नहीं चुदी हो?
उसने कहा- तीन महीने हो गए।
जब मैंने कारण पूछा तो उसने बताया कि उसका पति बाहर गया है और उसकी चूत को लंड की बहुत जरूरत थी। सो उसने मेरा लंड पकड़ा है।
बोली- राजा अब देर न करो। मेरी सुरंग को खोद दो।
मैंने भी उसको चोदने का मन पक्का कर लिया था। मेरे मन में एक अभिलाषा थी, उसको पूरा करने की सोची।
मैंने उससे कहा- सुषमा डार्लिंग, क्या तुम अपने दूध से मेरे लंड को नहलाओगी?
उसने चहक कर कहा- क्यों नहीं मेरे राजा।
उसने मुझे बेड पर बैठा दिया फिर मेरे लौड़े को अपने एक हाथ से पकड़ा और दूसरे हाथ से अपने एक बोबे की घुंडी का मुँह लंड के टोपे पर लगाया। अपने एक दूद्दू को जरा सा मसका कि एक पतली सी धार उसकी चूची से निकल कर मेरे लौड़े के टोपे पर पड़ी।
मेरा लंड उसके दूध से नहा उठा। उसको भी मजा आ रहा था। उसने लंड को अपने मुँह में गप कर लिया और खुद के दूध को मेरे लौड़े के साथ चचोरने लगी।
वो बार-बार ऐसा करती, अपने थन से लंडाभिषेक करती और उस दूध को लंड सहित चाटती।
मुझे बड़ा सुख मिल रहा था। मेरा लंड सरिये जैसा सख्त हो गया था और अब मुझे उसकी चूत खोदने का मेरा मतलब चोदने का मन होने लगा था।
मैंने सुषमा को उठाया और उसको बेड के किनारे पर लेटा दिया और उसकी टाँगे अपने कंधे पर रख लीं, फिर उसको एक आँख मार कर पूछा कि ‘पेलूँ’ !?!
वो चहक कर बोली- अब क्या लिख कर दे दूँ मेरे रज्जा !!
मैं उसकी इस अदा पर फिसल गया और अपना लंड उसके चूत के मुहाने पर रख कर एक जोरदार ठाप लगाई। मेरा आधे से ज्यादा लौड़ा उसके भोसड़े को चीरता हुआ अंदर पेवस्त हो गया था।
सुषमा की चीख निकल गई, “मा… मा र… दिया… या… या रे… बाबू… ऊ ऊ… जरा… धीरे करो आई… ई ई…”
मुझे उसकी चीखों ने और अधिक उत्तेजित कर दिया था। मैंने अपने लंड को बाहर खींच कर फिर से धक्का मारा, फिर धक्का और फिर धक्कों की चोट सुषमा की सुरंग पर पड़ने लगी।
रांड को मजा आने लगा था। कुतिया मुझसे बोली- आहा मेरे राजा धकाधक पेलते रहो, मेरी चूत की आग बहुत दिनों के बाद शांत हुई। आज मिला है कोई चोदू मर्द… आह… आह..आए… चोद मादरचोद… मुझे अपने बच्चे की अम्मा बना दे मेरे चोदू शेर!!
मैंने भी अपने धक्कों को जारी रखा अब मेरे मन में आया कि इसको अपने लौड़े की सवारी कराऊँ और उसके दुद्दू पीऊँ।
सो मैंने सुषमा की कमर में हाथ डाल कर उसको अपने कमर में लपेट कर उठाया।
उसने मुझसे पूछा- क्या करने का इरादा है?
मैं ने उसको बताया और घूम कर उसको अपने ऊपर लिया और मैं बेड पर लेट गया और उसको अपने ऊपर ले लिया।
सुषमा समझ गई कि अब उसको लुड़सवारी करनी है। उसने उचक कर अपनी चूत में मेरा हथियार भरा और मैंने उसके थन को पकड़ कर अपने मुँह की तरफ खींचा और उसके निप्पल से दूध की धार मेरे गले को तर करने लगी।
सुषमा की चूत बहुत पनिया गई थी। उसने मुझसे कहा- ऊपर आ जा, मैं जल्दी झड़ जाऊँगी।
मैंने हँसते हुए कहा- झड़ जाओ, मैं फिर तेरे ऊपर आकर तुमको चोद दूँगा।
और वही हुआ, अगले कुछ ही धक्कों में सुषमा का शरीर ऐंठने लगा।
सुषमा चीखने लगी, “ओ… ह ओ… ओ… मैं गई… ई… ई… ई…” और वो झड़ चुकी थी।
मैंने तनिक भी देर नहीं लगाई, तुरंत उसको पलट कर उसके ऊपर छा गया और खुद की स्पीड को बढ़ा कर सुषमा की रिसती चूत के रस से ही उसको दोबारा गरम कर के चुदाई को जारी रखना चाह रहा था।
पर उसकी हिम्मत शायद जवाब दे चुकी थी, और मैंने भी खुद को झड़ने का मन बना लिया चुदाई में एक बात का मुझे ज्ञान हुआ कि यदि खुद सोच लें कि अब झड़ना है, तो फिर लंड की कोई औकात नहीं है कि खड़ा रहे। उसकी रस धार छूट ही जाती है।
और वही हुआ, मैं भी उसकी चूत में ही अपना गर्म-गर्म लावा छोड़ने लगा। कुछ देर यूँ ही पड़े रहे हम दोनों फिर सुषमा ने उठ कर मेरा हथियार अपने पेटीकोट से पौंछा और खुद को भी साफ़ करके अपने कपड़े पहने और कमरे से निकल गई।
दोपहर में सुमीना ने सोनिया से कहा- चलो ब्यूटी पार्लर चलना है। वहाँ जाकर सुमीना ने सोनिया की फुल मसाज, आई ब्रो, फेसियल आदि के अलावा स्पेशल मेकअप भी करवाया जिसमें उसकी झाँटों को डिजाईन में कटवा कर और बुर को टाइट करने वाली क्रीम से ठीक करवा कर रात की चुदाई के लिए बिल्कुल तैयार कर दिया।
फिर वे उसको कुछ स्पेशल अंडर गारमेंट दिलाने भी ले गईं। एक खास किस्म की पैन्टी, जिसमें सिर्फ चूत को ढकने के लिए एक छोटा सा त्रिभुज नुमा गुलाब का फूल बना था और बाकी पूरे चूतड़ खुले दिखते थे।
और ब्रा भी फ्रंट ओपन वाली, जिसमें कप के नाम पर सिर्फ निप्पल को ढकने के लिए गोल गुलाब के फूल थे। कंधे पर कोई स्ट्रेप नहीं थे, सिर्फ पीठ से सहारे के लिए एक रेशमी डोरी लगी थी, जो आगे से ही बंधती थी और एक हल्के से झटके में खुल सकती थी।
उन्होंने एक बहुत ही झीनी सी बेबी-डौल फ्रॉक भी खरीदी, जिसमें सोनिया को अपना जलवा दिखाना था। एक बहुत ही छोटा सा जींस का निक्कर और स्लीबलेस सफ़ेद रंग का टॉप भी खरीदा।
सुमीना ने खुद के लिए भी लिए मेरी पसंद की हॉट सी ब्रा और पैंटी ली। अब सब कुछ तैयार हो गया था। वे लोग घर आ गईं।
सोनिया कुछ अधिक आत्मविश्वास से भरी हुई थी। सुमीना भी पूरी तरह उससे संतुष्ट थी।
उसने कहा- आज तेरा नाम सोनिया नहीं है। मैं तुझे जूही नाम से बुलाऊँगी। ठीक है?!
सोनिया ने ‘हाँ’ में सर हिलाया और वो अपने कमरे में चली गई। उसको बहुत तेज नींद आ रही थी और पता नहीं रात को कितनी देर तक जागना पड़ेगा, ये सोच कर उसका सो जाना ठीक भी था।
अब सुमीना ने मेरे लिए व्यवस्था की सोच कर उसकी एक सहेली विभा, जो उसके हेड ऑफिस के बॉस की बीवी थी, को फोन लगाया और उधर से फोन उठा तो इधर-उधर की बात करने के बाद सुमीना को यह मालूम पड़ गया कि उसका पति किसी ओफ़िशियल काम से 4 दिन के टूर पर गया है।
सुमीना ने उससे पूछा- आजकल आपकी सेक्स लाइफ कैसी चल रही है?
उसने बुरा सा मुँह बना कर कहा- उसका आज कल कुछ भी इंतजाम नहीं हो पा रहा है।
दरअसल विभा का पति नामर्द था और ये सुमीना को जब मालूम पड़ा था, जब एक बार उसने उसके बॉस के साथ रात बिताई थी। मादरचोद बिल्कुल हिजड़ा था। उसका लंड खड़ा ही नहीं होता था।
तब उसने उससे पूछा था कि वो उसकी बीवी को कैसे चोदता है? जबाब में उसका बॉस कुछ भी नहीं बोल पाया था।
सुमीना ने समझ लिया था कि इसकी बीवी जरुर घर से बाहर चुदती होगी। उसी समय से उसने ये ठान रखी थी कि इस मादरचोद की बीवी को किसी से चुदवा कर उसकी कुछ फोटो या वीडियो बन जाए तो, ये साला हमेशा मेरे जूतियों के नीचे ही रहेगा।
उसने आज इसी काम के लिए मुझे चुना था। सो उसने फोन पर विभा से कहा- यदि वो चाहे तो उसके लिए एक लंड का इंतजाम कर सकती है।
बस फिर क्या था बात बनती चली गई। सुमीना ने मुझे उसका आशिक जिगोलो बताया था जो बीस हजार में पूरी रात उसकी चूत की सेवा करता था।
विभा ने कहा- वो जिगोलो की सेवा उसके घर पर नहीं किसी होटल में लेना चाहती है और होटल के खर्चे की भी कोई चिंता नहीं है।
बस मेरे लंड का इंतजाम भी हो गया था। सुमीना ने मुझसे कहा- अपने घर में जो दो हैंडी-कैम हैं, उन दोनों की बैटरी बगैरह चैक कर लो। आज इस बॉस की लुगाई विभा की चुदाई लीला की फिल्म बनानी है।
और फिर देखती हूँ इस मादरचोद की सब हेकड़ी निकाल न दी तो मेरा नाम भी सुमीना छिनाल नहीं।
मैं उसकी इस बात पर हँस पड़ा और उसको अपने सीने से लगा कर उसकी एक जोरदार चुम्मी ले ली।
मैं आगे की कहानी लिखने की कोशिश करूंगी, तब तक के लिए नमस्कार !
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