सेक्स इन ट्रेन Xxx कहानी में मुझे भाई से चूत मरवाने की तलब लगी थी पर हमारे साथ मेरे ससुर के दोस्त थे. तो हमने उनको भी अपने सेक्स के खेल में शामिल किया, मैंने उनका लंड चूसा.
कहानी के तीसरे भाग
अंकल और भाई को चूची चुसवाई
में आपने पढ़ा कि ससुर के गार्ड दोस्त के साथ मैं और मेरा भाई मालगाड़ी के केबिन में थे. मेरा भी मेरी चूची चूस रहा था और मैं अब गार्ड अंकल से भी अपनी चूची चुसवाने को मान गयी थी.
अब आगे सेक्स इन ट्रेन Xxx कहानी:
फिर मैं बोली- ठीक है लेकिन फिर टॉर्च और मोबाइल बंद कर दीजिए ताकि बाहर से कुछ ना दिखे।
मेरी बात पर सोनू ने मोबाइल पर चल रही पॉर्न मूवी बंद कर दी और अंकल ने टॉर्च बंद कर दिया।
दोनों के बंद करते ही केबिन में सच में एकदम अंधेरा हो गया और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
सोनू बोला- इसमें तो कुछ दिखेगा ही नहीं!
मैं हल्का सा हंसते हुए बोली- तो देखना क्या है? चुपचाप जो करना है, वो कर लो।
सोनू बोला- अच्छा सिर्फ मोबाइल को ऑन कर देता हूं, उससे ज्यादा रोशनी नहीं होगी।
चूंकि अंधेरा ज्यादा था तो मैंने भी हां कर दिया।
इसके बाद सोनू ने मोबाइल का टॉर्च जला कर उसे बेंच के किनारे की तरफ फंसा कर उल्टा करके रख दिया ताकि केबिन में तेज रोशनी ना हो।
अब केबिन में बस इतनी लाइट थी कि अंधेरे में हम एक दूसरे को आराम से देख सकते थे।
इसके बाद मैंने अपनी कुर्ती निकाल कर बेंच पर एक तरफ रख दी और फिर ब्रा से दोनों चूचियों को बाहर करने लगी।
इस पर सोनू बोला- दीदी, ब्रा भी निकाल दो ना … ठीक रहेगा।
तो मैंने मुस्कुराते हुए ब्रा भी निकाल दी।
जिससे मेरी दोनों चूचियां नंगी हो गयीं।
अब मैं सिर्फ लेगिंग में अंकल और सोनू के सामने खड़ी थी और मेरी नंगी चूचियां उनकी आंखों के सामने थीं।
सोनू मुंह को आगे कर एक चूची को मुंह में लेकर चूसने लगा.
जिसके बाद अंकल भी हल्का सा आगे झुककर मेरी दूसरी चूची को मुंह में लेकर चूसने लगे।
दोनों ने मुझे अपने हाथों से पकड़ भी रखा था।
मैं एक हाथ से सोनू के और दूसरे हाथ से अंकल सिर को पकड़े हुए चूचियां चुसवाने लगी।
चूची चूसते हुए सोनू एक हाथ नीचे ले जाकर लेगिंग के ऊपर से ही मेरी चूत को सहलाने लगा।
कुछ देर लेगिंग के ऊपर से ही चूत सहलाते हुए सोनू चूची चूसते हुए ही दोनों हाथों को मेरी कमर के पास लाकर मेरी लेंगिग को पकड़ा और उसे एक झटके में खिसकाकर घुटनों तक कर दिया।
मैंने लेगिंग के नीचे पैंटी नहीं पहनी थी जिससे मेरी चूत नंगी हो गयी।
जिसके बाद सोनू उंगलियों से मेरी चूत को सहलाते और छेड़ते हुए चूची चूसने लगा।
वासना की आग में मेरा पूरा शरीर एकदम गर्म हो गया था।
मैं भी हल्का सा जांघों को फैलाकर सोनू को चूत सहलाने की जगह दे दी और मुंह से हल्की-हल्की सिसकारियां लेते हुए दोनों के सिर को पकड़कर चूची चुसवाने लगी।
तभी अंकल भी अपने एक हाथ को मेरे पीछे ले जाकर मेरी नंगी गांड और जांघ को सहलाने लगे। सहलाते हुए धीरे-धीरे उनका हाथ मेरी चूत के पास तक आ गया। सोनू पहले से ही मेरी चूत सहला रहा था लेकिन जैसे ही उसे लगा कि अंकल मेरी चूत को सहलाना चाह रहे हैं तो उसने अपना हाथ मेरी चूत से हटाकर अंकल को चूत सहलाने की जगह दे दी।
जिसके बाद अंकल के मोटे हाथ की मोटी-मोटी उंगलियां मेरी चूत पर महसूस होने लगीं।
अंकल उत्तेजना में तेजी से चूची चूसते हुए चूत सहला रहे थे।
तभी सोनू चूची चूसना छोड़कर सीधा होकर बैठ गया।
जिसके बाद अंकल को दोनों चूचियों को बारी-बारी से मुंह में लेकर चूसने लगे।
सोनू बगल में बैठा देख रहा था.
तभी सोनू अपनी जगह से हल्का सा उठा और फिर अपनी लोअर और अंडरवियर को पकड़ एक झटके में घुटनों तक कर दिया।
जिससे सोनू का तना हुआ लंड दिखने लगा।
सोनू फिर से उसी तरह बैठकर हाथ से अपना लंड सहलाते हुए हमें और अंकल को देखने लगा।
मैं चूची चुसवाते हुए ही हल्का सा झुककर एक हाथ से सोनू के लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।
इस पर अंकल चूची चूसते हुए हल्का सा मुड़कर सोनू को देखे।
जैसे ही उन्होंने सोनू को देखा कि वो अपना लोअर नीचे खिसका कर लंड बाहर किये बैठा है वैसे ही अंकल चूची चूसते हुए ही अपना हाथ नीचे ले गये और अपने पैंट को खोलने लगे।
पैंट खोलने के बाद वे भी हल्का सा उठे और फिर उन्होंने भी अपने पैंट और अंडरवियर को एक साथ पकड़कर घुटनों तक कर दिया।
चूंकि अंकल अभी भी मेरी चूची चूसे जा रहे थे तो मुझे उनका लंड दिख तो नहीं रहा था.
लेकिन मैं जान गयी थी कि वो भी अपना लंड बाहर निकाल कर सहलाते हुए मेरी चूची चूस रहे हैं।
मैं अभी अंकल के लंड के बारे में सोच ही रही थी कि तभी सोनू बोला- दीदी, अब हमारा चूसो।
जैसे ही सोनू ये बोला तो अंकल तुरंत चूची चूसना छोड़कर पीछे हो गये और बिना कुछ बोले वो भी अपने लंड को हाथ से पकड़कर बैठ गये।
उन्हें भी उम्मीद थी कि सोनू के साथ मैं उनका लंड भी चूसुंगी।
मैं तो खुद भी यही चाह रही थी।
जैसे ही मेरी निगाह उनके लंड की तरफ गयी तो देखा कि उत्तेजना में उनके मोटे से लंड से हल्का-हल्का पानी निकल आया था।
अंकल लंड की चमड़ी को पीछे की तरफ खींचकर हिला रहे थे जिससे उनके लंड का मोटा सा चिकना सुपाड़ा चमक रहा था।
सोनू और अंकल अगल-बगल बैठे थे।
मैं दोनों करीब-करीब दोनों के बीच में घुटनों के बल बैठ गयी और दोनों लंड को मुठ्ठी से पकड़कर हल्का-हल्का हिलाने लगी।
मैं सबसे पहले अंकल के लंड के पास अपना मुंह ले गयी।
अनजाने लण्ड की मादक खुशबू जैसे ही मेरी नाक में घुसी, मेरे मुंह और चूत दोनों जगह से लार टपकने लगी।
मुंह के होठों के साथ चूत के भी दोनों होंठ फड़फड़ाने लगे।
मैंने बिना देर किये अंकल के लंड की चमड़ी को पूरा पीछे की तरफ खींचा और मुंह खोलकर अपने होंठों में अंकल के लंड के सुपाड़े को भर लिया।
उनका लंड एकदम गरम था।
मुंह में अंदर लेने के बाद जीभ को लंड के सुपाड़े पर घुमाते हुए उसके नमकीन रस को टेस्ट करने लगी।
अंकल के मुंह से आ आह हहह … आआ आआआह हह हहह की सिसकारी निकलने लगी।
उन्होंने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ लिया और अपने लंड पर ऊपर-नीचे करने लगे।
मैं भी मुंह को उपर नीचे करते हुए उनके लंड को चूसने लगी।
अंकल के मुंह से आ आआ आआह हह हहह … बेटा … आअ आआ आआआ हहह हह … की तेज सिसकारियां निकल रही थीं।
वे जिस तरह उत्तेजित होकर कमर हिलाते हुए लंड चुसवा रहे थे तो उससे मैं समझ रही थी कि वो ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे।
मैं एक हाथ से अभी भी सोनू के लंड को पकड़े हुए हल्का-हल्का हिला रही थी और दूसरे हाथ से अंकल के लंड को नीचे से पकड़कर हिलाते हुए तेजी से उनके लंड को चूसने लगी।
फिर वही हुआ जो मैं समझ रही थी.
अभी दो मिनट भी नहीं हुए होंगे कि अंकल ने अचानक मेरे सिर को अपने लंड पर तेजी से दबाते हुए मुंह से तेज आआ आआ आआआ आ आआह हह हहह हह हहह … की सिसकारी निकाली और उनके लंड की ज्वालामुखी का गरम-गरम लावा निकल कर मेरे मुंह में भरने लगा।
उनका शरीर एकदम अकड़ गया और तीन-चार तेज झटके देते हुए उन्होने लंड का पूरा पानी मेरे मुंह में निकाल दिया।
मेरा मुंह गाढ़े-गाढ़े नमकीन और टेस्टी वीर्य से भर गया जो होठों के अगल-बगल से निकल कर उनके लंड पर भी रिसने लगा।
अंकल की सांस तेजी से चल रही थी।
मैं उनका लंड बिना मुंह से निकाले दो-तीन घूंट में पूरा वीर्य गटकने लगी।
लंड का पूरा पानी पी जाने के बाद भी मैं उनके ढीले लंड को बिना मुंह से निकाले फिर से चूसने लगी।
अंकल अभी भी दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़े हुए थे।
मैंने निगाह उठाकर ऊपर अंकल के चेहरे की तरफ देखा तो वो आंख बंद किये हुए आराम से झड़ चुके लंड को चुसवाने का मजा ले रहे थे।
मुझे वैसे भी ढीले लंड को चूसकर खड़ा करने में मजा आता है।
इसलिए मैं कुछ देर तक अंकल का लंड चूसती रही।
चूसने के बाद उनके लंड में फिर से हल्का-हल्का तनाव आने लगा था।
जिसके बाद मैं उनके लंड को मुंह से निकालकर सीधी हो गयी।
मेरे लंड को मुंह से निकालने पर अंकल ने आंख खोलकर मेरी तरफ देखा।
जैसे ही हमारी नजर मिली, हम दोनों हल्का सा मुस्कुरा दिये।
इतनी देर में मैंने महसूस किया था कि अंकल ज्यादा कुछ बिना बोले बस हर काम कर रहे थे।
वहीं सोनू बेचारा बगल में बैठा अच्छे बच्चे की तरह चुपचाप हमें देख रहा था और अपनी बारी का इंतजार कर रहा था।
जैसे ही मैंने सोनू की तरफ देखा तो वो भी मुस्कुरा दिया।
मैं मुस्कुराते हुए बोली- ओहो … मेरा भाई इतनी देर से वेट कर रहा है। आओ अब तुम्हारा चूस लूं!
ये कहते हुए मैं थोड़ा सा खिसक कर सोनू के सामने आ गयी और फिर उसके लंड की चमड़ी को पीछे खींचकर सुपाड़े को मुंह में लेकर चूसने लगी।
अंकल बगल में बैठे अपना लंड हाथ में पकड़े हमें देख रहे थे।
उनके लंड में हल्का-हल्का तनाव फिर से आने लगा था।
मैंने एक हाथ बढ़ाकर उनका लंड पकड़ लिया और हल्का-हल्का हिलाते हुए सोनू का लंड चूसने लगी।
सोनू भी मेरे सिर को पकड़कर हल्का-हल्का कमर हिलाते हुए लंड चुसवाने लगा।
करीब पांच मिनट तक चूसने के बाद सोनू के मुंह से तेज सिसकारी निकलने लगी और वो मेरे सिर को कसकर पकड़े हुए लंड पर तेजी से दबाते हुए तेजी से लंड को तेजी से मुंह में आगे-पीछे करने लगा।
मैं भी मुंह को तेजी से ऊपर नीचे करते हुए लंड चूसने लगी और फिर तेज सिसकारी के साथ सोनू के लंड ने भी पानी छोड़ दिया।
हालांकि उसके लंड से ज्यादा पानी नहीं निकला तो उसे मैं एक ही बार में गटक गयी।
कुछ देर लंड को मुंह में लिए हुए ही चूसने के बाद मुंह से निकाला और सीधी होकर बैठ गयी।
सोनू आंख बंद किये हुए तेजी से सांस ले रहा था।
दो-दो लंड का पानी पीने के बाद मेरी चूत में खुजली शुरू हो चुकी थी जो बर्दाश्त के बाहर हो रही थी।
मैं खड़ी हो गयी मेरे शरीर पर बस लेगिंग थी वो भी मेरे घुटनों तक खिसकी हुई थी, बाकी मैं पूरी तरह नंगी थी।
मेरा नंगा गोरा शरीर मोबाइल की रोशनी में चमक रहा था।
सोनू और ससुर जी के साथ थ्रीसम के लिए मैंने एक दिन पहले ही चूत के आसपास बालों को अच्छी तरह साफ किया था।
मेरे खड़े होते ही अंकल की निगाह जांघों के बीच मेरी चिकनी फूली हुई चूत पर अटक गयी।
मैं उनकी तरफ देखकर हल्का सा मुस्कुराई।
मेरे खड़े होने पर सोनू भी आंख खोलकर मेरी तरफ देखा तो मैं चूत सहलाते हुए धीरे से मुस्कुरा कर उससे बोली- भाई, अब मेरी भी खुजली मिटा दो थोड़ा!
इस पर सोनू और अंकल दोनों समझ गये कि मैं चूत चटवाना चाह रही हूं।
सोनू बिना कुछ बोले खड़ा हुआ और अपनी लोअर जो घुटनों तक खिसका रखी थी उसे पूरा उतार कर बेंच पर रख दिया और मेरे सामने घुटनों के बल बैठता हुआ बोला- दीदी, तुम भी लेगिंग निकाल दो ना!
मेरी भी चूत में खुजली मच रही थी इसीलिए मैं भी बिना ना नकुर किये और कुछ बोले झुककर लेगिंग को पूरा पैरों से निकाल कर बाहर कर दिया।
अब मैं पूरी नंगी थी, सेक्स इन ट्रेन Xxx मजा ले रही थी।
घुटनों के बल बैठने के बाद सोनू खिसक कर एक दम मुझसे सट गया.
अब उसका मुंह ठीक मेरी चूत के सामने था।
मैंने भी हल्का सा अपने जांघों को हल्का सा फैलाते हुए कमर को आगे कर उसे चूत चाटने की पूरी जगह दे दी।
सोनू खिसक कर करीब-करीब मेरी दोनों जांघों के बीच आ गया और अपने दोनों हाथों को मेरी गांड पर रखकर पहले एक जोरदार किस मेरी चूत पर दिया।
जिससे मेरे रोंगटे खड़े हो गये.
और फिर वह जीभ से चूत को चाटने लगा।
चूंकि स्पीड की वजह से ट्रेन हिल रही थी तो मैं एक हाथ से कुर्सी को पकड़े और दूसरे हाथ से सोनू के सिर को पकड़े हल्का-हल्का कमर हिलाते हुए सोनू से चूत चटवाने लगी.
मेरे मुंह से हल्की-हल्की सिसकारियां निकल रही थीं।
हालांकि ट्रेन के हिलने के साथ मेरी कमर खुद ही हिल रही थी इसलिए हिलाने की ज़रूरत भी नहीं पड़ रही थी।
मेरा मुंह अंकल की तरफ था जिससे वो सामने बैठे हुए अपना लंड हाथ से हिलाते हुए मुझे अपने भाई से चूत चटवाते देख रहे थे।
वो कभी मेरी दोनों नंगी चूचियों को तो कभी सोनू को चूत चाटते हुए देख रहे थे।
लेकिन सोनू ने जैसे ही उंगलियों से चूत के दोनों फांकों को फैलाकर चूत के गुलाबी हिस्से को चाटना शुरू किया तो मेरी आँखें बंद हो गयीं।
मेरे मुंह से तेज सिसकारियां निकलने लगीं और मै सोनू का सिर पकड़े कमर हिलाते हुए चूत चटवाने लगी।
ट्रेन हिलने के साथ तालमेल बैठाते हुए मैं भी कमर हिलाते हुए चूत चटवा रही थी।
सोनू भी बीच-बीच में जीभ को चूत के अंदर तक डालकर मजे से चूत चाटे जा रहा था।
करीब 4-5 मिनट तक चूत चटवाने के बाद मुझे लगा कि मैं खड़ी नहीं हो पाऊंगी और मेरी जांघें हल्की-हल्की कांपनें लगीं।
मैंने एक हाथ से कुर्सी को कसकर पकड़ लिया और दूसरे हाथ से सोनू के सिर को अपनी चूत पर दबा दिया।
मेरे मुंह से आह आआआ आह उहहह हह हह ह … आअअ आआ आऊ आह आआआ हह ह हहहह … की तेजी सिसकारी निकलने लगी।
सोनू समझ गया कि मेरी चूत का पानी निकलने वाला है।
तो वो भी पूरी जीभ को चूत के अंदर डालकर तेजी से घुमाने लगा।
और अचानक मेरे मुंह से आआ आआ आआ आआ आआ आआह हहह हह हह हहह … की तेज सिसकारी निकली और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
एक्साइटमेंट में मेरा पैर कांपने लगा था।
मैं सोनू के बालों को कसकर मुट्ठी में पकड़े उसके मुंह को दोनों जांघों के बीच दबाकर झुककर खड़ी हो गयी और एक हाथ को कुर्सी पर टिकाकर हांफने लगी।
कुछ देर इसी तरह रहने के बाद सोनू मेरी जांघों को हाथ से पकड़ कर फैलाया और अपना मुंह मेरी चूत से हटाते हुए उठकर वापस बेंच पर बैठ गया और अपनी टीशर्ट की बांह से ही अपना नांक और मुंह साफ किया जिस पर मेरी चूत का पानी लग गया था।
मैं भी कुर्सी पकड़कर खड़े-खड़े आंख बंद किये हुए सांस पर काबू पाने लगी।
कुछ सेकेण्ड बाद मैंने आंखें खोली तो अंकल से निगाह मिली.
जैसे ही हमारी निगाह मिलती, मैं हल्का सा मुस्कुरा देती।
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