Maa Beti Ko Chodne ki Ichcha-20

Views: 137 Category: Hindi Sex Story By tarasitara28 Published: June 07, 2025

📚 Series: Maa Beti Ko Chodne ki Ichcha

अब तक की कहानी में आपने पढ़ा…

फिर मुझे आँख मारते हुए कहने लगी- जानू अब जल्दी से घर चलो.. मुझे भी अब कुछ चाहिए.. तुम्हारा तो हो गया.. पर मेरे अन्दर की चीटियाँ अभी भी जिन्दा रेंग रही हैं।

तो मैंने उसके बोबे मसल कर कहा- अरे आज रात तेरी सारी चींटियों को रौंद-रौंद कर ख़त्म कर दूँगा.. बस तू घर चल.. फिर देख।

फिर मैंने उतर कर अपनी जींस वगैरह सही से बंद की और घर की ओर चल दिए।
करीब दस मिनट में हम अपार्टमेंट पहुँच गए.. वहाँ मैंने गार्ड को गाड़ी पार्क करने के लिए चाभी दी और माया से बोला- आप चलो.. मैं चाभी लेकर आता हूँ।

गार्ड ने कुछ ही देर में गाड़ी पार्क की और चाभी दे कर मुझसे बोला- साहब जी देर बहुत लगा दी आने में?

तो मैंने बोला- हाँ.. वो आंटी के किसी रिश्तेदार के यहाँ पार्टी थी तो इसीलिए।

अब ये तो कह नहीं सकता था कि हॉस्पिटल गया था किसी मरीज़ को देखने क्योंकि हम लोगों के कपड़े साफ़ बता रहे थे कि हम किसी पार्टी या मूवी देखने गए थे।

खैर.. मैंने उससे चाभी ली और कमरे की तरफ चल दिया।

अब आगे…

अन्दर जाते ही पहले मेन गेट को लॉक किया और माया को आवाज़ दी- माया कहाँ हो तुम?

तो बोली- मैं रसोई में हूँ।

तो मैंने बोला- अब वहाँ क्या कर रही हो?

बोली- अरे तेरे साथ-साथ मुझे भी अब चाय का चस्का लग गया है और सर भी भारी-भारी सा लग रहा है.. तो मैंने सोचा चाय पी ली जाए।

मैंने भी बोला- चलो अब इस घर में भी मेरी आदतों को ध्यान में रखने वाला कोई हो गया है।

मैं मन ही मन खुश हो गया.. फिर मैंने सोफे पर रखे बैग से अपना लोअर निकाला और सारे कपड़े उतार कर सिर्फ टी-शर्ट और लोअर में आ गया।

अब मेरे बदन पर मात्र तीन ही कपड़े थे लोअर.. हाफ टी-शर्ट और वी-शेप की चड्डी..

फिर मैंने उससे पूछा- कार की चाभी कहाँ रखनी है?

तो बोली- अरे टीवी के नीचे वाली रैक में डाल दो।

मैंने चाभी रखी और टीवी ऑन करके टीवी देखने बैठ गया।

तभी मेरी माँ का फोन आ गया.. मैंने रिसीव किया तो बोलीं- खाना वगैरह खा लिया?

तो मैंने बोला- हाँ माँ.. बस अभी ही खाया है.. वैसे इतनी रात को क्यों फोन किया?

तो बोलीं- बस ऐसे ही तेरे हाल लेने के लिए।

मैंने बोला- माँ इतनी फिक्र मत किया करो.. मैं यहाँ बिल्कुल अपने घर की तरह से ही रह रहा हूँ।

इतने में माया आ गई और चाय देते हुए बोली- अरे विनोद से बात हो रही है क्या?

तो मैं बोला- नहीं मेरी माँ से..

माया ने बोला- अरे मुझे भी बात करवाओ..

तो मैंने उनको फोन दिया और अब बस माया की ही आवाज़ सुन रहा था।

वो बोल रही थी- अरे भाभी जी, आप बिल्कुल चिंता न करें.. इसे भी घर ही समझें.. पर एक बात बताइए.. क्या ये चाय बहुत पीता है?

फिर शांत हो गई..

अब माँ ने जो भी बोला हो..

फिर माया बोली- अरे कोई नहीं जी.. इसी बहाने मैं भी पी लेती हूँ।

वो झूट ही बोल गई.. मुझे भी चाय पीने का शौक है.. इसलिए पूछा।

फिर कहने लगी- वैसे भी कल से इसे मिस करूँगी.. मेरे बच्चे इतना चाय नहीं पीते.. तो मुझे कोई कंपनी देने वाला नहीं मिलेगा।

उधर से माँ ने कुछ कहा होगा।

‘अच्छा भाभी जी अब हम रखते हैं।’

फिर माया ने फोन जैसे ही कट किया.. तो मैंने उसे बाँहों में भर कर चुम्बन करते हुए बोलने लगा- झूठी.. माँ से झूठ क्यों बोली.. मुझे भी चाय पसंद है?
तो बोली- अरे तो उनसे क्या कहती.. अपने राजाबाबू से सीखी हूँ..

यह कहते हुए उसने आँख मार कर लिपलॉक करके मेरे होंठों को जी भर कर चूसने लगी और मैं भी उसके चूचों को कपड़ों के ऊपर से मसलने लगा.. जिससे उसकी ‘आह्ह्ह्हह्ह’ निकलने लगी और साँसे भी गति पकड़ने लगीं।

वो मुझसे बोली- जान श्ह्ह्ह्ह इतनी तेज़ से न भींचा करो.. दु:खता है..

फिर वो मुझसे अलग हुई तो मैंने लपक कर उसके हाथों को पकड़ा.. तो बोली- रुको.. पहले कपड़े बदल लूँ और विनोद से भी बात कर लूँ.. फिर हम अपनी लीला में मन को रमायेंगे।

तो मैंने भी उसके बालों के क्लचर को खोल दिया और उसके सर को पकड़ कर गर्दन पर चुम्बन करने लगा।

जिससे माया आंटी का पारा चढ़ने लगा और वो ‘श्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.. बस.. बस्स्स्स्स.. आआह.. रुको भी..यार एक तो पहले ही आग लगी हुई है.. तुम और हवा दे रहे हो.. कपड़े चेंज कर लेने दो.. नहीं तो अगर ख़राब हुए तो रूचि को बहुत जवाब देने पड़ेंगे..’

तो मैंने बोला- ये उसके कपड़े हैं?

बोली- नहीं.. पर मुझे इस तरह की ड्रेस वही दिलाती है.. प्लीज़ अब जाने दो.. बस 5 मिनट और मैं यूँ गई और आई.. तब तक तुम विनोद से हाल-चाल लो ताकि ज्यादा वक्त खराब न हो.. मैं बस अभी आई..

यह कहते हुए मेरे गालों पर चुम्मा लेते हुए चली गई।

मैं मन ही मन बहुत खुश था कि आज मेरी एक अनचाही इच्छा भी पूरी होने वाली है।

तभी फिर मैंने ख्यालों से बाहर आते हुए विनोद को कॉल लगाई तो उधर से रूचि ने फोन उठाया और मेरे बोलने के पहले ही.. वो फ़ोन उठाते ही बोलने लगी- मम्मा आई मिस यू सो मच.. लव यू अभी मैं आपकी ही याद करके फोन मिलाने जा रही थी..

फिर जब वो शांत हुई तो कुछ देर मैं भी नहीं बोला.. तो वो हैलो.. हैलो.. करने लगी।

तो मैंने ‘उम्म्महह उम्म्ह्ह्ह्ह्ह’ करके हल्का सा खांसा.. तो वो समझ गई कि उसने क्या किया..

तो बोली- अरे सॉरी.. मैंने सोचा माँ हैं।

‘हम्म..’

‘और आप भी कुछ नहीं बोले..’

तो मैंने बोला- अरे तुमने तो मौका ही नहीं दिया.. वर्ना मैं भी कुछ बोल देता।

तो बोली- अरे सॉरी मैं तो भूल ही गई थी कि आप भी हो..

मैंने भी उसे छेड़ते हुए हिम्मत करके बोल ही दिया- आज कुछ सुनकर मन बहुत खुश हो गया..

तो बोली- ऐसा मैंने क्या बोल दिया?

मैंने पूछा- चल छोड़.. ये बताओ विनोद कहाँ है?

तो बोली- अरे भाई तो कोच और प्लेटफॉर्म पता करने गए हैं.. पर आप बताओ न मैंने ऐसा क्या बोल दिया.. जिससे आप को ख़ुशी हुई?

तो मैंने वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए बोल ही दिया- तुम्हारे मुँह से ‘आई लव यू’ सुनकर..

तो वो बोली- मैंने अपनी माँ के लिए बोला था।

मैंने बोला- होगा माँ के लिए ही सही.. पर तुम्हारे ये शब्द मेरे दिल में घर कर गए.. आई लव यू रूचि..

तो बोली- अरे ये कैसे हो सकता है.. आप मेरे भाई जैसे हो..

और वो या मैं कुछ बोलता कि इधर माया आ गई और उधर विनोद…

फिर मैंने विनोद से ट्रेन की डिटेल पूछी और ‘हैप्पी जर्नी’ बोल कर माया को फोन दे दिया।

फिर माया विनोद से बात करने लगी और इधर मेरे दिल में उसकी बेटी की प्यारी सी फीलिंग ने हलचल सी मचा रखी थी.. चड्डी के अन्दर ही मेरा लौड़ा उसकी जवानी को महसूस करके फड़फड़ाने लगा था.. जिसे माया बहुत गौर से देख कर मुस्कुरा रही थी.. पर उसे क्या मालूम कि ये किसकी जवानी का करेंट है।

फिर माया ने बोला- अच्छा जब ट्रेन में बैठ जाना.. तो फोन करना ओके..

माया ने फोन काट दिया और मेरे पास आकर मेरे सामान को पकड़ते हुए मेरे होंठों को चूसने लगी।

जैसे उसे मेरे होंठों में शहद का रस मिल रहा हो.. फिर मैं भी उसके होंठों को उसी तरह चूसते हुए अपनी बाँहों में दबोच लिया।

यार कहो चाहे कुछ भी माया में भी एक अजीब सी कशिश थी।

उसका बदन मखमल सा मुलायम और इतना मादक था कि कोई भी बिना पिए ही बहक जाए.. इस समय उसने क्रीम कलर का बहुत ही हल्का और मुलायम सा गाउन पहन रखा था।

उसकी पीठ पर सहलाते समय ऐसा लग रहा था जैसे कि उसने कुछ पहना ही न हो।

उसको मैं अपनी बाँहों में कस कर जकड़ कर जोर-जोर से उसके होंठों का रस चूसने लगा।

उसकी कठोर चूचियाँ मेरे सीने से रगड़ कर साफ़ बयान कर रही थी कि आज वो भी परिंदों की तरह आज़ाद हैं.. इसी मसली-मसला के बीच एक बार फिर से फ़ोन की घंटी बजी।

माया ने विनोद की काल देख कर तुरंत ही फोन रिसीव किया।

शायद वो लोग ट्रेन में बैठ चुके थे। यही बताने के लिए फोन किया था.. पर उसके फ़ोन पर बात करते समय मैं उसके पीछे खड़ा होकर उसकी जुल्फों को एक तरफ करके.. उसकी गर्दन पर चाटते हुए चूमे जा रहा था.. जिससे माया की आवाज़ में कंपकंपी और आँखें बंद होने लगी थीं।

तभी माया अचानक बोली- अरे क्या हो गया..?

तो मैं भी रुक गया कि पता नहीं क्या हो गया.. उधर विनोद क्या बोल रहा था मुझे नहीं मालूम.. पर तभी माया बोली- मना करती हूँ.. ज्यादा उलटी-सीधी चीज़ न खाया करो.. लेकिन तुम लोग मानते कहाँ हो.. खैर जब रूचि आ जाए.. तो बात कराना..

ये कह कर उसने फोन काट दिया और मेरे पूछने पर माया ने बताया- रूचि को उलटी आने लगी है.. उन लोगों ने चाउमिन खाई थी.. जो कि शायद उसे सूट नहीं की..

मैंने पूछा- अब कैसी है?

तो बोली- अभी वो ट्रेन के वाशरूम में है.. आएगी तो फोन करेगी।

फिर मैंने उसे बोला- अरे कोई बात नहीं.. कभी-कभी हो जाता है.. कोई बड़ी बात नहीं.. इसी बहाने उसका पेट भी साफ़ हो गया।

ये कहते हुए मैंने उसके गले में हाथ डाला और कमरे की ओर चल दिया।

माया मेरी पीठ सहलाते हुए बोली- क्या बात है.. आज बड़े मूड में लग रहे हो?

तो मैंने उसकी गांड दबाते हुए बोला- अरे आज मेरी ये इच्छा जो पूरी होने जा रही है..

तो माया बोली- अरे तेरी इस ख़ुशी के आगे ये तो कुछ भी नहीं है.. मैं तो अब तुम्हें इतना चाहने लगी हूँ कि मैं तेरे लिए कुछ भी कर सकती हूँ.. राहुल आई लव यू सो मच..

फिर मैंने उसके पीछे खड़े होकर उसकी गर्दन आगे की ओर झुकाई और उसकी रेशमी जुल्फों को उसके कंधों के एक तरफ करके आगे की ओर कर दिया और फिर उसके पीछे से ही खड़े होकर गर्दन पर चुम्बन करते हुए अपने हाथों को उसके बाजुओं के अगल-बगल से ले जाकर.. उसके मम्मों को सहलाते हुए रगड़ने लगा।

मेरी इस हरकत से माया के अन्दर अजीब से नशे की लहर दौड़ गई और वो अपनी आँखें बंद करके अपने होंठों को दातों से चबाते हुए मदहोशी में सिसियाते हुए लड़खड़ाती आवाज़ में बोलने लगी- श्ह्ह्ह ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म.. जानू आई लव यू..

अब आगे क्या हुआ जानने के लिए अगले भाग का इन्तज़ार कीजिएगा। सभी पाठकों के संदेशों के लिए धन्यवाद..

आपने अपने सुझाव मुझे मेरे मेल पर भेजे.. मेरे मेल पर इसी तरह अपने सुझावों को मुझसे साझा करते रहिएगा।

इसी आईडी के द्वारा आप फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं।
मेरी चुदाई की अभीप्सा की यह मदमस्त कहानी जारी रहेगी।
tarasitara28@gmail.com

You May Also Like

Sasur Bahu Aur Naukar - 3

Shankar bola mam saheb aapki chaddi bhi gandi ho gayi hai. Mai muskarai aur boli haan isko bhi utar do. Tum ne mera pur…

Sasur Bahu Aur Naukar - 5

Babuji ne kaha mai teri saas ko to roz chodta hu magar mai ye drishya nahi chhod sakta. Mai ye drama pura dekhna chahta…

Comments