Maa Beti Ko Chodne ki Ichcha-12

Views: 93 Category: Hindi Sex Story By tarasitara28 Published: June 07, 2025

📚 Series: Maa Beti Ko Chodne ki Ichcha

माया मेरे सख्त लौड़े को पुनः अपने मुलायम होंठों में भरकर चूसने लगी और कुछ ही देर में एक ‘आह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह’ के साथ मेरा गर्म लावा उसके मुँह में समा गया जिसे माया बड़े ही चाव से चखते हुए पी गई और आँख मारते हुए बोली- कैसा लगा?

तो मैंने उसे अपनी बाँहों में ले कर बोला- सच माया आज तो तूने मुझे जन्नत की सैर करा दी।

फिर वो बोली- ये कहाँ से सीखा था? तो मैंने बोला- ब्लू-फिल्म में ऐसे करते हुए देखा था।

अब आगे..
तब उसने मुझसे मुस्कुराते हुए पूछा- तुम कब से ऐसी फिल्म देख रहे हो?

तो मैंने सच बताया कि अभी कुछ दिन पहले से ही मैं और विनोद थिएटर में दो-चार ऐसी मूवी देख चुके हैं।

तो उसने आश्चर्य से पूछा- तो विनोद भी जाता है तेरे साथ?

तो मैंने ‘हाँ’ बोला.. फिर उसने पूछा- उसकी कोई गर्ल-फ्रेंड है कि नहीं?

तो मैंने बताया- हाँ.. है और वो दोनों शादी के लिए तैयार हैं.. पर पढ़ाई पूरी करने के बाद… वे दोनों एक-दूसरे से काफी ज्यादा प्यार करते हैं।

तो वो बोली- अच्छा तो बात यहाँ तक पहुँच गई?

मैंने बोला- अरे.. चिंता मत करो.. वो आपकी बिरादरी की ही है और उसका स्वभाव भी बढ़िया है।

तो वो बोली- दिखने में कैसी है?

मैंने बोला- अच्छी है और गोरी भी.. पर ये किसी भी तरह आप उसे मत बताना या पूछना.. नहीं तो विनोद को बुरा लगेगा.. हम तीनों के सिवा किसी को ये पता नहीं है.. पर लड़की के घर वालों को सब पता है और वक़्त आने पर वो आपके घर भी आएंगे।

बोली- चलो बढ़िया है.. वैसे भी जब बच्चे बड़े हो जाएं.. तो उन्हें थोड़ी छूट देना ही चाहिए।

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

फिर उसने पूछा- अच्छा एक बात बताओ.. उन दोनों के बीच ‘कुछ’ हुआ कि नहीं?

तो मैंने बोला- हाँ.. हुआ है.. विनोद इस मामले में मुझसे अधिक भाग्यशाली रहा है।

तो उसने पूछा- क्यों?

मैंने उसके चेहरे के भाव देखे और बात बनाई.. और बोला- अरे उसने अपना कौमार्य एक कुँवारी लड़की के साथ खोया…

तो इस पर माया रोने लगी और मुझसे रूठ कर दूसरी ओर बैठ गई।

मैंने फिर उसके गालों पर चुम्बन करते हुए बोला- यार तुम भी न.. रोने क्यों लगीं?

तो उसने बोला- सॉरी.. मैं तुम्हें वो ख़ुशी नहीं दे पाई।

मैंने बोला- अरे तो क्या हुआ.. माना कि तुमने ऐसा नहीं किया, पर तुमने मुझे उससे ज्यादा दिया है और तुम उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत और आनन्द देने वाली लगती हो।

यह कहते हुए मैं उसके होंठों का रसपान करने लगा.. जिसमें माया ने मेरा पूरा साथ दिया।

करीब पांच मिनट बाद माया बोली- तुम परेशान मत होना.. अब मैं ही तुमसे एक कुँवारी लड़की चुदवाऊँगी।

मैं उसकी इस बात से हैरान हो गया पर मुझे लगा कि चलो लगता है जल्द ही रूचि की भी चुदाई की इच्छा जल्द ही पूरी हो जाएगी।

उन्होंने मेरे गाल नोंचते हुए पूछा- अब कहाँ खो गए?

तो मैंने बोला- मैं ये सोच रहा हूँ ऐसी लड़की आप कहाँ से लाओगी?

तो बोली- अरे अपने अपार्टमेंट में ही तलाशूंगी… शायद कोई मिल जाए और मिलते ही तुम्हारी सैटिंग भी करा दूँगी।

फिर मैंने बोला- अगर नहीं मिली तो?

माया बोली- ये बाद की बात है…

मैंने बोला- ऐसे कैसे बाद की बात है।

तो वो बोली- अच्छा.. तू बता.. कोई तेरी नज़र में हो.. तो बता मैं उससे तेरी सैटिंग करवा दूँगी।

अब उसे क्या पता कि मेरे दिल में उसकी ही अपनी बेटी को चोदने की इच्छा है, पर मैंने उस समय सयंम रखा और कहा- कोई होगी तो बता दूँगा.. पर तब अपनी बात से पलट न जाना।

उसने मुझसे बोला- तुम्हारी कसम.. मैं नहीं पलटूंगी.. तुम्हें मुझसे जैसी भी मदद चाहिए होगी.. तुम बता देना, मैं तुम्हारी जरूर मदद करूँगी।
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मैंने- चलो अब इस टॉपिक को चेंज करते हैं।

मैंने माया को अपने सीने से चिपका लिया.. जिससे उसकी मस्त उन्नत मुलायम चूचियों की चुभन मेरे सीने में होने लगी.. जिसका अहसास काफी अच्छा था।

मैं उसे अपने शब्दों से बयान ही नहीं कर सकता था.. मेरा हाथ उनकी नंगी पीठ पर धीरे-धीरे चलने लगा.. जिससे माया को मेरे प्यार के एहसास का नशा चढ़ने लगा और उसके शरीर के रोंगटे खड़े हो गए।

ऐसा लग रहा था मानो हज़ारों आनन्द की तरंगें उसके शरीर में दौड़ने लगी थीं।

यह शायद मेरे प्रति उसके प्यार का असर था या वो भावनात्मक तरीके से मुझसे जुड़ गई थी, जिसकी वजह से ऐसा हो रहा था।

फिर मैंने उसके आनन्द को बढ़ाने के लिए उसके गर्दन में अपने होंठों को लगाकर चुम्बन करने लगा और उसके कान पर ‘लव-बाइट’ करने लगा.. जिससे उसकी मदहोशी और बढ़ती ही चली जा रही थी।

उसे इस क्रिया में बहुत आनन्द आ रहा था जो कि उसकी बंद आँखें और मुस्कराता चेहरा साफ़-साफ़ बता रहा था।

यहाँ मैं अपने पूर्ण आत्म-विश्वास के साथ पाठकों को ये बताना चाहूँगा… यदि उनकी कोई गर्लफ्रेंड या पत्नी है या लड़कियों का कोई बॉयफ्रेंड या पति है.. तो उसके साथ ये आज़माकर देखें.. वो भी पागल हो जाएगा… आप यदि उसके कान के मध्य भाग में चुंबन करते हैं तो शर्तिया उसके रोम-रोम खड़े हो जायेंगे।

फिर मैंने धीरे से माया को सोफे पर लिटाया और चुम्बन करते हुए उसके चूचों को दबाने लगा.. जिससे माया माया की ‘आआह्ह अह्ह्ह्ह’ निकलनी आरम्भ हो गई और उसे आनन्द आने लगा।

अब उसने मुझसे बोला- अब और कितना तड़पाओगे.. चलो कमरे में चलते हैं।

फिर मैंने उससे बोला- नहीं.. आज मुझे सोफे पर ही चुदाई करना है।

मैंने कई फिल्मों में सोफे पर चुदाई देखी है।

तो वो बोली- अरे यहाँ जगह कम है। मैंने बोला- वो सब मुझ पर छोड़ दो.. पूरी रात बाकी है.. अगर मज़ा न आए तो कहना।
ये कहते हुए उसके मम्मों को चूसने और रगड़ने लगा।

वो सिसियाने लगी- अह्ह्ह्ह श्ह्ह्ह्ह काटो मत.. दर्द होता है.. आराम से करो.. देखो सुबह की वजह से अभी भी लाल निशान पड़े हैं।

तो मैंने उसे प्यार से चूसना चालू कर दिया और उसका जोश दुगना होता चला गया।

मैं भी उसके टिप्पों को बड़े प्यार से चाट रहा था.. जैसे उसमें मुझे मिश्री का स्वाद मिल रहा हो।

वो अब चरमानंद के कारण बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी।

उसकी आग को बस हवा देना बाकी रह गया था…

मैंने वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए अपना हाथ धीरे से उसकी चूत पर हाथ ले गया और अपनी दो ऊँगलियों से उसकी चूत की मालिश करने लगा और बीच-बीच में उसकी चूत के दाने को भी रगड़ देता.. जिससे वो और कसमसा उठती।

इस तरह धीरे-धीरे वो चरम पर पहुँचने लगी और अपने हाथों से अपने मम्मों को मसलते हुए बड़बड़ाने लगी- आआह शह्ह्ह्ह शाबाश.. आह्ह्ह्ह्ह मेरी जान.. ऐसे ही और जोर से…

शायद वो झड़ने के मुकाम पर पहुँच चुकी थी, तभी मैंने उसे और तड़पाने के लिए उनकी चूत से तुरंत ऊँगली निकाल कर उनके मुँह में डाल दी। जिसे उन्होंने चाट-चाट कर साफ कर दिया।

‘राहुल प्लीज़ मत तड़पाओ.. अब आ भी जाओ.. मुझे तुम्हारे लण्ड की जरूरत है।’

तो मैंने उनके मुँह पर चुम्बन किया और उन्हें कुछ इस तरह होने को बोला कि वो सोफे की टेक को पकड़ कर घोड़ी बन जाएं.. ताकि मैं जमीन पर खड़ा रहकर उनको पीछे से चोद सकूँ।
ठीक वैसा ही जैसा मैंने फिल्मों में देखा था।

माया ने वैसे ही किया फिर मैंने माया गोल नितम्बों को पकड़ कर उसकी पीठ पर चुम्बन लिया और उसके नितम्बों पर दाब देकर थोड़ा खुद को ठीक से सैट किया ताकि आराम से चुदाई की जा सके।

फिर मैंने उसकी चूत में दो ऊँगलियां घुसेड़ दीं और पीछे से ही उँगलियों को आगे-पीछे करने लगा..
जिससे माया को भी आनन्द आने लगा और बहुत ही मधुर आवाज़ में सिसियाने लगी- आआअह ऊऊओह्ह्ह्ह्ह उउम्म आआअह राहुल.. आई लव यू.. आई लव यू..’ कहते हुए झड़ गई,
जिससे मेरी ऊँगलियां उसके कामरस से तर-बतर हो गईं..

पर मैं उसकी चूत के दाने को अभी भी धीरे-धीरे मसलता ही रहा और उसकी पीठ पर चुम्बन करते हुए उसे एक बार फिर से लण्ड खाने के लिए मज़बूर कर दिया।

अब माया आंटी को मैंने अपना लौड़ा कैसे खिलाया जानने के लिए अगले पार्ट का आने तक इंतज़ार करें।

मेरी सत्य घटना को पढ़ने के लिए और अपने सुझाव और कमेंट के लिए आप सभी का धन्यवाद।
मेरी चुदाई की अभीप्सा की यह मदमस्त घटना आपको कैसी लग रही है।
अपने विचारों को मुझे भेजने के लिए मुझे ईमेल कीजिएगा और फेसबुक पर मुझसे जुड़ने के लिए भी इसी मेल आईडी का प्रयोग कर सकते हैं।
कहानी जारी रहेगी।

tarasitara28@gmail.com

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