Previous Part : Maa aur Beta - 8
आज स्वाति की सगाई थी तो सभी लोग आज सुबह से ही तैयारी और भाग दौड़ में लगे थे। मैं भी आज सुबह से काफी व्यस्त थी ।
घर के सभी आदमी बाहर के कामों में लगे थे । सगाई के लिए एक बैंक्वेट गार्डन बुक किया गया था, अमित और कपिल भी सुबह से वही थे । शाम तक सभी लोग घर आ चुके थे और तैयार होकर वापस गार्डन जाने लगे। घर के सभी लोग कार में बैठकर चले गए थे। घर पर अब मैं और अमित ही रह गए थे क्योंकि हम दोनों बाइक से जाने वाले थे ।
सभी के जाते ही अमित कमरे के अंदर आ गया ।
उस वक्त मैं तैयार हो रही थी, मैं लाल रंग की साड़ी पहन रही थी, अमित को देखकर मैं मुस्कुरा दी ।
अमित भी पीछे से आकर मुझसे लिपट गया और बोला- मम्मी, लाल साड़ी में आप बहुत हॉट लग रही हो और सेक्सी तो आप पहले से ही बहुत हो !
अमित की इस बात पर हम दोनों मां बेटे हंसने लगे ।
अमित ने अपने हाथों को मेरे बूब्स पर रख दिया, उन्हें मसलना शुरू कर दिया ।
अमित का लंड पूरी तरह से तन चुका था और वो उसे मेरी गांड पर रगड़ रहा था ।
मैंने अमित को कहा- ओहह… अमित अभी रूक जाओ… हम सगाई के लिए लेट हो जाएंगे… बाद में आकर ये सब करेंगे वरना मुझे फिर से तैयार होने में बहुत टाइम लग जाएगा ।
पर अमित कहाँ मानने वाला था… वो भी मेरी ही तरह जिद्दी और चुदासा था, अमित बोला- मम्मी इतने दिनों से मैं आपसे दूर हूँ पर आपको तो मेरी जरा भी चिंता नहीं है ।
बेटे का लंड चूस कर वीर्यपान किया
अमित अपना लंड बाहर निकाल कर बोला- आप इसका पानी तो निकाल ही सकती हो ।
तो मैं भी उसकी तरफ मुस्कुराते हुए देखने लगी और फिर सोफे पर जाकर बैठ गई ।
अमित मेरे सामने आकर खड़ा हो गया और मैं अपने बेटे के लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी। अमित के लंड को देखकर मैं भी उत्तेजित हो रही थी, मैंने अमित के लंड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया ।
थोड़ी देर तक अमित के लंड को हाथों से सहलाने के बाद मैं उसे मुँह में लेकर चूसने लगी। अमित भी मेरे सर को पकड़कर अपने लंड को मेरे गले तक उतार रहा था ।
लंड चूसने के कारण मेरे मुंह से अलग ही आवाजें आ रही थी। अमित भी सिसकारियाँ भर रहा था- आहहहह… मम्मा… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह… बड़ा मजा आ रहा है… चूसती रहो मॉम इसी तरह से… मम्ममाहहह …
कुछ ही देर बाद अमित झड़ने लगा और उसके लंड से वीर्य की नदी बहने लगी। अमित के मीठे पानी से मेरा मुँह सराबोर हो गया था जो की धीरे धीरे मेरे गले से नीचे उतर रहा था ।
मेरी चूत भी उत्तेजना के कारण पानी छोड़ रही थी जिससे मेरी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी ।
मैंने अमित के लंड को मुँह से बाहर निकाल दिया ।
अमित बोला- मम्मी.. अब रात का कोई बहाना नहीं चलेगा ।
मैंने अमित से कहा- हाँ ठीक है… अगर रात में समय और मौका मिला तो मैं और मेरा राजा बेटा जरूर कुछ करेंगे… पर पूरी तैयारी के साथ आना !
तैयारी से अमित समझ चुका था कि मैंने उसे कंडोम लेकर आने का बोला है ।
फिर हम हम दोनों बाइक पर बैठकर गार्डन की तरफ चल पड़े। रात को करीब डेढ़ बजे प्रोग्राम खत्म होने के बाद हम सब लोग घर पहुँचे ।
मेरा बेटा अपनी मम्मी की चूत चोदने को उतावला हो रहा था | मैंने और अमित ने जल्दी आने की कई कोशिश की पर बात नहीं बनी। अमित का चेहरा भी उतरा हुआ सा था जिसे देखकर मुझे बार बार हँसी आ रही थी ।
सब लोग सोने की तैयारी करने लगे, कपिल बाहर ही था… इसलिए मैं कपिल के रूम में ही सोने के लिए चली गई, अभिषेक भी मेरे साथ ही थे ।
घर पर मेहमान ज्यादा थे तो मैंने अमित को भी अपने साथ सोने के लिये बुला लिया ।
मैंने कपड़े बदल कर गाउन पहन लिया और बेड पर जाकर लेट गई ।
अभिषेक मेरे बायीं और अमित दायीं ओर लेटे हुए थे और मैं उनके बीच में थी। ठंडी का समय था तो हम सब लोग अलग अलग कम्बल लेकर लेटे हुए थे ।
अभिषेक काफी थके हुए थे तो जाते ही सो गए… पर अमित और मैं अभी तक जगे हुए थे, हम दोनों को नींद नहीं आ रही थी ।
जब अमित को लगा कि उसके पापा सो चुके हैं तो वह हल्के से सरक कर मेरे बगल में आ गया ।
अमित ने दोनों कम्बल आपस में मिला दिए और मुझे अपनी तरफ खींच लिया ।
मैं अमित से हल्की आवाज़ में बोली- जरा आराम से… अगर तेरे पापा जाग गए तो ?
मैं आगे कुछ बोलती, उससे पहले अमित ने मेरे होठों को अपने मुंह में भर लिया और उन्हें चूमने लगा ।
वैसे तो अभिषेक काफी गहरी नींद में सोते थे पर फिर भी मुझे ध्यान रखना था कि कहीं वे जाग ना जाएँ ।
मैंने भी अपने बेटे अमित के होठों को चूमना शुरू कर दिया, अब हम दोनों आपस में एक दूसरे को चूम रहे थे । फिर अमित ने अपने हाथ मेरे बूब्स पर रख दिए और उन्हें हल्के हल्के से दबाने लगा ।
मेरे बेटे ने मेरे गाउन के ऊपर के बटन खोल दिए… जिससे मेरे मम्मे ब्रा में ही बाहर आ गए। अमित ने मेरी ब्रा का हुक भी खोल दिया और अब मेरे कसे हुए गोल मम्मे बिल्कुल नंगे थे और गाउन के बाहर थे ।
अमित ने उन्हें काफी देर तक चूमा और दबाया, वह बीच में मेरे निप्पल भी दबा देता था जिस वजह से मेरे मम्मे लाल हो गये थे और निप्पल कड़क हो गए थे ।
मैंने अमित से धीमी आवाज़ में कहा- अमित बेटा, जो भी करना है जल्दी कर, हमारे पास इतना वक्त नहीं है !
अमित ने अपने इस खेल को आगे बढ़ाया, उसने मेरे गाउन को कमर तक ऊपर कर दिया और फिर अपने पाजामे से अपना लंड बाहर निकाल कर मेरे हाथों में थमा दिया ।
फिर मेरे बेटे ने अपनी जेब से कॉन्डोम निकाला और अपने लंड पर चढ़ा लिया… मेरी चूत भी तब तक गीली हो चुकी थी ।
अपने पापा की बगल में मेरे बेटे ने मुझे चोद दिया तब अमित ने मेरी पेंटी को मेरी जांघों तक नीचे कर दिया और अपने लंड को मेरी गीली चूत पर रगड़ने लगा। धीरे धीरे उसने अपने लंड को मेरी चूत के अंदर डाल दिया और हल्के हल्के से धक्के देना शुरु कर दिया ।
मैंने पलट कर अभिषेक को देखा तो ये अभी भी गहरी नींद में सो रहे थे… ये मेरी तरफ पीठ करके सो रहे थे ।
और फिर मैं और मेरा बेटा अमित अपने काम यानि चुदाई में लग गए। अमित बड़े ही आराम से अपने लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर कर रहा था ।
हम दोनों के बदन आपस में चिपके हुए थे जिस कारण हम बेहद गर्म हो रहे थे। अमित अभी भी मेरे होंठों को चूम रहा था, जिस कारण हम दोनों की सिसकारियाँ हमारे अंदर ही घुट रही थी ।
फिर अमित ने अपना लंड बाहर निकाला और मुझे पलट दिया… अब मैं अमित की तरफ पीठ करके लेटी हुई थी, उसने मेरी पेंटी को ऊपर वाली टांग से निकाला और टांग को अपने हाथ से उठा कर ऊपर कर दिया और फिर पीछे से अपने लंड को मेरी चूत पर रख कर अगले चार पांच धक्कों में मेरी चूत की गहराइयों में उतार दिया ।
मैं बहुत उत्तेजित थी पर अपनी उत्तेजना को सिसकारियों में व्यक्त नहीं कर सकती थी… घुटन के कारण मैंने कम्बल को कस कर अपने हाथों में जकड़ लिया ।
मेरे बेटे ने मेरी चूत में अपने धक्कों को और बढ़ा दिया और अब पहले से थोड़ी तेज गति से मुझे चोदने लगा ।
मैं अब झड़ने वाली थी तो मैंने अमित के लंड पर दबाव बनाना शुरू कर दिया ।
मैंने अपने शरीर को कस लिया जिस वजह से मेरी चूत भी काफी कस गई थी… जिसे मेरा बेटा भी समझ चुका था… उसका लंड मेरी चूत के अंदर ही जकड़ रहा था पर वो लगातार मुझे चोदे जा रहा था ।
अब मेरा बेटा भी मुझे चोद कर शायद झड़ने वाला था तो उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और फिर हम दोनों मां बेटा एक साथ ही चरम पर आकर झड़ने लगे ।
झड़ते वक्त भी अमित ने अपने लंड से मुझे चोदना जारी रखा, फिर हम दोनों थोड़ी देर आपस में लिपटकर वैसे ही पड़े रहे । कुछ देर बाद अमित ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और धीरे से उठकर बाथरूम में चला गया ।
अमित के लंड बाहर निकालते ही मेरी चूत से पानी की धार बाहर निकलने लगी जिसे मैंने अपनी पेंटी अपनी एक टांग से निकाली और उससे अपनी चुदी हुई चूत को साफ किया और पेंटी तकिये के पास रख दी ।
फिर मैं अपने कपड़ों को ठीक करने लगी। तब तक अमित भी आ चुका था… उसने मेरी पेंटी को उठाया और सूंघने लगा और फिर अपने अंडरवियर के अंदर रख लिया ।
यह देखकर हम दोनों फिर से मुस्कुराने लगे और मैं बिना पेंटी के ही अभिषेक के साथ चिपक कर सोने लगी ।
थोड़ी देर बाद मैं और अमित दोनों सो गए ।
सुबह जब नींद खुली तो मैं अभिषेक से लिपटी हुई थी ।
फिर दोपहर तक हम लोग वहां से अपने घर के लिए रवाना हुए और शाम तक घर पहुँच गये ।