Previous Part : Maa aur Beta - 3
मैं नीलम एक बार फिर से आप लोगों के समक्ष एक नई कहानी लेकर उपस्थित हूँ ।
मेरे बारे में तो आप जानते ही होंगे पर फिर भी मैं एक बार आपको अपना परिचय दे देती हूँ ।
मेरा नाम नीलम है, उम्र 40 साल है। मैं एक हाउस वाइफ हूँ और अपने पति रवि, बेटे अमित और बेटी अन्नू के साथ एक खुशहाल जीवन जी रही हूँ । मेरे शरीर का आकार कुछ ऐसा है कि देखने वालों के मुँह से लार ही टपकने लगे ।
मेरा फिगर, मेरा बदन बहुत ही कामुक है, मेरे मम्मे बहुत ही कसे हुए और एकदम गोल हैं, मेरी चिकनी कमर और उभरी हुई माँसल गांड किसी का भी लंड झड़ा सकती है । एक बार मैं अपनी सहेली मीना के साथ शॉपिंग करने मार्किट गई थी। उस वक्त अन्नू स्कूल गई हुई थी और अमित भी अपने कोलेज गया था, दोनों को वहाँ से आने में पांच बज जाते हैं और मेरे पति अभिषेक को भी ऑफिस से आने में आठ बज जाते हैं ।
अब अमित के साथ भी मुझे मुश्किल से टाइम मिल पाता था क्योंकि वो सुबह कॉलेज चला जाता था और शाम को ही आता था । तो दोपहर का समय मुझे अकेले ही काटना पड़ता है इसलिए मैं टाइम पास करने के लिए मीना के साथ मार्किट चली गई । मीना मेरे घर के नजदीक ही रहती थी तो हमारी आपस में बहुत अच्छी बनती थी । मीना दिखने में सुन्दर है, उसकी उम्र कुछ 35 साल है और एक अच्छे फिगर की मालकिन है ।
हम लोग आपस में बहुत खुले हुए है और हम दोनों के बीच हर तरह की बातें होती हैं । शॉपिंग करने के लिए हम लोग एक अच्छी साड़ी की शॉप पर गये थे। वो शॉप मीना के किसी दोस्त की ही थी। मैंने काली साड़ी पहनी हुई थी जो कमर से बहुत नीचे बंधी हुई थी और स्लीवलेस ब्लाउज पहना था जो लो कट था ।
दुकान पर सब मुझे ही घूर रहे थे। मेरे मम्मों और नंगी कमर पर सबकी निगाहें अटकी हुई थी जिसे मैं बार बार नोटिस कर रही थी । कुछ लोग तो मेरे पास से गुजरने के बहाने मेरी कमर और गांड को छू लेते थे । मैं भी मूड में आ गई थी और जान बूझकर और उन्हें उकसा रही थी । राज जो दुकान का मालिक और मीना का दोस्त था हमें साड़ी दिखा रहा था और सबसे ज्यादा वही मुझे घूर रहा था ।
मैं भी उसे अपनी और कुछ ज्यादा ही आकर्षित कर रही थी, साड़ी दिखाते टाइम मैं अपना पल्लू उठाकर ठीक करने लगी जिससे राज को मेरे अधनंगे मम्मों के दर्शन हो गए । मैंने देखा की उसका लंड उसके पैंट में तना जा रहा है और वो उसे अपने हाथों से मसल कर बार बार अंदर दबा रहा था । मैं उसे बार बार ऐसा करते हुए देख रही थी । एक बार तो हम दोनों की नज़रे भी आपस में टकरा गई तो हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए और फिर से वही सिलसिला शुरू हो गया ।
मीना ने अपने लिए साड़ियाँ खरीद ली थी पर मुझे अपने लिए कोई पसंद नहीं आई। तो राज मुझसे बोला अगर आपको और साड़ियाँ देखनी हो तो आप एक बार गोदाम में चल कर देख लीजिये, शायद आपको पसंद आ जाये । मैंने मीना को भी साथ चलने का बोला पर वो और सामान खरीदने लगी तो मुझे राज के साथ अकेले ही गोदाम में जाना पड़ा जो दुकान के तीसरे माले पर था ।
गोदाम में जाते ही उसने मुझे बैठने का बोला और फिर साड़ियाँ दिखाने लगा । वो मेरे बगल में ही खड़ा था जिससे मुझे उसका खड़ा लंड मेरे मुंह के पास ही महसूस हो रहा था। जब मैंने नज़र उठा कर उसकी तरफ देखा तो वो मेरे मम्मों को घूर रहा था ।
मैं उससे बोली- क्या हुआ जनाब? ऐसा क्या देख रहे हो आप मुझको ?
वो मुस्कुरा कर बोला- आप इस साड़ी में बहुत सुन्दर दिख रही हैं ।
मैं भी उसको छेड़ते हुए बोली- हाँ, वो तो आपकी पैंट देख कर ही पता लग रहा है ।
मेरी इस बात से वो पहले तो चुप रहा और फिर बोला- भाभी जी, आप का ब्लाउज तो बहुत ही लो कट का है। आप बहुत सेक्सी लग रही हो इसमें ! मैंने हंसते हुए उसे धन्यवाद बोला ।
मुझे एक साड़ी पसंद आ गई थी और मैंने उसे पैक करवा ली थी तभी राज बोला- अगर आपको स्टाइलिश मैचिंग अंड र गारमेंट्स भी लेने है तो वो भी मिल जाएंगे । तो मैं अपने लिए अंडर गारमेंट्स देखने लगी ।
उनमें से कुछ मुझे पसंद आये तो मैं राज से बोली- मैं इन्हें ट्राय करना चाहती हूँ । तो राज बोला- ट्रायल रूम तो नहीं है, अगर आपको ट्राय करना है तो यहीं कर सकती हैं । मैं उससे बोली- मैं क्या तुम्हारे सामने चेंज करुँगी? तो राज बोला- आप फ़िक्र न करें, यह तो मेरे रोज का काम है ।
मैं राज के मन की भड़ास को समझ चुकी थी और अब मैं भी इसका मजा लेना चाहती थी तो मैं भी उसके सामने ट्राय करने के लिए तैयार थी । मैंने राज की तरफ पीठ की और फिर अपने पल्लू को नीचे गिराकर अपने ब्लाउज के हुक को खोल दिया और ब्लाउज उतार कर साइड में रख दिया । फिर मैंने अपनी ब्रा को भी उतार दिया । अब मैं ऊपर से बिल्कुल नंगी और कमर से साड़ी में थी ।
मैंने अब नई ब्रा को उठाया और पहनने लगी, मैंने उसे ठीक से अपने मम्मो पर सेट किया और फिर हुक लगाने लगी । ब्रा का हुक मुझसे नहीं लग रहा था तो मैंने राज की तरफ सर घुमा कर उसे इशारा किया । वो समझ गया और आकार ब्रा का हुक लगाने लगा । वो मुझसे सटकर खड़ा था जिससे उसका लंड मेरी गांड में झटके दे रहा था ।
मैं भी अपनी गांड को पीछे की ओर उसके लंड पर दबा रही थी और शायद इसका एहसास उसको हो गया था तो उसने ब्रा के ऊपर से ही अपने हाथों को मेरे मम्मों पर रख दिया । और फिर धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा । अब उसने मुझे अपनी और घुमाया और मेरे होंठों को चूमने लगा। उसने ब्रा भी उतार कर फेंक दी और अब वो मेरे नंगे मम्मों को मसल रहा था ।
उसने ज्यादा देर ना करते हुए मेरी साड़ी, पेटिकोट को उतार दिया । अब मैं केवल पैंटी में उससे लिपटी हुई खड़ी थी । राज ने मुझे उठाकर काउंटर पर बैठा दिया और मेरी टाँगें उठाकर पैंटी उतार दी। अब वो मेरी चूत पर थूक कर उसे अपनी उंगलियों से मलने लगा । उसने मेरी चूत के दाने को सहलाना शुरू कर दिया और फिर एक उंगली मेरी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगा ।
मेरी चूत गीली होने लगी थी तो उसने उंगली निकाल कर अपने पैंट को उतार दिया और लंड बाहर निकाल कर मेरे हाथों में थमा दिया । मैंने थोड़ी देर तक लंड को सहलाने के बाद लंड पर ढेर सारा थूक लगा लिया और फिर उसने अपने लंड को मेरी चूत पर लगा कर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा । दो तीन धक्कों में उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा चुका था और मैं मस्ती में सिसकारियाँ ले रही थी ।
मैं वही काउंटर पर टाँगें फैलाये बैठी थी और राज अपने लंड को चूत में अंदर बाहर किये जा रहा था । अब राज ने जोरों के धक्के देना शुरू कर दिए उसका लंड मेरी चूत में अंदर तक जा रहा था जो मुझे मीठा सा दर्द दे रहा था । मैंने अपने दोनों हाथों से राज की कमर को पकड़ लिया था जिससे मेरे नाखून उसकी कमर पर चुभ रहे थे ।
मेरे मुंह से आआहह हहहहह आआआ ओऊऊहहह ऊऊऊऊहह हहहह की आवाज़ें निकल रही थी जिसे बंद करने के लिए राज ने मेरे मुंह में अपनी तीन उंगलियाँ डाल दी । उसके धक्कों की रफ़्तार लगातार बढ़ती जा रही थी । थोड़ी देर उसी तरह चोदने के बाद उसने मुझे काउंटर से नीचे उतारा और मुझे काउंटर की तरफ झुकने को बोला । मैंने अपने दोनों हाथों को काउंटर पर रखा और राज की तरफ पीठ करते हुए झुक गई ।
मेरे इस आसन में खड़े होने के कारण मेरी बड़ी गोल गांड राज के सामने थी । राज ने अब अपने लंड को पीछे से मेरी चूत पर लगाया और एक ही धक्के के साथ पूरे लंड को मेरी चूत में उतार दिया । मैं दर्द से कराह उठी इस आसान में मेरी चूत कुछ ज्यादा ही कसी हुई लग रही थी । राज के लगातार धक्कों की वजह से मेरी गीली चूत से पानी निकलने लगा और मैं झड़ने लगी ।
झड़ते वक्त मैं अपने एक हाथ से दाने को रगड़ने लगी जिससे मैं और जोर जोर से झड़ने लगी । राज भी अपने चरम पर था और मेरी चूत से निकले हुए पानी के कारण उसका लंड पूरा गीला हो चुका था ।
तभी राज ने पीछे से ही अपने हाथों से मेरे मम्मों को जकड़ लिया और फिर जोरदार धक्कों के ही साथ मेरी चूत में झड़ने लगा । उसके वीर्य की लगातार धार मेरी चूत को अंदर तक गीला कर रही थी । मैं इतनी मदहोश थी कि मुझे इस बात की भी याद नहीं थी कि मीना मेरा इंतजार कर रही होगी । मैं उठी और अपनी पैंटी उठाकर अपनी चूत को साफ करने लगी जिसमें से अभी भी मेरा और राज का वीर्य निकल रहा था । मैंने वो पेंटी उठाकर अपने पर्स में रख ली ।
राज ने अपने कपड़े पहन लिए थे और मैं उसके सामने अभी तक नंगी थी । मैंने नई पैंटी पहन कर साड़ी पहनी और फिर जल्दी से खुद को तैयार किया और सीढ़ियों की तरफ जाने लगी । जाते वक्त राज ने मुझे एक अच्छे और स्टाइलिश ब्रा पैंटी गिफ्ट किया और बोला की आप पर ये बहुत अच्छे लगगे । नीचे दुकान में मीना मेरा बहुत देर से इंतजार कर रही थी ।
फिर हम लोग वहाँ से कार में बैठकर घर की तरफ आने लगे । रास्ते में मीना मुझसे बोली- तुझे शॉपिंग करने में इतनी देर क्यों लग गई थी ? मैंने कहा- तेरे दोस्त की नज़र मुझसे हटती, तभी तो कुछ शॉपिंग हो पाती । मीना बोली- मुझे सब पता है अंदर क्या हुआ था। जब तुम लोग अपनी चुदाई में व्यस्त थे, तब मैं ऊपर देखने आई थी पर फिर तुम्हारी चुदाई देखकर चली गई थी । मीना के मुँह से यह सब सुनकर मैं घबरा गई पर मुझे पता था कि वो ये बात किसी को नहीं बोलेगी ।
तभी मीना बोली- दी कोई बात नहीं, आपकी लाइफ है आप चाहे जैसे भी एन्जॉय करो! और वैसे भी राज मेरा अच्छा दोस्त है वो भी ये बात किसी को नहीं बताएगा । मीना की बात सुनकर मैं थोड़ा सामान्य हुई और उससे बोली- थैंक यू मीना ! और उसके गाल पर एक चुम्मी दी तो वो बोली- बस बस, अब क्या मेरे साथ भी एन्जॉय करना है ? तो मैंने हंसते हुए कहा- इसमें बुराई क्या है ? और फिर हम दोनों हंसने लगे । थोड़ी देर बाद हम दोनों घर आ गए ।
मैंने मीना को रूम में बिठाया और फिर उसे अपनी नई ब्रा और पैंटी दिखाने लगी । मीना को उनमें से एक जोड़ी बहुत ही अच्छी लगी तो मैंने उससे ट्राय करने का बोला । पर उसे घर जाना था तो वो बोली दी मैं कल आऊँगी तब ट्राय कर लूँगी ।
मैंने कहा- ठीक है ।
और फिर वो चली गई ।
शाम के पांच बज चुके थे, बच्चों के आने का टाइम भी हो गया था और अन्नू आ भी चुकी थी । थोड़ी देर बाद अमित आया और दरवाजे पर पहुँचते ही उसने मुझे गले लगा लिया और बोला- मम्मी, आज मैं बहुत थक गया हूँ ! तो मैंने उसके होठों पर एक चुम्मी दी और बोली- थोड़ी देर आराम कर ले ! फिर वो अपने रूम में चला गया । शाम को अभिषेक भी आ गए, फिर हम सब लोगों ने खाना खाया और सब अपने रूम में चले गए । रूम में पहुँचकर मैंने अपने कपड़े उतार कर गाउन पहन लिया ।
मैं गाउन के अंदर केवल पैंटी ही पहने हुई थी और फिर जाकर अभिषेक को अपनी बाहों में भर लिया और उन्हें चूमने लगी । अभिषेक ने मुझे अपने नीचे लेटाया और मेरे गाउन को उतार दिया और फिर मेरे गोल मम्मों को दबाने और चूमने लगे । मैंने उनके लंड को अपने हाथों में लिया जो बिल्कुल खड़ा हो चुका था, मैं उनके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी । थोड़ी देर बाद उन्होंने लंड को मुख से निकाला और फिर मुझे घोड़ी बनाकर लंड को मेरी चूत पर लगाकर एक जोरदार धक्के के साथ पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया ।
मेरी हल्की हल्की सिसकारियाँ पूरे रूम में गूंजने लगी- ऊफ्फ्फ आआहह.. ओओहह.. अभिषेक ओऊहहह.. चोददो ममुझझे.. आहहह ओहहह माआ.. और जोरर से चोदद दो फक्क मीईई रवि.. मेरी आवाज़ें अभिषेक को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी, अभिषेक भी जोरदार झटकों के साथ मुझे चोदे जा रहे थे ।
मैं अब झड़ने वाली थी तो मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं अभिषेक के लंड पर दबाव बनाते हुए झड़ने लगी । झड़ते वक्त अभिषेक ने अपना लंड बिलकुल अंदर तक डाल कर झटके देना चालू रखा। मेरे पानी से अभिषेक का लंड गीला हो चुका था और बेड पर गिर रहा था । गीलेपन की वजह से अब लंड आसानी से चूत के अंदर बाहर हो रहा था और फच फच की आवाज़ों के साथ अभिषेक मेरी चुदाई कर रहे थे। अब अभिषेक भी झड़ने वाले थे तो उन्होंने मेरी कमर को पकड़कर अपनी ओर खींचा और जोरो के अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे ।
कुछ ही धक्कों के बाद वो मेरी चूत में झड़ने लगे और फिर अपना लंड बाहर निकालकर बाथरूम को जाने लगे । मैं भी उठी और अपने पर्स से सुबह वाली पैंटी निकाली जो अभी तक गीली थी । मैंने उससे फिर से अपनी चूत को साफ किया और उसे वहीं ड्रेसिंग टेबल पर रख दिया । फिर हम दोनों सो गए ।
अगले दिन सुबह मैं उठी और क्योंकि रात को अभिषेक के साथ हुईं चुदाई के बाद मैं नंगी ही सो गई थी तो मैंने उठकर अपना गाउन पहन लिया पर मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था । रोज की तरह मैंने अभिषेक को उठाया और फिर अमित को उठाने के लिए उसके रूम में गई । मैंने उसके माथे पर एक चुम्बन किया । मेरे चुम्बन से उसकी आंख खुल गई और वो उठ गया ।
उठते ही उसने मुझे अपने गले से लगा लिया और मेरे मम्मों को अपने सीने से दबाने लगा और फिर मेरे होंठों को चूमने लगा । पर मैंने उसको रोक दिया और बोली- अभी नहीं, तेरे पापा हैं घर पर… शाम को आकर कर लेना । तो अमित बोला- मम्मी, आज मैं कॉलेज से जल्दी आ जाऊँगा ।
तो मैंने कहा- ठीक है, आ जाना! और वो उठकर तैयार होने लगा ।
मैंने अभिषेक और अमित दोनों के लिए लंच बनाकर रख दिया और दोनों चले गए । मैं अब अन्नू के रूम में उसको उठाने गई पर वो पहले से ही जाग चुकी थी । ग्यारह बजे अन्नू भी अपने स्कूल के लिए चली गई, फिर मैं घर के काम-काज में लग गई । काम ख़त्म करने के बाद मैं नहाने चली गई । मैंने अपने कपड़े उतारे ही थे कि डोरबेल बजी ।
मैं जानती थी कि यह मीना ही होगी तो मैंने अपने नंगे बदन को तौलिये से लपेट लिया जिससे मेरा तन ढक गया और मैं गेट खोलने के लिए जाने लगी । मैंने पीप होल से देखा तो बाहर मीना ही खड़ी थी ।
मैंने दरवाज़ा खोलकर उसे अंदर बुला लिया । मुझे इस हाल में देखकर मीना बोली- क्या हुआ दी? आज का भी कुछ प्रोग्राम है क्या जो केवल तौलिया लपेटकर खड़ी हो ? मैं मुस्कुरा कर बोली- नहीं यार, मैं नहाने ही गई थी कि तू आ गई । मैंने उसे बैडरूम में बिठाया और उससे बोली- मैं बस पांच मिनट में नहाकर आती हूं! फिर नहाने चली गई ।
थोड़ी देर बाद मैं बाथरूम से नहा कर निकली, मैंने टॉवल को वैसे ही लपेटा हुआ था, मैं बैडरूम में आ गई । मीना वहीं पर बैठी हुई थी। मैं टॉवल में ही उसके पास जाकर बैठ गई और हम आपस में बात करने लगी । मीना बोली- दी, आप वो नई ब्रा और पैंटी लेकर आओ ना ? तो मैंने अलमारी से दोनों जोड़ी निकाल कर उसे दे दी । उसने उनमें से मैरून कलर वाली जोड़ी को पसंद किया था और मैंने अपने लिये काली जोड़ी को रख लिया ।
मीना बोली- दी, मैं इन्हें पहन कर चेक कर लूँ ? मैंने हां बोल दिया तो मीना बाथरूम की तरफ जाने लगी ।
मैं बोली- यहीं पहन लो… मुझसे भी क्या शर्माना । तो मीना बोली- फिर तो आपको भी मेरे साथ में ब्रा पैंटी पहन कर दिखानी पड़ेंगी ।
मैं बोली- हाँ ठीक है । मीना ने सूट पहना हुआ था, तो वो कमीज उतारते हुए बोली- आप भी अपना टॉवल खोल लो । अब वो केवल अपनी सफ़ेद ब्रा और सलवार में थी, उसके मम्मे भी बड़े और सख्त थे । मैं मीना के सवाल का जवाब देते हुए बोली- मैंने अंदर कुछ नहीं पहना है । मीना अब तक अपनी सलवार भी उतार चुकी थी और अब वो मेरे सामने बस ब्रा और पैंटी में ही थी । मेरी बात सुनकर मीना बोली- कल राज के सामने तो ख़ुशी ख़ुशी उतार दी और मेरे सामने नहीं उतार सकती ? मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और मैंने अपना टॉवल खींच दिया, मैं मीना के सामने बिल्कुल नंगी हो गई ।
मीना की नज़र मेरे नंगे बदन को निहारने लगी । वो मेरे मोटे चिकने चूतड़, गदराई हुई गांड, मेरे भरे हुए गोल दूधिया मम्मों को एकटक देखे ही जा रही थी । मैं उसको आवाज़ लगाती हुई बोली- मनीषा? क्या हुआ? कहाँ खो गई और ऐसे क्या देख रही है मुझे ? मीना बोली- दी, आपका फिगर तो बहुत ही सेक्सी है शायद इसलिए आप पर हर कोई लाइन मारता है ।
मैंने कहा- धत्त पागल… कुछ भी बोल रही है। अगर मैं इतनी सेक्सी हूँ तो तू कौन सी कम है । और मैंने मीना को उसकी ब्रा पैंटी उतारने को कहा । उसने बिना किसी झिझक के अपनी ब्रा और पेंटी उतार दी । अब हम दोनों एक दूसरी के सामने बिल्कुल नंगी थे । मीना भी कुछ कम नहीं थी उसके मम्मे भी भरे हुए थे और एक शानदार फिगर की मल्लिका है । फिर हमने अपनी अपनी नई ब्रा पैंटी उठाई और पहनने लगी ।
मैंने सबसे पहले पैंटी पहनी और फिर ब्रा पहनने लगी पर कल की तरह आज भी मुझसे उसका हुक नहीं लगा तो मैंने मीना को हुक लगाने का बोला । मीना अभी अपनी पैंटी ही पहन रही थी। वो ब्रा पहने बिना ही मेरे पास आई और ब्रा का हुक लगाने लगी । वो मुझसे चिपक कर अपने बूब्स को मेरी पीठ पर रगड़ रही थी और अपनी कमर और चूत को मेरी गांड से रगड़ने लगी । हुक लगाकर वो हट गई और फिर वो अपनी ब्रा पहनने लगी ।
मीना की इस हरकत से मैं गर्म हो चुकी थी । मैरून ब्रा पैंटी में वो किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थी। मीना को वो जोड़ी एकदम फिट आई और अब हम ये नई ब्रा पैंटी उतारने लगी । मैं फिर से बिल्कुल नंगी हो गई थी और मीना ने अपनी पैंटी उतार दी थी । मैंने जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और अपने बूब्स और चूत को उसकी पीठ और गांड पर रगड़ने लगी ।
मीना बोली- वाह दी, आप तो बदला लेने आ गई मुझसे ?
मैंने कहा- तूने हरकत ही ऐसी की थी कि बिना बदला लिए रहा नहीं गया ।
अब मीना पीछे मुड़ी और मेरे गालों पर चुम्मियाँ देने लगी । मैंने उसे अपनी ओर खींच लिया जिससे हमारे जिस्म आपस में मिल गए । हमारे चूचे आपस में रगड़ खा रहे थे तो मैंने उन्हें मीना के वक्ष में दबा दिया । मीना की चुम्मियों के बदले में मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया और वो भी मेरे होंठों को चूम रही थी ।
अब मीना के हाथ मेरे मम्मों पर पहुँच गये और उन्हें दबाने लगी, कभी वह उन्हें मसलती तो कभी निप्पल खींच देती और उन्हें चूसने लगती । बदले में मैं भी अपने हाथ उसके चूतड़ों पर रखकर उसकी गांड को दबाने लगी । फिर मैंने एक हाथ को आगे की तरफ किया और मीना की चूत पर रखकर उसे सहलाने लगी । मेरा एक हाथ मीना की चूत पर था और दूसरे से मैं मीना की गांड को सहला और दबा रही थी ।
मीना भी अब मेरे बूब्स को छोड़कर मेरी गांड पर पहुच गईं और थोड़ी देर दबाने के बाद वो मेरी गांड पर चिमटी और चमाट मारने लगी । मैं उसकी हर चिमटी पर ‘आआ आहहह हहह… ऊऊहह…’ करने लगी । थोड़ी देर मीना की चूत सहलाने के बाद मैंने उसकी चूत को दो उंगलियां डाल कर चोदना शुरू कर दिया ।
मेरी इस हरकत से मीना सिहर उठी और चिल्लाने लगी- आआहह हहह… ओहह… दीदी… उहाहम.. हहुहोहम्म.. महुह.. उउईई माँ… आहहह दी.. अब मैंने मीना को बेड पर लेटा दिया और हम 69 की पोजीशन में आ गए । मैं मीना की चूत को अपनी जीभ से चाटने लगी, मीना भी मेरी चूत को चाट रही थी । मीना ने अपनी एक उंगली को थूक से गीला किया और मेरी गांड में डाल दिया । एक उंगली जाने से मुझे कुछ ज्यादा असर नहीं हुआ तभी मीना ने अपनी दूसरी उंगली भी मेरी गांड के छेद में डाल दी ।
मेरे मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी । अब वो लगातार अपनी उंगलियों से मेरी गांड और जीभ से मेरी चूत को चोद रही थी। मैं भी अब मजे से अपनी गांड और चूत को मीना के मुँह पर दबा रही थी । मैं भी मस्ती में ‘ओह.. हाआ.. और चाटो.. बहुत मज़ा आ रहा है.. ऊहह.. और ज़ोर से चाटो.. अपनी जीभ मेरी चूत में घुसेड़ दो.. बहुत मज़ा आ रहा है..ऑहह…. आ.. एयेए.. आहुउ..’ की सीत्कारें करने लगी । मैं भी लगातार मीना की चूत को कभी उंगलियों तो कभी जीभ से चोद रही थी ।
थोड़ी देर बाद वो अकड़ने लगी और उसकी चूत से उसका रस बाहर आने लगा जिसे पर मैंने अपना मुँह रख दिया । मीना मेरे मुंह पर ही झटके देने लगी और झड़ने लगी । मैंने उसका सारा पानी पी लिया । झड़ने के बाद मीना ने अपनी उंगलियों को मेरी गांड से निकाल कर मेरी चूत में डाल दिया । अब वो अपनी दो उंगलियों से तेजी के साथ मेरी चूत को चोदने लगी । मैं भी अपने चरम पर आ चुकी थी तो मेरी सिसकारियाँ और बढ़ गई, एकाएक मेरा बदन अकड़ने लगा । मैं अपने हाथों को मीना की कमर पर रखकर अपने ऊपरी शरीर को उठाते हुए झड़ने लगी ।
मेरा योनि रस मेरी चूत से निकलता हुआ सीधे मीना के चेहरे पर गिरने लगा । पूरी तरह से झड़ने के बाद जब मैंने मुड़कर मीना को देखा तो उसका चेहरा पूरा गीला था । मैंने उसके होंठों पर चुम्बन किया, फिर मीना उठकर बाथरूम चली गई और खुद को साफ करके वापिस आई और फिर हम दोनों नंगी ही बेड पर लेट गई । थोड़ी देर बाद डोरबेल बजी तो हम दोनों जल्दी बेड से उठे और अपने कपड़े पहन लिए ।
मैंने अंदर नई वाली ब्रा पैंटी पहन ली और ऊपर से सूट पहन लिया । मैंने दरवाजे पर जाकर देखा तो अमित खड़ा था । तभी मुझे याद आया कि आज वो जल्दी आने का बोलकर गया था पर मुझे याद नहीं रहा था । दरवाज़ा खोलते ही वो मुझसे लिपट गया। मैंने देरी न करते हुए उसे बताया कि मीना आंटी आई हुईं हैं । अमित मेरा इशारा समझ गया और मुझे छोड़ दिया । थोड़ी देर बाद मीना अपने घर जाने लगी, मैं उसे दरवाज़े तक छोड़ने गई, मैंने उससे कहा- अब तो आती रहना । मीना मुस्कुरा कर बोली- हाँ बिल्कुल ! और वो चली गई ।
जब मैं अंदर आई तो मैंने देखा कि अमित ड्रेसिंग टेबल पर रखी मेरी पैंटी जिससे मैंने कल अपनी चूत साफ की थी, उसको सूंघ रहा था । इससे आगे की कहानी अगले भाग में ।