Maa aur Beta - 10

Views: 88 Category: Family Sex By RaatKiBaat Published: May 07, 2025

Previous Part : Maa aur Beta - 9

दोस्तो, मैं नीलम एक बार फिर से आप सबके लिए बीवी की चुदाई एक नई कहानी लेकर उपस्थित हूँ, उम्मीद है आपको यह कहानी मेरी पिछली कहानियों की तरह काफी पसंद आएगी ।
आप सब लोगों ने मेरी पिछली कहानियों को तो पढ़ा ही होगा कि किस तरह मैंने एक घरेलू औरत से एक इंसेस्ट क्वीन बनने का सफर तय किया. मेरा आप लोगों से निवेदन है कि इस कहानी को पढ़ने से पूर्व आप पिछली कहानियाँ अवश्य पढ़ें ।
कहानी शुरू करने से पहले मैं आपका परिचय से करा देती हूँ… मेरा नाम नीलम है, उम्र चालीस साल है. मेरे पति का नाम अभिषेक है, अभिषेक एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं और हर महीने टूर के लिए कुछ दिन घर से बाहर रहते हैं ।
मेरे दो बच्चे हैं, एक बड़ा लड़का अमित अठारह साल का है और मेरी एक बेटी अन्नू उससे दो साल छोटी है ।
मैं आपको अपने बारे में बता दूँ कि मेरा रंग एकदम गोरा है और मेरा 36-28-36 का फिगर बहुत ही कातिलाना है… मेरे स्तन अभी तक कसे हुए हैं और उन पर मेरे लाल निप्पल ऐसे लगते हैं जैसे कि रसगुल्ले पर गुलाब की पत्ती चिपकी हो… मेरे नितम्ब भी बहुत कसे हुए और गोल हैं, जो भी उन्हें देखता है, उनके लंड उनकी पैंट में ही कस जाते हैं ।
मैं आपको बता दूं कि मेरी बढ़ती उम्र के साथ मेरा बदन और भी ज्यादा कामुक और हसीन लगने लगा है क्योंकि मैं अपने शरीर पर अच्छा खासा ध्यान देती हूँ, निरंतर योग और व्यायाम से मैंने अपने शरीर को ऐसा बनाया है. समय-समय पर निखार के लिए मसाज पार्लर भी जाती हूँ ।
आपको कहानी के पात्रों का परिचय करा देती हूँ… कपिल मेरे जेठ जी का लड़का है और उसकी बड़ी बहन स्वाति की अभी हाल ही में शादी हुई है ।
स्वाति की शादी के बाद स्वाति और उसके पति अनिल ने हनीमून ट्रिप प्लान किया था, उनके साथ आलोक, रोहन, अन्नू और मेरी बड़ी बहन का लड़का रोहित भी जा रहे थे। क्योंकि इस फैमिली ट्रिप में केवल बच्चे ही थे तो परिवार वालों ने उनके साथ किसी बड़े सदस्य को भी भेजना जरूरी समझा तो उन्होंने बच्चों के साथ मेरे और अभिषेक के जाने की बात कही… पर अभिषेक अपने ऑफिस के काम के चलते हुए बिजी थे तो उन्होंने जाने से मना कर दिया ।
अब मुझे ही उन लोगों के साथ जाना था क्योंकि बच्चों ने ही मुझे ले जाने के लिए परिवार वालों से जिद की थी .
मैं आप सबको बता चुकी हूँ कि मैं अपने घर वालों की हमेशा से ही लाडली रही हूँ… खासकर के बच्चों की… क्योंकि मैं उन पर किसी भी तरह की रोक टोक नहीं लगाती हूँ !
अगले दिन सुबह हम लोगों की ट्रेन थी… तो रात को सब लोग मेरे घर पर आ गए, हम लोगों ने खाना खाया और फिर सब लोग सोने चले गए ।
रोहित और आलोक, अमित के साथ उसके कमरे में सो गए और स्वाति अनिल के साथ हॉल में सो गई .
मेरा रूम उनके बाजू में ही था… रात को जब सामान पैक करने के बाद मैं बिस्तर पर लेटी, तभी कपिल आ गया ।
उस वक्त मैं नाइटी में थी… और जैसा आप लोगों को पता ही है कि मैं नाइटी के अंदर कुछ नहीं पहनती हूँ, जिस वजह से मेरा एक एक अंग गाउन में उभर रहा था ।
मैं और कपिल एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे… वह भी केवल हाफ पैंट में ही था .
अभिषेक भी हमारे बगल से ही बैठे हुए थे
तभी कपिल बोला- चाची, मुझे थोड़ा दूध चाहिए !
तो मैं उठ कर किचन की तरफ जाने लगी ।
कपिल भी मेरे पीछे-पीछे किचन में आ गया. मैं कपिल के लिए दूध गर्म कर रही थी, तभी कपिल ने पीछे से आकर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरे गाउन के अंदर हाथ डालकर मेरे मम्मों को मसलने लगा ।
कपिल का लंड बिल्कुल तन चुका था और मेरी गांड की दरार से टकरा रहा था. तभी मैं पीछे पलटी और कपिल से कहा- अभी नहीं आलोक, कोई देख लेगा !
तो कपिल बोला- ठीक है चाची जी… पर एक गुड नाईट किस तो मिल ही सकती है ना ?
और इतना बोलकर कपिल ने अपने होंठ मेरे होंठों के ऊपर रख दिए और मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया । हम दोनों एक दूसरे होठों का रसपान कर रहे थे… एक दूसरे को चुंबन करने में हम इतने मशगूल हो गए कि गैस पर रखा हुआ दूध भूल गए, तभी दूध गर्म होकर बाहर गिरने लगा और फिर हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए. जाते-जाते कपिल ने मेरी चूत को सहला दिया जिससे मेरे अंदर चुदाई का कीड़ा गुनगुनाने लगा ।
कपिल को दूध दे कर मैं वापस कमरे में आ गई और गेट बंद कर लिया. इससे पहले कि मैं बिस्तर पर जाती, अभिषेक मेरे पास आए और मुझे गेट के सहारे टिका कर मेरे होठों को चूमने लगे ।
मैंने कहा- आराम से करो, बच्चे भी पास में ही हैं, कुछ सुन लिया तो जाने क्या सोचेंगे !
अभिषेक ने कहा- बच्चे क्या सोचेंगे… वे भी अब समझदार हो गए हैं, उन्हें पता है कि एक पति और पत्नी बंद कमरे में क्या करते हैं !
मैंने अभिषेक को पीछे धक्का देते हुए खुद से अलग कर दिया और बिस्तर पर जाकर लेट गई। मैंने अभिषेक से कहा- तुम्हें शर्म नहीं आती… खुद इतने बड़े हो गए हो और बच्चों जैसी बातें करते हो… स्वाति और अनिल अभी हॉल में सो रहे हैं, वे सुन लेंगे तो क्या सोचेंगे ?
अभिषेक ने कहा- कुछ नहीं सोचेंगे… बल्कि हमारी चुदाई की आवाज सुनकर उनकी चुदाई शुरू हो जाएगी ।
मैंने अभिषेक को हल के स्वर में डांटते हुए कहा- चुप रहो तुम…
अभिषेक भी बिस्तर पर आकर मेरे पास लेट गए और कहने लगे- अब ज्यादा नखरे मत दिखाओ… वैसे भी अब अगले 10 दिन तक में बिना तुम्हारी चुदाई के ही रहने वाला हूँ…
मेरा भी चुदने का मूड था तो मैंने कहा- ठीक है बाबा… नाराज मत हो… कर लो अपनी मन की इच्छा पूरी… पर आराम से करना ।
मेरे इतना बोलते ही अभिषेक मेरे गाउन को उतारने लगे और अगले ही पल में उन्होंने मुझे ऊपर से लेकर नीचे तक पूरी नंगी कर दिया… और खुद भी बिल्कुल नंगे होकर मेरे ऊपर लेट गए ।
अभिषेक इतने उत्तेजित थे कि कुछ सुनना ही नहीं चाहते थे, मेरे ऊपर लेटते ही उन्होंने मेरे शरीर को चूमना शुरू कर दिया. पहले तो अभिषेक ने मेरे गालों पर किस करना शुरू किया और फिर जैसे ही उन्होंने मेरे होंठों को चूमा तो मैं भी उत्तेजित होने लगी ।
काफी देर तक अभिषेक ने मेरे होंठो को चूमा, इस बीच अभिषेक के हाथ लगातार मेरे मम्मों का मर्दन किए जा रहे थे. इस लगातार मर्दन से मेरे मम्मे एकदम सख्त और लाल पड़ गए थे, मैं कराह रही थी ।
अभिषेक का लंड खड़ा हो चुका था और मेरी चूत पर रगड़ खा रहा था जिससे मेरी चूत गीली होने लगी.
जैसा कि आप सब लोगों को पता ही है कि मेरे मम्में मेरे शरीर का मुख्य आकर्षण केंद्र हैं तो इसलिए चुदाई के दौरान सबसे पहले मेरे मम्मों पर ही जोर आजमाइश की जाती है और मुझे भी यह पसंद है ।
अभिषेक ने मेरे मम्मों को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगे, जब अभिषेक ने मेरे निप्पल काटे तो मैं सनसना गई… मैं सिसकार कर बोली- और जोर से काटो !
फिर अभिषेक के हाथ धीरे धीरे मेरी टांगों की तरफ बढ़ने लगे और जब अभिषेक ने मेरी गोल मोते चूतड़ पकड़ कर दबाए तो मैं बोली- मेरी चूचियों को और जोर से चूसो ।
मुझे बहुत मजा आ रहा था क्योंकि अभिषेक मुझे बहुत ही प्यार से चोदते हैं, वे मुझे चोदते समय बिल्कुल भी दर्द का अनुभव नहीं होने देते.
कुछ देर तक अभिषेक ने मेरे मम्मों को भरपूर तरीके से चूसा और दबाया. मेरे पति को चूत चाटना पसंद नहीं है और ना ही वह मुझसे अपना लंड चूसवाते हैं ।
फिर अभिषेक मेरे ऊपर से उठ गए और गद्दे के नीचे से कंडोम निकालकर अपने लंड पर चढ़ाने लगे पर मैंने उन्हें कंडोम चढ़ाने से रोक दिया… आज मेरा मूड कुछ अलग ही था आज मैं अभिषेक के लंड को चूसकर उनको बहुत मजा देना चाहती थी ।
अभिषेक कंडोम का पैकेट लेकर मेरे पास आए और मुझसे कहने लगे- क्या हुआ सोना… मुझे रोक क्यों दिया ?
मैंने हंसते हुए उनकी बात को अनसुना कर दिया और फिर उनका हाथ पकड़ कर अभिषेक को बिस्तर पर लेटा दिया ।
अभिषेक पीठ के बल बिस्तर पर लेटे हुए थे, मैंने उनके होठों पर एक किस की और फिर उनकी टांगों के बीच में आकर घोड़ी बनकर बैठ गई. मेरे भरे हुए नग्न शरीर के कारण अभिषेक का लंड सातवें आसमान की ऊंचाइयों को छू रहा था. मैंने अभिषेक के लंड को अपने हाथ में लिया और उसे अपने हाथों से सहलाते हुए अपने मुंह में ले लिया ।
अभिषेक को मेरा ऐसा करना बड़ा ही अजीब लगा क्योंकि मैं बहुत कम ही उनका लंड चूसती थी. पर अभिषेक समझ गए थे कि मैं यह सब इसलिए कर रही हूँ ताकि अगले कुछ दिनों तक अभिषेक को मेरी कमी ना खले ।
मैं अभिषेक के लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी, मेरे थूक की वजह से अभिषेक का लंड पूरा गीला हो चुका था जिस कारण गूँ-गूँ और फिचर-फिचर की आवाज़ आ रही थी.
जवाब मैं अभिषेक ने भी अपने लंड से मेरे मुंह को चोदना शुरू कर दिया ।
फिर अभिषेक ने कहा- मैं और इंतज़ार नहीं कर सकता सोना… मैं बहुत उत्तेजित हूँ… अब मुझे चोदने दो !
मैंने भी देर ना करते हुए अभिषेक के लंड को अपने मुंह से बाहर निकाला और उनके बगल में जाकर सीधी लेट गई. हालांकि मेरे चूसने की वजह से अभिषेक का लंड बिल्कुल गीला था…पर फिर भी उन्होंने अपने लंड पर कंडोम चढ़ा लिया… चुदाई के दौरान अभिषेक सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं ।
फिर अभिषेक ने अपने दोनों हाथों से मेरी टांगों को फैलाया और अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर रखकर अंदर की तरफ धक्का देने लगे. अभिषेक का लंड अमित और कपिल की अपेक्षा थोड़ा बड़ा और मोटा है इसीलिए मुझे अभिषेक के साथ चुदाई के दौरान थोड़ा सा मीठा दर्द महसूस होता है। अभिषेक का लंड मेरी चूत में घुसते ही मैं कराह उठी और बोली- उईईई… माँ… उम्म्ह… अहह… हय… याह… जरा धीरे… रवि… आवाजें बाहर जा रही होंगी.
अभिषेक को इन सब से कुछ लेना-देना नहीं था, वे बेफिक्र होकर मेरी चुदाई कर रहे थे ।
उत्तेजना के कारण मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं झड़ने लगी… मेरी चूत से रस की धार बाहर बहने लगी पर अभिषेक का लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था.
चुदाई के कारण हो रही ‘फच-फच’ की आवाजों से पूरे रूम का वातावरण गर्म होने लगा. तभी अभिषेक ने मुझे उठाया और उठाकर घोड़ी बना दिया ।
हमारे बेड के सामने ही ड्रेसिंग टेबल रखी हुई थी, जब मैं घोड़ी बनी तब मेरा मुंह ड्रेसिंग टेबल के ही सामने था और मैं शीशे में ऐसे ही अपने नंगे बदन को निहारने लगी. मेरे बाल खुले हुए थे और मेरे बाए कंधे की तरफ थे… मेरे दोनों मम्मे मेरे वक्ष से नीचे की तरफ लटक रहे थे ।
तभी अभिषेक पीछे से मेरी गांड की तरफ गए, अपने लंड को मेरी चूत पर रख दिया और अपना पूरा लंड एक ही बार में मेरी गुलाबी चूत में पेल दिया.
‘हाय…! रवि…’ मेरे मुँह से आनन्द भरी सीत्कार निकल गई और मैं उस धक्के से आगे की तरफ हो गई ।
अभिषेक मुझे चोदते हुए बोले- सोना… तुम्हारी चूत तो बहुत गर्म हो रही है. और फिर अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर घुसेड़ने लगे और मैं अपने नंगे मम्मे और कमर को हिलते हुए शीशे में देख रही थी… मैं आह भरते हुए कराहने लगी- हाँ… और अंदर… अभिषेक !
अभिषेक भी अपने लंड को हर धक्के के साथ मेरी चूत की गहराइयों में उतार रहे थे. लगातार चुदाई के कारण मैं दोबारा झड़ने लगी और चिल्लाते हुए बोली- चोदो… मुझे… आहहहह… मेरी चूत…
हम चुदाई में इतने लीन हो गए थे कि यह भी भूल गए थे कि हमारे घर पर मेहमान आए हुए हैं ।
अभिषेक ने पीछे से अपने हाथों से मेरे मम्मों को मसलना शुरू कर दिया… मुझे अभिषेक के हाथ अपनी छाती पर आग की तरह महसूस हो रहे थे जिस वजह से मैं और गर्म होने लगी। मेरी चूत के अंदर अभिषेक के लंड के झटके और तेज़ हो गए और मैं फिर से चीखने लगी- और… जोर से चोदो मुझे रवि… आहहहह… मैं फिर से झड़ रही हूँ… जानू… अपना यह पूरा लंड मेरी चूत में पेल दो !
मेरी बेहद गर्म और टाइट चूत उनके लन्ड को कसकर जकड़े हुए थी… पर वे अभी तक झड़े नहीं थे और उनका लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर ही था ।
थोड़ी देर तक धक्के मारने के बाद अभिषेक बोले- मैं झड़ रहा हूँ… और फिर अभिषेक अपने गर्मागर्म रस की पिचकारी चूत के अंदर कंडोम में ही छोड़ने लगे. जब अभिषेक पूरी तरह से स्खलित हो गए तो उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल दिया और फिर उठकर बाथरूम चले गए ।
मैं वैसे ही नंगी बिस्तर पर उल्टी लेटी रही. मैं बहुत थक चुकी थी.
जब अभिषेक बाथरुम से बाहर आए तो उन्होंने मुझे उठाया और फिर मैं भी उठकर बाथरूम जाकर अपनी चूत को साफ करने लगी ।
वापस आकर मैंने केवल अपना गाउन पहना और फिर यह देखने के लिए कि सब लोग सो गए या नहीं… मैं दरवाजा खोल कर बाहर गई. और सब तो सो गए थे… पर स्वाति और अनिल अभी तक नहीं सोए थे… वे कुछ बातें कर रहे थे ।
मैंने उन दोनों से कहा- साढ़े बारह बजने को हैं… और तुम लोग अभी तक नहीं सोए? हमें कल जल्दी जाना है… तो वे दोनों मुस्कुराने लगे और स्वाति मुझसे हंसते हुए बोली- चाची… आप क्यों नहीं सोई अभी तक ?
उनकी मुस्कुराहट देखकर मैं सब समझ गई, मैंने स्वाति से कहा- बस थोड़ा सामान पैक कर रही थी… अब सोने ही जा रही हूँ ! और फिर मैं उन लोगों को गुड नाइट बोलकर रूम में आ गई और सो गई ।
आगे की कहानी अगले भाग में ।

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