Maa aur Beta - 1

Views: 114 Category: Family Sex By RaatKiBaat Published: May 07, 2025

Previous Part : Mai aur Mera Bhatija - 3

अमित की इस हरकत से मैं सकते में आ गई। मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी कि अब मैं क्या करूँ। मेरा बेटा मेरी ही आँखों के सामने मेरी पैंटी को लेकर उसे सूंघ रहा था.. शायद उसे उसमें से मेरी चूत से निकले हुए पानी की खुशबू आ रही थी.. जो कि थोड़ी ही देर पहले कपिल के द्वारा मेरी चुदाई के दौरान गीली हो गई थी ।
फिर उसने अपनी पैंट खोली और वो उसमें से अपना लण्ड निकाल कर मेरी पैंटी पर रगड़ने लगा । उसकी इस हरकत से मैं तिलमिला उठी और बिस्तर से उठकर खड़ी हो गई। मैं उठकर उसके पास गई पर वो अपनी आँखें बंद किए हुए पूरी मस्ती में अपने लण्ड को मेरी पैंटी से रगड़ रहा था, उसे मेरे आने का जरा भी आभास नहीं था ।
मैं उस पर चिल्ला भी नहीं सकती थी.. क्योंकि कपिल भी घर पर था। अगर कपिल को यह बात पता चल जाती.. तो वो ना जाने मेरे और अमित के बारे में क्या सोचने लगता । तभी मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके हाथों से अपनी पैंटी खींच ली और उसके गाल पर एक तमाचा कस दिया.. जिससे उसकी आँखें खुलीं और सामने मुझे खड़ा देखकर डर गया ।
पैंटी खींचते ही उसका लण्ड साफ दिखने लगा.. जो कि बहुत मोटा और लम्बा था शायद कपिल के लण्ड से भी बड़ा । खुद को इस तरह पकड़े जाने से वो काँपने लगा और रोने लगा ।
मैं गुस्से में थी- यह क्या कर रहा था तू.. मैं तुझे यही सब सीखने के लिए स्कूल में पढ़ा रही हूँ ?
रोहन- सॉरी मम्मी.. गलती हो गई मुझसे.. प्लीज माफ़ कर दो मुझे.. सॉरी.. अब आगे से ऐसा कभी नहीं करूँगा ।
उसका लण्ड अभी तक खड़ा था और अभी तक पैंट से बाहर निकला हुआ था, मैंने उससे उसके कपड़ों को ठीक करने का बोला । एकाएक उसकी नज़र उसके लण्ड पर गई.. जो बाहर निकला हुआ था। वो अपने लण्ड को छुपाने की कोशिश करने लगा और उसे अपनी पैंट में वापस डालने लगा.. पर लण्ड खड़ा होने के कारण वो अन्दर नहीं जा पा रहा था ।
तभी उसके लण्ड से वीर्य की धार निकलने लगी.. जो कि सीधे मेरी कमर और साड़ी के नीचे के हिस्से को भिगाने लगी। यह तो अब हद ही हो चुकी थी.. मेरा पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया और मैं उसमें एक और तमाचा देने को हुई.. पर तभी वो बोला- ये मैंने जानबूझ कर नहीं किया मम्मी.. और वो फिर से रोने लगा ।
मुझे उसे रोता देखकर तरस आने लगा । आखिर था तो वो मेरा बेटा ही.. जिसे मैं बहुत प्यार करती थी और वो भी मुझे बहुत प्यार करता था.. पर शायद गलत संगतों में पड़कर उसने यह कदम उठाया था । उसे रोता देखकर मेरा दिल पिंघल गया और मुझे भी रोना आने लगा, मैंने उसे वहाँ से जाने के लिए बोला.. तो वो चला गया ।
मैं भी वहाँ से सीधे बाथरूम में गई और अपनी कमर और साड़ी को साफ करने लगी जो कि अमित के वीर्य से गन्दे हो गए थे । मैं वहाँ से बेडरूम में आई और इस पूरे किस्से के बारे में सोचने लगी । अब सब साफ हो चुका था… मतलब मेरी पैंटी और उस रात मुझे अभिषेक से चुदते हुए देखने वाला कोई और नहीं.. अमित ही था । मुझे अब क्या करना था कुछ समझ नहीं आ रहा था। अगर यह बात मैंने अभिषेक को बता दी.. तो वो तो अमित की ऐसी हरकतों को देखकर उसे मार ही डालेंगे । तो मैंने फैसला किया कि यह बात मैं अभिषेक को नहीं बताऊँगी, अब जो भी करना था.. मुझे ही करना था ।
जब मैंने अमित का लण्ड देखा था.. तो मैंने गौर किया कि खड़े होने के बाद भी उसके लण्ड की खाल उसके टोपे पर चढ़ी हुई थी । अगर मेरा सोचना सही था तो ये उसके लिए बहुत बड़ी समस्या थी और मुझे ही अब उसके लिए कुछ करना पड़ेगा । ऐसे ही शाम बीत गई.. पर अमित मेरी आँखों के सामने नहीं आया। रात को खाना बनाने के बाद मैंने सबको खाने के लिए बुलाया.. तो भी अमित नहीं आया । मैंने भी नाराज़गी दिखाते हुए उससे कुछ नहीं बोला ।
सुबह कपिल घर जाने के लिए तैयार हो चुका था, वो मुझसे मिलने बेडरूम में आया था । मेरी आँखों में आंसू आने लगे.. तो कपिल बोला- चाची आप रोएँगी.. तो मैं अगली बार से यहाँ रहने नहीं आऊँगा । और ऐसा बोलते ही उसने मेरे होंठों पर एक चुम्मी दे दी ।
कपिल बोला- चाचीजी एक बार अपने मम्मों के दर्शन तो करवा दीजिए.. अब जाने कब इन्हें देखने और दबाने का मौका मिले । तो वो मेरे गाउन में से ही मेरे मम्मों को बाहर निकाल कर उन्हें चूसने और मसलने लगा । थोड़ी देर बाद वो उठा और मुझे एक चुम्मी देकर जाने लगा। मैंने अपने मम्मों को वापस गाउन में डाला और उसे दरवाजे तक छोड़ने गई और फिर वो चला गया ।
थोड़ी देर बाद अमित भी स्कूल जाने लगा तो मैंने उसे लंच बॉक्स लाकर दिया.. जिसे वो नहीं ले गया और स्कूल चला गया । फिर मैंने घर के कामों को निपटाया । शाम के चार बज चले थे अमित की कोचिंग भी ख़त्म हो गई थी.. तो वो अब जल्दी ही घर वापस आ जाता था । कुछ देर बाद अमित वापस आ गया और आते ही अपने कमरे में चला गया.. उसने मुझसे नज़र तक नहीं मिलाई ।
अमित ने कल रात से खाना नहीं खाया था.. तो मैं खाना लगाकर उसके कमरे में गई । मैंने प्लेट वहीं टेबल पर रख दी, वो बिस्तर पर लेटा हुआ था, मैंने उसे उठाकर खाना खाने के लिए बोला.. पर उसने खाने से मना कर दिया । वो कल रात से भूखा था और उसे ऐसा देखकर मैं वहीं खड़े हुए रोने लगी ।
मुझे रोता देखकर वो मुझे चुप कराने लगा.. उसने मुझे लाकर बिस्तर पर बिठा दिया और फिर खाना खाने लगा । खाना खाकर वो मेरे पास आकर बैठ गया और कल की बात के लिए मुझे फिर से ‘सॉरी’ बोला। वो जानता था कि यह बात मैं उसके पापा को नहीं बताऊँगी.. क्योंकि अभिषेक बहुत ही गुस्सैल थे और वो फिर अमित के साथ क्या करते… पर वो ये भी जानता था कि मैं उसे बहुत प्यार करती हूँ ।
मैंने उससे बोला- मैं तुझे तब ही माफ़ करूँगी.. जब तू मेरी बातों का सही जवाब देगा ?
रोहन- हाँ पूछिए मम्मी ?
मैं- क्या परसों तूने मेरे रूम में से मेरी पैंटी उठाई थी ?
तो इस बात पर उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं थी, मैंने दोबारा उससे पूछा तो उसने ‘हाँ’ बोला ।
फिर मैंने उससे एक रात पहले वाली घटना का जिक्र किया.. तो वो बोला- मम्मी मैं बाथरूम जा रहा था तो आपके कमरे में से आपकी आवाजें आ रही थीं.. और आपके कमरे की खिड़की भी आधी खुली हुई थी.. तो मैंने बस ऐसे ही जानने के लिए अन्दर देखा था ।
मैंने पूछा- क्या देखा था तूने ?
तो वो कुछ नहीं बोला । मैंने थोड़ा जोर देकर पूछा तो वो बोला ।
रोहन- मम्मी मैंने देखा की आप और पापा दोनों नंगे एक-दूसरे के बदन से चिपके हुए थे और आपके कराहने की आवाज़ भी आ रही थी । मैं ये सब सुनकर दंग रह गई और उससे इस बात को भूल जाने के लिए बोला। आखिर गलती भी तो मेरी ही थी कि मैंने खिड़की खुली छोड़ दी थी और अब अमित भी बड़ा हो चुका है ।
मैंने उससे पूछा- तू मेरी पैंटी में मुठ क्यों मार रहा था ?
तो वो बोला- मम्मी मुझे आपकी पैंटी से आती हुईं खुशबू बहुत अच्छी लगती है.. तो मैं खुद को काबू में नहीं रख पाया । अब मेरे मन में भी अमित के प्रति वासना के भाव आने लगे और उसे भी मेरे प्रति। आखिर हो भी क्यों ना.. वो भी जवानी की दहलीज पर आ चुका था । वो मेरी हर बात का जवाब अब खुल कर दे रहा था ।
फिर मैंने उससे पूछा- कल मैंने तेरा लण्ड देखा था। उस पर अभी भी तेरी खाल चढ़ी हुई है.. तुझे दर्द नहीं होता क्या ?
वो बोला- हाँ मम्मी.. बहुत जोर का दर्द होता है.. कभी-कभी तो इतना दर्द होता है कि मैं रोने लगता हूँ ।
मैंने उससे बोला- क्या तू मुझे अपना लण्ड दिखाएगा.. शायद मैं तेरी कुछ मदद कर सकूँ ।
वो बोला- मम्मी मुझे शर्म आ रही है ।
मैंने बोला- इसमें शर्माने की कोई बात नहीं है.. मैंने तुझे बचपन से ही नंगा देखा है और अब आगे से ऐसी कोई हरकत मत करना। अगर कुछ हो तो मुझे बोल देना.. मैं तेरी मदद कर दूंगी । मेरी बातें सुनकर उसकी शर्म थोड़ी कम हुई। अब हम दोनों एक-दूसरे से बहुत खुल चुके थे और फिर उसने अपनी पैंट खोल कर अपना लण्ड बाहर निकाल दिया ।
मैंने देखा कि उसका लण्ड अभी आधा खड़ा हुआ था। फिर मैंने उसके लण्ड को अपने हाथों में लिया और उसके लण्ड की खाल को ऊपर-नीचे करने लगी और उसका लण्ड धीरे-धीरे फूलने और लम्बा होने लगा.. जिससे उसे दर्द होने लगा । अब मैं उसके खड़े लण्ड की खाल को ऊपर से पकड़कर खींच रही थी.. जिससे उसका सुपाड़ा खाल से बाहर आ जाए.. पर खाल बहुत ही टाइट हो चुकी थी और अमित दर्द के मारे कराह रहा था ।
मैं अमित की तरफ झुकी हुई थी.. जिससे मेरा चेहरा अमित के लण्ड के ऊपर था। मेरे गाउन का ऊपर का बटन खुला हुआ था.. जिसमें से मेरे कसे हुए आज़ाद मम्मे लटक रहे थे.. और बाहर आने के लिये फड़फड़ा रहे थे । मैंने देखा कि अमित की नज़र मेरे मम्मों पर ही थी । मम्मों के साथ-साथ उसे मेरे गुलाबी निप्पल्स भी दिख रहे थे जो कि एकदम तने हुए थे.. पर मैं भी उसके मजे लेना चाहती थी । थोड़ी देर ऐसा करते रहने से उसके लण्ड से वीर्य की धार निकलने लगी.. जो कि सीधे मेरे चेहरे पर गिरने लगी और मेरा चेहरा गीला हो गया। मैंने उसके लण्ड को छोड़ दिया ।
मैंने बोला- ये क्या किया तूने.. मैं तेरी मदद कर रही हूँ और तू मजे ले रहा है ।
अमित बोला- सॉरी मॉम.. पता नहीं एकदम से क्या हो गया था मुझे ।
मैं वहाँ से उठकर बाथरूम में गई और अपना चेहरा साफ किया। चेहरा साफ करते वक्त अमित का कुछ वीर्य मेरे मुँह में चला गया। उसका स्वाद बहुत ही अच्छा था । चेहरा धोकर मैं वापस अपने कमरे में आई । पांच बज चुके थे.. अमित की ऐसी हालत मुझसे देखी नहीं जा रही थी, मैंने अमित को आवाज़ लगाई.. वो कमरे में आया। मैंने उससे बोला- हम लोग अभी ही डॉक्टर के पास चल रहे हैं.. तू तैयार हो जा ।
हम दोनों तैयार होकर जाने लगे, अमित ने बाइक बाहर निकाली और हम दोनों क्लीनिक पहुँच गए । डॉक्टर ने अमित को अन्दर बुलाया। जब अमित बाहर आया तो उसने मुझसे बोला- डॉक्टर ने ऑपरेशन का बोला है । ‘ओह्ह..’
फिर वो मुझसे बोला- मम्मी मुझे नहीं कराना कोई ऑपरेशन । मैंने उसे वहीं बैठने के लिए बोला और मैं उठकर डॉक्टर के पास गई। वहाँ मैंने डॉक्टर से इस बारे में बात की.. उसने मुझे एक ट्यूब दिया.. जिसे अमित को रात को सोने से पहले अपने लण्ड पर लगाना था । फिर मैं बाहर आई और हम दोनों घर पहुँच गए । अमित ने मुझसे पूछा- क्या बोला डॉक्टर ने आपसे ।
मैंने उससे बोला- उसने या तो आपरेशन का बोला है या फिर..
रोहन- या फिर क्या.. मम्मी ।
मैं- अगर तुझे आपरेशन नहीं कराना तो तुझे किसी के साथ सेक्स करना पड़ेगा। जिससे तेरी खाल छिल जाएगी और तेरे लण्ड का सुपाड़ा बाहर आ जाएगा। पर इस सबमें तुझे पहली बार बहुत दर्द होगा ।
रोहन- पर मम्मी मैं ऑपरेशन नहीं कराऊँगा ।
इतना बोलते ही वो मेरी तरफ देखने लगा.. मैं भी उसे ही देख रही थी। तभी वो मुझसे बोला- पर मम्मी मेरे साथ सेक्स करेगा कौन ? और इतना कहकर वो मुझे देखते हुए मुस्कुराने लगा ।
मैंने उससे बोला- लगता है मुझे ही कुछ करना पड़ेगा तेरा.. अब उसे देखकर मैं भी मुस्कुराने लगी । वो समझ गया कि मैं उससे चुदवाने के लिए तैयार हूँ । फिर हम लोगों ने खाना खाया और फिर मैंने उससे बोला- आज रात मेरे ही साथ सो जाना.. और वो ट्यूब भी लेकर आना.. मैं उसे तेरे लण्ड पर लगा दूंगी । मैंने अपना गाउन उतार दिया फिर अलमारी से दूसरा गाउन निकाल कर उसे पहनने लगी। वो एक जालीदार काला गाउन था बहुत पतला.. जिसमें से मेरा पूरा बदन दिख रहा था। मेरे मम्मों का उभार.. उन पर लगे हुए मेरे गुलाबी निप्पल्स.. मेरी पतली चिकनी कमर.. मेरी नंगी टांगें और उन टांगों के बीच मेरी ब्राउन पैंटी साफ चमक रही थी ।
मैंने पीछे मुड़कर देखा तो अमित वहीं खड़ा हुआ था, वो केवल अपना बॉक्सर पहने हुए था । अमित ने पीछे से खड़े हुए मेरा पीछे का पूरा नंगा बदन देख लिया था.. उसे देखकर मैं मुस्कुराने लगी । मेरा नंगा बदन गाउन में से साफ चमक रहा था.. जिसे अब अमित बिना नज़र हटाए निहार रहा था। वो आकर मेरे सीने से लग गया और मेरे स्तनों में अपने मुँह को घुसा लिया । उसकी तेज गर्म सांसों को मैं अपने मम्मों पर महसूस कर रही थी ।
वो मुझसे बोला- मम्मी थैंक्स… आप मेरे लिए ये सब कर रही हो ।
मैंने उससे बोला- मैं तेरे लिए इतना तो कर ही सकती हूँ.. तुझसे इतना प्यार जो करती हूँ ।
आगे की घटना अगले भाग में।

You May Also Like

Ghar ki Gaand - 6

Main didi ke hath se moisturizer ki bottle li, aur didi ki bur ko moisturize karne laga. Ab didi bhi khul kar mera sath…

Ghar ki Gaand - 7

Behanchod tu hai hi, lekin mere muh me apna muth mat gira dena, Pinki bata rahi thi ki uske bhaiya ne jabardasti usko b…

Comments