मैंने एक तरफ से कामना का नाइट गाऊन उसके नीचे से निकालने के लिये जैसे ही खींचा कामना से अपने नितम्ब ऊपर करके तुरन्त नाइट गाऊन ऊपर करने में मेरी मदद की। मैंने कामना के ऊपरी हिस्से को बिस्तर से उठाकर नाइट गाऊन को उसके बदन से अलग कर दिया…
और वो काम सुन्दरी मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी वैसे तो उस समय वो गुलाबी रंग की ब्रा उस पर गजब ढा रही थी पर फिर भी वो मुझे कामना और मेरे मिलने में बाधक दिखाई दी।
मैंने हौले से कामना के कान में कहा- दूध नहीं पिलाओगी क्या?’
‘हम्म… आहहह… पि…यो… ना… मैंने… कब… रोका…है…’ की दहकती आवाज के साथ कामना से मुझे अपने सीने पर कस लिया।
कामना को थोड़ा सा ऊपर उठाकर अपने दोनों हाथ उसके पीछे की तरफ ले गया, और उसकी ब्रा के दोनों हुक आराम से खोल दिये। मैं लगातार यह कोशिश कर रहा था कि मेरी वजह से कामना को जरा सी भी तकलीफ ना हो।
हुक खुलते ही ब्रा खुद ही आगे की ओर आ गई और दोनों दुग्धकलश मेरे हाथों में आ गये। दोनों के ऊपर भूरे रंग की टोपी बहुत सुन्दर लग रही थी। मैंने दोनों हाथों से दुग्धकलशों का ऊपर रखे अंगूर के दानों से खेलना शुरू कर दिया। कामना ने भी कामातुर होकर अपने दोनों हाथ मेरे हाथों पर रख दिये और अपने होंठ मेरे होंठों पर सटा दिये।
मैंने जैसे ही अपने होंठ कामना के होठों से अलग किये, उसने अपने होंठ मेरी छाती पर रख दिये और लगातार चुम्बन करने लगी। कामना के चुचूक बहुत ही सख्त हो चुके थे…
खेलते खेलते मैंने अपना मुँह कामना के बायें चूचुक पर रख दिया। मेरे इस हमले के लिये शायद वो तैयार नहीं थी। कामना कूदकर पीछे हो गई, मैंने पूछा- क्या हुआ?
‘बहुत गुदगुदी हो रही है !’ वो बोली।
मैंने कहा- चलो छोड़ो फिर !’
‘थोड़ा हल्के से नहीं कर सकते क्या…?’ उसने पूछा। मैं फिर से आगे बढ़ा और उसका बायां चुचूक अपने मुँह में ले लिया। कामना लगातार मेरे सिर को चूमने लगी। मैं उसके दोनों चुचूकों का रस एक-एक करके पी रहा था… उसके हाथ मेरी पीठ पर चहलकदमी कर रहे थे और मेरे हाथ कामना की पिंडलियों एवं योनि-प्रदेश को सहलाने लगे।
तभी मैंने महसूस किया कि कामना के हाथ मेरी पीठ पर फिसलते फिसलते मेरे अंडरवियर के अंदर मेरे नितम्बों को सहला रहे थे। मैंने पूछा- इलास्टिक से तुम्हारे हाथों में दर्द हो सकता है अगर कहो तो मैं अंडरवियर उतार दूं?’ उसने कोई जवाब नहीं दिया। मैंने इस प्रतिक्रया को उसका ‘हां’ में जवाब मानते हुए खुद ही अपना खुद ही थोड़ा सा ऊपर होकर अपना अंडरवीयर निकाल दिया। अब कामना खुलकर मेरे नितम्बों से खेल रही थी और मैं उसके चुचूक से।
मेरे नितम्बों से खेलते खेलते वो बार बार मेरे गुदा द्वार को सहला रही थी। मैं उसके अंदर की उत्तेजना को महसूस कर रहा था वो मिमियाती हुई बार-बार हिलडुल रही थी।
आखिर मैंने पूछ ही लिया- जानेमन, सब ठीक है न?’
‘पूरे बदन में चींटियाँ सी रेंगने लगी हैं, बहुत बेचैनी हो रही है।’ बोलकर वो अपने नितम्बों को बार बार ऊपर उछाल रही थी…
मैं उसकी मनोदशा समझ रहा था पर अभी उसको और उत्तेजित करना था। मैं जानता था कि उत्तेजना की कोई पराकाष्ठा नहीं होती। यह तो साधना की तरह है जितना अधिक करोगे, उतना ही अधिक आनन्द का अनुभव होगा, और कामना उस आनन्द से सराबोर होने को बेताब थी।
मैंने भी कामना को वो स्वर्गिक आनन्द देने का पूरा पूरा मन बना लिया था। मैं कामना के ऊपर से उसके अंगूरों को छोड़कर खड़ा हो गया। मैं पहली बार उसके सामने आदमजात नग्नावस्था में था पर कामना पर उसका कोई असर नहीं था, वो तो अपनी ही काम साधना में इतनी लीन थी कि बिस्तर पर जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी, बार बार अपने हाथ और नितम्बों को उठा का बिस्तर पर पटक रही थी।
मम्म… सीईई… आईई ईई… हम्मम… आहह… की नशीली ध्वनि मेरी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी…मैंने थोड़ा सा आगे खिसकते हुए अपने उत्तेजित लिंग को कामना के होंठों से छुआ।
इस बार शायद वो पूरी तरह से तैयार थी कामना ने घायल शेरनी की तरह मेरे लिंग पर हमला करके मेरे लिंग का अग्रभाग अपने जबड़ों में कैद कर लिया। मुँह के अन्दर कामना लिंग के अग्रभाग पर अपनी जुबान से मालिश कर रही थी जिसका जिसकी अनुभूति मुझे खड़े-खड़े हो रही थी। जब तक मैं होश में आता तब तक कामना अपना एक हाथ बढ़ाकर मेरे लिंग की सुरक्षा में डटी नीचे लटकती दोनों गोलियों पर भी अपनी कब्जा कर चुकी थी।
मैंने धीमे धीमे अपने नितम्बों को आगे-पीछे सरकाना शुरू किया पर यहाँ कामना ने मेरा साथ छोड़ दिया, वो किसी भी हालत में पूरा लिंग अपने मुँह में लेने को तैयार नहीं थी, बहुत प्रयास करने के बाद भी वो सिर्फ लिंग के अग्रभाग से ही खेल रही थी।
2-3 बार प्रयास करने के बाद भी कामना जब मेरा साथ देने का तैयार नहीं हुई तो मैंने अधिक कोशिश नहीं की। कामना एक हाथ से लगातार मेरे अण्डकोषों से खेल रही थी।
अचानक कामना ने दूसरे हाथ से मेरा हाथ पकड़ा और अपनी योनि को ओर ठेलने लगी पर मैं अभी उसे और तड़पाना चाहता था। कामना लगातार गों…गों…गों… की आवाज के साथ मेरे लिंग को चाट रही थी और मेरा हाथ अपनी योनि की ओर बढ़ा रही थी।
मैंने देखा कामना अपनी दोनों टांगों को बिस्तर पर पटक रही थी। मैंने एक झटके में अपना लिंग कामना के मुख से बाहर निकाल लिया और उससे अलग हो गया…
कामना ने आँखें खोली और बहुत ही निरीह द़ष्टि से मुझे देखने लगी जैसे किसी वर्षों के प्यासे को समुद्र दिखाकर दूर कर दिया गया हो। मुझे उसकी हालत पर दया आ गई… मैं तेजी से रसोई की ओर गया और फ्रिज में से मलाई की कटोरी उठा लाया। कटोरी कामना के सामने रख कर मैंने मलाई अपने लिंग पर लगाने को कहा क्योंकि मैं जानता था कि मलाई कामना को बहुत पसन्द है इसीलिये वो यह काम तुरन्त कर लेगी।
कामना हल्की टेढ़ी हुई और एक उंगली में मलाई में भरकर नजाकत से मेरे लिंग पर लपेटने लगी। उसकी नाजुक उंगली और ठंडी मलाई का असर देखकर मेरा लिंग भी ठुमकने लगा… जिसको देखकर कामना के होठों पर शरारत भरी मुस्कुराहट आ रही थी।
मैंने कामना को फिर से नीचे लिटाया और उसके चेहरे के दोनों तरफ टांगें करके घुटनों के बल बैठ गया। अब मेरा लिंग बिल्कुल कामना के होठों के ऊपर से छू रहा था… कामना ने सड़प से लिंग को अपने मुँह में ले लिया और मलाई चाटने लगी। मैंने भी उसको मेहनताना देने की निर्णय करते हुए अपना मुँह उसकी योनि के ऊपर चढ़ी पैंटी पर ही रख दिया। पैंटी पर सफेद चिपचिपा पदार्थ लगा बहुत गाढ़ा हो गया था…ऐसा लग रहा था जैसे अभी तक की प्रक्रिया में कामना कई बार चरम को प्राप्त कर चुकी हो।
मैंने आगे बढ़कर कामना की पैंटी के बीच उंगली फंसाई और उसको नीचे की ओर खिसकाना शुरू किया। कामना ने भी तुरन्त नितम्ब उठाकर मुझे सम्मान दिया। पैंटी कामना की टांगों में नीचे सरक गई। कामना की योनि के ऊपर बालों का झुरमुट जंगल में घास की तरह लहलहा रहा था। जिसे देखकर ही मेरा मूड खराब हो गया। फिर भी मैंने योनि के बीच उंगली करके कामना के निचले होंठों तक पहुँचने का रास्ता साफ कर लिया… मैंने अपने हाथ की दो उंगलियों से योनि की फांकें खोल कर अपनी जीभ सीधे अन्दर सरका दी.. आह…अम्म… की मध्यम ध्वनि के साथ कामना ने लिंग को छोड़ दिया और तड़पने लगी…
मैं लगातार कामना की योनि का रसपान करता रहा। मेरे नथुने उसकी गहराई की खुशबू से सराबोर हो गये, उसकी उत्तेजना और तेजी से बढ़ने लगी… कामना ने तेजी से अपने नितम्बों को ऊपर नीचे पटकना शुरू कर दिया… कामना लगातार अपने शरीर को इधर उधर मरोड़ रही थी… पर योनि को मेरी जीभ पर ठेलने का प्रयास कर रही थी।
अचानक कामना का शरीर अकड़ने लगा… और वो धम्मे से बिस्तर पर पसर गई। मैंने कामना के चेहरे की ओर देखा को लगा जैसे गहरी नींद में है। मैं कामना के ऊपर से उठा और अपना मुँह धोने के लिये बाथरूम की तरफ बढ़ गया।
अभी मैं मुँह को धोकर बाहर निकल ही रहा था तो देखा की कामना भी गिरती पड़ती बाथरूम की तरफ आ रही है, मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने मरी हुई लेकिन उत्तेजक आवाज में कहा- धोना है और पेशाब भी करना है…’
मैं सहारा देकर उसको बाथरूम की तरफ ले गया। कामना अन्दर जाकर फर्श पर उकडू बैठ गई और पेशाब करने लगी… उसकी योनि से निकलते हुआ हल्के पीले रंग के पेशाब की बूंदें फर्श पर पड़ते सोने की सी बारिश का अहसास करा रही थी।
तभी कामना की निगाह मुझ पर पड़ी… उसने शर्माते हुए नजरे नीचे कर ली और मुझसे बोली ‘जीजू, आप बहुत गन्दे हो, क्या देख रहे हो जाओ यहाँ से, आपको शर्म नहीं आती मुझे ऐसे देख रहे हो।’
मैंने जवाब दिया- मुझे शर्म नहीं और प्यार आ रहा है तुमने तो चरमसुख पा लिया पर मैं अभी भी अधूरा तड़प रहा हूँ।’
कामना हा..हा.. हा…हा.. करके हंसती हुई बोली- आप जानो ! मैं क्या करूं?’
और पानी का मग उठाकर योनि के ऊपर के जंगल की धुलाई करने लगी। मैंने उसका एक हाथ पकड़कर अपने उत्थित लिंग पर रख दिया। कामना वहीं बैठकर मेरा लिंग प्यार से सहलाने लगी तो मैंने कामना को फर्श से उठने को कहा और टायलेट में लगी वैस्टर्न स्टाइल की सीट पर बैठने को कहा।
योनि साफ करने के बाद कामना टायलेट की सीट पर बैठ गई और मेरे लिंग से खेलने लगी। वो बार बार अपनी जीभ निकालती लिंग के अग्रभाग तो हल्के से चाटती और तुरन्त जीभ अन्दर कर लेती जैसे मेरे लिंग को चिढ़ा रही हो। उसके इस खेल में मुझे बहुत मजा आ रहा था। कुछ पलों में ही मुझे लिंग से बाढ़ आने का आभास होने लगा। मैंने लिंग को पकड़कर कामना के मुँह में ठेलने का प्रयास किया पर उसने मुँह बंद कर लिया।
मेरे पास अब सोचने का समय नहीं था। किसी भी क्षण मेरा शेर वीरगति को प्राप्त हो सकता था, मैंने आगे बढ़कर अपना लिंग उसके स्तंनों के बीच की घाटी में लगा दिया।
मैं दोनों हाथों से कामना के स्तनों को पकड़कर लिंग पर दबाव बनाने लगा, असीम आनन्द की प्राप्ति हो रही थी, वो घाटी जिसमें से कभी मेरे सपनों के अरमान बह जाते थे। आज लिंग का प्रसाद बहने वाला था। अभी मैं उस आनन्द की कल्पना ही कर रहा था कि लिंग मुख से एक पिचकारी निकली जो सीधी उसके गले पर टकराई और फिर धीरे धीरे छोटी छोटी 3-4 पिचकारियों और निकली जिसके साथ कामना के दोनों स्तनों पर मेरी मलाई फैल गई।
अब मेरा शेर कामना के सामने ढेर हो चुका था, मैंने कामना से कहा- तुमको मलाई बहुत पसन्द है ना ! खाओगी क्या?’
वो सिर्फ मुस्कुरा कर रह गई।
कहानी जारी रहेगी।
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