Fuddi Marwayi Subah Savere

Views: 15 Category: Family Sex By swatisharmasexy Published: August 20, 2025

पति ने ठोक दिया !

दोस्तो, मेरा नाम स्वाति है, 28 साल की एक शादीशुदा लड़की हूँ, मेरी शादी को 2 साल हुए है और मैं काफी समय से अन्तर्वासना पढ़ रही हूँ।
मैं अपने बारे में आपको बताती हूँ, मैं बहुत ही मॉडर्न लड़की हूँ M.Sc की पढ़ाई की है, मेरा कद 5’7″ है, मेरे उरोज बहुत कसावट लिए हुए 34 इन्च के हैं, मेरी कूल्हे या सेक्सी भाषा में कहें तो मेरी गाण्ड उभरी हुई गोल और 37 इन्च की पर बहुत ही आकर्षक और सेक्सी है, जांघें मस्त भरी भरी और मांसल, पिंडलियाँ सुडौल और पैर निहायत सुन्दर है।
आप लोग मुझे कैटरीना जैसी दिखने वाली समझ सकते हैं।

और मेरा यह मानना है कि हर इंसान के साथ जीवन में कभी न कभी कोई उत्तेजक और कामुक घटना जरूर ही होती होगी, ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ जो किसी को बताने जैसा नहीं था, लेकिन अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ पढ़ कर मुझ में हिम्मत आ गई और अब मैं वो घटना आप लोगों को बताने जा रही हूँ।

हम दिल्ली के रहने वाले हैं लेकिन मेरे पति जिनका नाम नीलेश है, उनका मुंबई के निकट आयरन स्टील का कारोबार है, इस वजह से मैं उनके साथ मुंबई में तीन बैडरूम के बड़े फ्लैट में रहती हूँ।

पति अक्सर ज्यादा व्यस्त रहते हैं, इसी वजह से मुझे अन्तर्वासना का चस्का लग गया।

मैं गुलाबी नेलपोलिश पसंद करती हूँ, और अपनी पिंडली में एक काला धागा बाँध के रखती हूँ, नीलेश मेरे पैरों के दीवाने हैं।
अपनी इसी खूब सूरती की वजह से मुझे एक प्राइवेट कम्पनी में सेल्स मैनेजर का काम मिला हुआ है, जो मेरी खूबसूरती और बिंदास प्रकृति की वजह से खूब अच्छा चल रहा है।

कॉलेज टाइम में भी मेरे कई बॉय फ्रेंड्स रहे हैं जिनमें से तीन के साथ मेरे यौन सम्बन्ध भी बन गए थे, वो किस्से मैं आपको फिर कभी सुनाऊँगी, फिलहाल जो मैं आपको बताने जा रही हूँ, उस किस्से पर आती हूँ।

मेरे पति नीलेश एक बहुत स्मार्ट हेंडसम बॉय है, जिम वगैरा जाकर उन्होंने अपना शरीर काफी अच्छा बना लिया है, उनकी छाती पर हल्के हल्के बाल है, जो मुझे बेहद उत्तेजक लगते हैं, मुझे सफाचट छाती वाले मर्द नारी जैसे लगते हैं।

और हाँ, उनका लण्ड मस्त है, मोटा है, आगे का सुपारा उत्तेजित होने पर छिली हुई लीची की तरह से बाहर निकल आता है, लंड की नसें बहुत ज्यादा उभरी हुई है जिस वजह से और भी सुन्दर लगता है, लम्बाई 7-8″ के बीच होगी पूरा खड़ा होने पर थोड़ा टेढ़ा हो जाता है लेकिन मैं फ़िदा हूँ उस पर आखिर वो ‘टेढ़ा है पर मेरा है !’

हमारी सुहागरात बहुत ही अच्छी रही थी और सही में मैं नीलेश की चुदाई से संतुष्ट हूँ, उन्होंने मुझे मेरी पुरानी सारी चुदाइयों को भुलवा दिया है।
मेरे ससुर सेना में मेजर के पद से सेवा निवृत हैं, नीलेश को फैक्ट्री उन्होंने ही खुलवाई है, और वो हर 3-4 महीने में मुंबई हमारे पास आते रहते हैं, वो खुद बहुत रौबीले दिखते हैं, बड़ी बड़ी मूंछें, अच्छी कद-काठी, और अपने बाल डाई करके और टिपटॉप रहते हैं।

यह पिछले साल की घटना है जब वो यहीं थे।
उन्हें सुबह जल्दी उठ के घूमने जाने की आदत है, और एक दिन सुबह नीलेश को भी फैक्टरी के काम से मुंबई से बाहर जाना था, सुबह जल्दी ही निकलना था, तो उसने पापा जी यानि मेरे ससुर को सुबह जल्दी उठाने को कह दिया था।

उसे 7 बजे निकलना था लेकिन पापा जी ने सुबह 5 बजे ही हमारे कमरे का दरवाजा खटखटा दिया।
नीलेश बहुत ही बेमन से उठा और उन्हें बता दिया- हाँ पापा, मैं उठ गया हूँ।
और फिर पापा सुबह की सैर पर चले गए।

पास ही मैं सो रही थी, झीनी से नाइटी पहन कर और थोंग पेंटी पहनी हुई थी, ब्रा मैं सोते समय उतार ही देती हूँ, और वैसे भी नीलेश सोने से पहले मेरे चूचे चूसते हुए ही सोते हैं, उन्हें तभी नींद आती है, तो मेरे स्तन बाहर ही निकले पड़े रहते हैं और सोते समय नाइटी चूतड़ों से ऊपर सरक जाती है, यह सभी को पता है।

नीलेश मेरा यह अर्धनग्न नज़ारा देख कर हक्का बक्का रह गया क्योंकि रोज़ तो तो सुबह मैं ही जल्दी उठती थी और वो कुम्भकर्ण की तरह सोता रहता था।
तो जनाब शुरू हो गए मेरे कूल्हों पर हाथ फिराते हुए, क्योंकि कोई डर भी नहीं था, पापा भी नहीं थे।

मैं थोड़ी सी कुनमुनाई पर उस पर तो अब वासना का भूत चढ़ चुका था, मैं थोड़ी नींद में थी पर मुझे अच्छा भी लग रहा था तो मैंने भी कोई विरोध नहीं किया और सुबह सुबह के प्रेमालाप का मेरा भी यह पहला ही अनुभव था।

तो नीलेश ने मेरे बचे खुचे कपड़े भी उतार डाले और मुझे पूरा नंगा कर दिया, मैंने भी अपने आप को निर्वस्त्र हो जाने दिया क्योंकि कोई डर भी नहीं था, पापा भी नहीं थे, यह बात मुझे भी पता थी कि वो आठ बजे के पहले वापिस नहीं आने वाले थे।
नीलेश ने मेरी टाँगें मोड़ कर घुटने मेरे सीने से लगा दिए, इस मुद्रा में तो चूत की दोनों फांकें बिल्कुल खुल गई थी और दोनों फांकों के बीच में से चूत के गुलाबी होंठ झांक रहे थे।

वो अब मेरी फैली हुई टांगों के बीच में मेरी चूत को और यहाँ तक कि मेरी गांड के छेद को भी आसानी से और खूब अच्छी तरह से देख सकते थे।
इतने में उन्होंने अपने तने हुए कड़क लंड का सुपारा मेरी चूत के खुले हुए होंठों के बीच फ़ंसाने की कोशिश की लेकिन मेरी दर्द के मारे चीख ही निकल गई, क्योंकि उनका लौड़ा बहुत ही विकराल हो रहा था, मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि यह नीलेश का वो ही लंड है जिससे मैं रोज़ चुदती हूँ।

फिर मुझे रातकीबात  के एक लेखक अरुण की बताई हुई बात याद आई, मैं उनकी कहानियों की जबरदस्त फैन हूँ, और अब हम अच्छे दोस्त भी हैं, वो एक शानदार सेक्स सलाहकार भी हैं, उन्होंने ही बताया था कि सुबह के समय मर्द के लंड में अतिरिक्त कसावट और आकार आ जाता है और यह तनाव लम्बे समय तक रहता भी है।

और शायद यही इस समय भी हो रहा था !
मेरे चिल्लाने से नीलेश थोड़ा रुका, फिर मेरी चूत को चौड़ी कर के उसमें खूब सारा थूक लगा कर उसे अच्छी तरह से चाट कर गीला किया और फिर लंड घुसा दिया।
‘अह्ह… उईई… ईईई… माआआ… मर गईइइ… आआआअ… ऊऊऊ… उह… ओह्ह…’

नीलेश का लौड़ा मेरी चूत के छेद को चौड़ा करता हुआ अंदर घुस चुका था, ‘बहुत मज़ा आएगा !’ यह कहते हुए उन्होंने लौड़ा बाहर खींचा और फिर से एक ज़बरदस्त धक्का लगा दिया।
‘अह्ह्ह… ह्ह… उईई…ईईई माआआ… माआआ… मर गईइइइ… आआआअ… ऊऊऊ… उह… ओह्ह…’
सुबह सुबह पता नहीं कौन सा जानवर उनके अंदर घुस गया था कि हुमच हुमच कर चोद रहे थे मुझे, मेरे होंठों का रस चूसने लगे और चूचियों को मसलने लगे।

फ़िर नीलेश ने पूरी ताकत से ज़ोर का धक्का लगा दिया !
आआआआ आआऐईईईईई ईईईई… आआह्ह ऊऊ… ऊऊह्ह्ह ऊओफ्ह्ह… आआअह्ह… उम्म्य्यय्य !’

मुझे चुदवाने में बहुत मज़ा आने लगा और चूत बहुत गीली हो गई, मैं भी अब चूतड़ उचका उचका कर खूब मज़े लेकर चुदवा रही थी, मेरी चूत ने इतना रस छोड़ दिया था वो इतनी गीली हो गई थी कि जब लंड अंदर-बाहर हो रहा था तो फच फच फच की मस्त आवाजें आने लगी।

अब उन्होंने मेरे एक चूतड़ पर कस कर एक चांटा मारा और मुझे भी गांड उछालने को बोला।
अब मैं भी बहुत ज़ोर ज़ोर से चूतड़ उछाल उछाल कर उनका साथ देने लगी।

सही में आज कुछ अलग ही मज़ा आ रहा था और अक्सर 15 से 20 मिनट चलने वाला हमारा सेक्स आज पूरे आधा घंटे तक चला।
मतलब अरुण जी ने सही कहा था।
चरम अवस्था के समय वो बड़बड़ाने लगे- स्वाति… आई लव यू… तू मेरी जान है !
और फिर उन्होंने अपना पूरा वीर्य मेरी चूत में खाली कर दिया जो मेरे चूतड़ और गांड के छेद से बहता हुआ मेरी जांघों तक जा रहा था।

फिर नीलेश ने अपना लौड़ा बाहर खींच लिया और हम दोनों ही पस्त होकर गिर गए।
नीलेश को जाना था तो वो तैयार होने को चले गए और जाते समय गेट मुझे बंद करने को कह गए।
मैंने उन्हें बोल दिया- हाँ, अभी करती हूँ, तुम जाओ !

ससुर ने नंगी देखा !

आज कुछ अलग ही मज़ा आ रहा था और अक्सर 15 से 20 मिनट चलने वाला हमारा सेक्स आज पूरे आधा घंटे तक चला।
मतलब अरुण जी ने सही कहा था।
चरम अवस्था के समय वो बड़बड़ाने लगे- स्वाति… आई लव यू… तू मेरी जान है !
और फिर उन्होंने अपना पूरा वीर्य मेरी चूत में खाली कर दिया जो मेरे चूतड़ और गांड के छेद से बहता हुआ मेरी जांघों तक जा रहा था।

फिर नीलेश ने अपना लौड़ा बाहर खींच लिया और हम दोनों ही पस्त होकर गिर गए।
नीलेश को जाना था तो वो तैयार होने को चले गए और जाते समय गेट मुझे बंद करने को कह गए।
मैंने उन्हें बोल दिया- हाँ, अभी करती हूँ, तुम जाओ !
और !!!!

बस यही मुझ से जबरदस्त चूक हो गई।
दोस्तो, सेक्स के मामले में मर्द बहुत ही स्वार्थी होते हैं, बस जब मन चाहा बीवी से सेक्स की माग की और चोद दिया, जैसा नीलेश ने आज सुबह सुबह किया, एक तो मैं वैसे ही नींद में थी और ऊपर से यह जबरदस्त चुदाई !
और यह कहानी पढ़ने वाले जितने भी लड़के लड़कियाँ हैं और जो सेक्स का मज़ा ले चुके हैं उन्हें बखूबी पता होगा कि चुदाई के बाद जो नींद आती है, वो सबसे जबरदस्त होती है।

और ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ, नीलेश तो चले गए, और मैं यह सोच कर कि अभी गेट बंद कर दूँगी, वैसे ही नंगी धड़गी, बिस्तर पर पड़ी रही और गहरी नींद के आगोश में चली गई !!!!

मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरे ससुर जी सुबह की सैर से वापिस आ गए, मेन गेट खुला देख के वो जरूर चकराए होंगे लेकिन उन्हें पता था कि नीलेश को आज जल्दी जाना था।

मेरे चूतड़ ऊपर की तरफ थे, मेरी चूत में से नीलेश के लौड़े का पानी मेरी जांघों से निकल कर बिस्तर पर दाग बना रहा था, मेरे कमरे का दरवाज़ा भी खुला हुआ था और ससुर पहले अपने कमरे में गए और फिर मेरे कमरे में आ गये।

मुझे आहट हुई तो देखा मेरे ससुर मुझे ही घूर रहे थे और वो हक्के बक्के थे।
शायद उन्होंने मेरे चादर खींचने के पहले ही मुझे देख लिया था पर मैं क्या करती, मैं खुद ही अजीब सी स्थिति में थी !

पापा जी यानि मेरे ससुर ने गुस्सा ज़ाहिर करते हुए कहा- यह क्या है? बहू, पूरा घर खुला कैसे पड़ा है, तुम्हें ज़रा भी फ़िक्र नहीं है?
तुम्हें पता है कि आजकल समय कितना खराब है, ज़रा सी चूक में कोई भी गम्भीर वारदात हो सकती है।
और मैं चुपचाप चादर को समेटे हुए सुनती रही।

‘और वो नालायक नीलेश तुम्हें कह कर नहीं गया कि वो जा रहा है, गेट बंद कर लेना।’
मैंने नीलेश का बचाव करते हुए कहा- वो तो कह के गए थे पर मेरी ही झपकी लग गई।
‘ठीक है, आइन्दा ऐसा नहीं होना चाहिए !’
और वो चले गए।

नाश्ते के समय मैंने नोटिस किया कि पापा जी यानि मेरे ससुर मुझे ही घूर रहे थे अजीब सी निगाहों से।
मैं घबरा रही थी, जल्दी से उन्हें नाश्ता करा कर, लंच बना कर मैं ऑफिस चली गई।

और शाम को मैं जानबूझ कर थोड़ा लेट आई, जिससे मुझे अकेले उनका ज्यादा सामना नहीं करना पड़े और नीलेश आ जाएँ।
वो अब भी मुझे कुछ अजीब ही लग रहे थे, शायद मुझे उन्होंने पूरी नंगी देख लिया था।

यह सोचते ही मुझे झुरझुरी सी आ गई। रात को मैंने यह बात नीलेश को बताई, वो भी थोड़े सकपका तो गए पर बोले- अब क्या किया

जा सकता है ! एक ही फ्लैट में परिवार के सदस्यों के बीच ऐसी स्थिति कभी भी आ सकती है, अब आगे ध्यान रखना !
वो भी अपने पापा से बहुत डरते हैं क्योंकि पापा जी बहुत अनुशासन प्रिय, कड़क इंसान हैं, शारीरिक बनावट में भी वो नीलेश से इक्कीस ही हैं सवा छहः फुट लम्बाई, चौड़ा सीना, घनी मूंछें, अपने बालों को डाई लगा कर वो बहुत ही टिप टॉप रहते हैं और हरदम अपने साथ एक छड़ी रखते हैं।

रात को जब हम दोनों फिर अपनी चुदाई में व्यस्त थे, और हमारी आहें कमरे में गुंजायमान थी तो मुझे खिड़की पर हल्की सी आहट सी सुनाई दी, मैंने नीलेश से कहा भी- यह आवाज कैसी?
पर वो तो मुझे चोदने में इतने मस्त हो रहे थे कि बोले- कोई बिल्ली होगी !

लेकिन इस समय मैं नीलेश के ऊपर थी और उसे चोद रही थी, तो मुझे खिड़की पर एक साया दिखाई दिया।
वो पापा जी ही थे पर हम दोनों ही चरम स्थिति के नज़दीक ही थे इसलिए कुछ कर न सके, उन्हें साफ़ साफ़ तो कुछ नहीं लेकिन हाँ,हमारे साये जरूर देख रहे होंगे क्योंकि कमरे में बिल्कुल अँधेरा नहीं था और मेरी टॉप पोज़िशन की वजह से मेरे उरोज बहुत ज्यादा उछल रहे थे।

जल्दी ही हम झड़ गए और नीलेश जल्दी ही सो भी गए, पर मेरी नींद गायब थी, एक तो सुबह की घटना और अब खिड़की पर पापा जी का होना, मेरी नींद उड़ गई थी।
तभी मुझे पापा जी के कमरे कुछ हलचल सुनाई दी, और मैं उत्सुकतावश वहाँ चली गई।

उनका कमरा सड़क की तरफ़ था तो वहाँ स्ट्रीट लाइट से रोशनी उनके कमरे में आ रही थी, और अंदर का नज़ारा देख कर मैं सन्न रह गई।
पापाजी अपने बिस्तर पर पूरे नंगे लेटे हुए थे और उनका लण्ड !!!
बाप रे बाप !!!!
मैंने लण्ड के लिए एक शब्द सुना था ‘फौलादी लण्ड’
और आज वो बिल्कुल मेरी आँखों के सामने ही था !

पापा जी का लण्ड ऐसा ही था !!

और वो उसे बेदर्दी से मसल रहे थे, रगड़ रहे थे और बीच बीच में उस पर चांटे भी मार रहे थे।
यह नज़ारा देख मैं खुद फिर से उत्तेजित हो गई और मेरी हालत खराब हो गई।
मुझे उन्हें देखना बहुत अच्छा लग रहा था और एक बहुत ही अजीब सा ख्याल मन में आया कि मैं जाऊँ और भाग कर पकड़ लूँ उस लण्ड को !

मेरे हाथ अपनी चूत पर चले गए और मैं उनका हस्तमैथुन तब तक देखती रही जब तक वो झड़ नहीं गए।
उस रात मैं अच्छे से सो नहीं पाई।

 

ससुर जी ने मुझे नंगी पकड़ लिया

पापा जी का लण्ड ऐसा ही था !!
और वो उसे बेदर्दी से मसल रहे थे, रगड़ रहे थे और बीच बीच में उस पर चांटे भी मार रहे थे।

यह नज़ारा देख मैं खुद फिर से उत्तेजित हो गई और मेरी हालत खराब हो गई।
मुझे उन्हें देखना बहुत अच्छा लग रहा था और एक बहुत ही अजीब सा ख्याल मन में आया कि मैं जाऊँ और भाग कर पकड़ लूँ उस लण्ड को !

मेरे हाथ अपनी चूत पर चले गए और मैं उनका हस्तमैथुन तब तक देखती रही जब तक वो झड़ नहीं गए।
उस रात मैं अच्छे से सो नहीं पाई।

अगली सुबह नीलेश के जाने के बाद मैं नहाने गई और स्नान के बाद कपड़े पहनने ही वाली थी कि बाहर से पापा जी के मोबाइल की घण्टी की आवाज आई।
मैं घबरा गई और अचानक बाहर से किसी के भागने की आहट आई।
मैंने दरवाजे की दरार से झांक कर देखा तो मुझे पापा जी अपना फौलादी लण्ड पकड़ कर भागते हुए नज़र आये।

अब मेरा तो बुरा हाल !!
मैंने जल्दी से पैंटी-ब्रा पहनी।
लेकिन, न जाने वो दिन कैसा शुरु हुआ था मैं अपना गाउन लाना भूल गई।
अब !?!

मैंने जल्दी से तौलिया लपेटा और बाथरूम से बाहर आई।
लेकिन अचानक वो हुआ जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

पापा जी ने मुझे पीछे से आकर पकड़ लिया, मैं चिल्लाई और उनसे छूट कर भागी और इस भागदौड़ में मेरा तौलिया भी गिर गया, अब मैं सिर्फ पैंटी और ब्रा में ही रह गई थी।

मैं अपने कमरे में आ गई लेकिन अब मैं नंगी कमरे से बाहर में कहाँ जाती, कोने में दुबक के बैठ गई अपने हाथों से अपने अर्धनग्न शरीर को छुपाते हुए, और गिड़गिडाने लगी- पापा जी, प्लीज़ नहीं… प्लीज़ नहीं…

लेकिन मुझे कल बिस्तर पर नंगी पड़ी हुई, रात को मुझे चुदते हुए, और अभी हाल ही में मुझे नंगी नहाते देखते हुए वो उत्तेजना के मारे पागल हो रहे थे, कंपकंपा रहे थे।
उन्होंने पास आकर मुझे कंधे से पकड़ कर उठा लिया।

उनकी पकड़ बहुत मज़बूत थी।
मैं ज़ोर से रोने लगी, गिड़गिड़ाने लगी- पापा जी, प्लीज़ नहीं… प्लीज़ नहीं… मैं आपकी बहू हूँ, आपकी बेटी जैसी, प्लीज़ पापा जी, मुझे छोड़ दो !

लेकिन उन पर कोई असर होता नहीं दिख रहा था, वो मेरे आँसुओं को चाटते हुए बोले- आज तू मेरी जान है, कल से जब से तुझे नंगी देखा है मैंने, पागल कर दिया है मुझे तेरे चिकने बदन ने, आज कोई पापा-वापा नहीं मैं तेरा, बस तू मेरी औरत है और मैं तेरा मर्द !

और यह कहते हुए ज़ोर से झटका देकर मेरी ब्रा के हुक तोड़ दिए, एक झटके के साथ मेरे दोनों उन्नत और भारी वक्ष स्थल पापा जी के सीने से टकराये।

मैंने अपनी हथेलियों से उन्हें छुपाने की कोशिश की लेकिन जैसा कि मैंने बताया था कि वो बहुत, लम्बे चौड़े बलशाली इंसान हैं और ताक़त भी बहुत है, मैं तो उनके आगोश में एक गुड़िया की तरह लग रही थी।

मेरा विरोध बेकार गया, उन्होंने एक हाथ से मुझे कमर से पकड़ के मेरे ही बेड पर डाल दिया, पटक ही दिया और फिर मेरे दोनों हाथों को अपने एक ही हाथ से पकड़ कर मेरे सर के ऊपर कर दिए, और मेरे ऊपर लेट कर दूसरे हाथ से मेरा एक उभार को मसलने लगे और दूसरे उभार के गुलाबी निप्पल को मुँह में भर लिया।

मेरे स्तन नंगे थे और उनके पन्जे में क़ैद थे।
मैं डर रही थी फिर भी उत्तेजित होने लगी थी क्योंकि मैंने भी कल रात उन्हें हस्तमैथुन करते समय उत्तेजना महसूस की थी और स्तन सहलाना कोई पापा जी से सीखे, उंगलियों की नोक से उन्होंने स्तन की तलहटी छुना शुरू की और हौले हौले शिखर पर जहाँ निप्पल हैं वहाँ तक पहुँचे, पाँचों उंगलियों से कड़ी और सख्त निप्पल पकड़ ली और मसली। ऐसे पाँच सात बार किया दोनों स्तनों के साथ !

अब पन्जा फैला कर स्तन पर रख दिया और उंगलियाँ फैला कर पूरा स्तन पन्जे में दबोच लिया।
मेरे स्तन में दर्द होने लगा लेकिन मीठा मीठा लग रहा था।
अंत में उन्होंने एक के बाद एक निप्पल उंगलियों की चीपटी में लिया और खींचा-मसला।

इन दौरान वो मुझे चेहरे पर चूमे भी जा रहे थे, चुम्बन तो चालू था ही !
अब उन्होंने एक बार फिर मेरे स्तन से अपने मुंह को भर लिया, उनके थूक से मेरे निप्पल गीले हो गये थे।
निप्पल से करंट जो निकला वो मेरी योनि तक जा पहुँचा।

वैसे ही मेरे निप्पल संवेदनशील हैं, कभी कभी तो ब्रा का स्पर्श भी सहन नहीं कर पाते !
वो अब मेरे ऊपर इस तरह से बिछ कर लेट गए कि उनके कड़क और बड़े लण्ड का दवाब मेरी मासूम सी और नाज़ुक सी चूत पर पड़ने लगा और वो गीली होने लगी।

पापा जी शायद सेक्स के माहिर खिलाड़ी थे क्योंकि अब वो मेरे दोनों उत्तेजनादायक जगहों पर यानि की स्तन और चूत को एक साथ रगड़ रहे थे, बीच बीच में मेरी बाहों के नीचे कांख वाले हिस्से पर भी जीभ फिरा रहे थे।

और आखिर अब मैं भी तो एक नारी ही हूँ, वो भी खुले विचारों वाली और सेक्स की भूखी !
मेरा विरोध अब ख़त्म हो चला था, चूत के पानी ने मेरी आँखों का पानी सुखा दिया था।

फिर उन्होंने मेरी पेंटी हाथ डाल कर उसे खींचने का प्रयास किया जो में कूल्हों में फंसी हुई थी।
मुझे लगा कि वो फट ही जायेगी इसलिए मैंने अपने कूल्हे ऊँचे करके उनका काम आसान कर दिया।
अब मैं पूर्ण निर्वस्त्र हो नग्नावस्था में आ गई थी।

अब मेरे साथ जो होने वाला था, उसके बारे में सोच सोच कर ही मेरे शरीर में झुरझुरी सी आने लगी।
अब वो मेरे पूरे नग्न बदन को निहारने लगे, मैंने आँखें बंद कर ली, अपने हाथों को वक्ष-उभारों पर रख लिया और अपनी दोनों जांघों को भींच कर अपनी चूत को भी छुपा लिया।

वो बड़बड़ा रहे थे- स्वाति, तुम निहायत ही खूबसूरत हो, आज जो मैं कुछ कर रहा हूँ उसमें कसूर तुम्हारा ही है, कल तुम जो पूरी नंगी पड़ी हुई थी वो सब देख कर तो फ़रिश्ते भी तुम्हें चोदने आ जाते और फिर मैं तो सिर्फ एक इंसान हूँ जिसने एक अरसे से सेक्स नहीं किया ! यह आग तुमने ही लगाई है और अब इसे तुम्हीं बुझाओगी भी !

मैं मन ही मन उनकी इस सेक्स फिलोसफी पर हंस रही थी कि पापा जी अपनी इस गुस्ताखी का कसूरवार भी मुझे ही ठहरा रहे थे और चोदने को तैयार हो रहे थे।

अब उन्होंने अपने कपड़े उतरने शुरू कर दिए, पहले कुर्ता, पायजामा बनियान और फिर खुद की चड्डी भी उतार फेंकी।

अब मेरे सामने एक लंबा चौड़ा इंसान था जिसके सर के बाल जरूर काले रंगे हुए थे पर छाती पर सफ़ेद बालों का जंगल था, लण्ड बहुत दमदार 8 इंच के आसपास और था, झांटें सफाचट थी, जबकि कल मैंने यहाँ बेतरतीब झांटे देखी थी, इसका तो यही मतलब था कि बुड्ढे ने मुझे चोदने की पूरी तैयारी की हुई थी और झांटे साफ़ कर के आया था।

लण्ड की गोलियाँ और उसकी की थैली बड़ी साइज़ की थी।
उन्होंने पास आकर अपना लण्ड मेरे हाथों में दे दिया, वो बहुत ही कड़क और काला था जैसा अफ्रीकन लोगों का होता है।
मैंने ब्लू फिल्मों में ऐसा लण्ड देखा था, अब वो लण्ड को मेरे होंठों पर फिराने लगे, मैं समझ गई कि उनका इरादा क्या है, और डर भी गई क्योंकि यह बहुत मोटा जो था।

पर उन्होंने बलपूर्वक मेरे बाल पकड़ कर मेरे मुंह में अपना लण्ड ठूंस दिया, मेरे होंठ फ़ैल कर दर्द करने लगे, सांस रुकने सी लगी पर वो मेरे मुँह की चुदाई करने लगे।
मैं लाचार थी, मेरे दान्त उनके लण्ड पर चुभने लगे तो उन्होंने मेरे थूक से भीगा हुआ अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और मेरी जान में जान आई।

अब वो भी पलंग पर चढ़ आये और पहले बलपूर्वक मेरे हाथ मेरे उभारों से हटा कर मेरे सर के ऊपर रख दिए और मेरे गाल भींचते हुए बोले- ये हाथ यहीं पर रखना… समझी मेरी बेटी, वरना तेरी ये जो चूचियाँ है ना, इन्हें मरोड़ दूंगा।
और सच में मरोड़ के दिखाई भी सही, थोड़ा दर्द तो हुआ पर मज़ा आया।

और फिर मेरे चूचों, पेट पर हाथ फिराते हुए अपने दोनों हाथ मेरी दोनों जांघों पर ले गए और एक झटके से उन्हें भी खोल दिया।

मुझे दर्द हुआ, मैं शर्म से गड़ गई क्योंकि मेरी चूत बहुत ज्यादा गीली हो रही थी, जो मेरी उत्तेजना की पोल भी खोल रही थी।
फिर मेरे पैर भी फैला दिए और बोले- इन्हें ऐसे रखना, समझी?

इस बार मैंने उनकी बात पूरी की वरना वो डराने वाले अंदाज़ में बोले- वरना !
यह कहते हुए मेरे दोनों चूतड़ों पर झन्नाटेदार चपत मारी और बोले- लाल कर दूंगा तेरी गांड पीट पीट कर !
मैंने कहा- पापा जी, आखिर किस बात की सज़ा दे रहे हो मुझे?

वो मेरी चूत और गांड सहलाते हुए बोले- लापरवाही से पूरे घर के गेट खुले छोड़ कर और नंगी सोने की सज़ा है यह !
अब उन्होंने मेरे चेहरे से मुझे चूमना शुरू किया मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए।

मुझे अजीब सा लगा, फिर वो नीचे मेरे स्तन शिखर को चूसते हुए नीचे चले, मेरी गहरी नाभि पर जीभ फिराई।
मैं उत्तेजना से मरी जा रही थी और जैसे ही उनकी जीभ ने मेरी चूत को छुआ मेरे आहें बाहर भी निकलने लगी।

पर वो यहाँ तक भी नहीं रुके, अपनी उँगलियों से मेरी चूत की दोनों पंखुड़ियों को पूरा खोल दिया और अपनी जीभ को मेरी चूत के सबसे नीचे वाले हिस्से पर रख कर उसे गहराई तक धँसाते हुए, ऊपर की तरफ लाये और मेरे योनि के दाने को रगड़ दिया।

मैं उछल पड़ी और पैर पटकने लगी, पर वो यही क्रिया बार बार दोहराने लगे।
अब मैं चिल्लाने लगी- पापा जी, प्लीज़ !
और पूरी ताक़त लगा कर पलट गई।
लेकिन ये भी पापा जी के लिए एक और सौगात हो गई क्योंकि अब मेरी मस्त मस्त गाण्ड उनकी पकड़ में आ गई थी।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मेरे चूतड़ सही में बहुत ही मस्त और उत्तेजक हैं, नीलेश भी अपने फोरप्ले का काफी समय इन पर लगाता है।
एकदम चिकने गोल दूधिया जैसे दो पूनम के चाँद किसी ने बाँध दिए हों और उनके बीच की दरार एक लम्बी खाई की तरह गहरी ! पापाजी तो बावरे हो गए यह सब देख कर और उन्होंने मेरी गांड को पकड़ के ऊंचा कर दिया, मेरे सर और कमर नीचे कर दी।

अब उनके पास मेरी गांड के गोले, गांड का छेद और चूत सब कुछ था और फिसलपट्टी की तरह नीचे जाती कमर।
अब उन होने समय बर्बाद नहीं किया, और अब वो मेरे गांड के छेद को भी चाटने लगे, थूक थूक कर और खोल खोल कर !
मुझे अब सही में मज़ा आने लगा था और मेरी चूत चुदने को मरी जा रही थी यानि मैं खुद अपने ससुर पापा जी से चुदवाने को उतावली हो रही थी !

पापाजी फौजी थे तो गालियाँ भी बोलते थे और अब इस समय भी उनकी गालियाँ शुरू हो गई थी, उन्हें कोई लिहाज़ नहीं था कि वो अपनी बहु को ऐसा बोल रहे है- साली, बहनचोद, मादरचोद, और भी जाने क्या क्या, तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा !’

अब यह भोसड़ा क्या होता है, यह मुझे नहीं पता, पर वो बोल रहे थे।
और मैं एक कुतिया की पोज़िशन में गांड ऊँची किये उनके लण्ड का इंतज़ार कर रही थी।
और फिर उन्होंने मेरी गीली चूत के मुँह पर लण्ड टिकाया और धीरे धीरे अंदर सरकाने लगे।
दोस्तो, सही बताऊँ तो मेरी तो जान ही निकाल दी उन्होंने !

मेरे मुख से ऐसी चीख आज तक नहीं निकली कि पापा जी को मेरा मुँह भींच कर बंद करना पड़ा।
और फिर वो मेरे बालों को पकड़ कर और मेरी नंगी पीठ को मसलते हुए मेरे चूतड़ों पर चांटे मारते हुए चोदने लगे।
मेरी फ़ुद्दी इतनी गीली थी कि फच फच… फच फच… की आवाजे आ रही थी, मेरी ऊओह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह… आऊउछछ… और उनकी गालियाँ सब कुछ एक साथ चल रहा था।

लण्ड कुछ ज्यादा ही अंदर घुसा हुआ था।
फिर मैंने अपनी चूत की गहराई में एक गर्म गर्म सा लावा फूटता हुआ महसूस किया।
मैं अपने बाप समान ससुर से चुद चुकी थी।
और अब यग बात किसे बताऊँ किससे छुपाऊँ क्योंकि मुझे खुद भी खूब मज़ा आया था।

और फिर मैं ऐसे ही पड़ गई, पापा जी ने मुझे चोद चोद के मेरा कचूमर निकाल दिया उस दिन !
और एक बार फिर में वैसे ही नंगी धडंगी सो गई, क्योंकि अब किसका डर था !

दोस्तो, अब मैं आपकी राय जानना चाहती हूँ इस बारे में क्योंकि मैंने यह बात नीलेश को भी नहीं बताई है, और ससुर जी अभी भी मुझे अकेले में पकड़ लेते है, और मैं बेबस हो जाती हूँ।
आपके मेल का इन्तज़ार रहेगा मुझे !
आपकी स्वाति
swatisharmasexy@hotmail.com

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