कामिनी ने मुझे फ़्रॉक दी, मैंने पहन कर देखी मैं काफ़ी रोमांचित हो गई।
मैं उत्साहित होकर सनी का इन्तजार करने लगी।
आठ बजे सनी आये और आते ही मुझे गोदी में बिठा कर चूमा चाटी की, हम दोनों चाय पीकर साथ साथ नहाने गए।
नहाकर मैंने तो फ्रॉक पहनी, उसके नीचे ब्रा और पैंटी भी पहनी, सनी ने लुंगी बिना अंडरवियर के पहनी।
मैंने कहा- अंडरवियर क्यों नहीं?
तो बोले- गर्मी है!
नौ बजे राजीव कामिनी आये।
कामिनी खुले बालों में गजब लग रही थी और राजीव का शार्ट लोअर उसके औजार का साइज़ बताने के हिसाब से छोटा था। राजीव ने बड़ी बेशर्मी से मेरे गालों को सहलाया, मुझे उलझन लगी पर कामिनी ने तो हद कर दी, सबके सामने मुझे चूम लिया और मेरे मम्मों से अपने मम्मे भिड़ाये।
वो मुझे खींचकर कमरे में ले गई और बोली- ये ब्रा क्यों पहनी है?
मैंने कहा- कामिनी हद करती हो, राजीव भैया के सामने बिना ब्रा के?
तो वो बोली- बेफिक्र रहो, राजीव तुम्हारे मम्मे नहीं दबायेंगे।
मैं हंस पड़ी और बोली- तुम चलो मैं अभी उतार कर आती हूँ!
मैं फटाफट ब्रा उतारकर बाहर गई और सबको कोल्ड ड्रिंक सर्व की।
राजीव ने कामिनी से कहा कि वो उसकी गोद में बैठ जाये।
मुझे लगा कि वो मजाक कर रहे हैं मगर कामिनी तो उछाल मार कर राजीव की गोद में जा बैठी।
मुझे लगा सनी को ख़राब लग रहा होगा, पर वो तो मेरी ओर देखकर आँख मारकर बोला- भाई अब मुझे क्यों अकेला छोड़ रही हो?
कामिनी उठी और मुझे जबरदस्ती सनी की गोद में बिठा दिया।
सनी को खड़ा लंड मुझे ठीक से बैठने नहीं दे रहा था, मैं इधर उधर हिल रही थी।
यह देखकर कामिनी हंसकर बोली- इसे अंदर करके आराम से बैठ जाओ, अपना ही घर और अपना ही घरवाला है।
मेरी फ्रॉक पीछे से ऊपर उठी हुई थी, मगर मैंने पैंटी पहनी हुई थी।
सनी इतनी हिम्मत नहीं कर पा रहा था कि वो सबके सामने मेरी पैंटी उतार सके।
कामिनी उठी और कमरे की बड़ी लाईट बंद कर कर छोटी लाईट जला दी जिसमें कुछ ज्यादा नहीं दिख रहा था।
फिर वो राजीव की गोद में बैठ गई, मगर बैठते समय उसने अपनी फ्रॉक पीछे से ऊपर उठा दी।
और पता नहीं क्या हुआ, उसकी हल्की सी ‘ओ मर गई…’ की आवाज आई।
मैंने ध्यान से देखा तो समझ में आया कि राजीव भैया ने अपना लंड उसकी चूत में कर दिया है।
मुझे बड़ी शर्म आ रही थी, मैं वहाँ से उठी और किचन में चली आई।
पीछे पीछे कामिनी भी आ गई और हंसते हुए बोली- राजीव बहुत बेसब्र है, कभी जगह का भी ख्याल नहीं रखते!
उसने पीछे से मेरी फ्रॉक उठा कर कहा- अरे तूने पैंटी क्यों पहनी, इसीलिए सनी तेरी चूत में नहीं घुस पाया?
मैंने कहा- आखिर कुछ तो शर्म होनी ही चाहिए और अगर मैं बिना पैंटी के भी होती तो सनी सबके सामने कुछ ऐसा नहीं करते।
कामिनी बोली- चल लगा शर्त, तू पैंटी उतार और फिर देखना सनी की बेशर्मी!
मैंने भी शर्त मान ली और किचन में ही पैंटी उतार दी।
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कामिनी बोली- अब मैं बाहर जाती हूँ, तू सनी को किसी बहने से यहाँ बुला ले, फिर देखना सनी की शराफत!
कामिनी बाहर चली गई, मैंने सनी को आवाज लगाकर कहा कि खाना लगवाने में मेरी मदद करो।
मैं खुद भी चुदासी हो रही थी, बल्कि मेरा मन तो कर रहा था कि बजाये सनी के राजीव को यहाँ बुलाऊँ!
सनी आया और बोला- क्या मदद करूँ जानू?
पीछे से आते ही उसने मेरी गांड को टटोला और जब उसे ये एहसास हुआ कि मैंने पैंटी उतार दी है तो वो जैसे पागल हो गए, उसने मुझे पीछे से पकड़ा और मेरे मम्मे दबाने शुरु कर दिये।
मैंने भी पीछे हाथ ले जाकर उसका लंड पकड़ लिया।
बस अब क्या था, उसने अपना लंड बाहर निकला और घुसेड़ दिया मेरी चूत में!
मैं बोली- क्या कर रहे हो? कामिनी आ जाएगी।
सनी बोला- वो कैसे आएगी, वो तो बाहर चुदवा रही है।
मुझे विश्वास नहीं हुआ, मैं सनी का हाथ पकड़ कर बाहर आई तो देखा राजीव कामिनी को कुतिया स्टाइल में चोद रहा है।
मैं घबरा रही थी, यह मेरे लिए नया और अजूबा अनुभव था।
मेरी चूत गीली और चुदने को बेताब थी।
सनी ने मेरी आँखें पढ़ ली थी और मुझे उसने आगे मेज पर झुकाया और अपना लंड मेरी चूत में दाखिल कर दिया।
अब कामिनी और मैं चुदवा रही थी और एक दूसरे को देख भी रही थी।
हालाँकि सनी का लंड राजीव से बड़ा था मगर मुझे अपनी चचेरी बहन की बात याद आ रही थी कि दूसरे लंड का मजा कुछ और ही है।
इतने में ही राजीव ने अपना माल कामिनी के अंदर छोड़ दिया और वो एक रुमाल से अपने को पौंछने लगे।
सनी के धक्के चालू थे और कामिनी आँख फाड़कर सनी के लंड को देख रही थी।
अचानक राजीव उठा और मेरे मम्मे पकड़ लिए।
सच बताऊँ तो मुझे अच्छा लगा।
सनी ने धक्के और तेज कर दिए और एक झटके में अपना माल मेरी चूत में डाल दिया।
हम सब हंसते हुए उठे और अपने अपने को साफ करके खाना खाने बैठ गए।
खाना खाकर मैंने दीपा को फ्रिज से आइसक्रीम निकालने को कहा।
वो उठी, मैं भी पीछे पीछे चला गया, मैंने उसको पीछे से गले लगाकर पूछा कि उसे बुरा तो नहीं लग रहा, और क्या वो और भी आगे बढ़ने को तैयार है?
तो उसने पलट कर मुझे चूम कर कहा कि मेरे साथ वो हर चीज के लिए और किसी भी लिमिट तक तैयार है बस इन सबसे मेरे और उसके संबंधों पर फर्क नहीं आना चाहिए।
मैंने उससे पूछा- कामिनी और राजीव कैसे लगे?
तो वो हंसकर बोली- कामिनी बहुत जिंदादिल और अच्छी है और राजीव को उसने चखा कहाँ है तो उसे क्या मालूम कि वो कैसा है।
मैंने कहा- चल बाहर… अभी चखा दूँ।
तो दीपा बोली- अभी तो आइसक्रीम ले आऊँ, फिर देख लेंगे! जरूरी तो नहीं कि आज ही सारा कार्यक्रम हो जाये!
वो चार कपों में डालकर आइसक्रीम ले आई, हमने आइसक्रीम खानी शुरू की तो राजीव ने फिर एक नई खुराफात हमसे बिना पूछे कर दी, उसने कामिनी को लिटाकर उसकी फ्रॉक ऊपर करके उसकी चूत में अपना आइसक्रीम का कप पलट दिया और उसे जीभ से चाटने लगा।
कामिनी ने दीपा जो आँख फाड़कर ये नजारा देख रही थी, को अपने पास बुलाया और उसे अपने मुँह के ऊपर बिठाया और उसकी चूत चूसने लगी।
अब अकेला मैं क्या करता, मैंने भी ताव में आकर अपने लंड पर आइसक्रीम लगा ली और लंड दे दिया दीपा के मुँह के अंदर…
यह देख कर कामिनी बोली- सनी, मुझे भी चूसना है!
मैंने दीपा की ओर देखा, दीपा ने मेरे लंड को मुँह से निकाल कर उस पर और आइसक्रीम लगा कर मुझे अपनी जगह बिठा दिया और कामिनी मेरे लंड चूसने लगी।
राजीव कामिनी की चूत चूस रहा था और कामिनी मेरे लंड चूस रही थी।
मैंने दीपा से कहा- राजीव का लंड खाली है उसे तू चूस…
दीपा को झिझक हो रही थी, राजीव ने उसका हाथ अपने लोअर में कर दिया।
फिर तो दीपा ने उसका लोअर नीचे किया और उसका लंड अपने मुँह के अंदर ले लिया।
क्या नजारा था… हर ओर चुसाई और चुदाई का आलम!
जैसे ही एक मिनट को राजीव ने अपना मुँह कामिनी की चूत से हटाया और दीपा से चुसवाने में अच्छी पोजीशन करी, मैंने फटाक से अपना लंड कामिनी के मुँह से हटाकर उसकी चूत में घुसा दिया।
कामिनी ने भी अपनी टांगें मेरे कंधों पर रख ली। हम जोरदार चुदाई में लग गए।
यह देखकर दीपा ने भी राजीव का लंड मुँह से निकाल दिया और लेट गई इस इन्तजार में कि राजीव उसकी चूत फाड़ दे!
राजीव ने उसकी दोनों टांगों को दोनों हाथों से फैलाया और अपना औज़ार दीपा की चूत में डाल दिया।
दीपा ने जिन्दगी में पहली बार किसी दूसरे का लंड खाया था, भले ही इसका इंतज़ार वो कबसे कर रही थी।
दीपा और कामिनी ने एक दूसरे के हाथ पकड़ लिए थे और मैं और राजीव एक दूसरे की बीवियों की चूत बजा रहे थे।
मैंने कहा- राजीव चलो इनकी गांड भी खोल दें!
मगर दीपा इसके लिए तैयार नहीं हुई, बोली- फिर कभी!
रात काफी हो चुकी थी, कामिनी राजीव अपने घर चले गए।
हमने कपड़े नहीं पहने थे, हम ऐसे ही सो गए।
अगले इतवार को कामिनी ने वाटर पार्क का प्रोग्राम बनाया। मेरी छुट्टी तो मंगलवार को होती थी मगर कामिनी के बार बार कहने पर मैं दोपहर दो बजे बाद चलने को तैयार हुआ।
वाटर पार्क में स्विमिंग कोस्टयूम तो वहीं से लेने थे, अपने टॉवल लेकर दीपा कामिनी के साथ आ गई। मैं और राजीव सीधे वहीं पहुँचे।
कामिनी और दीपा ने बिकनी स्टाइल का कोस्टयूम लिया और मैंने और राजीव ने बरमूडा!
हम लोग एक साथ खूब मस्ती करने लगे। यह तय हो गया था कि कामिनी मेरे साथ रहेगी और दीपा राजीव के साथ!
एक बंद वाली स्लाइड में मैं और कामिनी ऊपर से नीचे फिसल कर आये, अंदर मैंने कामिनी के मम्मे जोरे से दबाये।
कामिनी चीखी पर इतनी शोर में उसकी चीख कहाँ सुनाई देती।
नीचे दीपा आते ही बोली- राजीव तो बहुत बदमाश है! ऊपर से नीचे आते में इसने मेरे मम्मे दबा दबा कर परेशान कर दिया।
हम लोग स्विमिंग पूल में भी इन दोनों की चूत में उंगली करते रहे।
वहाँ खड़े गार्ड ने एक बार देख भी लिया और सीटी बजाई।
मैंने बाहर आकर उससे कहा कि चुपचाप जो हो रहा है होने दे और कल मेरी दुकान पर आकर 500 रुपये ले जाये।
वो मुस्कुरा कर बोला- ठीक है, पर और लोगों न देखें, इस बात का भी ध्यान रखें!
शाम को घर आने पर प्रोग्राम बना कि रात को खाना छत पर खायेंगे।
हम लोग अपना अपना खाना लेकर 9 बजे छत पर पहुँच गए। छत पर ज्यादा रोशनी नहीं थी। कामिनी और दीपा ने तय कर लिया था कि वो दोनों गाऊन में आएँगी, मैंने लुंगी और शर्ट पहनी थी, राजीव भी लुंगी और टीशर्ट पहने था।
हम लोग नीचे चटाई बिछाकर बैठ गए, अब हमें दूसरी छतों से भी कोई देख नहीं सकता था।
कामिनी ने हाथ आगे बढ़ाकर मेरी और राजीव की लुंगी की गाँठ खोल दी।
हमारी लुंगी आगे से खुलकर हमारे औजार दिखाने लगी।
इसके बाद कामिनी ने दीपा के गाऊन की बेल्ट खींच दी।
मैं यह देख कर दंग रह गया कि दीपा ने नीचे कुछ भी नहीं पहना था। अब दीपा ने कामिनी का भी गाऊन खोल दिया, हम चारों अपने नंगे बदन को दिखा रहे थे।
यह देखकर और कामिनी और दीपा की बदमाशी समझ कर हम हंस पड़े।
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राजीव ने दीपा को अपनी ओर खींच लिया, दीपा पेट के बल लेट कर राजीव का लंड चूसने लगी।
मैं कामिनी के पीछे बैठकर उसके मम्मी दबाते हुए उसकी जीभ अपनी जीभ से चूसने लगा।
तभी दीपा ने अपनी उंगली कामिनी की चूत में कर दी और कामिनी ने भी अपने पैर का अंगूठा दीपा की चूत में कर दिया..
कोई देख न ले इसलिए हम लोग खड़े नहीं हो सकते थे।
बहुत देर तक हम ऐसे ही करते रहे।
राजीव तो दीपा के मुँह में झड़ गया पर दीपा, कामिनी और मेरी प्यास अधूरी रही।
मैंने दीपा से कहा- चलो नीचे चलते हैं।
तो कामिनी बोली- मेरा क्या होगा?
पर मजबूरी थी इससे ज्यादा यहाँ कुछ हो भी नहीं सकता था।
मैंने राजीव को एक आईडिया दिया कि दो दिन के लिए जिम कार्बेट पार्क चलते हैं, वहाँ मैं कामिनी के साथ रहूँगा और तुम दीपा के साथ… दो दिन सिर्फ चुदाई… बस खाने के लिए ही बहार निकलेंगे।
मेरा आईडिया सबको पसंद आया। यह जिम्मेदारी मुझे दी गई कि मैं काम के हिसाब से छुट्टी की डेट निकाल लूँ और राजीव से कन्फर्म करके रिजर्वेशन करा लूँ।
जिम कार्बेट की कहानी अगली बार बताऊँगा।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, बताइयेगा।
सनी वर्मा
enjoysunny6969@gmail.com