रात 11 बजे पत्नी का फ़ोन आया, वो रोते हुए बोली कि अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा, उसकी चूत को लंड रोज चाहिए।
वो बोली कि या तो मैं उसे अपने पास ले आऊँ या वो मायके चली जायेगी।
अगले दिन मंगलवार था, दुकान की छुट्टी थी, मैंने मोटरसाइकिल उठाई और घर के लिए चल दिया।
घर पहुँचा तो घर वाले मुझे देख कर घबरा गए क्योंकि मैं बिना बताये पहुँचा था।
पत्नी तो खिल गई मुझे देख कर…
माँ ने पूछा- क्या खायेगा?
मैंने कहा- मुझे आप लोगों से पहले बात करनी है।
सब बैठक में इकट्ठे हुए, मैंने हाथ जोड़ कर कहा कि मैं अपनी पत्नी को साथ ले जाना चाहता हूँ।
पता नहीं क्या हुआ, मेरे बाबा बोले- ठीक है, अगले महीने श्राद्ध हैं, उसके बाद ले जाना।
मैं और मेरी पत्नी बहुत खुश हुए। हमने सबके पैर छुए और उन्हें धन्यवाद दिया।
फिर मैं चाय पीकर अपने कमरे मैं गया। पत्नी को भींचकर उसकी साड़ी उठानी चाही, तभी माँ ने मेरी बीवी को आवाज दी, वो भुनभुनाते हुए बहार चली गई।
वक़्त की बात थी, तभी दूकान के मुनीम का फ़ोन आ गया कि पास में आग लग गई है, हालाँकि अब आग बुझ चुकी है पर फायर ब्रिगेड वाले एक बार हमारा गोदाम चेक करना चाहते हैं।
चाभी मेरे पास थी, मैं तुरंत वापस लौट पड़ा।
दूकान पर और मित्र और राजीव भी थे, गोदाम का ताला तोड़कर फायर वालों ने चेकिंग कर ली थी, सब ठीक था, सब लोग चले गए।
राजीव और मैं दूकान पर अकेले रह गए, मैंने दोनों के लिए खाने को मंगाया और राजीव से कल के लिए संकोच के साथ माफ़ी मांगी।
राजीव ने हँसते हुए कहा- जो कुछ हुआ, वो कामिनी की मर्जी से हुआ! और हम दोनों ने उसे एन्जॉय किया।
राजीव ने मुझसे कहा- आज उनके घर पर कोई नहीं है, इसलिए आज शाम को मैं सीधे दूकान से उनके घर आ जाऊँ, खाना वहीं खाना है।
मैंने कहा- ठीक है, मैं शाम को नहा कर आ जाऊँगा।
इस पर राजीव बोला- नहीं, तुम सीधे घर आना।
मैं कुछ समझा नहीं पर मैंने कहा- ठीक है।
शाम को आठ बजे मैं राजीव के घर पहुँचा, कामिनी ने ही दरवाजा खोला।
उस दिन लिए ऑरेंज सूट में वो परी सी लग रही थी, नेलपेंट भी उसने ऑरेंज ही लगाया था।
दरवाजा बंद करते हुए उसने मुझे धीरे से किस कर लिया, उसके होठों की गर्मी कल से भी ज्यादा थी। लगता था उसकी प्यास और बढ़ गई है।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं अन्दर घुसा, राजीव बेड पर बैठा था, बोला- बहुत देर कर दी, कब से तेरा इंतजार कर रहे हैं। नहाने भी नहीं गए तेरे इंतजार में!
मैंने हंस कर कहा- क्यों, क्या मेरे साथ नहाना है?
राजीव बोला- चलो आज सब साथ नहायेंगे।
कामिनी बोली- मुझे नहीं नहाना सबके साथ, आप दोनों नहा लो, मैं बाद मैं नहाऊँगी।
राजीव ने मुझे आँख मार कर कहा- चल हम दोनों नहाते हैं।
मुझे भी क्या मस्ती सूझी मैं भी कपड़े कर चड्डी में चल दिया।
बाथरूम में राजीव नंगा खड़ा था, मुझे चड्डी में देखकर बोला- क्यों बे, घर में भी चड्डी में नहाता होगा।
कहकर उसने मेरी चड्डी उतार दी, हम दोनों नंगे शावर के नीचे खडे होकर नहाने लगे।
मैंने साबुन लगाने के लिए साबुन उठाया ही था कि राजीव ने कामिनी को आवाज़ दी।
कामिनी दरवाजे पर आकर बोली- क्या चाहिए?
राजीव बोला- चलो तुम नहाओ मत, पर साबुन तो लगा दो हमारी पीठ पर!
कामिनी बोली- तुम दोनों बदमाशी करोगे, मैं नहीं आऊँगी।
मैंने कहा- तुम राजीव के लिए मत आओ पर मेरी पीठ पर तो आज तक किसी ने साबुन नहीं लगाया, प्लीज एक बार लगा दो।
कामिनी बोली- चलो तुम दोनों तौलिया लपेट लो, मैं तभी आऊँगी।
राजीव बहुत बदमाश है, उसने कामिनी को बोला- तुम्हारा नया सूट भीग जायेगा, तुम भी तौलिया लपेट कर आ जाओ और मैं तो तुम्हें कुछ भी नहीं कहूँगा।
कामिनी को भी मस्ती चढ़ी थी, वो सूट उतार कर ब्रा पैंटी के ऊपर ही तौलिया लपेट कर अंदर आ गई।
उसे ऐसे देखकर मेरा लंड तो तौलिया खोलकर बाहर आने की सलामी दे रहा था। कामिनी ने हम दोनों के लंडों को मुस्कुराते हुए देखा और मेरी पीठ पर साबुन लगाने लगी।
राजीव ने अचानक शॉवर खोल दिया।
अचानक बौछार से हम तीनों भीग गए, बचने की कोशिश में मेरा तो तौलिया खुल गया, मैं नंग धड़ंग खड़ा था।
मुझे देख कामिनी ने राजीव का भी टॉवल खोल दिया, राजीव ने कामिनी का तौलिया हटा दिया।
वो मेरी दी हुई ब्रा पैन्टी में हूर की परी लग रही थी।
वो बोली- ये तो बेइमानी है।
मगर अब उसकी कौन सुन रहा था, राजीव ने उसको कस कर पकड़ कर शावर के नीचे ले लिया और उसके मम्मे चूसने लगा।
उसने मुझे नीचे झुकने को कहा।
मैं जैसे ही नीचे झुका उसने कामिनी की पैंटी उतार कर उसकी चूत मेरे मुँह के सामने कर दी।
मैंने जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
कामिनी तड़फ रही थी, उन्ह आह की आवाज बढ़ती जा रही थी।
अचानक कामिनी ने मेरे मुँह में अपना योनि रस छोड़ दिया, वो हाँफती हुई राजीव से बोली- चलो बेड पर चलो।
हम लोग नंगे ही बाहर आये।
कामिनी बोली- पहले खाना खा लो, फिर..
राजीव बोला- फिर क्या?
कामिनी हंसते हुए बोली- फिर चुदाई..
कामिनी मुझसे बोली- बुरा नहीं मानना, राजीव को यही भाषा पसंद है।
हमने तौलिया लपेट कर खाना खाया।
खाना खाते समय राजीव ने दो बार कामिनी की तौलिया खोलकर उसके मम्मे चूस लिए।
कामिनी भी टेबल के नीचे से पैर से मेरा लंड हिलाने की कोशिश कर रही थी
खाना खाकर हम बेडरूम में आये।
कामिनी ने पूछा- कुछ मीठा?
राजीव ने उसके मम्मे चूसते हुए कहा- सनी, इन आमों से मीठा और क्या?
अब उसका एक मम्मा मैं चूस रहा था और एक राजीव।
कामिनी ने मेरा हाथ अपनी चूत पर रख दिया, मैंने अपनी दो उँगलियाँ उसकी चूत में कर दी और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा। वो भी तड़फ कर बोल रही थी- सनी, और जोर से करो न प्लीज, आज फाड़ दो दोनों मिलकर मिलकर मेरी चूत को।
राजीव ने यह सुनकर उसे बिस्तर पर गिराया और चढ़ गया उसके ऊपर…
उसका लंड छोटा था, उसने अपने लंड को उसकी चूत में डाल दिया पर कामिनी की तड़फ शांत नहीं हुई थी, उसकी चूत में तो आग लगी हुई थी।
मैंने अपना लंड उसके मुँह में कर दिया, अब वो जोर जोर से हिल हिल कर मेरा लंड चूस रही थी।
राजीव का हो गया था, पर कामिनी की आग तो भड़की हुई थी, वो राजीव को गाली देते हुए बोली- जब मेरी आग बुझा नहीं पाते तो लगाते क्यों हो?
राजीव बोला- तेरी आग बुझाने को ही तो सनी को बुलाया है। आज वो तेरी चूत फाड़ेगा।
कामिनी बोली- हाँ मेरे राजा सनी… आ देखूँ तेरे लंड की ताक़त!
मैं यह सुन कर उसकी ओर लपका और एक झटके में ही उसकी चूत में लंड घुसेड दिया।
कामिनी एक बार तो चीखी- फाड़ देगा हरामी… चल अब धक्का मार जोर जोर से!
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
और फिर शुरू हुआ चुदाई का घमासान जो उस कमरे की दीवारों ने कभी देखा न था।
राजीव भी कामिनी के मम्मे मसल रहा था, कामिनी उसका लंड पकड़ कर उसे दोबारा खड़ा कर चुकी थी।
मेरा लंड कामिनी की चूत से दोस्ती के नए आयाम स्थापित कर रहा था, पूरा कमरा ‘फच्च फच्च… उह आह…’ की आवाज से गूँज रहा था।
चूँकि कामिनी की चूत में पहले से ही राजीव का वीर्य पड़ा था इसलिए मेरे लंड की स्पीड उसकी कसी हुई चूत में खूब बढ़ी हुई थी।
मैंने भी कभी इतने खुले माहौल में चुदाई नहीं की थी जहाँ शोर या आवाज का कोई डर नहीं था।
और यह हूर जैसा मखमली नंगा बदन मुझसे चिपका पड़ा था, सब कुछ एक सपने की तरह हो रहा था।
मेरा लंड और कामिनी की चिकनी चूत एसे भिड़े हुए थे जैसे बरसों के प्यासे हों।
न कामिनी को इस बात की परवाह थी कि वो अपने पति के सामने एक पराये मर्द से चुद रही है, न मुझे इस बात का डर था कि मैं एक पराये आदमी की बीवी को उसी के सामने उसी के बिस्तर पर चोद रहा हूँ।
तभी मुझे लगा कि कामिनी ने एक बार फिर अपना योनि रस छोड़ दिया है..
ठीक उसी समय मुझे भी लगा कि मैं आने वाला हूँ, मैंने कामिनी से कहा- मेरी जान, मैं छुटने वाला हूँ, कहाँ निकालूँ?
कामिनी बोली- मेरे अंदर ही डाल दो मेरे राजा, आज मेरी चूत की दूसरी सुहागरात है।
उसे और मुझे यह शर्म ही नहीं थी कि उसका पति भी हमारी बात सुन रहा है।
मैं अपना सारा माल उसके अंदर डाल कर निढाल होकर उसके ऊपर ही लेट गया।
वो भी मुझे ऐसे भींच कर बुदबुदा रही थी- अब मुझे छोड़ कर मत जाना जानू…
कुछ मिनट ऐसे पड़े रहने के बाद मुझे ख्याल आया कि घर भी तो जाना है। मैंने कामिनी को अलग करते हुए राजीव से कहा- मुझे घर जाना है।
कामिनी बोली- कॉफ़ी बनाती हूँ, पीकर जाना।
वो नंगी ही किचन में गई, राजीव उसके पीछे पीछे किचन में गया, मैं बाथरूम में एक बार फिर शावर लेने चला गया।
किचन से फिर ‘उह आह…’ की आवाज आने पर मैं समझ गया कि राजीव फिर चालू हो गया है।
मैं वहाँ झांकने गया तो देखा कि राजीव कामिनी को कुतिया बना कर चोद रहा है।
मुझे देखते ही बोला- तू भी आ जा, दे दे इसके मुँह में।
कामिनी ने खुद हाथ बढ़ा कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसना शुरू कर दिया।
राजीव तो बहुत जल्दी झड़ गया और कामिनी की प्यास फिर अधूरी रह गई।
मैंने कहा- अब फिर कभी!
काफी पीकर मैं घर आ गया।
आते ही मेरी बीवी का फ़ोन आया।
कहानी जारी रहेगी।
enjoysunny6969@gmail.com