Didi Ke Dudh Ki Chai Se Chudai Tak Ka Safar - 2

Views: 41 Category: Brother-Sister By tiggaabhinay Published: June 19, 2025

अब आगे Xxx ब्रो सिस हॉट कहानी:

आज सुबह से बच्चे की तबीयत कुछ खराब लग रही थी।
उसने दूध बहुत कम पिया।

दीदी ने उसे दवाई पिला दी थी, जिससे वो सो रहा था।

इधर दीदी के बूब्स काफी बड़े-बड़े हैं, जिनमें बहुत सारा दूध बनता है।
अब बच्चे के दूध न पीने से बहुत सारा दूध दीदी की छाती में जमा हो गया था।

दीदी ने दबा-दबाकर थोड़ा-बहुत तो निकाला था और चाय बनाई थी।

परन्तु उतने से काम बनने वाला नहीं था।

लगातार दीदी का दूध अपने आप बाहर लीक करने लगा था, जिससे दीदी का ब्लाउज़ भीगने लगा था।

इस दौरान हमने दोपहर को साथ में लंच किया।
मैंने दीदी और उनके बूब्स दोनों को नोटिस किया कि दीदी कुछ परेशान लग रही हैं और उनका ब्लाउज़ गीला लग रहा है।
मगर मैंने कुछ नहीं कहा और न ही दीदी ने कुछ कहा।

लेकिन जब हम दोपहर को खाने के बाद टीवी देख रहे थे, तो दीदी पास ही बैठकर दर्द से कराह रही थीं।
बार-बार अपना हाथ अपने ब्लाउज़ के पास ले जा रही थीं।

मगर मैं देखकर क्या सोचूँगा, इसलिए अपना दर्द छुपा भी रही थीं।

मैंने उन्हें इस हालत में देखा, तो पूछा, “क्या हुआ दीदी? कोई परेशानी है?”
दीदी, “नहीं भाई, कुछ नहीं।”

मैं टीवी देखता रहा।

लेकिन दस मिनट बाद दीदी से रहा नहीं गया।
वो दर्द से रोने लगीं और अपने बूब्स को दबाने लगीं।

मैंने पूछा, “क्या हो रहा है दीदी? तुम मुझे क्यों कुछ नहीं बता रही हो?”

दीदी, “भाई, मेरे बच्चे ने आज मेरा दूध ठीक से नहीं पिया है। इसलिए वो सारा अंदर ही जमा हो गया है। मेरी छाती भारी हो गई, जिससे मुझे दर्द हो रहा है। आज तो घर में तुम्हारे जीजू भी नहीं हैं, जो मुझे इस दर्द से छुटकारा दिला पाते!” और वो जोर-जोर से रोने लगीं।

मैंने दीदी से कहा, “रो मत दीदी! मैं तुम्हारा भाई हूँ। तुम्हें किसी भी दर्द में नहीं देख सकता। मैं तुम्हें इस दर्द से छुटकारा दिलाऊँगा!”
कहकर मैं दीदी के पास बैठ गया।

मैंने देखा, दीदी का दूध ब्लाउज़ के बाहर टपक-टपक कर उनके पेट पर गिर रहा था।

लेकिन दीदी बोल रही थीं, “तुम मेरे भाई हो, ये ठीक नहीं होगा!”
मैंने दीदी से कहा, “दीदी, अगर मैं तुम्हारा दूध पी लूँ, तो तुम्हें इस दर्द से जल्दी छुटकारा मिल जाएगा!”

मैंने दीदी को पुरानी बात याद दिलाई, “हम दोनों बचपन से एक साथ एक कमरे में सोते थे। जब आपके बूब्स थोड़े बड़े हो रहे थे, तो हम दोनों में कभी कोई नोक-झोक होती थी। मैं सीधे तुम्हारे बूब्स दबा दिया करता था और तुम मम्मी या पापा से मेरी शिकायत कर मुझे पिटवाती थीं। और तो और, दीदी, तुम ये बात कैसे भूल सकती हो कि जब तुम्हें बारहवीं कक्षा में बहुत सारा प्रैक्टिकल मिला था, जिसे जल्दी पूरा करना था, तो तुमने मेरी मदद माँगी थी। मैंने तुम्हें बदले में तुम्हारे बूब्स चूसने की माँग की थी। तुम इस चीज़ के लिए राज़ी हो गई थीं। जब मैंने वो प्रैक्टिकल जल्दी खत्म कर दिया था, तब तुमने मुझे कमरे और लाइट को बंद करके अपने बूब्स चुसवाए थे। तब मैंने आपसे कहा था कि दीदी, इसमें तो दूध नहीं आ रहा है! तो आपने कहा था कि भाई, मेरा दूध जब आएगा, तुझे पक्का पिलाऊँगी!’ और आज दर्द हो रहा है, फिर भी तुम तैयार नहीं हो रही हो!”

दीदी, “भाई, ऐसी बात नहीं है। मैंने तुझसे जो वादा किया था, उसे मैं पूरा भी कर चुकी हूँ। तुझे अपने दूध की चाय पिलाकर!”
मैं, “दीदी, क्या तुम सच कह रही हो?”
दीदी, “हाँ भाई! जब से तू आया है, तब से रोज़ तू मेरे ही दूध से बनी चाय पी रहा है!”

मैं, “तो वाह दीदी! आप अपने दूध का चाय पिला सकती हो अपने भाई को, लेकिन दूध नहीं पिला सकती? कुछ भी हो दीदी, मैं आपको ऐसे दर्द में नहीं देख सकता। मैं आपके लिए कुछ भी कर सकता हूँ!”

थोड़ी देर दीदी ने रोते हुए ना-नुकुर की, लेकिन फिर तैयार हो गईं।
उन्होंने अपना पल्लू हटाकर अपने ब्लाउज़ और ब्रा को पूरा निकाल दिया।

हाय! मैं तो पहली बार दीदी के दोनों बड़े-बड़े चूचियों को नंगी देखकर पागल हो गया।
क्या मस्त दूध थे दीदी के! काले-काले बड़े-बड़े जामुन के समान निप्पल्स और काले रंग का बड़ा ऐरिओला था।
उसमें एक-एक बूँद दूध अपने आप टपक रहा था।

मैंने ज्यादा देर न करते हुए अपना मुँह दीदी की लेफ्ट वाली चूची में भर लिया और दबाकर पीने लगा।

वाह! क्या मीठे-मीठे लग रहे थे!
मैं चूस-चूसकर मस्ती में दूध पी रहा था।
इस दौरान दीदी को भी राहत मिल रही थी।
वो अपनी आँखें बंद कर चुसवाने में मस्त थीं।

मैंने बारी-बारी दोनों बूब्स से दीदी के मस्त मीठे-मीठे दूध पिए जा रहा था और दीदी के पेट पर हाथ फेर रहा था।
दूध पीते-पीते मेरा लंड पूरा खड़ा होने लगा।
मैं दूध पीते हुए दीदी के बदन पर हाथ फिरा रहा था।

दीदी भी अब मस्ती में आ रही थीं; आह आह कर रही थीं।

तब मैंने हाथ बढ़ाते-बढ़ाते अपना हाथ दीदी के पेटीकोट में डालकर उनकी चूत तक ले जाने लगा।
लेकिन मेरा हाथ दीदी की चूत को टच करता, इससे पहले ही दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया।

दीदी, “भाई, ये क्या कर रहा है तू? ये गलत है! मैं तेरी दीदी हूँ। हम दोनों सगे भाई-बहन हैं। तू ऐसा सोच भी कैसे सकता है कि मैं तुझे ये सब करने दूँगी!”

अब लगभग मैंने दीदी का बहुत सारा दूध पी ही लिया था।
तो मैंने फिर पीना छोड़ दिया।
दीदी ने अपने बूब्स ब्लाउज़ और ब्रा में कैद कर लिए और उठकर वहाँ से चली गईं।

अब मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था दीदी के दूध पीने से।
मैं तुरंत बाथरूम में चला गया और दीदी के नाम की मुठ मार ली।

जब वापस आया, तो देखा दीदी किचन में झुककर कोई काम कर रही हैं और उनकी बड़ी-सी गांड मेरी तरफ है।

दीदी की इतनी बड़ी गांड देखकर मेरे मुँह में पानी आने लगा।
मैं सोचने लगा कि काश ये गांड एक बार मिल जाए, तो मज़ा ही जाए!
फिर सोचा, लेकिन दीदी कहाँ कुछ करने देगी।

अब दीदी कुछ रिलैक्स लग रही थीं और बच्चे की तबीयत में भी थोड़ा सुधार हुआ था।
लेकिन फिर भी वो दूध कम ही पी रहा था।

जब रात हुई तो दीदी ने मुझे डिनर करने के लिए बुलाया।
हम साथ में डिनर करने लगे।

मैं दीदी को निहार रहा था।

लेकिन आज जब दीदी ने नोटिस किया, तो उन्होंने कहा, “भाई, तू इतना नीचे कैसे गिर सकता है कि अपनी ही दीदी को एक औरत की नज़र से देखता है और उसे चोदना चाहता है? अगर मम्मी-पापा या दुनिया में किसी को पता चलेगा, तो लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे?”
मैंने कहा, “दीदी, आप मुझे बहुत अच्छी लगने लगी हो। जब से मैं यहाँ आया हूँ, तब से मेरे होश नहीं संभल रहे हैं। मैं भूल चुका हूँ कि आप मेरी सगी दीदी हो। मुझे आप किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही हो। लगता है मुझे आपसे प्यार हो गया है!”

दीदी, “भाई, तू मुझसे कोई प्यार नहीं करता। तेरे अंदर मेरे लिए हवस बोल रही है!”

ऐसी बातें करते-करते मैंने देखा कि दीदी की ब्लाउज़ फिर से गीली हो रही है।
लेकिन दीदी ने कुछ नहीं कहा और अपने बेडरूम में सोने चली गईं।

मैं भी अपने रूम में चला गया और सोचने लगा कि दीदी के बूब्स भारी हो गए हैं।
फिर भी दीदी ने मुझे अपना दूध नहीं पिलाया।
लगता है कि मुझसे पूरी तरह नाराज़ हो गई हैं।

फिर मैंने सोचा कि क्यों न कल सुबह ही दीदी को सॉरी बोलकर घर चला जाऊँ।
ऐसा सोचकर मैं सो गया।

तभी रात 2 बजे दीदी मेरे कमरे में आईं “भाई, मेरी मदद करो! मेरे सीने में बहुत दर्द हो रहा है!”
और वो दर्द से कराहने लगीं और हल्के-हल्के रो रही थीं।

मुझे लगा, शायद दर्द बहुत हो रहा होगा। यही सही मौका है। वरना बच्चे के ठीक होने और जीजू के आने के बाद मुझे कभी भी दीदी की चूत और गांड नहीं मिलने वाली।

तो मैंने एक चाल चली और दीदी से कहा, “मुझे माफ कर दो दीदी! मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। मुझे आपके साथ ये सब कुछ नहीं करना चाहिए था। हम सगे भाई-बहन हैं। मैंने आपका दूध पी लिया और आपको गलत तरीके से यहाँ-वहाँ हाथ लगाया। मुझे माफ कर दीजिए। मैं कल सुबह ही अपने घर चला जाऊँगा!”

कहकर मैं झूठ-मूठ का रोने की एक्टिंग करने लगा।

अब दीदी और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगीं, “भाई, तू ये क्या बोल रहा है? तू मुझे कैसे ऐसे दर्द में छोड़कर जा सकता है? क्या तू मुझसे प्यार नहीं करता?”
मैं, “दीदी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ। लेकिन मुझसे ये सब और नहीं हो पाएगा। हो सके, तो मुझे माफ कर दीजिए!”

दीदी, “भाई, ऐसा मत कर! चाहे तुझे मेरे साथ जैसा करना है, वैसा कर ले। मैं तुझे रोकूँगी नहीं!”

इतना कहकर दीदी ने अपना ब्लाउज़ और ब्रा उतारकर खड़ी हो गईं और रोते हुए बोलीं, “प्लीज़ भाई, पी लो इसे!” और अपनी एक चूची मेरे मुँह में डालकर पिलाने लगीं।

अब मैं भी क्या करता? मैंने दीदी को बेड पर सुलाकर उनका मीठा-मीठा दूध दबाकर पीने लगा।

बारी-बारी से मैंने दीदी के दोनों बूब्स में से दूध खाली कर चुका था।
मैं दीदी के जिस्म में यहाँ-वहाँ, जहाँ मन लगे, वहाँ हाथ फिरा रहा था।

Xxx ब्रो सिस हॉट खेल में दीदी भी अब मुझे रोक नहीं रही थीं।

मैं दूध पीते-पीते दीदी की पीठ, पेट, गांड सभी सहलाने लगा।
सहलाते-सहलाते मैंने अपने हाथ को दीदी की चूत तक ले गया।

जब मैंने हाथ दीदी की पेंटी में रखा, तो पाया कि दीदी की चूत काफी गर्म और गीली हो चुकी थी।
उसमें से भीनी-भीनी खुशबू आ रही थी।
ये वही खुशबू थी, जिसे मैंने बाथरूम में दीदी की पेंटी से सूँघा था।

मैं अब दीदी का दूध छोड़कर नीचे उनकी जाँघों पर आ गया।

मैंने दीदी की साड़ी और पेटीकोट उतार दिया।
अब दीदी सिर्फ पेंटी में थीं, क्योंकि ब्लाउज़ और ब्रा तो दीदी पहले ही उतार चुकी थीं।

दीदी को पहली बार मैं सिर्फ पेंटी में देख रहा था।
कितनी प्यारी लग रही थीं दीदी! वो शर्मा भी रही थीं, बस कुछ बोल नहीं रही थीं।

मैंने भी ज्यादा देर न करते हुए सीधे दीदी की मांसल जाँघों को चूमने लगा।
दोनों हाथों से दीदी की पेंटी निकालकर उन्हें पूरी नंगी कर दिया। दीदी शर्म से अपने हाथ से अपनी चूत को ढकने की कोशिश कर रही थीं।

तभी मैंने उनका हाथ हटा दिया और उनकी चूत पर मुँह लगा दिया।
मैं चाटने लगा।
दीदी की चूत बहुत ही सुंदर थी।

मैं दीदी की चूत को दोनों हाथों से फैलाकर चाटने लगा।
दीदी उह आह उह आह कर रही थीं।
उनकी चूत से सफेद मलाई निकल रही थी, जिसे मैं पूरा पी जा रहा था।

दीदी की चूत का रस बहुत ही स्वादिष्ट था।
अब काफी देर चूत चाटने से मेरा लंड लोहे की रॉड की तरह हो गया था।

मैं अपनी पैंट को उतारकर पूरा नंगा हो गया।
मैंने दीदी को मेरा लंड दिखाकर चूसने को कहा।

दीदी मेरे लंड को देखती ही रह गईं, बहुत देर बाद बोलीं, “कितना बड़ा लंड है भाई तुम्हारा! और मोटा भी है। तुम्हारे जीजू का तो इससे आधा ही होगा!”

मैंने अपना लंड पकड़कर दीदी के मुँह में डाल दिया।
लंड बड़ा होने के कारण दीदी जैसे-तैसे करके मुँह में ले रही थीं।
परन्तु दीदी ने इतने बड़े लंड को पूरा मुँह में लिया और क्या मस्त चुसाई करने लगीं!

दोस्तो, यदि आपने अपनी दीदी से अपना लंड चुसवाया होगा, तब आप ऐसा फील कर सकते हैं, जैसा मैंने किया।
क्या मज़ा आ रहा था दीदी की लंड चुसाई से! दीदी मेरा लंड ऐसा चूस रही थीं, जैसे शायद वर्षों से प्यासी हों।
जो भी हो, मैं तो सातवें आसमान में था।
दीदी कभी मेरा लंड चूसतीं, तो कभी मेरे अंडों को मुँह में दबा लेतीं।

दीदी ने दस मिनट तक बहुत लंड चूसा।
उनकी चुसाई से मैं कंट्रोल नहीं कर पाया और दीदी के मुँह में सारा रस छोड़ दिया।

दीदी ने उसे सारा का सारा चाट-चाटकर पी लिया.

अब तक की Xxx ब्रो सिस हॉट कहानी कैसी लगी आपको?
tiggaabhinay2@gmail.com

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