रानी मधुबाला
रात के करीब दो बजे सुनीता का हाथ रामलाल के लिंग को टटोलने लगा। वह उसके लिंग को धीरे-धीरे पुन: सहलाने लगी। बल्ब की तेज रोशनी में उसने सोते हुए रामलाल के लिंग को गौर से देखा और फिर उसे अपनी उँगलियों में कस कर सहलाना शुरू कर दिया था।
रामलाल और अनीता दोनों ही जाग रहे थे। उसकी इस हरकत पर दोनों खिलखिलाकर हंस पड़े।
अनीता ने कहा- देख ले अपने मौसा जी के लिंग को, है न उतना ही मोटा, लम्बा जितना कि मैंने तुझे बताया था।
वह शरमा कर मुस्कुराई।
रामलाल भी हँसते हुए पूछा- क्यों मेरी जान, मज़ा आया कुछ?
सुनीता ने शरमाकर रामलाल के सीने में अपना मुँह छिपाते हुए कहा- हाँ मौसा जी, मुझे मेरी आशा से कहीं अधिक मज़ा आया आपके साथ। मालूम है, मैंने आपके साथ यह पहला शारीरिक सम्बन्ध बनाया है।
रामलाल बोला- सुनीता रानी, अब से मुझसे मौसा जी मत कहना। मुझसे शारीरिक सम्बन्ध बनाकर तूने मुझे अपना क्या बना लिया है?
सुनीता चुप रही।
रामलाल बोला- अब तूने मुझे अपना खसम बना लिया है। मैं अब तुम दोनों बहनों का खसम हूँ। आई कुछ बात समझ में?
सुनीता बोली- ठीक है खसम जी, पर सबके आगे तो मैं आपको मौसा जी ही कहूँगी।
रामलाल ने सुनीता की योनि में उंगली घुसेड़ कर उसे अन्दर-बाहर करते हुए कहा- चलो सबके आगे तुम्हारा मौसा ही बना रहूँगा।
सुनीता ने रामलाल के एक हाथ से अपनी छातियाँ मसलवाते हुए कहा- हमारा आपसे मिलन भी अनीता दीदी के सहयोग से ही हुआ है। अगर आज दीदी मुझे वह ब्लू-फिल्म नहीं दिखाती तो मैं कभी भी आपके इस मोटे हथियार से अपनी योनि फड़वाने का इतना आनन्द कभी नहीं ले पाती। मेरे खसम, अब तो अपना ये डंडा एक बार और मेरी योनि में घुसेड़ कर उसे फाड़ डालने की कृपा कर दो। इस बार मेरी सुरंग फाड़ कर रख दोगे तब भी मैं अपने मुँह से उफ़ तक न करूंगी।
रामलाल बोला- क्यों अपनी चूत को चित्तोड़-गढ़ बनवाना चाह रही है। मैं तो बना डालूँगा, कुछ धक्को में तेरी योनि की वो दशा कर दूंगा कि किसी को दिखाने के काबिल नहीं रह जाएगी। चल हो जा तैयार…
ऐसा कहकर राम लाल ने अपने मजबूत लिंग पर हाथ फिराया।
इसी बीच अनीता बोली- क्यों जी, आज में एक बात पूछना चाहती हूँ मुझे यह समझाओ कि योनि को लोग और किस-किस नामों से पुकारते हैं?’
अनीता की बात पर सुनीता और रामलाल दोनों खिलखिलाकर हंस पड़े।
रामलाल बोला- मेरी रानी, किसी भी चढ़ती जवानी की लड़की की योनि को चूत कहते हैं। इसके दो नाम हैं- एक चूत, दूसरा नाम है इसका ‘बुर’ चूत सदैव बिना बालों वाली होती है जबकि ‘बुर’ के ऊपर घने काले बाल होते हैं। अब नंबर आता है, भोसड़ी का। मेरी दोनों रानियों ध्यान से सुनना, जब औरत की योनि से एक बच्चा बाहर आ जाता है, तो उसे भोसड़ी कहते है और जब उससे 4-5 बच्चे बाहर आ जाते हैं तो वह भोसड़ा बन जाता है।
सुनीता ने चहक कर पूछा- और अगर किसी औरत योनि से दस-बारह बच्चे निकल चुके हों तो उसकी क्या कहलाएगी?
रामलाल बोला- यह प्रश्न तुमने अच्छा किया। ऐसी औरत की योनि को चूत या भोसड़ी का दर्ज़ा देना गलत होगा। ऐसी योनि बम-भोसड़ा कही जाने के योग्य होगी। तीनों लोग जोरों से हंस पड़े।
सुनीता ने पूछा- राजा जी, इसी प्रकार लिंगों के भी कई नाम होते होंगे?
‘हाँ, होते हैं। आमतौर पर गवांरू भाषा में इसे ‘लंड’ कहते है। परन्तु लड़ते वक्त या गालियाँ देते वक्त लोग इसे ‘लौड़ा’ कहकर संबोधित करते हैं। ये सारे शब्द मुझे कतई पसंद नहीं हैं, क्योंकि मैंने बीसियों रातें तुम्हारी दीदी के संग गुजारी हैं। तुम इनसे ही पूछ लो अगर मैंने कभी इन गंदे शब्दों का प्रयोग किया हो। हाँ, मेरी जिन्दगी में कुछ ऐसी औरतें भी आई हैं, जो अधिक उत्तेजित अवस्था में चीखने लगती हैं ..’फाड़ डालो मेरी चूत’ …’मेरी चूत चोद-चोद कर इसका चबूतरा बना डालो’ …मेरी चूत को इतना चोदो कि इसका भोसड़ा बन जाए’ बगैरा, बगैरा। एक काम-क्रीड़ा होती है- गुदा-मैथुन। इसमें पुरुष स्त्री की योनि न मार कर उसकी गुदा मारता है। मेरे अपने विचार से तो गुदा-मैथुन सबसे गन्दी, अप्राकृतिक एवं भयंकर काम-क्रीड़ा है। इससे एड्स जैसी ला-इलाज़ बीमारियाँ होने का खतरा रहता है।’
अनीता ने पूछा- राजा जी, यह चोदना कौन सी बला है। मैंने कितने ही लोगो को कहते सुना है ‘तेरी माँ चोद दूंगा साले’
रामलाल ने बताया कि स्त्री की योनि में लिंग डालकर धक्के मारने की क्रिया को ‘चोदना’ कहते हैं।
मैंने तुम दोनों बहनों के साथ सम्भोग किया है, चोदा नहीं है तुम्हें।’
सुनीता बोली- मेरे खसम महाराज, एक बार और जोरों से चोदो न मुझे !
रामलाल बोला- चलो, तुम्हारी यह इच्छा भी आज पूरी किये देता हूँ। अनीता रानी, पहले एक-एक पैग और बनाओ, हम तीनों के लिए।
तीनों शराब गले से उतारने के बाद और भी ज्यादा उत्तेजित हो गए। इस बार तीनों लोग एक साथ मिलकर काम-क्रीड़ा कर रहे थे।
रामलाल के एक ओर सुनीता और दूसरी ओर अनीता लेटी और उन दोनों की बीच में रामलाल लेटे-लेटे दोनों के नग्न शरीर पर हाथ फेर रहे थे।
रामलाल कभी सुनीता की योनि लेता तो कभी अनीता की चूचियों से खेलता।
रात के दस बजे से लेकर सुबह के पांच बज गए। तब तक तीनों लोग शरीर की नुमाइश और काम-क्रीड़ा में व्यस्त रहे।
इस प्रकार रामलाल ने दोनों बहनों की रात भर बजाई। उस रात दोनों बहनें इतनी अधिक तृप्त हो गईं कि दूसरे दिन दस बजे तक सोती रहीं।
पूरे सप्ताह रामलाल ने सुनीता को इतना छकाया था कि जिसकी याद वह जीवन भर नहीं भूल पाएगी।
सुनीता तो अपने घर वापस जाना ही नहीं चाहती थी। जाते वक्त सुनीता रामलाल से एकांत में चिपट कर खूब ही रोई।
उसका लिंग पायजामे के ऊपर से ही सहलाते हुए बोली- जानू अपने इस डंडे का ख़याल रखना। मुझे शादी के बाद भी इसकी जरूरत पड़ सकती है। क्या पता मेरा पति भी जीजू के जैसा ही निकला तो…?
सुनीता भारी मन से न चाहते हुए भी अपने घर चली तो गई पर जाते-जाते रामलाल के लिए एक प्रश्न छोड़ गई… कि कहीं उसका पति भी जीजू जैसा ही निकला तो??
सुनीता अपनी दीदी के घर से वापिस आ तो गई किन्तु रातें काटे नहीं कट रहीं थीं।
जब उसे रामलाल के साथ गुजारी रातों की याद सताती तो वह वासना के सागर में गोते लगाने लगती और उसके समूचे बदन में आग की सी लपटें उठने लगतीं।
आज तो उसे बिल्कुल नीद नहीं आ रही थी, वह जाकर खिड़की पर खड़ी हो गई और मंझली भाभी के कमरे में झाँकने लगी।
रात के करीब ग्यारह बजे का समय था। ठीक इसी समय उसके बड़े भैया विजय ने भाभी के कमरे में प्रवेश किया।
मझली भाभी के कमरे की हर चीज इस खिड़की से साफ़ दिखाई देती थी।
उसने देखा- बड़े भैया के आते ही मझली भाभी पलंग से उठ खड़ी हुई और वह भैया की बाहों में लिपट गई।
बड़े भैया ने उसके साथ चूमा-चाटी शुरू कर कर दी और उन्होंने भाभी को बिल्कुल नंगा करके उसकी चूचियाँ मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया।
अब वह खुद भी नंगे हो कर भाभी के नंगे बदन का जमकर मज़ा ले रहे थे।
आज भैया ने भाभी के साथ कुछ अलग ही किस्म का मैथुन करना शुरू कर दिया, भाभी अपने दोनों नितम्बों को पीछे की और उभार कर झुकी हुई थीं और भैया अपना लिंग उनकी गुदा में डालने की कोशिश कर रहे थे।
भैया का मोटा लिंग उनकी गुदा में नहीं घुस पा रहा था इसलिए भैया ने लिंग पर थोड़ा सा तेल लगाया और फिर अन्दर करने की कोशिश करने लगे।
इस बार वह अपनी कोशिश में कामयाब हो गए क्योंकि उनका लिंग आधे से अधिक भाभी की गुदा के अन्दर घुस गया था।
फिर भैया ने एक जोर का धक्का भाभी की गुदा पर लगाया। इस बार पूरा का पूरा लिंग भाभी की गुदा को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया, भाभी दर्द से चिल्लाने लगीं।
भैया ने धीरज बंधाया- कोई बात नहीं मेरी जान, पहली बार गुदा-मैथुन में ऐसे ही दर्द होता है। आगे से ऐसा कुछ भी नहीं होगा।
भाभी की गुदा का दर्द शायद कुछ कम हो गया था क्योंकि उन्होंने भी भैया की लिंग पर पीछे की ओर धक्के लगाने शुरू कर दिए थे।
यह सब देखना सुनीता की बर्दाश्त के बाहर था, अत: उसने अपना एक हाथ सलवार में डालकर अपनी योनि को कुरेदना शुरू कर दिया।
इसी बीच छोटे भैया आ धमके, उसे खिड़की पर आँखें टिकाये देखकर मुस्कुराते हुए बोले- सुन्नो, दीदी के पास से आते ही तुमने फिर से भैया और मझली भाभी की ब्लू-फिल्म देखना शुरू कर दी। हट, अब मैं भी थोड़ा सा मज़ा ले लूँ।
सुनीता के वहाँ से हटते ही अजय भैया ने अपनी आँखें खिड़की पर टिका दीं, सुनीता अपने कमरे में आकर कुर्सी पर बैठ गई।
तभी उसकी निगाह मेज पर रखी एक इंग्लिश मैगजीन पर पड़ी। उठाकर देखा तो ज्ञात हुआ कि वह एक सेक्सी-मगज़ीन थी, उसमें एक जगह पर सुनीता ने मास्टरबेशन, फिंगरिंग और फिस्टिंग जैसे शब्द पढ़े, जो उसकी समझ में नहीं आ रहे थे।
उसने मन में सोचा कि भैया से सेक्स के बारे में बात करने का इससे बढ़िया मौका उसे कभी नहीं मिलेगा, क्यों न भैया के कमरे में चल कर इन बातों का ही मज़ा लिया जाए।
वह उठ कर भैया के कमरे की चल दी। अजय अपने कमरे में एक कुर्सी पर बैठा हुआ था। सुनीता दरवाजा ठेल कर अन्दर आ गई और अजय से बोली- भैया, मुझे इन शब्दों के अर्थ नहीं समझ में आ रहे हैं, मुझे बता दो प्लीज़…
अजय ने देखा कि वही सेक्सी मैगज़ीन सुनीता के हाथ में थी जिसे वह स्वयं सुनीता की अनुपस्थिति में उसकी मेज पर रख आया था जिससे कि सुनीता उसे पढ़े तो उसके अन्दर भी सेक्स की भावना प्रबल हो उठे।
सेक्स की मैगज़ीन को सुनीता के हाथ में देखकर अजय मन ही मन खुश हो उठा पर ऊपर से गुस्सा दिखाते हुए उसे डांटकर बोला- अरे यह तो सेक्सी मैगज़ीन है। कहाँ से लाई इसे? ऐसी सेक्सी किताबें पढ़ते हुए तुझे शर्म नहीं आती? मालूम है, ये सेक्सी-मैगज़ीन बड़े लोग पढ़ा करते हैं।
सुनीता बेझिझक होकर बोली- भैया, मैं भी तो अब बालिग़ हो चुकी हूँ। पूरे 19 वर्ष की हो चुकी हूँ। फिर मेरी शादी भी तो होने वाली है अब।
अजय चुप हो गया और बोला- बता, क्या पूछना चाहती है?
सुनीता ने पूछा- भैया, यह मास्टरबेशन क्या होता है? एक ये फिंगरिंग और फिस्टिंग शब्दों का मतलब समझ में नहीं आ रहा।
अजय मुस्कुराया और बोला- जा पहले कमरे की सिटकनी लगा कर आ… तब मैं डिटेल में तुझे इसका मतलब समझाऊंगा।
सुनीता ने दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया। उसके मन में लड्डू फूट रहे थे कि आज अजय उसकी जरूर लेगा।
वह ख़ुशी-ख़ुशी लौटकर आई और कुर्सी खींच कर अजय के पास ही बैठ गई।
अजय ने कहा- सुन्नो, देख मैं तुझे समझा तो दूँगा इन शब्दों का मतलब, लेकिन जब तब इन पर प्रेक्टिकल करके नहीं समझाऊँगा, तेरी समझ में कुछ नहीं आने वाला ! बोल…समझेगी?
‘हाँ भैया, मुझे कैसे भी समझाओ, मुझे मंजूर है।’
‘उस दिन जब मैंने तेरी चूचियों पर हाथ फिराया था तो तू नाराज होकर अन्दर क्यों भागी थी?’
‘भैया, उस समय मुझे डर लग रहा था। हम लोग बाहर खड़े थे, कोई देख लेता तो..? मैं अन्दर आई ही इसीलिए थी कि अगर आप अन्दर आकर मेरी चूचियाँ सहलाओगे तो किसी को भी पता नहीं चलेगा और मुझे भी अच्छा लगेगा।’
अजय बोला- इसका मतलब तो यह हुआ कि तू उस दिन भी तैयार थी अपनी चूचियों को मसलवाने के लिए? अरे यार, मैं ही बुद्धू था, जो उस दिन बुरी तरह डर कर भाग निकला। अच्छा, आ बैठ मेरे पास और एक बात बता …क्या सच में तू मेरे साथ मज़े लूटना चाहती है या मुझे उल्लू बनाने के मूड में है। अगर वाकई तू जवानी के मज़े लेना चाहती है तो चल मेरे बैड पर चलते हैं।
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सुनीता और अजय दोनों अब बैड पर आ बैठे।
अजय ने पूछा- लाइट यों ही जलने दूं या बंद कर दूं?
सुनीता बोली- भैया, जैसी आपकी मर्ज़ी, वैसे अँधेरे में मेरी समझ में क्या आएगा। मुझे अभी आपसे बहुत कुछ पूछना बाकी है।
‘जैसा तू ठीक समझे, देख शरमाना बिल्कुल नहीं… वरना कुछ मज़ा नहीं आएगा। एक बात और…
‘क्या भैया?’
‘कल को किसी से कहेगी तो नहीं कि भैया ने मेरे साथ ये सब किया।’
‘नहीं भैया, मैं कसम खाकर कहती हूँ किसी को कुछ नहीं बताऊँगी।’
‘तो चल, पहले मैं तेरे संग वो करता हूँ जहाँ से पति-पत्नी के मिलन की शुरुआत होती है। तू मेरे बिल्कुल करीब आकर मुझसे चिपट जा…’
सुनीता आकर अजय से चिपट गई और उसके गले में हाथ डालकर बोली- बताओ भैया, अब मुझे क्या करना है।
अजय बोला- अब तुझे कुछ भी नहीं करना है, बस मज़े लेती जाना। जहाँ तुझे परेशानी हो मुझसे कहना, ठीक है?
‘ठीक है भैया…’ अजय ने सुनीता के होटों पर अपने होंट रख दिए और उन्हें चूसने लगा।
सुनीता ने भी उसका पूरा साथ दिया। अजय के हाथ सुनीता की ब्रा के हुक खोल रहे थे, सुनीता ने जरा भी विरोध न किया, वह सुनीता की चूचियों को जोरों से दबाने लगा।
उसने चूची की घुंडियों को मुँह में डालकर उन्हें भी चूसना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे अजय के हाथ सुनीता की नाभि के नीचे के भाग को टटोल रहे थे। अजय का एक हाथ सुनीता की सलवार के नाड़े से जा उलझा। वह उसे खोलने का प्रयास करने लगा और कुछ ही देर में अजय ने सुनीता की सलवार उतारकर पलंग के एक ओर रख दी।
सुनीता कौतूहलवश यह सब चुपचाप देखे जा रही थी, उसकी दिल की धड़कनें बढ़ने लगी थीं, साँसों की गति भी तेज हो गई थी किन्तु फिर भी वह अजय के अपनी नाभि से नीचे की ओर फिसलते हुए हाथों को रोकने का प्रयास तक नहीं कर पा रही थी।
अजय के हाथ धीरे-धीरे सुनीता की नंगी-चिकनी जाँघों पर फिसलने लगे।
फिर उसने सुनीता की दोनों जाँघों के बीच में कुछ टटोलना आरम्भ कर दिया।
इससे पहले अजय ने अभी तक किसी लड़की की चूत इतनी करीब से नहीं देखी थी और न किसी की चूत को सहलाया ही था, वह बोला- सुन्नो, आज मैं तेरी प्यारी-प्यारी चूत को गौर से देखना चाहता हूँ।
सुनीता बोली- भैया, मुझे भी अपना लंड दिखाओ न !
‘दिखा दूंगा, तुझे अपना लंड भी दिखाऊंगा, घबराती क्यों है सुन्नो मेरी जान ! आज मैं तेरी हर वो इच्छा पूरी करूंगा जो तू कहेगी।’
‘ तो पहले अपना लंड मेरे हाथों में दो, मैं देखना चाहती हूँ कि मेरी चूत में यह अपनी जगह बना भी पायेगा या फाड़कर रख देगा मेरी चूत को।’
अजय ने झट-पट अपने सारे कपड़े उतार फैंके और एकदम नंगा होकर सुनीता की बगल में आ लेटा, सुनीता की ऊपर की कुर्ती भी उसने उतार कर पलंग के नीचे गिरा दी।
अब सुनीता भी एकदम नंगी हो गई थी, दोनों एक दूसरे से बुरी तरह से चिपट गए और एक दूसरे के गुप्तांगों से खेल रहे थे।
अजय सुनीता की चूत में अपनी एक उंगली डालकर आगे-पीछे यानि अन्दर-बाहर कर रहा था जिससे सुनीता के मुँह से सिसकियाँ निकल रहीं थीं।
अजय ने सुनीता को बताया कि इसी कार्य को फिंगरिंग कहते हैं। फिंगरिंग अर्थात चूत में उंगली डालकर उसे अन्दर-बाहर करना। इस क्रिया को हिन्दी में हस्त-मैथुन तथा अंग्रेजी में मास्टरबेशन कहते हैं।
अजय बोला- जब औरत काफी कामुक और चुदालु प्रकृति की हो उठती है तो वह किसी भी मर्द से या स्वयं ही अपनी योनि में पूरी मुट्ठी डलवाकर सम्भोग से भी कहीं अधिक आनन्द का लाभ उठाती है। सुन्नो, अब मैंने तीनो शब्दों का अर्थ बता दिया है। अब मैं तुझसे इसकी फीस वसूलूंगा।
अजय एक तकिया उसके नितम्बों के नीचे लगाते हुए बोला- अब मैं तेरी चूत में उंगली डालकर मैं अपनी उंगली को आगे-पीछे सरकाऊँगा यानि फिंगरिंग करूंगा।
अजय ने सुनीता की चूत में उंगली डालकर अन्दर-बाहर रगड़ना शुरू कर दिया, सुनीता के मुँह से सिसकियाँ फूटने लगीं।
अजय ने पूछा- बता सुन्नो, तुझे कैसा महसूस हो रहा है?
‘अच्छा लग रहा है भैया, जरा जोर से करो न, आह: मज़ा आ रहा है। एक बात बताओ भैया, आपने मेरे चूतड़ों के नीचे यह तकिया क्यों लगा दिया?’
‘इसलिए कि चूतड़ों के नीचे तकिया लगाने से औरत की चूत पहले की अपेक्षा कुछ अधिक खुल जाती है और उसमे कितना ही मोटा लंड क्यों न डाल दो, वह सब-कुछ आसानी से झेल जाती है।’
सुनीता बोली- भैया, बुरा तो नहीं मानोगे, एक बात पूछूं आपसे?
‘पूछ चल !’
‘कहीं आप मेरी चूत में अपना लंड डालने की तैयारी तो नहीं कर रहे?’
‘हो भी सकता है अगर मेरे लंड से बर्दाश्त नहीं हुआ तो तेरी चूत मैं इसे घुसेड़ भी सकता हूँ।’
‘भैया, पहले अपने लंड का साइज़ दिखाओ मुझे… मैं भी तो देखूं कितना मोटा है आपका.. मैं आपका लम्बा-मोटा लिंग झेल भी पाऊँगी या नहीं।’
‘चल तुझे अपना लंड दिखाता हूँ… तू भी क्या याद करेगी कि भैया ने अपना लंड दिखाया, सुन्नो, एक बात तुझे पहले बताये देता हूँ, अगर मेरा मन कहीं तेरी चूत लेने को हुआ तो देनी पड़ेगी। फिर तुझे बिना चोदे मैं छोड़ने का नहीं।’
यह कहते हुए अजय ने अपने पेण्ट की जिप खोली और अपना लम्बा-मोटा सा लिंग निकाल कर सुनीता के हाथ में थमा दिया।
सुनीता ने कहा- भैया, इसे मैं सहलाऊँ?
‘सहला दे …’
सुनीता ने सहलाते-सहलाते उसके लिंग को चूम लिया और उसे ओठों से सहलाने लगी।
अजय ने ताव में आकर सुनीता की चूचियाँ जोरों से रगडनी शुरू कर दीं।
सुनीता बोली- भैया, अब खुद भी नंगे हो जाओ न, मुझे आपका लंड खुलकर देखने की जल्दी हो रही है।
अजय ने अपना पैंट और अंडरवियर दोनों ही उतार फैंके और सुनीता के ऊपर आ चढ़ा।
सुनीता बोली- क्यों न हम एक दूसरे का नंगा बदन गौर से देखें। मुझे तो तुम्हारा ये गोरा और मोटा लंड बहुत ही उत्तेजित कर रहा है।
अजय बोला- मैंने भी तेरी चूत अभी गौर से कहाँ देखी है। चल फैला तो अपनी दोनों जांघें इधर-उधर।
सुनीता ने अपनी दोनों जांघें फैलाकर अपनी चूत के दर्शन कराये, अजय सचमुच सुनीता की चूत देखकर निहाल हो गया।
वह सुनीता से बोला- सुन्नो, मेरी जान, आज तो अपनी इस गोरी, चिकनी और चुस्त चूत को मेरे हवाले कर दे। तेरी कसम जो भी तू कहेगी जिन्दगी भर करूंगा।
‘वादा करते हो भैया, जो कहूँगी करोगे?’
‘हाँ, चल वादा रहा…’
‘अपने ख़ास दोस्तों से चुदवाओगे मुझे? देखो तुमने वादा किया है मुझसे।’
‘अच्छा चल, चुदवादूंगा तुझे, लेकिन यह बता कि तू इतनी चुदक्कड़ कबसे बन गई।’
‘यह सब बाद में बताऊँगी, पहले अपना लंड मेरी सुलगती बुर में डालकर तेजी से कस-कस कर धक्के लगा दो।’
अजय को भी अब बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था, उसने अपने लंड की सुपारी सुनीता की चूत के मुँह पर रखकर एक जोर का धक्का मारा। उसका समूचा लंड सुनीता की चूत में जा समाया।
आनन्दानुभूति से किलकारियाँ भरने वह और जोरों से चिल्ला-चिल्लाकर अपने दोनों चूतड़ उछाल-उछाल कर अजय के मोटे लंड को अपनी चूत में गपकने की चेष्टा करने लगी।
अजय को भी लगा कि उसका लंड किसी गर्म सुलगती भट्टी में जा समाया है। गर्म भट्टी में होने के बावजूद उसे आनन्द की अनुभूति हो रही थी। वह जोरों के धक्के सुनीता की बुर में लगाए जा रहा था।
इधर सुनीता का हाल तो काबिले-बयाँ था, वह तो इतनी गरमा गई थी कि मुँह से अनेक गंदे-गंदे शब्दों का प्रयोग कर रही थी जैसे- आह: फाड़ डालो मेरी चूत को …भैया, आज मेरी चूत को चोद-चोदकर निहाल कर दो मुझे … आज अपने लंड के सारे जौहर मेरी चूत के ऊपर ही दिखा दो …जरा जोरों से चोदो न, अगर तुमने मुझे आज तृप्त कर दिया तो मैं अपनी सारी सहेलियों को तुमसे चुदवा डालूंगी…
लगभग एक घंटे की काम-क्रीड़ा के बाद अजय ने सुनीता को पूरी तरह से छका दिया और खुद ने भी छक कर उसकी चूत का मज़ा लिया।
आधी रात के बाद सुनीता की योनि फिर गर्म होने लगी, उसने अजय का लंड पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया।
काफी देर तक वह अजय का लंड पकडे उसे चूमती-चाटती रही, अंतत: अजय की आँखें खुल ही गईं, वह बोला- सुन्नो, अब हम-लोग काफी थक गए हैं, अभी सो जाओ, कल की रात भी तो आएगी ही। बाकी अगर आज कोई कमी रह गई है तो कल पूरी कर लेंगे। अब हम-तुम एक दूसरे के इतने करीब आ गए हैं कि हमारा ये साथ छुटाए नहीं छूटेगा। जाओ आराम कर लो।
सुनीता अब एक ऐसी औरत बन चुकी थी कि उसे तृप्त करना कोई आसान काम नहीं रह गया था। उसकी तो ख्वाहिश इतनी बढ़ चुकी थी कि एक साथ अगर उस पर दस-बारह लोग भी उतर जाएँ तो भी वह थकने वाली न थी।
सुबह नाश्ते की मेज पर अजय ने उससे पूछा- सुन्नो, रात मैंने एक बात नोटिस की कि तूने मेरा आठ इंच का लंड आसानी से झेल लिया और न तो तेरी चूत फटी और न ही उससे खून ही निकला।
‘सच-सच बताऊँ ..तो सुनो। जब मैं दीदी के यहाँ गई तो उस समय तक मैं बिल्कुल अछूती, अनछुई या ये कहिये बिल्कुल कच्ची कली थी। दोपहर को दीदी ने मुझे एक ब्लू-फिल्म दिखाई जिसे देख कर मेरा दिल मेरे काबू से बाहर हो गया और मैं किसी मर्द का लंड अपनी चूत में डलवाने को तड़प उठी।
मेरी तड़प देखकर दीदी बोली- घबरा मत, आज तेरी इच्छा पूरी करवा दूँगी।
मैंने चौक कर पूछा कि कौन है जो मेरी इच्छा पूरी कर सकता है तो दीदी ने बताया कि उसके ससुर रामलाल हैं।
मैंने आश्चर्य से पूछा कि वह क्या कह रहीं हैं, तो ज्ञात हुआ कि वह स्वयं भी उन्हीं से अपनी आग ठंडी करवाती है।
दीदी ने बताया कि जीजू तो किसी काम के हैं नहीं, वे तो एकदम नपुंसक हैं। दीदी ने बहुत कोशिश की पर जीजू का लंड खड़ा होने का नाम ही नहीं लेता। अंत में हार-थक कर दीदी को ससुर की बात ही माननी पड़ी और आज उनके पेट में जो बच्चा पल रहा है वो भी उनके ससुर का ही है। जिस रात में ब्लू-फिल्म देख कर बेकाबू हो रही थी उसी रात को दीदी ने मुझे भी उन्ही से चुदवाने की राय दी और मैं मान गई।
लेकिन भैया, एक बात तो माननी पड़ेगी। मौसा जी का लंड है बड़े गजब का। पट्ठे ने एक साथ हम दोनों बहनो की रात में तीन वार ली परन्तु मज़ाल क्या जो जरा भी कमजोर पड़ जाता हमारे आगे।
सारी बात सुनकर अजय बोला- सुन्नो, मुझे दीदी के ससुर पर क्रोध भी आ रहा है और उसे धन्यवाद देने का मन भी कर रहा है।
सुनीता ने पूछा- ऐसा क्यों भैया?
अजय बोला- गुस्सा इसलिए कि उसने अपनी बेटी समान बहु और उसकी बहन की लेने से नहीं चूका। और धन्यवाद इसलिए देता हूँ कि अगर वह तुझे न चोदता तो तू मुझसे कैसे चुदवाती। अच्छा चल, दीदी के यहाँ चलने का प्रोग्राम बनाते हैं किसी दिन।
मैंने पूछा- भैया, अचानक आपको दीदी के यहाँ जाने की क्या सूझी?
अजय ने मुस्कुराकर कहा- पगली, जब दीदी अपने ससुर से चुदवा सकती है तो मैं क्यों उसे नहीं चोद सकता?
अजय ने सुनीता को समझाया- देख सुनीता, हम-तुम तो जीवन भर एक-दूजे के रहेंगे। पर अगर दीदी की चूत मिल जाए तो क्या बुरी बात है। तू अपनी मर्ज़ी बता, अगर मैं कुछ गलत सोच रहा होऊं तो। और फिर मैंने तुझसे ये वादा भी तो किया है कि मैं अपने सारे दोस्तों से तुझे चुदवाने की खुली छूट दे दूंगा और तू अपनी सहेलियों की मुझे दिलाएगी।
इस बात पर दोनों ही सहमत हो चुके थे।
सुनीता और अजय दोनों भाई-बहन अपनी दीदी अनीता के यहाँ आ गये थे। अनीता ने भाई बहन की खूब खातिरदारी की।
सुनीता ने पूछा- दीदी, कहीं मौसा जी दिखाई नहीं पड़ रहे हैं?
अनीता ने मुस्कुराते हुए पूछा- क्या बात है सुनीता, मौसा जी को देखे बिना चैन नहीं पड़ रहा? ठीक है, अभी दुकान तक ही गए हैं, आते ही होंगे।
सुनीता बोली- दीदी, जीजू कैसे हैं? उनमे कोई बदलाव आया है क्या?
अनीता जीजू के नाम पर झुझलाकर बोली- अब उनमें कोई बदलाव नहीं आने वाला। एक दिन तो उन्होंने साफ़-साफ़ कह दिया कि अगर रहना है तो रह मेरे पास वर्ना किसे से भी अपने यौन-सम्बन्ध बना ले, मुझे कोई एतराज नहीं। अब तुझे मैं उनके बारे में क्या खाक बताऊँ?
अनीता ने पूछा- तू बता इतनी जल्दी कैसे वापस आ गई? क्या मौसा जी की याद खींच लाई।
सुनीता ने सर हिलाकर हामी भरी और बोली- दीदी, तुमने वह सीडी दिखाकर मेरे तन-बदन में जो आग लगाई है न, वो अब बुझाये नहीं बुझ रही है। मन में आया कि चलकर मौसा जी से ही मज़े लिए जाएँ। वैसे दीदी बुरा न मानना, मैंने अजय भैया को भी अपनी दे डाली है। क्या करती, हम-दोनों खिड़की की ओट से बड़े भैया और मझली भाभी की ब्लू-फिल्म देख रहे थे कि अजय भैया ने मेरी चूचियाँ सहलानी शुरू कर दी और मैं उनके बढ़ते हुए हाथों को कतई रोक न पाई। हम लोग कमरे में आ गए और उन्होंने मेरी सलवार उतार कर मेरी चूत में उंगली डालकर अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। मैंने तो फिर उनके आगे हथियार डाल दिए और अपने को उनके हाल पर छोड़ दिया। फिर क्या था, उन्होंने मेरी ब्रा खोली और खूब जमकर उन्होंने मेरी चूचियों को रगड़ा, चूसा और सहलाया। मुझे विरोध न करते देख उनकी हिम्मत इतनी बढ़ गई कि उन्होंने मेरी सलवार भी उतार फैंकी और खुद भी नंगे होकर मुझ पर चढ़ गए और फिर उन्होंने मेरी चूत पर अपना मोटा लंड टिकाकर मुझे जोरों से चोदना शुरू कर दिया। सारी रात उन्होंने मेरी ली। मेरा भी मन नहीं भर रहा था इसलिए मेरे कहने पर उन्होंने मेरी बुर चार-पांच बार चोदी। फिर मैं उन्हें पटाकर तुमसे मिलने का बहाना बना कर अजय भैया को यहाँ ले आई।
सुनीता की जुबानी सारी सच्चाई सुनकर अनीता ने पूछा- कहीं अजय अब मेरी तो नहीं लेगा। देख सुनीता, तूने तो मेरे इतना मना करने के बावजूद भी उससे अपनी चुदवा ली, पर याद रखना मैं ऐसा हरगिज़ नहीं करवा सकती। चाहे वह बुरा माने या भला। बहरहाल मुझे किसी कीमत पर उसे अपनी नहीं देनी है।
सुनीता बोली- दीदी, यह तुम्हारी अपनी मर्ज़ी है। पर एक बात तो है कि मैं मौसा जी से आज रात जरूर चुदवाऊँगी।
अनीता ने पूछा- अच्छा सुनीता एक बात बता, अजय का लिंग भी तेरे मौसा जी के लिंग के बराबर ही है?
सुनीता बोली- दीदी, है तो करीबन उतना ही लम्बा और मोटा किन्तु सख्त बहुत है। सच मानना दीदी, तीन दिन तक तो मेरी बुर सूजी रही थी। पूरे एक घंटे तक ली थी भैया ने मेरी। आह: दीदी, सच पूछो तो अजय भैया का लंड भी न, बड़ा ही मज़े देता है। मेरी बात मानकर अपनी चूत में एक बार उनका लंड ले जाकर तो देखो, अगर न अपने तन की सुध-बुध भूल जाओ तो कहना।
‘देख अजय के लंड की इतनी तारीफें कर-करके मेरे मुँह में पानी मत भरवा। तू कितनी ही कोशिश कर मैं खूंटे पर रख कर फाड़ दूँगी अपनी परन्तु अजय को नहीं दूँगी।’
सुनीता बोली- जैसा तुम ठीक समझो दीदी, मैं तो रात में अपने बिस्तर से उठ कर मौसा जी के कमरे में चली जाऊंगी। आज रात तुम्हारे कमरे में अजय भैया और तुम ही सोओगी सिर्फ।
सुनीता की बात पर अनीता अजय की वारे में बहुत देर तक सोचती रही। वह सोच रही थी की जब सुनीता उसके लंड की इतनी तारीफ़ कर रही है तो उसका स्वाद भी चख लिया जाए। जब मैं पिता समान ससुर से चुदवा सकती हूँ तो वह तो फिर भी मेरा भाई ही है।
इसी उधेड़-बुन में कब रात हो गई।
उसे तो तब पता चला जब रामलाल दुकान से समान लेकर भी लौट आया और उसने ढेरों बातें सुनीता से भी कर डालीं। अनीता ने पास आकर रामलाल से कहा- जानू आज मेरा छोटा भाई आया है। उसके सामने अपनी पोल न खुल जाए इसलिए सुनीता मौका पाकर तुम्हारे कमरे में खुद ही आ जायेगी, ज्यादा द्वन्द मत काटना। खूब लेना मज़े लेकिन सुनीता के साथ। मुझे बिल्कुल भी आवाज न देना। रामलाल एक समझदार ससुर की भांति बहू की बात मान गया।
खाना खाकर सब लोग अपने-अपने कमरे में चले गए।
अजय ने पूछा- मौसा जी, जीजू कहाँ गए हैं?
रामलाल ने बताया कि आज उसे अनाज लेकर अनाज मंडी भेजा है। अजय की तो मन की बात हो गई। उसके दिल में अन्दर ही अन्दर लड्डू फूटने लगे थे, अब वह आसानी से दीदी की चूत ले सकेगा।
रात के करीब 11 बजे का वक्त होगा, सुनीता चुपचाप अनीता के पास से उठकर रामलाल के कमरे में जा घुसी।
अनीता और अजय अपने-अपने बिस्तर पर लेटे नीद आने का इन्तजार कर रहे थे। अनीता के मन में धक्-धक् हो रही थी कि कहीं अजय उसके साथ कुछ करने लगे तो उसे कैसे रोकेगी वह। सुनीता की तो ले ही चुका है, अब उसका अगला निशाना कहीं वह न हो। इसी बीच अजय ने अनीता को आवाज दी- दीदी, क्या सो गईं?
अनीता ने कहा- नहीं तो, क्या बात है?
अजय बोला, दीदी, तुम्हें भी नीद नहीं आ रही क्या?
अनीता बोली- ऐसी बात नहीं, पर मेरे सिर में कुछ दर्द सा है, इसी लिए नीद नहीं आ रही है। अजय बोला- दीदी आपका सिर दबा दूं? मेरे हाथों में जादू है। हल्के हाथ से दबाने पर ही सर दर्द गायब हो जाएगा।
अनीता कुछ न बोली और अजय उसकी मौन स्वीकृति को भांप कर अनीता के सिरहाने जा बैठा और हलके-हलके उसका सर दबाने लगा। अजय के हाथ अनीता के सर पर इस प्रकार से फिर रहे थे कि उसे स्वयं भी अच्छा लगने लगा था।
‘दीदी, कन्धों में भी दर्द हो रहा है न !’ ऐसा कहकर उसने अनीता की हाँ, ना का इंतजार न करते हुए उसके कन्धों पर भी धीरे-धीरे हाथ फिराने शुरू कर दिए थे।
अनीता ने सोने का अभिनय करते हुए खर्राटे भरने शुरू कर दिए थे। अजय ने अवसर पाकर उसके कन्धों से नीचे की ओर अपने हाथ फिसलाने शुरू कर दिए और उसकी चूचियों को भी हल्के से सहलाना आरम्भ कर दिया।
अनीता तो जगी ही पड़ी थी किन्तु फिर भी वह अनजान बनी चुपचाप लेटी रही।
उसने नीद में होने का अभिनय करते हुए अपने बदन को बिल्कुल सीधा कर दिया।
अजय को उससे अनीता के सारे बदन को टटोलने में काफी सुविधा हो गई, वह अपने हाथ धीरे-धीरे फिसलाता हुआ उसकी जाँघों तक ले आया।
धीरे से उसने अनीता की साड़ी उठाकर उसके पेट पर रख दी और उसकी चिकनी मासल जाँघों पर हाथ फिराने लगा।
अनीता के मुँह से एक हल्की सी सिसकारी फूटी जिसका अजय ने तुरंत लाभ उठाकर अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसेड़ कर उसे अन्दर-बाहर करने लगा।
अनीता ने मस्ती में आकर अपना एक हाथ अजय के लिंग को टटोल कर उसे पकड़ लिया और बोली- अजय, तू मुझसे कितना छोटा है, तुझे चोदने को सिर्फ मैं ही मिली थी।
अजय बोला- नहीं दीदी, आपसे पहले मैं सुनीता को भी चोद चुका हूँ चुदवाते वक्त सुनीता ने मुझे सब-कुछ बता दिया कि सबसे पहले उसने तुम्हारे ससुर से अपनी चूत फटवाई है। उसने यह भी बताया क़ि जीजू तो नामर्द हैं। इसी लिए दीदी भी अपने ससुर से अपनी आग शांत करवाती हैं। अब दीदी, एक बात बताओ, अगर तुम्हारा छोटा भाई भी बहती गंगा में हाथ धो लेगा तो तुम्हारा क्या बिगड़ जाएगा।
ऐसा कहकर अजय ने अपनी उंगलियों से अनीता की चूत सहलानी शुरू कर दी और दोनों छातियों को कस-कस कर दबाने और चूसने लगा।
अनीता के बदन के सारे तार झनझना उठे। उसने कस कर अजय को अपनी बांहों में जकड़ लिया और बोली- अच्छा चल तू भी ले ले मेरी, डाल दे अपना पूरा लंड मेरी चूत में। पर तुझे मेरी कसम, इस बात का ज़िक्र किसी से भूल कर भी न करना।
अजय बोला- दीदी, क्या मैं पागल हूँ जो किसी से ऐसी बातें कहूँगा। लोग मुझे ‘बहनचोद’ कहकर नहीं पुकारेंगे।
‘तो ठीक है, आ जा सारे कपड़े उतार कर मेरे ऊपर।’
और फिर अजय ने एक ही धक्के में अनिता की चूत में अपना पूरा लंड घुसेड़ दिया।
अजय बोला- दीदी, आपको तो जरा भी दर्द नहीं हुआ और मेरा समूचा लंड तुम्हारी बुर में समा गया। सुनीता ने कुछ दर्द महसूस तो किया था।
‘देख अजय, मैं कब से अपने ससुर से चुदवा रही हूँ। अनीता ने सिर्फ एक सप्ताह ही अपने मौसा जी से चुदवाई है। उसकी मुझसे ज्यादा चुस्त तो होगी ही। अच्छा, अब देर मत कर, मेरी चूत को जितनी तेजी से फाड़ सके, फाड़ डाल इसे।’
अजय ने एक जोरदार धक्का फिर अनीता की चूत में दे मारा और अनीता ख़ुशी से उछल पड़ी और उसकी सिसकारियाँ उस बड़े कमरे में गूंजने लगीं ‘…आह: अजय…मेरे भाई… आज पूरी ताकत से मेरी बुर को फाड़ डाल मेरे भैया, अगर तूने मुझे खुश कर दिया तो फिर तेरे लिए अपनी चूत के द्वार हमेशा-हमेशा के लिए खोल दूँगी …आज मेरी चूत का चित्तोड़-गढ़ बना डाल। तेरा जीजू तो न मर्द है साला ….’
अनीता चूतड़ उछाल-उछाल कर अजय के लंड को अन्दर ले जाने का भरसक प्रयास कर रही थी। और अंत में दोनों ही एक साथ झड़ गए।
काफी देर तक दोनों एक दूसरे से नंगे बदन लिपटे रहे।
सुबह सुनीता ने आकर दोनों के ऊपर से कम्बल उठाया तो दोनों को नंगा लिपटे देखकर खिलखिलाकर हंस पड़ी तो उनकी नींद टूटी। अनीता की बात बन आई, वह बोली- क्यों दीदी, याद है तुमने क्या कहा था कि ‘खूंटे पे रखकर फाड़ दूँगी पर भाई को नहीं दूँगी।’
अनीता झेंप सी गई और बोली- चुप हरामजादी, तूने ही तो इसके लंड की तारीफों के पुल बाँध कर मुझे इससे चुदने को मजबूर कर दिया।
‘दीदी…’ सुनीता बोली- अब तो मैं अजय भैया से रोज रात को चुदवा सकती हूँ? सच बताओ तुम्हें भैया का लंड कैसा लगा।
अनीता मुस्कुरा भर दी। अगले दिन सुनीता और अजय ने विदा ली और अपने घर की ओर चल पड़े।
रास्ते भर दोनों लोग अपने अगले प्लान के बारे में सोचते रहे। अंत में उन्होंने तय किया कि वह किस प्रकार अपने बड़े भैया जो मंझली भाभी को चोदते हैं, को ब्लैकमेल करके पहले उनसे खुद चुदवायेगी और फिर वह मंझली भाभी को डरा-धमका कर अजय भैया से चुदवाने को मजबूर कर देगी।
शेष आगामी भाग में..
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