Badalte Rishte - 5

Views: 13 Category: Family Sex By ranimadhubala07 Published: August 24, 2025

अनीता अपने ससुर की पक्की चेली बन गई। अब वह ससुर के खाने-पीने का भी काफी ध्यान रखती थी ताकि उसका फौलादी डंडा पहले की तरह ही मजबूत बना रहे, पति की नपुंसकता की अब उसे जरा भी फ़िक्र न थी।
रामलाल सबके सामने अनीता को बहू या बेटी कहकर पुकारता परन्तु एकांत में उसे मेरी रानी, मेरी बुलबुल आदि नामों से संबोधित करता था।

और अनीता समाज के सामने एक लम्बा घूंघट निकाले उसके पैर छूकर ससुर का आशीर्वाद लेती और रात में अपने सारे कपड़े उतार कर उसके आगे टांगें फ़ैला कर पसर जाती थी।
आजकल रामलाल अपनी बहू अनीता के साथ कामक्रीड़ा के लिये मौके ढूंढने में लगा रहता था।
अपने बेटे अनमोल को वह अक्सर विवाह-शादियों में भेजता रहता था ताकि वह अधिक से अधिक रातें अपनी पुत्र-वधू अनीता के साथ बिता सके।

अनीता से यौन-सम्बंध बनाने के बाद से वह पहले की अपेक्षा कुछ और अधिक जवान दिखने लगा था।
एक बार बहू की योनि में अपनी उंगली डाल कर उसे इधर-उधर घुमाते हुए उसने पूछा- रानी, मैं देख रहा हूँ, कुछ दिनों से तुम किसी चिंता में डूबी हुई नज़र आ रही हो?

अनीता ने कहा- राजा जी, मेरी छोटी बहन के ससुराल वालों ने पूरे पांच लाख रूपए की मांग की है। मेरे तीनों भाई मिलकर सिर्फ चार लाख रूपए ही जुटा पाए हैं। उन लोगों का कहना है कि अगर पूरे पैसों का प्रबन्ध नहीं हुआ तो वे लोग मेरी बहन सुनीता से सगाई तोड़ कर किसी दूसरी जगह अपने बेटे का ब्याह कर लेंगे।

रामलाल कुछ सोचता हुआ बोला- उनकी माँ का खोपड़ा सालों की… तू चिन्ता मत कर, उनका मुँह बंद करना मुझे आता है। बस इतनी सी बात को लेकर परेशान है मेरी जान।
रामलाल ने एक साथ तीन उंगलियाँ बहू की योनि में घुसेड़ दीं। अनीता ने एक लम्बी से आह भरी।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
ससुर की बात पर अनीता खुश हो गई, उसने रामलाल का लिंग अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाना शुरू कर दिया और उसके उसके अंडकोषों की गोलियों को घुमा-घुमा कर खेलने लगी।

रामलाल बोला- अपनी बहन को यहीं बुला ले मेरी रानी, मेरी जान ! हम भी तो देखें तेरी बहन कितनी खूबसूरत है।
‘मेरी बहन मुझसे सिर्फ तीन साल ही छोटी है। देखने में बहुत गोरी-चिट्टी, तीखे नयन नक्श, पतली कमर, सुडौल कूल्हे, साथ-साथ उसके सीने का उभार भी बड़े गज़ब का है।’

रामलाल के मुँह में पानी भर आया, उसकी बहन की इतनी सारी तारीफें सुनकर, वह आहें भरता हुआ बोला- हाय, हाय, हाय ! क्या मेरा दम ही निकाल कर छोड़ेगी मेरी जान, अब उसकी तारीफें करना बंद करके यह बता कि कब उसे बुला कर मेरी आँखों को ठंडक देगी। मेरा तो कलेजा ही मुँह को आ रहा है उसकी बातें सुन-सुन कर…
अनीता बोली- देखो जानू, बुला तो मैं लूंगी ही उसे मगर उस पर अपनी नीयत मत खराब कर बैठना। वह पढ़ी-लिखी लड़की है, अभी-अभी बीए पास किया है उसने। आपके झांसे में नहीं फंसने वाली वो !

रामलाल ने उसे पानी चढ़ाया बोला- फिर तू किस मर्ज़ की दवा है मेरी बालूशाही ! तेरे होते हुए भी अगर हमें तेरी बहन की कातिल जवानी चखने को न मिली तो कितने दुःख की बात होगी। हाँ, रूपए-पैसों की तू चिंता न करना। यह चाबी का गुच्छा तेरे हाथों में थमा दूँगा, जितना जी चाहे खर्च करना अपनी बहन की शादी में। तू तो इस घर की मालकिन है मालकिन !

रामलाल 500 बीघे का मालिक था। ट्रेक्टर-ट्राली, जीप, मोटर-साइकिल, नौकर-चाकर, एक बड़ी हवेली सब-कुछ तो उसके पास, क्या नहीं था? तिजोरी नोटों से भरी रहती थी उसकी। अगर कहीं कमी थी तो उसके बेटे के पास पुरुषत्व की। अनीता तो तब भी रानी होती और अब भी महारानियों की तरह राज कर रही थी रामलाल की धन-दौलत पर और साथ ही उसके दिल पर भी।

अनीता ने रामलाल की बात पर कुछ देर तक सोचा और फिर बोली- हाय मेरे राजा… मैं कैसे राज़ी करूंगी उसे तुम्हारे साथ सोने को?

रामलाल ने बहू की योनि में अब अपना समूचा लिंग घुसेड़ दिया और उसे धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करता हुआ बोला- मेरी बिल्लो, वह सीडी किस दिन काम आएगी। उसे दिखा कर पटा लेना। जब वह बाकें मर्दों, हब्शियों को नंगी औरतों की योनि फाड़ते हुए देखेगी तो उसकी भी पानी छोड़ने लगेगी। तू उसको पहले इतने नज़ारे दिखा डालना, फिर वह तो खुद ही अपनी बुर में उँगलियाँ घुसेड़ने लगेगी। अगर वह ना अपनी फड़वाने को राज़ी हो जाए तो मैं तेरा हमेशा के लिए गुलाम बन जाऊँगा।

अनीता बोली- यह कौन सा बड़ा काम करोगे। गुलाम तो मेरे अब भी हो मेरे दिल के राजा ! मैं तो तुम पर अपना सब-कुछ लुटाये बैठी हूँ, अपनी लाज-शर्म, अपनी इज्जत-आबरू और अपना ईमान-धर्म तक। अब धीरे-धीरे मेरी फ़ुद्दी संग मजाक और खिलवाड़ मत करो, जरा जोरों के धक्के मार दो कस-कस के।
रामलाल ने अपने लिंग में तेजी लानी शुरू कर दी, उस पर मानो मर्दानगी का भूत सवार हो गया था।

इतने तेज धक्कों की चोट तो शायद ही कोई औरत बर्दाश्त कर पाती पर अनीता तो आनन्दित होकर ख़ुशी की किलकारियाँ भर रही थी- आह मेरे शेर… कितना मज़ा आ रहा है मुझे… बस ऐसे ही सारी रात मेरी दहकती भट्टी में अपना भुट्टा भूनते रहो। तुम्हारी कसम मैं अपनी बहन की जवानी का पूरा-पूरा मज़ा दिलवा कर रहूंगी… आह: ओह… सी ई ई ई ई ई…आज तो मेरी पूरी तरह से फाड़कर रख दो … भले ही कल तुम्हें मेरी चूत किसी मोची से ही क्यों न सिलवानी पड़े।

रामलाल ने धक्कों की रफ़्तार पूरी गति पर छोड़ दी, दे दना दन …आज रामलाल ने तय कर लिया कि जब तक अनीता उससे रुकने को नहीं कहेगी, वह धक्के मारता ही रहेगा। करीबन तीस-चालीस मिनटों तक रामलाल ने थमने का नाम नहीं लिया। अंत में जब तक अनीता निचेष्ट होकर न पड़ गई रामलाल उसकी बजाता ही रहा।

दूसरे ही दिन अनीता ने खबर भेज कर अपनी छोटी बहन सुनीता को अपने यहाँ बुलवा लिया। अनीता के मायके में तीन भाई और एक बहन थी उससे सिर्फ तीन साल छोटी।
माता-पिता उसके बचपन में ही मर चुके थे, सभी भाई-बहनों को बड़े भाई ने ही पाला था। अनीता के दो भाई विवाहित थे और सबसे छोटा भाई अभी अविवाहित था, वह हाल में ही नौकरी पर लगा था।

कुल मिलकर उसके मायके वालों की दशा कुछ ख़ास अच्छी न थी। उस पर सुनीता के ससुराल वालों का दहेज़ में पांच लाख रूपए की मांग करना, किन्तु रामलाल द्वारा उनकी मांग पूरी करने की बात सुनकर अनीता की सारी चिंता जाती रही।

आज ही उसकी छोटी बहन उसके घर आई थी। ससुर रामलाल ने अनीता को अपने पास बुलाकर उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा- रानी समझ गई न तुझे क्या करना है, किसी प्रकार अपनी बहन को वह सीडी दिखा दे। तेरी कसम, जबसे उसके रूप को मैंने देखा है, तन-बदन में आग सी लगी हुई है। आज की रात अनमोल भी बाहर गया हुआ है, तुम दोनों बहनों की जवानी का रस खूब छक कर पिऊँगा, खूब जम कर मज़ा लूँगा रात भर जा, जाकर उसे वह सीडी दिखा…

अनीता अपने कमरे में आई और उसे ब्लू-फिल्म दिखाने की कोई तरकीब सोचने लगी। दोपहर का खाना खाकर दोनों बहनें पलंग पर लेट कर बातें करने लगीं।
बातों ही बातों में अनीता ने उसके ब्याह का ज़िक्र छेड़ दिया। इसी दौरान अनीता ने सुनीता से पूछा- सुनीता, तुझे सुहागरात के बारे में कुछ नालेज है कि उस रात पति-पत्नी के बीच क्या होता है? फिर न कहना कि मुझे इस बारे में किसी ने कुछ बताया ही नहीं था।

सुनीता ने अनजान बनते हुए शरमाकर पूछा- क्या होता है दीदी, उस रात को? बताइये, मुझे कुछ नहीं मालूम।
अनीता बोली- पगली, इस रात को पति-पत्नी का शारीरिक मिलन होता है।
‘कैसे दीदी, जरा खुल के बताओ न, कैसा मिलन?’

‘अरी पगली, पति-पत्नी एक दूसरे को प्यार करते हैं। पति पत्नी के ओठों का चुम्मन लेता है, उसके ब्लाउज के हुक खोलता है और फिर उसकी ब्रा को उतार कर उसकी चूचियों का चुम्मन लेता है, उन्हें दबाता है। धीरे-धीरे पति अपना हाथ पत्नी के सारे शरीर पर फेरने लगता है, वह उसकी छातियों से धीरे-धीरे अपना हाथ उसकी जाँघों पर ले जाता है और फिर उसकी दोनों जाँघों के बीच की जगह को अपनी ऊँगली डाल कर उसका स्पर्श करता है।’

‘फिर क्या होता है दीदी, बताइये न, आप कहते-कहते रुक क्यों गईं?’
‘कुछ नहीं, मैं भी तुझे कैसे बातें बताने लगी। ये सारी बातें तो तुझे खुद भी आनी चाहिए, अब तू बच्ची तो नहीं रही।’ अनीता ने नकली झुंझलाहट का प्रदर्शन किया।

‘दीदी, बताओ प्लीज, फिर पति क्या करता है पत्नी के साथ?’
‘उसे पूरी तरह से नंगी कर देता है और फिर खुद भी नंगा हो जाता है। दोनों काफी देर तक एक दूसरे के अंगों को छूते हैं, उन्हें सहलाते हैं और अंत में पति अपनी पत्नी की योनि में अपना लिंग डालने की कोशिश करता है। जब उसका लिंग आधे के करीब योनि के अन्दर घुस जाता है तो पत्नी की योनि की झिल्ली फट जाती है और उसे बड़ा दर्द होता है, योनि से कुछ खून भी निकलता है। कोई-कोई पत्नी तो दर्द के मारे चीखने तक लगती है। परन्तु पति अपनी मस्ती में भर कर अपना शेष लिंग भी पत्नी की योनि में घुसेड़ ही देता है।’ ‘फिर क्या होता है दीदी?’

‘होता क्या, थोड़ी-बहुत देर में पत्नी को भी पति का लिंग डालना अच्छा लगता है और वह भी अपने कूल्हे मटका-मटका कर पति का साथ देती है। इस क्रिया को सम्भोग-क्रिया या मैथुन क्रिया कहते हैं।’
अनीता समझ चुकी थी कि अब सुनीता भी पूरी जानकारी लेने को उतावली हो गई है तो उसने सुनीता से कहा- अगर तू पूरी जानकारी चाहती है तो मेरे पास सुहागरात की एक सीडी पड़ी है, उसे देख ले बस, तुझे इस वारे में सब-कुछ पता लग जायेगा।
सुनीता एकदम चहक उठी, बोली- दिखाओ दीदी, कहाँ है वह सीडी? जल्दी दिखाओ नहीं तो रात को जीजू आ जायेंगे तुम्हारे कमरे में।
अनीता बोली- तेरे जीजू के पास वो सबकुछ है ही कहाँ, जो मेरे साथ कुछ कर सकें।
सुनीता ने आश्चर्य से पूछा- हैं??! सच दीदी… जीजू नहीं करते आपके साथ, जो कुछ आपने मुझे बताया अभी तक पति-पत्नी के रिश्ते के बारे में?’
अनीता बोली- तेरे जीजू बिकुल नामर्द हैं। पहली रात को तो मैंने किसी तरह उनका लिंग सहला-सहला कर खड़ा कर लिया था और हम-दोनों का मिलन भी हुआ था मगर उस दिन के बाद तो उनके लिंग में कभी तनाव आया ही नहीं।
सुनीता ने पूछा- दीदी, फिर तुम अपनी इच्छा कैसे पूरी करती हो?
अनीता बोली- ये सारी बातें मैं तुझे बाद में बताऊँगी, पहले तू सीडी देख।
अनीता ने सीडी लेकर सीडी प्लेयर में डाल दी और फिर दोनों बहनें एक साथ मिलकर देखने लगीं।
पहले ही दृश्य में एक युवक अपनी पत्नी की चूचियाँ दबा रहा था। पत्नी सी..सी करके उत्तेजित होती जा रही थी और युवक का लिंग अपनी मुट्ठी में लेकर सहला रही थी। धीरे-धीरे उसने पत्नी के सभी कपड़े उतार फेंके और खुद भी नंगा हो गया। उसने अपनी पत्नी की योनि को चाटना शुरू कर दिया। पत्नी भी उसका लिंग मुँह में लेकर चूस रही थी।
यह दृश्य देखकर सुनीता के सम्पूर्ण शरीर में एक उत्तेजक लहर दौड़ गई, उसकी योनि में एक अजीब सी सुरसुराहट होने लगी थी। वह बोली- दीदी, मुझे कुछ-कुछ हो सा रहा है।
अनीता बोली- तेरी योनि पानी छोड़ने लगी होगी।
सुनीता बोली- हाँ दीदी, चड्डी के अन्दर कुछ गीला-गीला सा महसूस हो रहा है मुझे।
अनीता ने उसकी सलवार खोलते हुए कहा- देखूं तो…!!
अनीता ने ऐसा कहकर सुनीता की योनि को एक उंगली से सहलाना शुरू कर दिया।
एक सिसकी सुनीता के मुँह से फूट निकली- ..आह: दीदी, बहुत मन कर रहा है, अन्दर कोई मोटी सी चीज ठूंस दो इसके अन्दर, बस आप इसी तरह से मेरी योनि में अपनी उंगली डाल कर उसे अन्दर-बाहर करती रहो।
अनीता ने सुनीता की सलवार उतार फेंकी और बोली- तू इसी तरह से चुपचाप पड़ी रहना, मैं दरवाजे की सिटकनी लगा कर अभी आती हूँ।
अनीता ने लौट कर देखा कि सुनीता अपनी योनि को खूब तेजी से सहला रही थी। अनीता ने उसके सारे कपड़े उतार कर उसे पूरी नंगी कर दिया और फिर वह खुद भी नंगी हो गई।
दोनों बहनों ने एक-दूसरे को अपनी बांहों में भर लिया और कस कर चिपट गईं। दोनों बहनों की आँखें टीवी पर टिकी थीं जहाँ स्त्री-पुरुषों के बीच नाना-प्रकार की काम-क्रीड़ायें चल रही थीं।
अनीता ने सुनीता की चूचियों की कस कर दबाना शुरू कर दिया और अपने होंट उसके होटों से सटा दिए। सामने के दृश्य में एक साण्ड सा मर्द अपने लिंग को एक नंगी औरत की योनि में घुसेड़ने की तैयारी में था।
कुछ ही देर में वह अपना लिंग उसके योनि में घुसेड़ कर लगातार धक्के लगा रहा था और अंत में औरत उस मोटे लिंग को बर्दाश्त न कर पाई और बेहोश हो गई। यह सब देख सुनीता का सारा बदन गर्म हो गया, वह बुरी तरह कामाग्नि में झुलसने लगी, उसके मुख से अजीब सी कामुक आवाजें आने लगी थीं।
अगले दृश्य में उसने एक स्त्री को हब्शी का लिंग सहलाते हुए देखा, उस औरत ने लिंग को अपनी योनि पर टिका लिया और फिर समूचा लिंग एक ही झटके से योनि में जा घुसा। औरत थोड़ी देर छटपटाई और फिर उठ खड़ी हुई।
सुनीता का शरीर बेकाबू हो गया उसने अपनी बड़ी बहन को अपनी बाहों में कस कर जकड़ लिया और बोली- दीदी, अब अपनी योनि में किसी का लिंग डलवाने की मेरी बहुत इच्छा हो रही है। दीदी, जीजू जब इस लायक नहीं हैं तो फिर तुम अपनी कामाग्नि कैसे शांत करती हो?
अनीता ने अपनी बहन को प्यार से चूमते हुए कहा- फ़िक्र मत कर, आज मैं और तू किसी हट्टे-कट्टे आदमी से अपनी प्यास बुझाएँगे।
सुनीता ने चहक कर पूछा- कौन है दीदी, जो हमारी प्यास बुझाएगा? आह: दीदी, मैं तो तड़प रही हूँ अपनी योनि फड़वाने के लिए। काश ! वह सांड जैसा मर्द ही टीवी फाड़कर निकल आये और हम-दोनों को तृप्त को अपने लिंग के धक्कों से।
‘सब्र कर बेवकूफ, वो मर्द कोई और नहीं है, मेरे पिता जी ही आज हम-दोनों की इच्छाएँ पूरी करेंगे।’
‘दीदी, यह क्या कह रहीं हैं आप?’
‘हाँ सुनीता, वे मेरे ससुर ही हैं जो मुझ तड़पती हुई औरत को सहारा देते हैं। अब तू ही बता मुझे क्या करना चाहिए? क्या मैं पास-पड़ोस के लोगों को फंसाती फिरूं अपनी प्यास बुझाने के लिए?’
सुनीता ने अपनी दीदी की बात पर अपनी सहमति व्यक्त की, बोली- तुम ठीक ही कह रही हो दीदी, इससे घर की इज्जत भी बची रहेगी और तुम्हारी कामाग्नि भी शांत होती रहेगी। अच्छा दीदी, एक बात बताओ। क्या मौसा जी का भी इतना बड़ा और सख्त है जितना कि इस फिल्म में मर्दों का दिखा रहे थे, ऐसा मोटा-लम्बा किसी लम्बे खीरे जैसा?
अनीता बोली- आज तू खुद ही देख लेना अपनी आँखों से, अगर देख कर डर न जाए तो मेरा नाम बदल देना। मुझे तो डर है कि तू झेल भी पायेगी या नहीं।
‘हैं दीदी, सच में इतना मोटा और लम्बा है मौसा जी का?’
दोनों बहनें बहुत देर तक इस वासना की बातों में डूबी रहीं।
सुनीता बोली- दीदी, अगर आप इजाजत दें तो मैं भी आपकी योनि चाट कर देख लूं?
अनीता बोली- चल देख ले, आज तू भी चख कर देख, योनि से जो पानी निकलता है वह कितना आनन्ददायक होता है।
अनीता ने लाइन क्लीयर कर दी, सुनीता ने दीदी की योनि पर अपनी जीभ फेरनी शुरू कर दी।
अनीता की योनि बुरी तरह फड़कने लगी, वह बोली- सुनीता, जरा जोरों से चाट, आह: कितना मज़ा आ रहा है। अपनी जीभ मेरी योनि की अन्दर-बाहर कर… उई माँ…मर गई मैं तो… सुनीता और जोर से प्लीज़… आह: …ऊह …
आधे घंटे तक चाटने के बाद सुनीता बोली- दीदी, अब मेरी भी चाटो न !
तब अनीता ने उसकी क्वांरी योनि को चाटना शुरू कर दिया। सुनीता का समूचा बदन झनझना उठा, सुनीता के मुँह से भी सिसकारियाँ फूटने लगीं, वह बोली- दीदी, क्या मौसा जी इस समय नहीं आ सकते? प्लीज़ उनसे कहो कि आकर मेरी योनि फाड़ डालें।
अनीता बोली- क्या पागल हो गई है? थोड़ा सा भी इन्तजार नहीं कर सकती।’दीदी, अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रही यह मरी जवानी की आग… दीदी, मौसा जी राज़ी तो हो जायेंगे न मेरी फाड़ने के लिए?
‘मरी बाबली है बिल्कुल ही, जिसे एकदम क्वांरी और अछूती योनि मिलेगी चखने को वह उसे लेने से इंकार कर देगा क्या?’
‘दीदी, और अगर नहीं हुए राज़ी तो…?’
‘वो सब तू मुझ पर छोड़, तू एक काम करना, आज रात वो मेरे पास आयें और हमारी काम-क्रीड़ायें शुरू हो जाएँ तो तू एकदम से लाइट ऑन कर देना और ज़िद करना कि तुझे तो मेरे पास ही सोना है। हमारे पास आकर हमारे ऊपर पड़ा कम्बल खींच देना। हम-दोनों बिल्कुल ही नंगे पड़े होंगें कम्बल के भीतर। तू कहना, मौसा जी, मुझे तो दीदी के पास ही सोना है। वे डर जायेंगे और तुझे भी अपने साथ सुलाने को मजबूर हो जायेंगे। बस समझो तेरा काम बन गया। फिर तू उनके साथ चाहे जैसे मज़ा लेना। समझ गई ना?
सुनीता को तसल्ली हो गई कि आज उसके मौसा जी उसकी योनि जरूर फाड़ देंगे, सुनीता ने दीदी से कहा- दीदी, तुम्हें एक बात नहीं मालूम होगी।
‘क्या?’ अनीता ने पूछा।
सुनीता ने बताया- तुम्हारी शादी के बाद एक दिन मैं यों ही खिड़की की ओट से मंझले भैया के कमरे में झाँकने लगी, मुझे भाभी के साथ किसी मर्द की आवाजें सुनाई दीं, कोई कह रहा था ‘अपने सारे कपड़े उतार कर मेरे ऊपर आ जा। अब मुझसे ज्यादा इन्तजार नहीं हो रहा।’ मेरी उत्सुकता बढ़ी, मैंने सोचा की मझले भैया तो नाइट ड्यूटी जाते हैं, फिर यह कौन आदमी भाभी से नंगी होने की बात कह रहा है।
मैंने खिड़की थोड़ी से और खोल कर अन्दर झाँका तो दीदी, बिल्कुल ऐसा ही सीन अन्दर चल रहा था जैसा कि हम-लोगों ने आज ब्लू-फिल्म में देखा था। बड़े भैया, मझली भाभी को नंगी करके अपने ऊपर लिटाये हुए थे और भाभी ऊपर से धक्के मार-मार कर बड़े भैया का लिंग अन्दर लिए जा रहीं थीं। मुझे यह खेल देखने का चस्का लग गया। एक बार मैंने उनका यह खेल छोटे भैया को भी दिखाया। देखते-देखते छोटे भैया उत्तेजित हो उठे और उन्होंने मेरी छातियों पर हाथ फेरना आरम्भ कर दिया। मैं किसी तरह भाग कर अपने कमरे में चली आई, छोटे भैया ने समझा कि बुरा मान कर अंदर भाग आई हूँ।
वे मेरे पीछे-पीछे आये और मुझसे माफ़ी मांगने लगे। आगे कभी ऐसा न करने का वादा भी करने लगे। मैं कुछ नहीं बोली और बह चुपचाप वहां से चले गए।
उनके चले जाने के बाद मैं बहुत पछताई कि क्यों मैंने उनको नाराज़ कर दिया। अगर उनसे करवा ही लेती तो उस दिन मुझे कितना आनन्द आता। अफ़सोस तो इस बात का रहा कि उन्होंने दुबारा मेरी छातियाँ क्यों नहीं दबाई। अगर आगे वह ऐसा करें तो मुझे क्या करना चाहिए दीदी? हथियार डाल उनके आगे, और कर दूं अपने आपको उनके हवाले?
‘पागल हो गई है क्या तू? सगे भाई से यह सब करवाने की बात तेरे दिमाग में आई ही कैसे? देख सुनीता, सगे भाई-बहन का रिश्ता बहुत ही पवित्र होता है। आगे से ऐसा कभी सोचना भी मत।’
‘दीदी, तुम्हारी बातें सही हैं मगर जब लड़का और लड़की दोनों के ही सर पर वासना का भूत सवार हो जाये तो बेचारा दिल क्या करे? मेरी कितनी ही सहेलियाँ ऐसी हैं जिनके यौन-सम्बन्ध अपने सगे भाइयों से हैं। और ये सम्बन्ध उनके वर्षों से चले आ रहे हैं। मेरी एक सहेली ने तो अपनी शादी के बाद अपने सगे छोटे भाई के साथ सम्बन्ध बनाने पड़े। उसका पति नपुंसक है और कभी उसके लिंग में थोड़ी-बहुत उत्तेजना आती भी है तो वह पत्नी की योनि तक पहुँचते-पहुँचते ही झड़ जाता है।’
दोनों बहनों को बातें करते-करते शाम हो आई।
ससुर ने आवाज लगाई- बहू, जरा इधर तो आ। क्या आज खाना नहीं बनाना है?’ अनीता पास आकर ससुर के कान में फुसफुसाई- जानू आज समझो तुम्हारा काम बन गया। उसी को पटाने में इतनी देर लग गई। आप आज रात को मेरे पलंग पर आकर चुपचाप लेट जाना, आगे सब मैं सम्भाल लूंगी।
रात हुई, दोनों बहनें अलग-अलग बिस्तरों पर लेतीं। सुनीता आँखें बंद करके सोई हुई होने का नाटक करने लगी।
रात के करीब दस बजे धीरे से दरवाजा खुलने की आवाज आई।

 

सुनीता चौकन्नी हो गई, उसने कम्बल से एक आँख निकाल कर देखा कि दीदी के ससुर अन्दर आये। अन्दर आकर उन्होंने अन्दर से कुण्डी लगा ली और दबे पाँव दीदी के कम्बल में घुस गए।

अनीता पहले से ही पेटीकोट और ब्रा में थी, रामलाल ने भी अपने सारे वस्त्र उतार फैंके और अनीता को नंगी करके उसके ऊपर चढ़ गया और दोनों की काम-क्रीड़ायें शुरू हो गईं।

रामलाल धीरे से अनीता के कान में बोला- थोड़ी सी पिएगी मेरी जान, आज मैं विलायती व्हिस्की लेकर आया हूँ। आज बोतल की और इस नई लौंडिया की सील एक साथ तोडूंगा।

रामलाल ने अपने कुरते को टटोलना शुरू किया ही था कि अनिता उसे रोकते हुए बोली- अभी नहीं, सुनीता पर काबू पाने के बाद शुरू करेंगे पीना। आज मैं तुम दोनों को अपने हाथों से पिलाऊँगी और खुद भी पीऊँगी तुम्हारे साथ। पहले मेरी बहन की अनछुई जवानी का ढक्कन तो खोल दो बाद में बोतल का ढक्कन खुलेगा।

रामलाल मुस्कुराया, बोला- मेरी जान, तू मेरे लिए कितना कुछ करने को तैयार है। यहाँ तक कि अपनी छोटी बहन की सील तुडवाने को भी राज़ी हो गई।
‘आप भी तो हमारे ऊपर सब-कुछ लुटाने को तैयार रहते हो मेरे राजा, फिर तुम्हारी रानी तुम्हारे लिए इतना सा काम भी नहीं कर सकती?’

सुनीता कम्बल की ओट से सब-कुछ साफ़-साफ़ देख पा रही थी। नाईट बल्ब की रोशनी में दोनों के गुप्तांग स्पष्ट दिखाई दे रहे थे।
सुनीता ने सोचा ‘दीदी ने तो कहा था कि लाइट ऑन करके दोनों के ऊपर से कम्बल हटाने के लिए। यहाँ तो कुछ भी हटाने की जरूरत नहीं है, सब काम कम्बल हटाकर ही हो रहा है।’ सुनीता ने उठकर लाइट ऑन कर दी।

दोनों ने दिखावे के तौर पर अपने को कम्बल में ढकने का प्रयास किया, सुनीता बोली- दीदी, मैं तो तुम्हारे पास सोऊँगी। मुझे तो डर लग रहा है अकेले में।
अनीता ने दिखावटी तौर पर उसे समझाया- हम लोग यहाँ क्या कर रहे हैं, यह तो तूने देख ही लिया है, फिर भी तू मेरे पास सोने की ज़िद कर रही है?

रामलाल बोला- हाँ हाँ, सुला लो न बेचारी को अपने पास। उसे हमारे काम से क्या मतलब, एक कोने में पड़ी रहेगी बेचारी ! आजा बेटी, तू मेरी तरफ आ जा।
सुनीता झटपट रामलाल की ओर जा लेटी और बोली- आप लोगों को जो भी करना है करो, मुझे तो जोरों की नींद लगी है।
इधर अनीता और रामलाल का पहला राउंड चल रहा था, इस बीच सुनीता कभी अपनी चूचियों को दबाती तो कभी अपनी योनि खुजलाती।

जब अनीता और रामलाल स्खलित हो गये तो रामलाल ने कहा- जानू लाओ तो हमारी व्हिस्की की बोतल, इससे जोश पूरा हो जायेगा।
अनीता बोली- मुझे तो बहुत थोड़ी सी देना, मैं तो पीकर सो जाऊँगी। मेरे राजा, आज तो तुमने मेरे फाड़ कर रख दी। योनि भी बहुत दर्द कर रही है।

फिर वह अपने ससुर जी के कान में बोली- आज इसको कतई छोड़ना मत, सोने का बहाना बनाये पड़ी है। आज मैंने ब्लू-फिल्म दिखाकर इसे तुम्हारा यह मूसल सा मोटा लिंग अन्दर डलवाने के लिए बिल्कुल तैयार कर लिया है। लाइट तो ऑन थी ही, पलंग पर दोनों ससुर-बहू बिल्कुल नग्नावस्था में बैठे थे।

सुनीता ने मौसा जी के मोटे लिंग को कनखियों से देखा तो सर से पैर तक काँप गई ‘बाप रे, किसी आदमी का लिंग है या किसी घोड़े का’ पूरे दस इंच लम्बा और मोटा लिंग अभी भी तनतनाया था सुनीता की लेने की आस में।

अनीता ने बोतल की सील तोड़ी और दो गिलासों में शराब उड़ेली दी। दोनों ने जैसे ही सिप करना चाहा कि सुनीता ने कम्बल से मुँह बाहर निकाल कर कहा- दीदी, आप दोनों ये क्या पी रहे हैं? थोड़ी मुझे नहीं दोगे?
अनीता ने गुस्सा दिखाते हुए कहा- ज़हर पी रहे हैं हम लोग, पीयेगी?
‘हाँ, मुझे भी दो न !’
रामलाल ने सुनीता की हिमायत लेते हुए कहा- हाँ, दे दो थोड़ी सी इस बेचारी को भी।

अनीता ने दो पैग शराब एक ही गिलास में डाल दी और गिलास थमाते हुए बोली- ले मर, तू भी पी थोड़ी सी।
सुनीता ने दो घूँट गले से नीचे उतारी, और कड़वाहट से मुँह बनाती बोली- दीदी, यह तो बहुत ही कड़वी है।
‘अब गटक जा सारी चुप-चाप, ज्यादा नखरे दिखाने की जरूरत नहीं है। ला थोड़ा सा पानी मिला दूं इसमें…’ अनीता ने बाकी का खाली गिलास पानी से भर दिया।

सुनीता दो बार में ही सारी शराब गले के नीचे उतार गई और अपना कम्बल ओढ़ कर चुप-चाप सोने का अभिनय करने लगी।
शराब पीने के बाद रामलाल का अध-खड़ा लिंग अब पूरा तन-कर खड़ा हो गया, उसने अनीता से पूछा- क्या शुरू की जाए इसके साथ छेड़खानी?
अनीता ने धीरे से सर हिलाकर रास्ता साफ़ होने का संकेत दे दिया।

रामलाल अनीता से बोला- तुम अपने लिए दूसरा कम्बल ले आओ। मैं तो अपनी प्यारी बिटिया के कम्बल में ही सो लूँगा।
ऐसा कह कर वह सुनीता के कम्बल में घुस गया। रामलाल के हाथ धीरे-धीरे सुनीता के वक्ष की ओर बढ़े।
सुनीता ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी, वह केवल नाइटी में थी। रामलाल ने ऊपर से ही सुनीता की चूचियाँ दबा कर स्थिति का जायजा लिया।

सुनीता सोने का बहाना करते हुए सीधी होकर बिल्कुल चित्त लेट गई जिससे कि रामलाल को उसका सारा बदन टटोलने में किसी प्रकार की बाधा न पड़े। उसका दिल जोरों से धड़कने लगा, साँसें भी कुछ तेज चलने लगीं।
रामलाल ने उसके होटों पर अपने होंट टिका दिए और बेधड़क होकर चूसने लगा।

सुनीता ने नकली विरोध जताया- ओह दीदी, क्या मजाक करती हो। मुझे सोने भी दो अब…
रामलाल ने उसकी तनिक भी परवाह न करते हुए उसकी छातियाँ मसलनी शुरू कर दीं और फिर अपने हाथ उसके सारे बदन पर फेरने लगा।

इधर सुनीता पर शराब और शवाब दोनों का ही नशा सवार था, उसके बदन में मदहोशी की हजारों चींटियाँ सी काटने लगीं। उसने अनजान बनते हुए रामलाल की जाँघों के बीच में हाथ कर उसके लिंग का स्पर्श भी कर लिया।

तभी उसने लिंग को पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया, और बोली- दीदी, तुम्हारी यह क्या चीज है?
इस बीच रामलाल ने उसकी नाइटी भी उतार फैंकी और उसे बिल्कुल नंगी कर डाला।
रामलाल ने ऊपर से कम्बल हटाकर उसका नग्न शरीर अनीता को दिखाते हुए कहा- देखा रानी, तेरी बहन बेहोशी में जाने क्या-क्या बड़बड़ाये जा रही है?

रामलाल ने उसकी दोनों जाँघों को थोड़ा सा फैलाकर उसकी योनि पर हाथ फिराते हुए कहा- यार जानू, तेरी बहन तो बड़े ही गजब की चीज है। इसकी योनि तो देखो, कितनी गोरी और चिकनी है। कहो तो इसे चाट कर इसका पूरा स्वाद चख लूं? रानी, तू कहे तो इसकी योनि का पूरा रस पी जाऊं… बड़ी रसदार मालूम पड़ रही है।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
‘अनीता बोली- और क्या… जब नशे में मस्त पड़ी है तो उठा लो मौके का फायदा। होश में आ गई तो नहीं देगी। अभी अच्छा मौका है, डाल दो अपना समूचा लिंग इसकी योनि के अन्दर।

रामलाल ने उसकी जांघें सहलानी शुरू कर दीं, फिर धीरे से उसकी गोरी-चिकनी योनि में अपनी एक उंगली घुसेड़ कर उसे अन्दर-बाहर करने लगा।
उसने अनीता से पूछा- क्यों जानू… इसकी योनि के बाल तुमने साफ़ किये हैं?

‘नहीं तो…’ अनीता बोली- इसी ने साफ़ किये होंगे, पूरे एक घंटे में बाथरूम से निकली थी नहाकर।
रामलाल सुनीता की योनि पर हाथ फेरता हुआ बोला- क्या गजब की सुरंग है इसकी ! कसम से इसकी सुलगती भट्टी तो इतनी गर्म है कि डंडा डाल दो तो वह भी जल-भुन कर राख होकर निकलेगा अन्दर से।

सुनीता से अब नहीं रहा गया, बोली- तो डाल क्यों नहीं देते अपना डंडा मेरी गर्म-गर्म भट्टी में।
रामलाल की बांछें खिल उठीं। उसने सुनीता की चूची को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया।

सुनीता की सिसकारियाँ कमरे में गूँज कर वातावरण को और भी सेक्सी व रोमांटिक बनाने लगीं। रामलाल अब खुलकर उसके नग्न शरीर से खेल रहा था।
सुनीता ने रामलाल का लिंग पकड़ कर अपने मुँह में डाल लिया और मस्ती में आकर उसे चूसने लगी। अब उसे अपने बदन की गर्मी कतई सहन नहीं हो रही थी, उसने रामलाल का लिंग अपनी जाँघों के बीच में दबाते हुए कहा- मौसा जी, प्लीज़.. अब अपना यह मोटा डंडा मेरी जाँघों के भीतर सरकाइये, मुझे बड़ा आनन्द आ रहा है।

तब रामलाल ने मोटे लिंग का ऊपरी लाल भाग सुनीता की योनि धीरे-धीरे सरकाना आरम्भ किया। सुनीता योनि में एक तेज सनसनाहट दौड़ गई, उसने कस कर अपने दांत भींच लिए और लिंग की मोटाई को झेल पाने का प्रयास करने लगी।
रामलाल का लिंग जितना उसकी योनि के अन्दर घुस रहा था, योनि में उतनी ही पीड़ा बढ़ती जा रही थी।

अब रामलाल के लिंग में भी और अधिक उत्तेजना आ गई थी, उसने एक जोरदार धक्का पूरी ताकत के साथ मारा जिससे उसका समूचा लिंग सुनीता की कोरी योनी को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया।

सुनीता के मुँह से एक जोरों की चीख निकल कर वातावरण में गूँज उठी और वह रामलाल के लिंग को योनि से बाहर निकालने की चेष्टा करने लगी।
अनीता ने रामलाल से कहा- जानू इसके कहने पर अपने इंजन को रोकना नहीं, देखना अभी कुछ ही देर में रेल पटरी पर आ जाएगी।
योनि से खून बह निकल पड़ा जो चादर पर फैल गया था।

अनीता सुनीता को डांटते हुए बोली- देख सुनीता, अब तू चुपचाप पड़ी रह कर इनके लिंग के धक्के झेलती रह, यों व्यर्थ की चिखापुकारी से कुछ नहीं होगा। इस वक्त जो दर्द तुझे महसूस हो रहा है वह कुछ ही देर में मज़े में बदल जायेगा। इन्हें रोक मत, इनके रेस के घोड़े को सरपट दौड़ने दे, अधाधुंध अन्दर-बाहर। इनका बेलगाम घोडा जितनी तेजी से अन्दर-बाहर के चक्कर काटेगा उतना ही तुझे मज़ा आएगा।

बड़ी बहन की बात मानकर सुनीता थोड़ी देर अपना दम रोके यों ही छटपटाती रही और कुछ ही देर में उसे मज़ा आने लगा।
रामलाल अब तक सेंकडों धक्के सुनीता की योनि में लगा चुका था। अब सुनीता के मुख से रामलाल के हर धक्के के साथ मादक सिसकारियाँ फूट रही थीं। उसे लगा कि वह स्वर्ग की सैर कर रही है। इधर रामलाल अपने तेज धक्कों से उसे और भी आनन्दित किये जा रहा था।

सुनीता अब अपने नितम्बों को उचका-उचका कर अपनी योनि में उसके लिंग को गपकने का प्रयास कर रही थी, वह मस्ती में भर कर चीखने लगी- मौसा जी, जरा जोरों के धक्के लगाओ… तुम्हारे हर धक्के में मुझे स्वर्ग की सैर का आनन्द मिल रहा है… आह:… आज तो फाड़ के रख दो मेरी योनि को… और जोर से… और जोर से… उई माँ… मौसा जी… प्लीज़ धीरे-धीरे नहीं… थोड़े और जोर से फाड़ो…

उसने रामलाल को कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया, अपनी दोनों टाँगों से उसने अपने मौसा जी के नितम्बों को जकड़ रखा था। अजब प्यास सी उसकी जो बुझाए नहीं बुझ रही थी।
अंतत: रामलाल ने उसकी प्यास बुझा ही डाली, सुनीता रामलाल से पहले ही क्षरित हो कर शांत पड़ गई, उसने अपने हाथ-पैर पटकने बंद कर दिए थे पर वह अब भी चुपचाप पड़ी अपने मौसा जी के लिंग के झटके झेल रही थी।

आखिरकार रामलाल के लिंग से भी वीर्य की एक प्रचंड धारा फूट पड़ी, उसने ढेर सारा वीर्य सुनीता की योनि में भर दिया और निढाल सा हो उसके ऊपर लेट गया।

कुछ देर बाद तीनों का नशा मंद पड़ा। रात के करीब दो बजे सुनीता का हाथ रामलाल के लिंग को टटोलने लगा। वह उसके लिंग को धीरे-धीरे पुन: सहलाने लगी। बल्ब की तेज रोशनी में उसने सोते हुए रामलाल के लिंग को गौर से देखा और फिर उसे अपनी उँगलियों में कस कर सहलाना शुरू कर दिया था।

रामलाल और अनीता दोनों ही जाग रहे थे। उसकी इस हरकत पर दोनों खिलखिलाकर हंस पड़े।
अनीता ने कहा- देख ले अपने मौसा जी के लिंग को, है न उतना ही मोटा, लम्बा जितना कि मैंने तुझे बताया था।
वह शरमा कर मुस्कुराई।
रामलाल भी हँसते हुए पूछा- क्यों मेरी जान, मज़ा आया कुछ?

कहानी जारी रहेगी।
ranimadhubala07@gmail.com

You May Also Like

Ghar ki Gaand - 6

Main didi ke hath se moisturizer ki bottle li, aur didi ki bur ko moisturize karne laga. Ab didi bhi khul kar mera sath…

Ghar ki Gaand - 7

Behanchod tu hai hi, lekin mere muh me apna muth mat gira dena, Pinki bata rahi thi ki uske bhaiya ne jabardasti usko b…

Comments