रामलाल जब लिंग धोकर बाथरूम से लौटा तो उसके गोरे, मोटे और चिकने लिंग को देख कर अनीता की योनि लार चुआने लगी। योनि रामलाल के लिंग को गपकने के लिए बुरी तरह फड़फड़ाने लगी और अनिता ने लपक कर उसका मोटा तन-तनाया लिंग अपने मुँह में भर लिया और उतावली हो कर चूसने लगी।
रामलाल बोला- बहू, तू अब अपनी जांघें फैलाकर चित्त लेट जा और अपने नितम्बों के नीचे एक हल्का सा तकिया लगा ले।
‘ऐसा क्यों पिता जी?’
‘ऐसा करने से तेरी योनि पूरी तरह से फ़ैल जाएगी और उसमें मेरा यह मोटा-ताज़ी, हट्टा-कट्टा डण्डा बिना किसी परेशानी के सीधा अन्दर घुस जाएगा।’
अनीता ने वैसा ही किया।
रामलाल ने बहू के योनि-द्वार पर अपने लिंग का सुपाड़ा टिकाकर एक जोरदार झटका मारा कि उसका समूचा लिंग धचाक से अन्दर जा घुसा।
अनीता आनन्द से उछल पड़ी। वह मस्ती में आकर अपने कूल्हे और कमर उछाल-उछाल कर लिंग को ज्यादा से ज्यादा अन्दर-बाहर ले जाने की कोशिश में जुटी थी।
रामलाल बोला- बहू, तेरी तो वाकयी बहुत ही चुस्त है। कुदरत ने बड़ी ही फुर्सत में गढ़ी होगी तेरी योनि।
अनीता बोली- आपका हथियार कौन सा कम गजब का है। पिता जी, सच बताइए, सासू जी के अलावा और कितनी औरतों की फाड़ी है आपके इस मोटे लट्ठे ने?
रामलाल अनीता की योनि में लगातार जोरों के धक्के लगाता हुआ बोला- मैंने कभी इस बात का हिसाब नहीं लगाया। हाँ, तुझे एक बात से सावधान कर दूं। मेरे-तेरे बीच के इन संबधों की तेरी पड़ोसन जिठानी को को जरा भी भनक न लग जाए। वह बड़ी ही छिनाल किस्म की औरत है, हमें सारे में बदनाम करके ही छोड़ेगी।’
‘नहीं पिता जी, मैं क्या पागल हूँ जो किसी को भी इस बात की जरा भी भनक लगने दूँगी। वैसे, आप एक बात बताओ, क्या यह औरत आपसे बची हुई है?’
रामलाल जोरों से हंस पड़ा, बोला- तेरा यह सोचना बिल्कुल सही है बहू, इसने भी मुझसे एक बार नहीं, कितनी ही बार ठुकवाया है। ‘अच्छा, एक बात और पूछनी है आपसे..?’
‘पूछो बहू…’
‘पहली रात को क्या सासू जी आपका यह मोटा हथियार झेल पाई थीं?’
‘अरे कुछ मत पूछ बहू, जब मेरा तेरी सास के साथ ब्याह हुआ था तब उस पर अभी जवानी भी पूरी नहीं चढ़ी थी और मैं 18 साल का। इतना तजुर्बा भी कहाँ था तब मुझे कि पहले उसकी योनि को सहला-सहला कर गर्म करता और जब वह तैयार हो जाती तो मैं उसकी कुंवारी व अनछुई योनि में अपना लिंग धीरे-धीरे सरकाता। मैं तो बेचारी पर एकदम से टूट पड़ा था और उसे नंगी करने उसकी योनि के चिथड़े-चिथड़े कर डाले थे। बस उसकी नाजुक सी चूत फट कर खून के टसूए बहाती रही थी पूरे तीन दिन तक ! अगली बार जब मैंने उसकी ली तो पहले उसे खूब गर्म कर लिया था जिससे वह खुद ही अपने अन्दर डलवाने को राज़ी हो गई।
अनीता तपाक से बोली- जैसे मेरी योनि को सहला-सहला कर उसे आपने खौलती भट्टी बना दिया था आज। पिता जी, इधर का काम चालू रखिये …एक वार, सिर्फ एक बार मेरी सुलगती सुरंग को फाड़ कर रख दीजिये। मैं हमेशा-हमेशा के लिए आपकी दासी बन जाऊँगी।
‘ले बहू, तू भी क्या याद करेगी… तेरा भी कभी किसी मर्द से पाला पड़ा था। आज मुझे रोकना मत, अभी तेरी उफनती जवानी को मसल कर रखे देता हूँ।’
ऐसा कह कर रामलाल अपने मोटे लिंग पर तेल मलकर अनीता पर दुबारा पिला तो अनीता सिर से पैर तक आनन्द में डूब गई। रामलाल के लिंग का मज़ा ही कुछ और था पर वह भी कब हिम्मत हारने वाली थी। अपने ससुर को खूब अपने नितम्बों को उछाल-उछाल कर दे रही थी।
अंतत: लगभग एक घंटे की इस लिंग-योनि की धुआधार लड़ाई में दोनों ही एक साथ झड़ गए और काफी देर तक एक-दूजे के नंगे शरीरों से लिपट कर सोते रहे।
बीच-बीच में दो-तीन वार उनकी आँखें खुलीं तो वही सिलसिला दुबारा शुरू हो गया। उस रात रामलाल ने बहू की चार बार चूत मारी और हर बार में दोनों को ही पहले से दूना मज़ा आया।
अनीता उसी रात से ससुर की पक्की चेली बन गई। अब वह ससुर के खाने-पीने का भी काफी ध्यान रखती थी ताकि उसका फौलादी डंडा पहले की तरह ही मजबूत बना रहे, पति की नपुंसकता की अब उसे जरा भी फ़िक्र न थी।
हाँ, इस घटना के बाद रिश्ते जरूर बदल गए थे।
रामलाल सबके सामने अनीता को बहू या बेटी कहकर पुकारता परन्तु एकांत में उसे मेरी रानी, मेरी बुलबुल आदि नामों से संबोधित करता था।
और अनीता समाज के सामने एक लम्बा घूंघट निकाले उसके पैर छूकर ससुर का आशीर्वाद लेती और रात में अपने सारे कपड़े उतार कर उसके आगे टांगें फ़ैला कर पसर जाती थी।
आजकल रामलाल अपनी बहू अनीता के साथ कामक्रीड़ा के लिये मौके ढूंढने में लगा रहता था।
अपने बेटे अनमोल को वह अक्सर विवाह-शादियों में भेजता रहता था ताकि वह अधिक से अधिक रातें अपनी पुत्र-वधू अनीता के साथ बिता सके।
अनीता से यौन-सम्बंध बनाने के बाद से वह पहले की अपेक्षा कुछ और अधिक जवान दिखने लगा था।
एक बार बहू की योनि में अपनी उंगली डाल कर उसे इधर-उधर घुमाते हुए उसने पूछा- रानी, मैं देख रहा हूँ, कुछ दिनों से तुम किसी चिंता में डूबी हुई नज़र आ रही हो?
अनीता ने कहा- राजा जी, मेरी छोटी बहन के ससुराल वालों ने पूरे पांच लाख रूपए की मांग की है। मेरे तीनों भाई मिलकर सिर्फ चार लाख रूपए ही जुटा पाए हैं। उन लोगों का कहना है कि अगर पूरे पैसों का प्रबन्ध नहीं हुआ तो वे लोग मेरी बहन सुनीता से सगाई तोड़ कर किसी दूसरी जगह अपने बेटे का ब्याह कर लेंगे।
रामलाल कुछ सोचता हुआ बोला- उनकी माँ का खोपड़ा सालों की… तू चिन्ता मत कर, उनका मुँह बंद करना मुझे आता है। बस इतनी सी बात को लेकर परेशान है मेरी जान।
रामलाल ने एक साथ तीन उंगलियाँ बहू की योनि में घुसेड़ दीं। अनीता ने एक लम्बी से आह भरी।
ससुर की बात पर अनीता खुश हो गई, उसने रामलाल का लिंग अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाना शुरू कर दिया और उसके उसके अंडकोषों की गोलियों को घुमा-घुमा कर खेलने लगी।
रामलाल बोला- अपनी बहन को यहीं बुला ले मेरी रानी, मेरी जान ! हम भी तो देखें तेरी बहन कितनी खूबसूरत है।
‘मेरी बहन मुझसे सिर्फ तीन साल ही छोटी है। देखने में बहुत गोरी-चिट्टी, तीखे नयन नक्श, पतली कमर, सुडौल कूल्हे, साथ-साथ उसके सीने का उभार भी बड़े गज़ब का है।’
रामलाल के मुँह में पानी भर आया, उसकी बहन की इतनी सारी तारीफें सुनकर, वह आहें भरता हुआ बोला- हाय, हाय, हाय ! क्या मेरा दम ही निकाल कर छोड़ेगी मेरी जान, अब उसकी तारीफें करना बंद करके यह बता कि कब उसे बुला कर मेरी आँखों को ठंडक देगी। मेरा तो कलेजा ही मुँह को आ रहा है उसकी बातें सुन-सुन कर…
अनीता बोली- देखो जानू, बुला तो मैं लूंगी ही उसे मगर उस पर अपनी नीयत मत खराब कर बैठना। वह पढ़ी-लिखी लड़की है, अभी-अभी बीए पास किया है उसने। आपके झांसे में नहीं फंसने वाली वो !
रामलाल ने उसे पानी चढ़ाया बोला- फिर तू किस मर्ज़ की दवा है मेरी बालूशाही ! तेरे होते हुए भी अगर हमें तेरी बहन की कातिल जवानी चखने को न मिली तो कितने दुःख की बात होगी। हाँ, रूपए-पैसों की तू चिंता न करना। यह चाबी का गुच्छा तेरे हाथों में थमा दूँगा, जितना जी चाहे खर्च करना अपनी बहन की शादी में। तू तो इस घर की मालकिन है मालकिन !
रामलाल 500 बीघे का मालिक था। ट्रेक्टर-ट्राली, जीप, मोटर-साइकिल, नौकर-चाकर, एक बड़ी हवेली सब-कुछ तो उसके पास, क्या नहीं था? तिजोरी नोटों से भरी रहती थी उसकी। अगर कहीं कमी थी तो उसके बेटे के पास पुरुषत्व की। अनीता तो तब भी रानी होती और अब भी महारानियों की तरह राज कर रही थी रामलाल की धन-दौलत पर और साथ ही उसके दिल पर भी।
अनीता ने रामलाल की बात पर कुछ देर तक सोचा और फिर बोली- हाय मेरे राजा… मैं कैसे राज़ी करूंगी उसे तुम्हारे साथ सोने को?
रामलाल ने बहू की योनि में अब अपना समूचा लिंग घुसेड़ दिया और उसे धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करता हुआ बोला- मेरी बिल्लो, वह सीडी किस दिन काम आएगी। उसे दिखा कर पटा लेना। जब वह बाकें मर्दों, हब्शियों को नंगी औरतों की योनि फाड़ते हुए देखेगी तो उसकी भी पानी छोड़ने लगेगी। तू उसको पहले इतने नज़ारे दिखा डालना, फिर वह तो खुद ही अपनी बुर में उँगलियाँ घुसेड़ने लगेगी। अगर वह ना अपनी फड़वाने को राज़ी हो जाए तो मैं तेरा हमेशा के लिए गुलाम बन जाऊँगा।
अनीता बोली- यह कौन सा बड़ा काम करोगे। गुलाम तो मेरे अब भी हो मेरे दिल के राजा ! मैं तो तुम पर अपना सब-कुछ लुटाये बैठी हूँ, अपनी लाज-शर्म, अपनी इज्जत-आबरू और अपना ईमान-धर्म तक। अब धीरे-धीरे मेरी फ़ुद्दी संग मजाक और खिलवाड़ मत करो, जरा जोरों के धक्के मार दो कस-कस के।
रामलाल ने अपने लिंग में तेजी लानी शुरू कर दी, उस पर मानो मर्दानगी का भूत सवार हो गया था।
इतने तेज धक्कों की चोट तो शायद ही कोई औरत बर्दाश्त कर पाती पर अनीता तो आनन्दित होकर ख़ुशी की किलकारियाँ भर रही थी- आह मेरे शेर… कितना मज़ा आ रहा है मुझे… बस ऐसे ही सारी रात मेरी दहकती भट्टी में अपना भुट्टा भूनते रहो। तुम्हारी कसम मैं अपनी बहन की जवानी का पूरा-पूरा मज़ा दिलवा कर रहूंगी… आह: ओह… सी ई ई ई ई ई…आज तो मेरी पूरी तरह से फाड़कर रख दो … भले ही कल तुम्हें मेरी चूत किसी मोची से ही क्यों न सिलवानी पड़े।
रामलाल ने धक्कों की रफ़्तार पूरी गति पर छोड़ दी, दे दना दन …आज रामलाल ने तय कर लिया कि जब तक अनीता उससे रुकने को नहीं कहेगी, वह धक्के मारता ही रहेगा। करीबन तीस-चालीस मिनटों तक रामलाल ने थमने का नाम नहीं लिया। अंत में जब तक अनीता निचेष्ट होकर न पड़ गई रामलाल उसकी बजाता ही रहा।
दूसरे ही दिन अनीता ने खबर भेज कर अपनी छोटी बहन सुनीता को अपने यहाँ बुलवा लिया। अनीता के मायके में तीन भाई और एक बहन थी उससे सिर्फ तीन साल छोटी।
माता-पिता उसके बचपन में ही मर चुके थे, सभी भाई-बहनों को बड़े भाई ने ही पाला था। अनीता के दो भाई विवाहित थे और सबसे छोटा भाई अभी अविवाहित था, वह हाल में ही नौकरी पर लगा था।
कुल मिलकर उसके मायके वालों की दशा कुछ ख़ास अच्छी न थी। उस पर सुनीता के ससुराल वालों का दहेज़ में पांच लाख रूपए की मांग करना, किन्तु रामलाल द्वारा उनकी मांग पूरी करने की बात सुनकर अनीता की सारी चिंता जाती रही।
आज ही उसकी छोटी बहन उसके घर आई थी। ससुर रामलाल ने अनीता को अपने पास बुलाकर उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा- रानी समझ गई न तुझे क्या करना है, किसी प्रकार अपनी बहन को वह सीडी दिखा दे। तेरी कसम, जबसे उसके रूप को मैंने देखा है, तन-बदन में आग सी लगी हुई है। आज की रात अनमोल भी बाहर गया हुआ है, तुम दोनों बहनों की जवानी का रस खूब छक कर पिऊँगा, खूब जम कर मज़ा लूँगा रात भर जा, जाकर उसे वह सीडी दिखा…
अनीता अपने कमरे में आई और उसे ब्लू-फिल्म दिखाने की कोई तरकीब सोचने लगी। दोपहर का खाना खाकर दोनों बहनें पलंग पर लेट कर बातें करने लगीं।
बातों ही बातों में अनीता ने उसके ब्याह का ज़िक्र छेड़ दिया। इसी दौरान अनीता ने सुनीता से पूछा- सुनीता, तुझे सुहागरात के बारे में कुछ नालेज है कि उस रात पति-पत्नी के बीच क्या होता है? फिर न कहना कि मुझे इस बारे में किसी ने कुछ बताया ही नहीं था।
सुनीता ने अनजान बनते हुए शरमाकर पूछा- क्या होता है दीदी, उस रात को? बताइये, मुझे कुछ नहीं मालूम।
अनीता बोली- पगली, इस रात को पति-पत्नी का शारीरिक मिलन होता है।
‘कैसे दीदी, जरा खुल के बताओ न, कैसा मिलन?’
‘अरी पगली, पति-पत्नी एक दूसरे को प्यार करते हैं। पति पत्नी के ओठों का चुम्मन लेता है, उसके ब्लाउज के हुक खोलता है और फिर उसकी ब्रा को उतार कर उसकी चूचियों का चुम्मन लेता है, उन्हें दबाता है। धीरे-धीरे पति अपना हाथ पत्नी के सारे शरीर पर फेरने लगता है, वह उसकी छातियों से धीरे-धीरे अपना हाथ उसकी जाँघों पर ले जाता है और फिर उसकी दोनों जाँघों के बीच की जगह को अपनी ऊँगली डाल कर उसका स्पर्श करता है।’
‘फिर क्या होता है दीदी, बताइये न, आप कहते-कहते रुक क्यों गईं?’
‘कुछ नहीं, मैं भी तुझे कैसे बातें बताने लगी। ये सारी बातें तो तुझे खुद भी आनी चाहिए, अब तू बच्ची तो नहीं रही।’ अनीता ने नकली झुंझलाहट का प्रदर्शन किया।
‘दीदी, बताओ प्लीज, फिर पति क्या करता है पत्नी के साथ?’
‘उसे पूरी तरह से नंगी कर देता है और फिर खुद भी नंगा हो जाता है। दोनों काफी देर तक एक दूसरे के अंगों को छूते हैं, उन्हें सहलाते हैं और अंत में पति अपनी पत्नी की योनि में अपना लिंग डालने की कोशिश करता है। जब उसका लिंग आधे के करीब योनि के अन्दर घुस जाता है तो पत्नी की योनि की झिल्ली फट जाती है और उसे बड़ा दर्द होता है, योनि से कुछ खून भी निकलता है। कोई-कोई पत्नी तो दर्द के मारे चीखने तक लगती है। परन्तु पति अपनी मस्ती में भर कर अपना शेष लिंग भी पत्नी की योनि में घुसेड़ ही देता है।’ ‘फिर क्या होता है दीदी?’
कहानी जारी रहेगी।
ranimadhubala07@gmail.com