Bachpan ki Yaade - 1

Views: 39 Category: Family Sex By RaatKiBaat Published: May 08, 2025

मैं 33 वर्षीय अभिमन्यु राजस्थान के एक प्रसिद्ध शहर में अपनी 29 वर्षीया पत्नी व दो बच्चों के साथ सुखमय वैवाहिक जीवन बिता रहा हूँ । यह कहानी लगभग काफ़ी वर्ष पहले शुरू हुई जब मैं बहुत छोटा था ।
मैं तब अपने मम्मी, डैडी के साथ अपने तीन मंजिला घर में रहता था। घर में कई कमरे होने के कारण मुझे अपने लिए अलग से कमरा मिला था जिसमें मैं पढ़ता, अपने दोस्तों के साथ खेलता और रात को सोता था ।
रसोई और ड्राइंग रूम सबसे निचली मंजिल पर, मम्मी-डैडी का बैडरूम और एक गेस्ट रूम उसके ऊपर की मंजिल पर और मेरा कमरा व एक और गेस्ट रूम तीसरी मंजिल पर था ।
उसके ऊपर सिर्फ़ बड़ी छत थी जहाँ मैं और मेरे दोस्त बैडमिन्टन खेला करते थे । आपको बता दूँ कि तब हमारे देश में टेक्नोलॉजी का विकास होना शुरू ही हुआ था अर्थात् मोबाइल, इन्टरनेट, सीडी, डीवीडी प्रचलन में नहीं थे ।
आज मोबाइल, इन्टरनेट और टीवी के बदौलत किशोरवय नौनिहाल भी सैक्स के बारे में सब जानते हैं। तब ऐसा नहीं था… हालांकि उस ज़माने के विपरीत मुझे सैक्स के बारे में ज्ञान मेरी कम उम्र में ही हो गया था जब एक दिन मैंने अपने डैडी की अलमारी में छुपा कर रखी सैक्स कहानियों की किताबों का खज़ाना देख लिया था ।
पहली ही किताब में सैक्स का सचित्र विस्तृत ज्ञान था… लिंग, योनि, उरोज़, नितम्ब, हस्तमैथुन, सहवास, सम्भोग के विभिन्न आसन, रतिक्रिया, गर्भधारण, परिवार नियोजन आदि सैक्स के सभी विषयों पर सरल भाषा में बहुत अधिक साहित्य उस सीरिज़ की 4 किताबों में था जिसे पढ़ कर मैं दंग रह गया था ।
जिस चीज़ को सभी बड़े, मम्मी, डैडी गंदी बात कह कर छुपाने की कोशिश कर रहे थे, वह तो मेरी जीवन का सबसे मनपसंद विषय बनने जा रहा था । मैं एक-एक किताब लाता व पढ़ कर चुपचाप उसे अपनी जगह पर रख देता ।
इस प्रकार मैंने एक-एक कर के वहाँ रखी सभी 27-28 कहानियों व सैक्सज्ञान की किताबें कई-कई बार पढ़ी । इस साहित्य से मैं विद्वान तो नहीं बन गया पर सैक्स के विषय में आधारभूत ज्ञान मुझे हो गया था । कुछ दिन बाद वहीं एक वीडियो कैसेट मिली जिस पर इंग्लिश मूवी का नाम व (A) लोगो था ।
मुझे तुरंत याद आया कि एक बार दूरदर्शन पर शुक्रवार देर रात आने वाली मूवी को देखने की जिद करने पर (A) सर्टिफिकेट वाली मूवी बता कर मम्मी ने मुझे नहीं देखने दी थी और कहा था कि यह मूवीज बड़ों के देखने के लिए होती है । आप तो जानते होंगें कि किसी चीज़ को जितना अधिक छुपाया जाए उतना ही उसे देखने, करने की उत्सुकता बच्चों के मन में उतनी ही अधिक होती है ।
मैंने योजना बना कर वो वक्त चुना जब डैडी घर पर नहीं थे और मम्मी नीचे रसोई में व्यस्त थीं । मैंने चुपचाप डैडी के बैडरूम के वीडियो प्लेयर में उस कैसेट को प्ले किया तो दंग रह गया । वो इंग्लिश मूवी ना होकर साउथ की कोई हिंदी डब्ड मूवी थी जिसमें नायिका अपने पति के अलावा कई अन्य पुरुषों के साथ सैक्स करती है ।
पहली बार किसी को सैक्स करते हुए देखना सच में ज़बरदस्त अनुभव था । स्वाभाविक प्रतिक्रिया में मैं अपना लिंग उँगलियों के पोरों से मसलने लगा और कुछ ही मिनिटों में लिंग में से कुछ लसलसा सा पदार्थ निकला और अजीब सी संतुष्टि या आनन्द का अनुभव हुआ । वह मेरे जीवन का पहला हस्तमैथुन था ।
सच में मज़ा आ गया… पर लगभग आधे घंटे की ही मूवी देख पाया था और मुझे मालूम था कि मेरे डैडी वो कैसेट वीडियो पार्लर से किराए पर लाये होंगें तो आज रात को देखकर अगले दिन लौटा देंगे और मैं उसे देखे बिना रह जाऊँगा ।
गजब की उत्सुकता थी, इसलिए बहुत सोचने के बाद मैंने उनके बैडरूम और पास के गेस्ट-रूम के बीच की साझा खिड़की में एक छोटा सा छेद कर दिया और गेस्ट-रूम के दरवाज़े की कुण्डी खोलकर आ गया ताकि रात होने पर बिना आवाज़ किये वहाँ जाकर उस छेद में से मूवी देख सकूँ ।
छेद बहुत बड़ा नहीं पर कामचलाऊ था आखिर कोई कारपेंटर तो था नहीं जो परफेक्ट छेद बना सकूँ । रात हुई, हम तीनों ने खाना खाया, थोड़ी देर ड्राइंग रूम में बैठ कर हंसी-मज़ाक की, टीवी देखी और फिर सब अपने-अपने कमरों में सोने को चले गये पर मेरी आँखों से तो नींद कोसों दूर थी ।
आधे घंटे बाद ही में चुपचाप ऊपर से निचली मंजिल पर आया और उनके कमरे की आवाजें सुनने की कोशिश की तो पता चला कि उन्होंने मूवी शुरु कर दी थी । मैं और अधीर हो उठा और धीरे से बिना आवाज किये गेस्ट-रूम का दरवाज़ा खोल कर उसमें दाखिल हुआ तो उसमें एक सुखद आश्चर्य मेरा इन्तजार कर रहा था ।
रात हुई, हम तीनों ने खाना खाया, थोड़ी देर ड्राइंग रूम में बैठ कर हंसी-मज़ाक की, टीवी देखी और फिर सब अपने-अपने कमरों में सोने को चले गये पर मेरी आँखों से तो नींद कोसों दूर थी । आधे घंटे बाद ही में चुपचाप ऊपर से निचली मंजिल पर आया और उनके कमरे की आवाजें सुनने की कोशिश की तो पता चला कि उन्होंने मूवी शुरु कर दी थी ।
मैं और अधीर हो उठा और धीरे से बिना आवाज किये गेस्ट-रूम का दरवाज़ा खोल कर उसमें दाखिल हुआ तो उसमें एक सुखद आश्चर्य मेरा इन्तजार कर रहा था ।
जिस खिड़की में मैंने छेद किया आज मम्मी-डैडी ने वो खिड़की शायद गर्मी के कारण खुली रख छोड़ी थी । मेरी तो लाटरी लग गई क्यूंकि मुझे आशंका थी कि उस छेद से मैं वो मूवी देख भी पाऊँगा या नहीं … पर अब मैं केवल उसके परदे को थोड़ा सा खिसका कर ही मूवी देख सकता था तो बिना समय गंवाये मैंने धीरे से सही जगह पर बैठकर धीरे से पर्दा खिसका कर कमरे की स्थिति देखी ।
बैडरूम में छोटा लैम्प जल रहा था, हल्का प्रकाश फैला था, जिससे सब कुछ साफ-साफ दिख रहा था । डैडी बैड पर सिल्क की लुंगी और बनियान में थे और मम्मी बाथरूम में नहाने लेने या शायद कपड़े बदलने गई थी । कुछ ही देर में मम्मी गुलाबी रंग की स्लीवलैस नाईटी पहन कर निकली और बैड पर डैडी के पास बैठ कर मूवी देखने लगी ।
तभी डैडी ने मम्मी की कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींच लिया तो मम्मी थोड़ा ना नुकुर करने लगी पर डैडी अपने होंठों से मम्मी की गर्दन को चूमने लगे थे और थोड़ी ही देर में मम्मी भी उनका साथ देने लगी । कहने में ठीक तो नहीं लगता पर मुझे भी टीवी पर चल रही मूवी से ज्यादा उनकी लाइव रतिक्रीड़ा देखने में आनन्द मिल रहा था ।
मम्मी-डैडी एक दूसरे को होंठों से होंठ मिला कर चूम रहे थे । कुछ देर बाद मम्मी उठी और डैडी ने उनके मौन इशारे को समझते हुए उनकी नाईटी की डोरियों को कंधे के ऊपर से सरका कर नाईटी को नीचे गिरा दिया । एक ही पल में मेरी मम्मी मेरे सामने पूर्ण रूप से अनावृत खड़ी थी। अपने जीवन में पहली बार किसी महिला को इस रूप में देखा था और वो भी अपनी ही मम्मी को ।
सच कहूँ तो एक तरफ मन में थोड़ा अपराधबोध जरूर था कि मैं यह क्या कर रहा हूँ पर दूसरी ओर मन में जिज्ञासा, हवस व उत्तेजना का भाव था जो कि अपराधबोध पर पूरी तरह से भारी था । मम्मी मादकता से परिपूर्ण गौरवर्ण तन की स्वामिनी थी, ऊपरी भाग में तने हुए उनके अत्यंत मादक उरोज़ देख कर किसी का भी ईमान डोल सकता था ।
उरोजों के ऊपर गुलाबी रंग के दो सुन्दर चुचूक थे जिन्हें डैडी थोड़ी-थोड़ी देर में हाथों में लेकर मम्मी को उत्तेजित कर रहे थे । कमर के निचले भाग में जांघों के बीच में योनि साफ नहीं दिख रही थी पर पर उसके ऊपरी उभार पर हल्के रोंये उगे हुए थे । रिश्तों की ज्यादा समझ भी नहीं थी इसलिए बार-बार अपने मन को यह समझा रहा था कि डैडी अगर मम्मी के साथ ये सब… खुद कर सकते हैं तो क्या मैं देख भी नहीं सकता और फिर आज कुछ नया देखने को मिल रहा था ।
यही सोच कर मैं उन दोनों की रतिक्रीड़ा में दर्शक के रूप में शामिल हो गया । तभी डैडी ने रिमोट से वीडियो प्लेयर और टीवी को भी आफ़ कर दिया, वैसे भी अब हम तीनों में किसी को उसमें दिलचस्पी नहीं थी । मम्मी ने भी डैडी के बनियान को पकड़ कर ऊपर किया जिसमे डैडी ने सहयोग करते हुए हाथ ऊपर उठा कर बनियान को उतार फेंका और बैड पर बैठे-बैठे ही अपनी दोनों टांगों के बीच खड़ी मम्मी के गोरे-गोरे उरोजों के ऊपर गुलाबी चुचूकों को हौले-हौले चूसने लगे ।
मम्मी के मुख से मादक सिसकारियाँ निकलने लगीं थी, वो भी उत्तेजक आवाजों के साथ डैडी का उत्साहवर्धन कर रही थी । कुछ देर उरोज़ चूसने के बाद डैडी ने मम्मी को अपने पास बैड पर लिटा दिया और उठ कर अपनी लुंगी उतार फेंकी । तब पहली बार मैंने उनका तना हुआ लिंग देखा । हालांकि उसमें मेरी दिलचस्पी नहीं थी क्योंकि उस जैसा एक छोटा टूल तो मेरे पास भी था । मम्मी की टाँगें बैड के नीचे की ओर लटकी थी उसके बाद डैडी घुटनों के बल बैठे और अपने मुँह को मम्मी की जांघों के बीच घुसा कर उनकी योनि को जीभ से चाटने, चूसने लगे । तब मैं इसे ज्यादा समझ भी नहीं पाया था कि वास्तव में वो लोग क्या कर रहे थे पर यह मुझे अत्यधिक गन्दा और अजीब लगा था कि कोई व्यक्ति जो अपने सार्वजानिक जीवन में जिन अंगों को तुच्छ व गन्दा प्रदर्शित करता है वो गुप्त रूप से कैसे उन अंगों को इतने आनन्द से चूस, चाट सकता है ।
परन्तु माता-पिता वैसे भी हर बच्चे के आदर्श (रोल मॉडल) हुआ करते हैं इसलिए उस समय उनकी हर क्रिया मुझे समान रूप से उत्तेजित कर रही थी । मम्मी भी बायें हाथ से अपने स्तन को मसल रही थी व दूसरे हाथ को डैडी के सिर पर फिरा मादक सिसकारियों के साथ उनका उत्साहवर्धन कर रही थी ।
कुछ देर चली इस क्रिया के बाद मम्मी शायद पूर्ण रूप से उत्तेजित हो गई थी इसलिए उन्होंने हाथ से डैडी को उठने का इशारा किया और बैड पर पीछे खिसक कर लेट गई । डैडी भी इशारे को समझ कर उठे और बैड पर चढ़ कर लेट गये । अब चूसने की बारी मम्मी की थी तो उन्होंने डैडी का लिंग अपने मुँह में ले लिया और हाथ से पकड़ कर मुँह में अन्दर-बाहर करने लगी ।
लैम्प की रोशनी में उनके मुख पर ख़ुशी और उत्तेजना के भाव साफ दिख रहे थे और वो डैडी के लिंग के साथ ऐसे ख़ुशी से खेल रही थी जैसे कोई बच्चा अपने मनपसंद खिलौने के साथ खेलता है ।
अब डैडी भी मादक आवाजें निकालने लगे थे जो थोड़ी तेज थी इसलिए मम्मी ने डैडी को चुप रहने को कहा तो डैडी ने निश्चिन्तता से कहा कि आवाज़ ऊपर तक नहीं जायेगी । और दोनों अपनी क्रीड़ा में लग गये ।
कुछ देर बाद डैडी ने मम्मी को हटाकर लिटा दिया और उनकी टांगों को चौड़ी करके उनके बीच घुटनों के बल बैठ कर अपने लिंग को उनकी योनि के छेद पर सेट किया और धीरे से घुसा दिया ।
मम्मी ने डैडी का लिंग हल्के दर्द से कराहते हुए अपने अन्दर ले लिया और डैडी के सीने पे हाथ फिराने लगीं । डैडी ने भी धीरे-धीरे अपने प्रहार तेज़ कर दिए और अपने लिंग को मम्मी की योनी में अन्दर-बाहर करने लगे । मेरा लिंग भी उत्तेजना के मारे खड़ा हो गया था जिसे मैं हल्के-हल्के मसल कर हस्तमैथुन कर रहा था ।
कुछ ही देर में डैडी थक कर चूर हो गये तो उन्होंने मम्मी को ऊपर आने को कहा तो मम्मी ने अब सैक्स की कमान संभाली और डैडी को लिटा कर उनके ऊपर सवार हो गई । उन्होंने डैडी का लिंग अपनी योनि में लिया और अपने नितम्ब ऊपर-नीचे करते हुए रतिक्रिया को आगे बढ़ाने लगी ।
उनके हाथ अब डैडी के सीने और कन्धों पर थे जो की शायद संतुलन बनाने के लिए रखे गये थे । कुछ ही मिनटों में वो तेज़ मादक आवाजों के साथ निढाल हो कर डैडी के सीने पर गिर गई । बाद में मुझे पता चला कि उनका स्खलन हो गया था ।
डैडी शायद पहले ही स्खलित हो गये थे इसलिए दोनों थोड़ी देर में अलग हुए और एक-एक कर के टॉयलेट में गये अपने बदन साफ करके बैड पर अपने उतारे हुए कपड़े पहन कर लेट गये और कुछ बातें करने लगे । मैं भी काफी देर पहले स्खलित हो चुका था इसलिए धीरे से उठा और चुपचाप अपने कमरे में जाकर लेट गया पर आँखों के आगे कुछ देर पहले हुआ वृतांत और मम्मी का अनावृत तन ही घूम रहा था ।
मैं कई दिनों तक पूरी तरह से समझ भी नहीं पाया था कि वो सब क्या था पर अब मुझे सैक्स का काफी ज्ञान हो गया था, किताबी साहित्य के साथ प्रेक्टिकल भी देखने को मिल गया था । मैं डैडी की अलमारी रोज चैक करता था कि कुछ नया साहित्य मिले तो आनन्द आये ।
गर्मी की छुट्टियाँ हो गई थी सो और कोई काम भी नहीं था इसलिए यह मेरी दिनचर्या का हिस्सा बन गया था । साथ ही लगभग रोज रात को नीचे जा कर गेस्ट रूम की खिड़की से मम्मी-डैडी की काम-लीला देखने का भी प्रयास करता था, हालांकि वे रोज सैक्स नहीं करते थे ।
कुछ ही समय में मुझे पता चल गया था कि सप्ताह में उनके सैक्स करने के दो दिन लगभग तय थे… बुधवार और शनिवार । यदि कोई काम हो, कहीं जाना हो, थकान के कारण दोनों में किसी एक का या फिर दोनों का मन नहीं हो या मम्मी पीरियड में हो तो उन दो दिनों को थोड़ा आगे-पीछे एडजस्ट कर उनकी काम-क्रीड़ा निरंतर चलती थी ।
उनके बीच की कैमिस्ट्री (आपसी समझ) मुझे तब भी बहुत पसंद थी और आज भी मैं अपने वैवाहिक जीवन में उन दोनों को अपने आदर्श मान कर उसी कैमिस्ट्री पर चल कर अपना वैवाहिक जीवन सुखी बना रहा हूँ । खैर… फिर से कहानी पर आता हूँ…
कुछ ही दिनों में मुझे काम-दर्शन का सिलसिला रोकना पड़ा क्योंकि छुट्टियों के कारण मेरी दो बुआ (डैडी की बड़ी बहनें) अपने बच्चों के साथ हमारे यहाँ रहने के लिए आ गई । दोनों बुआ को एक लड़का और एक लड़की थी। मुंबई वाली बड़ी बुआ का लड़का राहुल 20 वर्ष का और लड़की अनन्या (अनु) राहुल से छोटी थी ।
इसी तरह जयपुर वाली छोटी भुआ का लड़का सचिन 18 वर्ष का और लड़की सुनीता (सोनी) सचिन से छोटी थी । दोनों भैया तो बड़े थे इसलिए वो मुझसे दूर ही रहते थे पर राधिका और सोनी की मेरे से बहुत पटती थी। हम तीनों साथ-साथ बैडमिन्टन खेलते, घूमने जाते, साईकिल चलाते, विडियो गेम्स खेलते और स्केटिंग करते थे ।
कुल मिला कर हम हर गर्मी की छुट्टियों में बहुत ज्यादा मजे करते थे पर इस बार जब वो लोग आये तब एक बार तो मुझे अच्छा नहीं लगा क्योंकि वो उसी गेस्ट रूम में रुके थे जिसकी खिड़की से मैं अपने मम्मी-डैडी को सैक्स करते देखा करता था । कुछ ही दिनों में मुझे काम-दर्शन का सिलसिला रोकना पड़ा क्योंकि छुट्टियों के कारण मेरी दो बुआ (डैडी की बड़ी बहनें) अपने बच्चों के साथ हमारे यहाँ रहने के लिए आ गई ।
दोनों बुआ को एक लड़का और एक लड़की थी। मुंबई वाली बड़ी बुआ का लड़का राहुल 20 वर्ष का और लड़की अनन्या (अनु) राहुल से छोटी थी । इसी तरह जयपुर वाली छोटी भुआ का लड़का सचिन 18 वर्ष का और लड़की सुनीता (सोनी) सचिन से छोटी थी ।
दोनों भैया तो बड़े थे इसलिए वो मुझसे दूर ही रहते थे पर राधिका और सोनी की मेरे से बहुत पटती थी। हम तीनों साथ-साथ बैडमिन्टन खेलते, घूमने जाते, साईकिल चलाते, विडियो गेम्स खेलते और स्केटिंग करते थे । कुल मिला कर हम हर गर्मी की छुट्टियों में बहुत ज्यादा मजे करते थे पर इस बार जब वो लोग आये तब एक बार तो मुझे अच्छा नहीं लगा क्योंकि वो उसी गेस्ट रूम में रुके थे जिसकी खिड़की से मैं अपने मम्मी-डैडी को सैक्स करते देखा करता था ।

You May Also Like

Ghar ki Gaand - 6

Main didi ke hath se moisturizer ki bottle li, aur didi ki bur ko moisturize karne laga. Ab didi bhi khul kar mera sath…

Ghar ki Gaand - 7

Behanchod tu hai hi, lekin mere muh me apna muth mat gira dena, Pinki bata rahi thi ki uske bhaiya ne jabardasti usko b…

Comments